स्नेहिल अभिवादन
रविवार की चर्चा में आप का हार्दिक स्वागत है|
देखिये मेरी पसन्द की कुछ रचनाओं के लिंक |
- अनीता सैनी
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दोहे
"पाक आज कुख्यात"
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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रूह से सजदा
रूह से सजदा
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मेरी भावना
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जश्न
Sudhinama
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यह कैसा जश्न है ?
हिन्दी-आभा*भारत (https://www.हिन...
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हसरतों के काफ़िले ….
दिनेश पारीक "मेरा मन"
संवाद (माँ-बेटे की)
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जश्न
Sudhinama
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यह कैसा जश्न है ?
हिन्दी-आभा*भारत (https://www.हिन...
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हसरतों के काफ़िले ….
दिनेश पारीक "मेरा मन"
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अग्नि मेरा गीत है
मैं निशा की चांदनी
मांग अंधेरा सजा है
भोर के आने से पहले
नर्तनों का गीत हो
तांडव की बेला हो जैसे,
कांपते हांथों से
मेरी देह का श्रंगार कर दो
अग्नि मेरा गीत है
मैं निशा की चांदनी
मांग अंधेरा सजा है
भोर के आने से पहले
नर्तनों का गीत हो
तांडव की बेला हो जैसे,
कांपते हांथों से
मेरी देह का श्रंगार कर दो
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तंदरुस्ती है बड़ी नियामत
सभी जानते फ़ास्ट फ़ूड ये
भिन्न भिन्न रोग लगाते हैं
फिर भी आज के बच्चों को
बर्गर पिज़्ज़ा ही भाते हैं
सभी जानते फ़ास्ट फ़ूड ये
भिन्न भिन्न रोग लगाते हैं
फिर भी आज के बच्चों को
बर्गर पिज़्ज़ा ही भाते हैं
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चन्द सवाल है जो चीखते रह गये ...
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काफी परिश्रम से आज आपने इस मंच को सजाया है।
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा , प्रणाम अनीता बहन
बहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार अनीता सैनी जी।
वाह! शानदार प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर विषयों की अधिकता और संकलित सूत्रों की रसमय रोचकता पाठक को प्रभावित करती है.
बधाई.
चर्चा मंच पर अपनी रचना देखकर बड़ी प्रसन्नता हुई .
जवाब देंहटाएंसादर आभार अनीता जी.
बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई मेरी रचनाओं को स्थान देने के लिए सहृदय आभार सखी सादर
जवाब देंहटाएंवाह ! बहुत ही सुन्दर सूत्रों से सुसज्जित आज की चर्चा ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी ! सप्रेम वन्दे !
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा अंक सभी लिंक बहुत शानदार सभी रचनाएं बहुत बहुत सुंदर ।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई।
मेरी रचना को चर्चा मंच पर रखने का तहेदिल से शुक्रिया।
सर्वप्रथम अनिता जी आपकी हृदय से आभारी हूँ ,बहुत बहुत धन्यवाद करती हूं आपका ,सभी साथियों को ढेरों बधाई देती हूं मैं ,अभी आप सभी की रचनाओं को ध्यान से देख ली हू ,जल्दी ही पढ़ने भी आऊँगी ,दो तीन दिन का कुछ काम आ गया है ,मैं जब भी आती हूँ ,सबकी रचनाओं को पढ़कर ही जाती हूँ ,आज न पढ़ सकी जल्दी में ,माफ कीजियेगा आप सभी पहली फुर्सत मिलते ही आती हूँ ,आप सभी बहुत ही अच्छा लिखते हैं ,नमस्कार धन्यवाद मित्रों ।
जवाब देंहटाएंलाजवाब .. चर्चामंच पर शानदार चर्चा
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और रोचक चर्चा।
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