मित्रों!
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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३८०.
कूड़ा
अगर तुम्हें कहीं चिंगारी मिले,
तो मुझे दे देना,
बहुत सारा कूड़ा फैला है मेरे इर्द-गिर्द,
उसे जमा करना है,
जलाना है उसे...
तो मुझे दे देना,
बहुत सारा कूड़ा फैला है मेरे इर्द-गिर्द,
उसे जमा करना है,
जलाना है उसे...
कविताएँ पर Onkar
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परिचय की गाँठ
अब प्रेम पराग,
अनुराग राग का
उन्माद ठहर चुका है...
बचे हैं कुछ दुस्साहसी
लम्हों की आहट,
मुकर जाने को तत्पर
वैरागी होता मन,
और आस पास
कनखजूरे सी
ख़ामोशी....
इतनी भी पुख़्ता नहीं होती
परिचय की गाँठ !!!
अनुराग राग का
उन्माद ठहर चुका है...
बचे हैं कुछ दुस्साहसी
लम्हों की आहट,
मुकर जाने को तत्पर
वैरागी होता मन,
और आस पास
कनखजूरे सी
ख़ामोशी....
इतनी भी पुख़्ता नहीं होती
परिचय की गाँठ !!!
काव्य मंजूषा पर स्वप्न मञ्जूषा
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यादों के नाम
लिख रहा हूँ नज़्म तेरी यादों के शाम
महकी महकी सोंधी साँसों के नाम
सागर की कश्ती बाँहों के पास...
उड़ रहा आँचल निकल रहा आफताब ..
RAAGDEVRAN पर
MANOJ KAYAL
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अंधियारा जब फैला हो ...
अंधियारा जब फैला हो जुगनू बन तुम आ जाना
रपटीली डगर जीवन की बन सहारा छा जाना...
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लोकतंत्र तभी तक फल-फूल सकता है,
जब तक ख़बरों में सच्चाई हो ------
रवीश कुमार

क्रांति स्वर पर
vijai Rajbali Mathur
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बढ़िया अंक।
ReplyDeleteबढ़िया अंक।
ReplyDeletegate cse syllabus
बहुत ही अच्छे लिंक संजोये हैं आपने शास्त्री जी...धन्यवाद
ReplyDeleteकानखजूरे सी ख़ामोशी और परिचय की गाँठ
ReplyDeleteहिंदी को लेकर खींचातानी
ख़बरों में सच्चाई ? सच्चाई जो सूट करती हो.
क्योंकि सच इनका है.बाकी जो कहें झूठा है.
पता नहीं क्रांति का अर्थ शिकायत करना और व्यवस्था को दोष देने तक ही कब सीमित हो गया. उसका क्या हुआ जो चुपचाप सुलगती है दिलों में और कहती है - ख़ुद भी कुछ कर के दिखाओ. दोष मढना आसान है. छोटा ही सही, कभी विफल भी, बदलाव लाना तुम्हारा भी काम है.
चर्चा जारी है.हर रचना न्यारी है.
धन्यवाद शास्त्रीजी. नमस्ते.
sundar charcha shamil karne hetu abhar
ReplyDeleteइस अंक में मेरी रचना को साझा करने के लिए हार्दिक आभार आपका ...
ReplyDeleteचर्चामंच खूब सजा है |
ReplyDeleteमेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद सर |