आइए सबसे पहले देखें कि
ब्लॉगिस्तान में यह क्या हो रहा है?
“टिप्पणियाँ कौन लील रहा है? ..मेरा पहला अप्रत्याशित अनुभव” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”) - *क्या कोई तकनीकी विशेषज्ञ बतायेंगे कि आज पोस्ट के नीचे टिप्पणियाँ क्यों नही नजर आ रही हैं? * *सुबह "अमर भारती" ब्लॉग पर ऐसा ही कुछ नजर आया तो मैंने ध्यान न...
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कलियुग जो न कराये वो कम ही है-
यहाँ गाय मछली खाती है - राजधानी दिल्ली के पास तेजी से महानगर का रूप लेता हरियाणा का शहर गुड़गांव। उसके पास 15 की मी के करीब है सुंदर मनोहर सुल्तानपुर नेशनल पार्क। जहां वर्षों से दे...
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माँ तुम्हें शत्-शत् प्रणाम!!
आज मेरी माँ का जन्म दिन है. ५ साल पहले २८ जनवरी, २००५ को वो मुझसे दूर चली गई लेकिन एक वो दिन था और एक आज का, तब से रोज रात में वो मेरे सपने में मेरे पास ...
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कोई फर्क नही पड़ने वाला है बन्द का सरकार पर
क्या हो यदि शरीर के जोड़ जाम हो जाएँ---- - * * *एक दिन के लिए दिल्ली बंद हुई । मानो जिंदगी ही ठप्प हो गई ।* कुछ इसी तरह हमारे शरीर के साथ भी होता है । यदि शरीर के जोड़ जाम हो जाएँ , यानि उनमे कोई रो...
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एक ख़त! - एक ख़त तुम्हारा या जिंदगी का एक टुकड़ा जिसमें लिपटा चाँद मन की आंच पर रोटी की तरह सिक रहा है सदियों से प्रेम का भूखा कोई ख्वाब इंतज़ार करता दिख रहा है मैं रात...
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यह दोनों पोस्ट पढ़ने पर
आपको स्वयं ही आभास हो जाएगा कि-
में क्या है?
मौत का पैगाम
मौत का पैगाम (भाग-2)
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कविता यूँ बनती है.... - भावों की सरिता बह कर जब मन के सागर में मिलती है शब्दों के मोती से मिल कर फिर कविता बनती है . व्यथित से मन में जब एक अकुलाहट उठती ह...
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फलक पे झूम रही साँवली घटाएँ हैं - फलक पे झूम रही साँवली घटाएँ हैं मेघ सारे तेरे गेसुओं में उतर आये हैं बहक रही फिजा में शोख हवायें हैं उड़ा के तेरा आँचल नाज़ से इतराए हैं बदरी जो बरस के ...
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भोपाल गैस त्रासदी : एक शब्द चित्र डॉ. कमल जौहरी डोगरा, भोपाल - भोपाल गैस त्रासदी : एक शब्द चित्र डॉ. कमल जौहरी डोगरा, भोपाल * याद है उन्नीस सौ चौरासी दो दिसंबर की वह भीषण रात और तीन दिसम्बर का धुंधला सवेरा बीत गए जिसके...
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क्या आप ime setup से हिन्दी में लिखते हैं तो मेरी सहायता करे - अमेरिेका से वापस आते समय बेटे ने लेपटॉप थमा दिया। लेपटॉप में विण्डोज 7 है। मैं ime setup से हिन्दी में काम करती हूं। इसमें pnb hindi remington में काम कर..
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इतनी शक्ति हमें देना दाता ---------------------------मन का विश्वास कमजोर हो ना........... - नवीन रावत के बारे में मैने बताया था आपको ------- http://archanachaoji.blogspot.com/2009/05/blog-post_24.html http://archanachaoji.blogspot.com/2009/05/blog...
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डाली डाली उड उड करके खाए फल अनमोल वृक्षों को किसने उपजाया देख उसे दृग खोल : पं. द्वारिका प्रसाद तिवारी 'विप्र' - धन धन रे मोर किसान, धन धन रे मोर किसान! मैं तो तोला जानेव रे भईया, तैं अस भुंईया के भगवान ...... भैया लाल हेडाउ के सुमधुर स्वर में इस गीत को छत्तीसगढ़ी भ...
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क्या ‘बंद’ ही असहमति की एकमात्र शशक्त अभिव्यक्ति है ? - बंद की घोषणा क्या हो जाए, पार्टी के छुटभैये नेताओं को गुंडागर्दी का जैसे लाइसेंस मिल जाता हो, जबरदस्ती सडकें जाम कराना, दुकानों को बंद कराना जैसे काम ...
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इंटरनेशनल ब्लॉग बंद...खुशदीप - *बंदों की बहार है...*बंदों से इनसान का धोखा मत खाइए...मैं बंद वाले बंद की बात कर रहा हूं...खाने वाला बंद...अब तो वाकई हद कर रहे हो आप...अरे वो वाला बंद जिस...
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पत्तों पर ठिठका है जल - ** आज दिन भर ठीकठाक बारिश हुई।धूप , तपन, लू और गर्मी की जगह नमी , तरावट और आर्द्रता ने हथिया ली।जब बारिश हुई तो मन -मस्तिष्क के भीतर भी कुछ न कुछ बरसा है...
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सिर्फ जटिलताएं ही जटिलताएं, सरलता कुछ भी नहीं....... - सरलता सदैव प्रश्नों को जन्म देती है और जटिलता समस्याओं को. वर्तमान आधुनिक युग को यदि समस्याओं का युग कहा जाए तो शायद कुछ गलत न होगा.
प्राचीन युग प्रश्नों क...
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इन आम आदमियों को भूल मत जाना - *आम आदमी* तुमको तुम्हारे शहर की सड़कों पर पड़ी , जिन्दा लाशों की कसम मत डालना तुम , इन पर झूठी सहानुभूति का कफ़न इनको यूँही पड़ा रहने दो चीखने दो चिल्लान...
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गाँव की शादी के बारे में एक पोस्ट(एक कविता मुफ्त में)----------->>>दीपक 'मशाल' - अभी दो दिन पहले रश्मि रविजा जी के ब्लॉग पर भारत के गाँव की शादी के बारे में एक पोस्ट पढ़ी तो सोचा कि इस विषय में मैं भी कुछ अपना भी ज्ञान बघार ही दूँ... ...
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दे दो मुझको माटी रूप
सुनो आज तुम्हें मैं
एक स्वप्न की बात बताती हूँ
नारद जी ने जो पूछा मुझसे
वो मैं तुम्हें सुनाती हूँ.
बोले नारद जी मुस्का कर
सुनो चंचला, ज़रा ध्यान धरो..
सृष्टिकर्ता का बेटा हूँ,.....
एक स्वप्न की बात बताती हूँ
नारद जी ने जो पूछा मुझसे
वो मैं तुम्हें सुनाती हूँ.
बोले नारद जी मुस्का कर
सुनो चंचला, ज़रा ध्यान धरो..
सृष्टिकर्ता का बेटा हूँ,.....
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वक्त की डोर - *कहते हैं जो रात गयी*** *सो बात गयी ऐसा भी*** *कभी ही होता है*** *पर बात जो दिल में जाये उतर*** *क्या वो लाख भुलाये*** *भी भूलता है।*** * * *ये तो ए...
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भारत बंद...पर किसके लिए ?? - आज भारत बंद...पर किसके लिए ? इस बंद के बाद हमारे जीवन में क्या परिवर्तन होने जा रहा है. न तो इससे महंगाई घटने जा रही है, न ही अन्य समस्याएं कम होने जा रही ...
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मेरा आकाश! - *मेरा** **आकाश* [image: 12012010005] --मनोज कुमार हताश न होना सफलता का मूल है और यही परम सुख है। उत्साह मनुष्य को कर्मो में प्रेरित करता है और उत्साह ह...
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आओ अपनी भारतीय सेना के साथ मजबूती से खड़े होकर गद्दारों का सर्वनाश सुनिस्चित करें। - हमने आपको पिछले कई लेखों में बताया कि किस तरह एंटोनिया की गुलाम कांग्रेस सरकार ने अपने अन्य सेकुलर गिरोह के साथियों की सहायता से कशमीर घाटी सहित देश के ...
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जंगली का विलोम क्या हो सकता है? - आज मुझे मात्र पाँच शब्दों के विलोम शब्दों तक पहुँचने में मदद चाहिए! मस्तिष्क पर बहुत ज़ोर देने पर भी मुझे तो याद नहीं आए! आप भी प्रयास करके देखिए कि ...
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दीनदयाल शर्मा की बाल कविता 'बारिश' - बारिश का मौसम / दीनदयाल शर्मा बारिश का मौसम है आया। हम बच्चों के मन को भाया।। 'छु' हो गई गरमी सारी। मारें हम मिलकर किलकारी।। कागज की हम नाव चलाएं। छप-छप ...
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अन्त में यह पोस्ट भी देख लीजिए-
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अरे ! आज तो मैं भी हूँ यहाँ. आभार. कई नई पोस्टों की जानकारी मिली. धन्यवाद
जवाब देंहटाएंकई नई पोस्टों की जानकारी मिली!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा रही शाश्त्री जी, कहाँ कहाँ से हीरे निकाल कर लाते हो ..एक हीरा मेरा भी :-)
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा चिटठा चर्चा ! आपका बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी , विस्तृत और सुन्दर चर्चा....आभार
जवाब देंहटाएंachchhi charcha..........cartoon mast hain.......:)
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा.... बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और विस्तृत चर्चा…………काफ़ी नये लिंक्स मिल गये……………आभार्।
जवाब देंहटाएंआपने मेरी पोस्टों को शामिल किया इसके लिए आपका धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंइधर टिप्पणी गायब हो रही है... यह जिक्र आज मैंने भी अपनी मौत का पैगाम नामक तीसरी किस्त में किया है.
बढ़िया जी!
जवाब देंहटाएंvery good links !
sundar.........manbhaavan charcha....
जवाब देंहटाएंएक बार फिर बेहतरीन चर्चा.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुरूचिपूर्ण तरीके से की गई मजेदार चर्चा शास्त्री जी...
जवाब देंहटाएंआभार्!
शास्त्री जी, निवेदन है कि इस सप्ताह भी चर्चा की जिम्मेवारी आपको ही संभालनी पडेगी.किन्ही कारणवश कल भी चर्चा को समय नहीं दे पाऊंगा. आगामी सप्ताह से नियमित रूप से डयूटी संभाल ली जाएगी..सो, कल की चर्चा आपके जिम्मे रही.
expert ji ki expert charcha hamesha kuchh naye ke liye prerna deti hai.
जवाब देंहटाएंmeri post lagane ke liye aabhar.