मित्रों!
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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ओ डी एफ पर प्रश्नचिन्ह
ग्रामीण महिलाएँ
प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा पिछले कार्यकाल में ओ डी एफ जैसी महात्वाकांक्षी योजना चलायी गयी, बड़े बड़े दावे किए गए कि ये योजना महिलाओं के सम्मान के लिए उठाया गया एक बहुत बड़ा कदम है और इसी साल ये घोषणा की गई है कि पूरा उत्तर प्रदेश ओ डी एफ घोषित किया जाता है जबकि सच्चाई कुछ और ही है..।
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ब्लॉगिंग के 11 वर्ष
वह साल 2008 का था जब मेरा ब्लॉगिंग से परिचय हुआ था और वहीँ से दिशा मिली थी खुद को अपनी मर्जी से प्रकाशित करने की सुविधा। इसमें ये कोई चिंता नहीं थी कि कोई पढ़ेगा या नहीं फिर भी धीरे धीरे लोग पढ़ने लगे और उस समय चल रहे ब्लॉग की सूचना देने वाले एग्रीगेटर थे और आज भी है जो ब्लॉग के लिखने और उसके प्रकाशित होने की सूचना सबको देते थी। "हमारी वाणी" ने बहुत काम किया..
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पिंजरे का पंछी
मैं जीना चाहूं बचपन अपना,
पर कैसे उसको फिर जी पाऊं!
मैं उड़ना चाहूं ऊंचे आकाश,
पर कैसे उड़ान मैं भर पाऊं...
बहुत नाइंसाफ़ी है
एक आध्यात्मिक संत ज़रा सा लौकिक क्या हुआ, लोगों ने तो हंगामा ही खड़ा कर दिया.
और फिर अगर कुछ जगह प्रधानमंत्री की अपील -
'बेटियां पढ़ाओ, बेटियां बचाओ'
को गलतफहमी में -
'बेटियां पढ़ाओ लेकिन उनको क़तई मत बचाओ'
समझ लिया गया तो उस पर इतनी हाय-तौबा मचाने की क्या ज़रुरत है...
तिरछी नज़र पर
गोपेश मोहन जैसवाल
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सुप्रभात ,
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुति।
सुप्रभात आदरणीय 🙏
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
सादर
सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा |
मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद सर |
विविधता से परिपूर्ण सुन्दर प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएंसभी की रचनाएं एक से एक सभी को बधाई।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात, पठनीय सूत्रों का संयोजन..आभार !
जवाब देंहटाएंवाह!!शानदार प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार प्रस्तुति, शानदार लिंको का सुंदर गुलदस्ता,
जवाब देंहटाएंविविध रचनाकारों का सुंदर संगम, सभी सामग्री उच्चस्तरिय मेरी रचना को शामिल करने केलिए तहेदिल से शुक्रिया।
सुन्दर लिंक्स. मेरी कविता शामिल की. आभार.
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