नमस्कार , आज है मंगलवार..और आज मैं लायी हूँ आपके लिए कविताओं से सजा एक पोस्टर ..जी हाँ इस पोस्टर पर सजी हैं इन्द्रधनुषी रंग बिखेरती अनेक कविताएँ .. भीषण गर्मी में जब बादल उमड़ते घुमडते हैं , बिजली चमकती है और बारिश की बूंदें धरती तक आती हैं ..और इसी बीच जब इन्द्रधनुष दिखाई देता है तो सबका मनमयूर नाच उठता है और सब उसका आनंद लेते हैं….तो आप भी इस इन्द्रधनुष का आनंद उठाइए .मैंने पोस्टर को सजाया है कविताओं से और आज चर्चा मंच प्रारंभ कर रही हूँ पोस्टर की कविताओं से… |
मुझे पोस्टर कविताओं की जानकारी नहीं थी…इसके बारे में मुझे पता चला राजकुमार सोनी जी के ब्लॉग बिगुल » पर . आप भी जानिए इन कविताओं के बारे में ..हर कविता गहन अर्थ लिए हुए है.. पोस्टर कविताएंबच्चा बच्चा लट्टू चलाता है चलाने दो देखना एक दिन घुमाकर रख देगा पृथ्वी को लट्टू की तरह. |
सूर्यकांत गुप्ता जी के विचार उमड़त घुमड़त आते हैं और ज़बरदस्त बारिश कर करके ही जाते हैं…कहीं कहीं बाढ़ भी आ जाती है…देखिये बानगी ज़रा … दाम्पत्य जीवन में दरार, ईश्वर ने कराया ये कैसा करारहे श्रृष्टि के रचयिताजगत के आधार सगुण रूप साकार हो ना निर्गुण रूप निराकार |
कुमार मुकुल की कविताऍं एक अनूठा ब्लॉग है…इस पर पढ़ें एक खूबसूरत कविता -- बेचैन सी एक लड़की जब झांकती है मेरी आंखों में..बेचैन सी एक लड़की जब झांकती है मेरी आंखों मेंवहां पाती है जगत कुएं का जिसकी तली में होता है जल जिसमें चक्कर काटत हैं मछलियों रंग-बिरंगी | निर्झर'नीर ज़माने की बात ग़ज़ल में कहते हुए बता रहे हैं कि - ये पेच-ओ ख़म ज़माने केकभी सुर्ख़ी थी इस पे भी, ज़र्द जो आज है चेहरा हर एक कतरा लहू का ज़िस्म से किसने जला डाला ! ये जाति धर्म की बातें ,ये बातें है सियासत की सियासत की इन्ही बातों ने मुल्कों को जला डाला ! |
अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी कुछ औरों की , कुछ अपनी पर गालियों से भी प्रेरणा ले कर लिख रहे हैं .. लगे हाथ , 'गालियों की प्रेयकारी भूमिका' … '' गलियों ! आओ - वहन कर लूंगा तुम्हें . आखिर तुम भी तो , भद्र व्यक्तित्व के स्याह पक्ष की अचूक सच्चाई हो |
राजीव जी अपने ब्लॉग GHONSLA पर लाये हैं एक प्यारी सी कविता बिटिया ….. बिटिया, तू तो कविता है मेरी. नाजों पली तितलियों के पीछे दौड़ती-भागती फूलों से लदी मखमली परिधान में सजी नन्ही गुड़िया है मेरी |
विवेक जैन सावन के माध्यम से कैसा कटाक्ष कर रहे हैं..यह जानना है तो पढ़िए उनकी यह कविता - चलो इस सावन में सभी भीग लो. अच्छा है वह अल्लाह-राम का नाम ले नहीं बरसता. गिरने से पहले बूँदें हमारी जात नहीं पूछतीं . होली के रंग जैसे उसके छींटे सिर्फ चंद लोगों पे नहीं पड़ते. ना ही वह रंग-भेद करता है | Lamhon Ka Safar पर पढ़िए जेन्नी शबनम को ..रिश्तों की खोज करते हुए एक राह और एक प्याली... में अभी भी मेरी आँखें वहीं खड़ी हैं, वहीं उसी मोड़ पर जहाँ से हमारे रास्ते बदलते हैं हमेशा ! उस दिन भी तो साथ हीं थे हम, आमने सामने बैठे कोल्ड कॉफ़ी की दो प्याली |
तुम नहीं तो ये बहार, पानी झरनें, पेड़-पौधे बेमानी हैं |
कुसुम ठाकुर अपनी Kusum's Journey (कुसुम की यात्रा) » से कह रही हैं कि मन को समझाती रही ! अब समझा पायीं या नहीं..यह आप कविता पढ़ कर ही जानिए -- यों गए फिर वो न आए, मन को समझाती रही बागबाँ बन अपने सूने मन को, मैं भरमाती रही अब रहा न शोख चंचल, फ़रह भी मुमकिन नहीं सपनों में थी जो संजोई, वह सोच मुस्काती रही ******************************** यही तो अमर प्रेम है ………………है नातुम्हें याद है कल हमारे वैवाहिक बँधन में वक़्त एक और यादों की लकीर छोड़ रहा है |
आवाज़ » से रोली पाठक अपनी बुलंद आवाज़ में कह रही हैं कि "भारत-बंद" का क्या असर हुआ है.. ईंट-पत्थर, टूटी बोतलें चूड़ियों के टुकड़े, छूटी चप्पलें, बच्चों का रुदन माँओ का क्रंदन, | जीवन सन्दर्भ पर भूपेंद्र कुमार सिंह प्रस्तुत कर रहे हैं खुशबू के शिलालेख तुम खुशबू के शिलालेख हो , मै हूं सागर की गहराई, तुम हो दिव्य कामना मन की मैं हूं तेरी ही परछाईं // तेरे दुःख के सारे किस्से , लगते हैं क्यों अपने हिस्से ? ये सब बातें अंतर्मन की, बोलो कहें यहाँ किस किस से ?// |
Lamhon Ke Jharokhe Se... ऋचा बता रही हैं कि रिश्ते कुम्हार की चाक पर पड़ी मिट्टी से नर्म होते हैं .. नर्म मिट्टी से ये रिश्ते.. कविता के साथ साथ भूमिका की भी प्रशंसा किये बिना नहीं रहेंगे.. |
मेरे भाव » पर पढ़िए ---मन का आँगन मेरे मन के आँगन में बीज प्रीत का रोपा मैंने भीने भाव की नमी दी उसमें दिव्य कुसुम सा पाया मैंने *************************************************** SADA » जी माहिर हैं हंसने के फन में .तेरी मुहब्बत मुझे इस कदर रूलाएगी छिपाने में, उसको इक मुस्कराहट भी मेरी न काम आएगी । यूं तो हंसने के फन में खूब माहिर हूं होगा क्या, जब हंसी बन के अश्क आंखों से छलक जाएगी |
My Poetry Collectionपर अनीता निहालानी जी के जीवन दर्शन पर विचार जानिए .. कोई है कोई है सुलग रहा है रह-रह कर दिल जाने कैसी पीड़ा छाई, पलकों के पीछे से कोई झांक रहा न दिया दिखाई I भीतर ही भीतर यह कैसी शक्ति का विस्फोट हो रहा, बाहर आने को है व्याकुल पर न कोई मार्ग पा रहा I | अरुण आदित्य जी से मिलिए उनके ब्लॉग अ आ » पर झोपड़ी के हिस्से में किस्से सुनाते हुए - पता नहीं झोपड़ी का दर्द जानने की आकांक्षा थी या महज एक शगल कि झोपड़ी में एक रात गुजारने को आ गया महल झोपड़ी फूली नहीं समा रही उमंग से भर गया है जंग लगा हैंडपंप प्यार से रंभा रही है मरियल गाय कदम चूम कर धन्य है उखड़ा हुआ खड़ंजा |
वीरेन्द्र सिंह यूँ तो AAZAAD PARINDA » हैं लेकिन कह रहे हैं कि मैं भी नेता बनूँगा ...एक व्यंग रचना पढ़िए मैं भी नेता बनूँगा । देश के लिए कुछ करूँ या न करूँ , अपने घर को तो मैं ज़रूर गुलज़ार करूँगा। इसलिए मैं भी नेता बनूँगा । क्या हुआ जो मैं अनपढ़ हूँ , बेकार हूँ ... मेहनत से कमा कर खाने में लाचार हूँ .... लेकिन राजनीति का तो मैं अनार हूँ .... लोगों को बरगलाने में भी होशियार हूँ । |
धर्मेन्द्र कुमार सिंह कल्पनालोक से एक वैज्ञानिक भाषा में कविता कर रहे हैं .. बड़ा मुश्किल है बड़ा मुश्किल है, तुम पर कविता लिखना, विज्ञान की प्रयोगशालाओं में, कविता कहाँ बनती है? परखनलियों में, अम्लों में, क्षारों में, रासायनिक अभिक्रियाओं में, कविता कहाँ बनती है? | EKLA SANGH » ब्लॉग पर पढ़िए जसवीर जी की एक बहुत संवेदनशील रचना मां होने का दर्दशरीर पर सिम्पटम उभरने लगे हैंउसे पता है इस असाध्य बीमारी के बारे में- वो कैंसर से पीडि़त है ! कैसे सपने आते होंगे उसको रात में नींद उचटने पर क्या होता होगा उसके मन में अस्पताल में थिरेपी के दौरान | रामेश्वर गुप्ता कुछ दिल से, दिल की बात कुछ इस तरह कह रहे हैं -दहकती रही हसरतें गुलमोहर के साथ .. कई बार चाहा कि छा जाऊँ इन्द्रधनुष बनकर तुम्हारे मन के आसमान पर या सजता रहूँ तुम्हारी देह पर हर श्रृंगार बनकर |
डा० सुभाष राय को पढ़िए साखी पर यही है साखीकबीर ने कहा, आओ तुम्हें सच की भट्ठी में पिघला दूं, खरा बना दूं मैंने उनके शबद की आंच पर रख दिया अपने आप को |
पूजा उपाध्याय अपनी लहरें पर बहुत पते की बात बता रही हैं.. सपनो का अनजानी भाषाओँ का देशइतना मुश्किल भी नहीं हैअभी इन्सान पर भरोसा करना भाषिक आतताइयों के देश में किसी साधारण उन्माद वाले दिन वो नहीं करेंगे तुमसे बातें | मयंक सक्सेना को पढ़िए ताज़ा हवा पर - पूर्णता अपूर्ण है...सबसे गहरी कविताएं, निरुद्देश्य लिखी गईं जल्दबाज़ी में उकेरे गए सबसे शानदार चित्र हड़बड़ी में गढ़े गए |
bhardwaj'sblog पर चन्द्र भान जी बता रहे हैं कि समय की मार से ना जाने क्या – क्या टूट जाती है -समय की मार से अल्हड़ जवानी टूट जाती है लदा हो बोझ ज्यादा तो कमानी टूट जाती है ठहरने ही नहीं देती किसी को वेग में अपने नदी मुड़ती जहाँ उसकी रवानी टूट जाती है |
अजय कुमार जी अपनी गठरी » में छुपाये हैं बहुत से अनुत्तरित प्रश्नइस देश को तब सोने की चिड़िया कहा गया जब यहाँ होते थे , हरे भरे खेत-खलिहान । | गौरव गुप्ता Direct dil se ! कह रहे हैं कि कुछ कमी है.......कुछ कमी है............ दूर हो कर भी वो यहीं कहीं है | मेरे दिल की आवाज़, क्या उसने सुनी है? |
अविनाश की क्षणिकाएं किसी महा काव्य से कम नहीं होतीं… मेरी कलम से......पर पढ़िए ऐसे ही (क्षणिकाएँ..ऊपर की दुनिया... कल थी बड़ी, रौशनी उस जहां. रात बारिश के बहाने, ख़ुशी के आँसू, "वो" भी रोया. सुना कल किसी ने, "उसे" अब्बा कहा था. |
आज की चर्चा का अंतिम पड़ाव एक बहुत खूबसूरत संदेशात्मक गीत के साथ पूरा करते हैं . उच्चारण » पर पढ़िए डा० रूपचन्द्र शास्त्री जी की नयी रचना - “.. .. .बदल जायेगा!”मोम सा मत हृदय को बनाना कभी, रूप हर पल में इसका बदल जायेगा! शैल-शिखरों में पत्थर सा हो जायेगा, घाटियाँ देखकर यह पिघल जायेगा!! |
आशा है आपको मेरा यह पोस्टर और इसके विभिन्न रंग पसंद आये होंगे…आपके सुझाव आमंत्रित हैं… आज की चर्चा पर यहीं देती हूँ विराम…….सबको मेरी राम राम | |
आपकी चर्चा पर अब चटख रंग चढ़ चुका है.
जवाब देंहटाएंऔर जहां तक मैं जानता हूं जिस आंखों में एक बार चटख रंग बस जाए वह उतारने से भी नहीं उतरता है.
अच्छी चर्चा के लिए आपको बधाई
हमेशा की तरह अच्छे व शानदार लिंक्स
मेरी पोस्ट को सबसे पहले क्रम पर आपने रखा है इसके लिए विशेष तौर पर आपका धन्यवाद.
Bahut sundar charcha..
जवाब देंहटाएंइस खूबसूरत चर्चा की बधाई । अच्छे अच्छे लिंक मिले ,और इन सुंदर पोस्टों के बीच खुद को पाकर आनंदित हुआ ।
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन चर्चा!!
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन चर्चा!!
जवाब देंहटाएंआपका साप्ताहिक काव्य मंच
जवाब देंहटाएंदिन-प्रतिदिन निखरता जा रहा है!
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बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
चर्चा मंच पर हमारी कविता को स्थान देने के लिये बहुत बहुत शुक्रिया। चंद पोस्ट ही अभी पढ़ पाये हैं डुयूटी से आने के बाद बाकी पढ़े जा सकेंगे। बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति। पुन: बहुत बहुत धन्यवाद आपको।
जवाब देंहटाएंसंगीता जी, बहुत-बहुत धन्यवाद, इस तरह एक ही जगह पर अनेक सुन्दर और गम्भीर रचनायें पढने को मिल जाती हैं। यह अवसर कोई क्यों चूकना चाहेगा? धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंइतने सारे कवियों और उनकी रचनाओं से परिचय करवाने के लिए धन्यवाद। बड़ी ही सार्थक चर्चा।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत लिंक्स...
जवाब देंहटाएंआभार ...!
सार्थक काव्य चर्चा, आपका आभार !
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स दिए गए हैं .. सुन्दर चर्चा ..
जवाब देंहटाएंकुछ को फिर आकर देखूंगा ..
आभार !
hamesha ki tareh umda charcha.
जवाब देंहटाएंaabhar
बढ़िया चर्चा !
जवाब देंहटाएंबेहद मनभावन चर्चा।
जवाब देंहटाएंइस बेहतरीन चर्चा के लिये आपका बहुत-बहुत आभार, चर्चा मंच पर आने से कुछ ऐसे लिंक जो छूट गये थे, वो भी एक साथ मिल गये, जहां आपने ''हंसने के फन'' को भी जगह दी आभारी हूं ।
जवाब देंहटाएंcharcha mnch pdhne ke bad kafi sare nye links pdhne ko mile .sath hi apka behtreen prstutikarn .
जवाब देंहटाएंabhar
बहुत खुबसूरत, शाम को पढता हूँ :)
जवाब देंहटाएंaaj charcha manch par adbhud sanyojan hai .. blog ke sabhi rang maujood hain yahan... kavita, kshanika, aalekh, vyang, geet sab kuchh maujood hai... sthapit blogger, nay blogger ka anootha aayojan hai... mere bhav ki kavita man ka aangan ullekniya hai ... saath me kumar mukul ki kavitayyen bahut gambhir hain, dr. subhas roy ji kee saakhi bhi achhi hai.. inspire karti charcha !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर पोस्टर सजाया है……………सभी एक से बढकर एक ……………………काफ़ी लिंक मिले ………………आभार्।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा!
जवाब देंहटाएंअहोभाग्य इतनी खूबसूरत कविताओं के बीच आपने मेरी कविता को शामिल किया आपका बहुत आभार ..मन खुश हो गया एक ही मंच पे इतनी सारी खूबसूरत कवितायेँ पढने को मिली .
जवाब देंहटाएंबड़े मनोयोग से सजाया है आज का चर्चा मंच |
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचनाएँ पढ़ने को मिलीं |साधुवाद
आशा
गजब की चर्चा है. बहुत शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
Sangeeta swaroop ji.... Agar main ye kahun ki mere viyang ke SAAPTAHIK KAVYA MANCH men shaamil hone se meri khushi ka koi theekana nahin hain..to isme kuch bhi jhoonth n hoga.
जवाब देंहटाएंIske liye ......
Main Aapko DHANAYABAAD kahta hun.
aapki ye charcha to kavya premiyon ke liye ek raah banti ja rahi hai ..sare khubsurat links yahan mil jate hain.
जवाब देंहटाएंसंगीता जी बहुत ही खूबसूरत रंगों से सजाया है आपने इस पोस्टर को इद्रधनुष के सातों रंग साफ साफ देख पा रही हूँ
जवाब देंहटाएंबढ़िया पोस्टर है!
जवाब देंहटाएंअभी पढ़ पाया, ब्लॉग पे आने के बाद लगा की सभी के सभी सुंदर पोस्ट यहीं पे मिल गये...सुंदर प्रस्तुति के लिए आभार..
जवाब देंहटाएंपहली बार आया हूँ. रंग-बिरंगी कविताओं के बीच भावारे की मानिंद घूमता रहा. अद्भुत आनंद मिला. धन्यवाद्.
जवाब देंहटाएंबारिश के मौसम में कविताओं के ये इन्द्रधनुषी रंग बेहद ख़ूबसूरत लगे... साप्ताहिक काव्य चर्चा के इस इन्द्रधनुषी पोस्टर पर हमारी कविता का रंग भी शामिल किया आपने उसका आभार...
जवाब देंहटाएंsangeeta ji, aapka meri kavita ko apni charcha me shamil karne ke liye aapka bahut-bahut aabhaar.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा...
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