मित्रों!
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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ग़ज़ल...
ओ मेरी नादान ज़िन्दगी -
डॉ. वर्षा सिंह
अब तो कहना मान ज़िन्दगी
सुख की चादर तान ज़िन्दगी
ढेरों आंसू लिख पढ़ डाले
रच ले कुछ मुस्कान ज़िन्दगी...
सुख की चादर तान ज़िन्दगी
ढेरों आंसू लिख पढ़ डाले
रच ले कुछ मुस्कान ज़िन्दगी...
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बलिहारी गुरु आपने,
जिन गोविन्द दियो बताय
बाराबंकी में मैंने क्लास टेंथ से लेकर क्लास ट्वेल्थ तक की पढ़ाई की थी. इंटर में हमको श्री सनत्कुमार मिश्रा हिंदी पढ़ाते थे. मैंने अपनी ज़िंदगी में मिश्रा मास्साब सा खुश मिजाज़, ज़िन्दा दिल और दूसरों की मदद के लिए हमेशा तैयार इंसान कोई और नहीं देखा. मिश्रा मास्साब में कबीर का सा फक्कड़पन था और ‘संतोषम् परं सुखं’ का सिद्धांत उनके जीवन का मूल-मंत्र था.
मिश्रा मास्साब का जन्म एक किसान परिवार में हुआ था लेकिन उनके पिताजी शिक्षित थे और स्थानीय प्राइमरी स्कूल में अध्यापक थे. मिश्रा मास्साब ने बचपन से पैसे की किल्लत तो देखी थी लेकिन उन्हें खाने-पीने की कभी कोई कमी नहीं रही थी. उनके अपने शब्दों में –
‘हमारे बाबूजी की दशा, ‘गोदान’ के होरी से बहुत अच्छी थी और मेरे अपने हालात उसके बेटे गोबर से, कहीं बेहतर थे...
तिरछी नज़र पर
गोपेश मोहन जैसवाल
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Who can see ur facebook post
साधारणत: सभी फेसबुक यूजर्स बिना तकनीकी जानकारी के या जल्दबाजी में अपना फेसबुक अकाउंट बना लेते हैं। लेकिन बेसिक जानकारियों के अभाव में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं अंदेख कर फेसबुक का उपयोग करने लगते हैं। वैंसे आपकी जानकारी के लिए यहाँ बता दूँ फेसबुक बहुत बड़ा और तकनीकी रूप से बहुत महत्वपूर्ण प्लेटफॉर्म है जॉब, व्यवसाय एवं सर्विस इन्डस्ट्रीज के लिए। इससे भी महत्वपूर्ण है हम सभी के मन मस्तिष्क को सक्रिय रखने के लिए जहाँ लोग इसको बीमारी कहते हैं मैं इस प्लेटफॉर्म को एक विद्यालय मानता हूँ...
राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
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(आलेख)
छत्तीसगढ़ी संस्कृति का प्रतिनिधि :
मचेवा का ' नाचा '
Swarajya karun
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तुम बुहार न सको
तुम बुहार न सको किसी का पथ कोई बात नहीं,
किसी की राह में कंटक बिखराना नहीं।
न कर सको किसी की मदद कोई बात नहीं,
किसी की बनती में रोड़े अटकाना नहीं...
मन के वातायन पर
जयन्ती प्रसाद शर्मा
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चाँद रहेगा
कुछ दिन चाँद रहेगा प्यारे,
कवियों की कविताओं में।
एक राष्ट्रनायक का चमचम,
कुंजों और लताओं में।
हार-जीत के चर्चे होंगे,
टीवी या अखबारों में...
मेरी दुनिया पर
विमल कुमार शुक्ल 'विमल'
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लगता नया नया हर पल है
जाना जीवन पथ पर चलकरलगता नया नया हर पल हैधरती पर आँखें जब खोलींनया लगा माँ का आलिंगननयी हवा में नयी धूप मेंनये नये रिश्तों का बंधन
शुभ्र गगन में श्वेत चन्द्रमालगता बालक सा निश्छल है...
मधुर गुँजन पर
ऋता शेखर 'मधु'
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एक सौदागर हूँ सपने बेचता हूँ ...
मैं कई गन्जों को कंघे बेचता हूँ
एक सौदागर हूँ सपने बेचता हूँ
काटता हूँ मूछ पर दाड़ी भी रखता
और माथे के तिलक तो साथ रखता
नाम अल्ला का भी शंकर का हूँ लेता
है मेरा धंधा तमन्चे बेचता हूँ
एक सौदागर हूँ ...
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सत्य कहा सर जी आपने
जवाब देंहटाएंसुप्रभात सर 🙏 )
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति 👌|मुझे स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीय
प्रणाम
सादर
सुन्दर चर्चा प्रस्तुति। आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा सूत्र ...
जवाब देंहटाएंआभार मेरे गीत को जगह देने के लिए ...
चर्चा-मंच में मेरी रचना साझा करने के लिए हार्दिक आभार आपका ... सुन्दर संकलन से रूबरू कराने के लिए धन्यवाद आपका ..
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह! रसमर्मज्ञ पाठकों को शानदार पठन सामग्री उपलब्ध कराता चर्चा मंच का प्रतिष्ठित पटल.
जवाब देंहटाएंबधाई.
बहुत सुंदर प्रस्तुति, शानदार लिंक संयोजन बहुत सुंदर चर्चा अंक।
जवाब देंहटाएंसुंदर अंक
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट शामिल करने हेतु हार्दिक आभार 🙏
जवाब देंहटाएंकई सराहनीय लिंक्स मिले । आभार । आपने मुझे भी स्थान दिया । इसके लिए भी धन्यवाद ।
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