मित्रों!
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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काम है
रोजगार है बेरोजगार
मौज के लिये बेरोजगार है ना
जाने कब बेवकूफों के
समझ में आयेगा
उलूक टाइम्स पर
सुशील कुमार जोशी
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पीपल ...
माँ का आँचल शीतल पीपल देख रहा
मौन तपस्वी अविचल पीपल देख रहा
शरद, शिशिर हेमंत
गीष्म बैसाखी वर्षा
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बारिश
आज बादल घिर रहे हैं खूब बारिश हो रही है शाम तक सूखा था मौसम रात बारिश हो रही है। एक घर था हमारा गङ्गा किनारे, संकरी गलियाँ तल का कमरा राम जी का मध्य में माता पिता थे छत में था एक कमरा जिसमें रहते पाँच भाई और इक छोटी बहन भी जब भी होती तेज बारिश काँपता था दिल सभी का ज्यों टपकता छत से पानी खींच लेते आगे चौकी बौछार आती खिड़कियों से खींच लेते पीछे चौकी तेज होती और बारिश छत टपकता बीच से भी अब कहाँ जाते बताओ...
बेचैन आत्मा पर देवेन्द्र पाण्डेय
बेचैन आत्मा पर देवेन्द्र पाण्डेय
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सत्रह का पहाड़ा
...नया-नया बाप बना हमारा नायक
बुक्का फाड़कर रो रहा था
और घर के अन्दर से
औरतें ढोलक बजाते हुए
सोहर गा रही थीं.
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विविध विषयों को समेटती चर्चा मंच की शानदार प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अंक। आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंचर्चामंच की विस्तृत चर्चा ...
जवाब देंहटाएंआभार मेरी रचना को जगह देने के लिए आज की चर्चा में ...