दोस्तों
लीजिये हाजिर हूँ सोमवार की चर्चा के साथ्……………आज की चर्चा……………आपकी चर्चा,इसकी चर्चा,उसकी चर्चा……………अब बात करने के बहाने तो चाहिये होते हैं ना तो फिर तेरी मेरी करके ही तो मन की भडास निकलती है………………तो फिर हाजिर है आपकी अदालत मे सबके मन की बातें…………फ़ैसला आपके हाथ है।
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नृशंसता की हद देखिये……………
इज्जत ने बनाया बेटी की कोख का कातिलउत्तर
इज्जत ने बनाया बेटी की कोख का कातिलउत्तर प्रदेश में मोहब्बत की दुश्मन कही जाने वाली जुर्म की पथरीली जमीन व प्रेमी युगलों को मारने के लिये बदनाम उत्तर प्रदेष ...समाज
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*नभ से बरसाते निर्मल जल! *
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घिर-घिर कर आये हैं बादल!! * ]
*कच्चे घर और पक्के आँगन,
* *भीग रहे हैं खेत, बाग, वन, *
*धरती का गीला ...
*नभ से बरसाते निर्मल जल! *
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घिर-घिर कर आये हैं बादल!! * ]
*कच्चे घर और पक्के आँगन,
* *भीग रहे हैं खेत, बाग, वन, *
*धरती का गीला ...
करंट झेलने के लिये तैयार हो जाइये अब …………जानना है तो यहाँ देखिये
पॉवर-पैक जींस जिसकी जेब में 220 वोल्ट बिजली दौडती है
सोचिये अगर कोई जेबकतरा आपकी जींस की जेब में आपका पर्स निकालने के लिये हाथ डालता है तो उसे 22o वोल्ट का बिजली का झटका लगता है, जी हाँ यह विशेष जींस तैयार की है ...तकनीक
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हिमांशु जी का दर्द देखिये जो आपका हमारा सबका दर्द है………………।
सरकार की नजर में इंसाफ मांगने वाला नक्सली-हिमांशु
डबवाली (लहू की लौ) गांधी आश्रम दांतेवाड़ा (छत्तीसगढ़) के संचालक हिमांशु कुमार ने कहा कि सरकार विदेशी कम्पनियों से सौदेबाजी करके देश के धन को लूटा रही है। माईनिंग ...समाज
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एक अन्दाज़ ये भी देखिये……………
रिश्वतखोर खला की परतें ...
जानती हूँ कुसूर तेरा नहीं खुदाया जो दुआओं में मेरी असर ना हुआ ये खला की सात परतें जो दरम्यान खड़ी है ना, तेरे- मेरे .रिश्वतखोर बहुत हैं ! खा जाती होंगी तुझ ...समाज
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शायद हर दिल की यही तमन्ना होती है…………
है आखिरी तमन्ना ,जग जाल छूट जाये
आखिरी तमन्ना यह गीत मेरे पिता जी ने लिखा ,कब लिखा यह तो नहीं पता पार शायद इस दुनिया की धन लोलुपता देख कर अपनी इच्छा ज़ाहिर की होगी ,वो हनुमान जी ...समाज
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यहाँ सतीश जी का अन्दाज़-ए-बयाँ देखिये………………
आँखों को बादल बारिश से क्या लेना, ये गलियां अपने पानी से भरती हैं ---सतीश बेदाग़
अन्दर ऊँची-ऊँची लहरें उठती हैं काग़ज़ के साहिल पे कहाँ उतरती हैं माज़ी की शाखों से लम्हे बरसते हैं ज़हन के अन्दर तेज़ हवाएँ चलती हैं आँखों को बादल बारिश ...समाज
अन्य विशेष
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1 घण्टे पूर्व Naya Din Nayee Kavita... पर Ashok Vyas
रुकता नहींरुक-रुक कर भीचलता जाता हैएक कुछभीतर मेरेजिसके संकेत परदेख देख कर उसकोसुन्दर हो जाता हैहर संघर्ष हर पीड़ा के पारपहुँच करलगता हैहो गई अनावृतउसकी स्वर्णिम ...समाज
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53 मिनट पूर्व NASEEM ANSARI JOURNALIST... पर Naseem Ansari
बदमाश बहुओं के तानो से रात दिन छटपटाती माँयें, घर की चारदीवारी में बहू के रहमोकरम पर दो वक़्त की रोटी गालियों के साथ खाने वाली माँयें, बीमारी की हालत में दवा ...समाज
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2 घण्टे पूर्व Akhtar Khan Akela... पर Akhtar Khan Akela
अख्तर मान ले , मेरा कहना गुल में लिपटे तो कांटे बन कर लिपटना गुल का क्या हे इसे तो मसल देते हें लोग कांटे ही हें जो गुल को तो बचाते हें और काँटों को मसल नहीं सकते लोग अख्तर ...समाज
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posted by Raviratlami at चिट्ठा चर्चा - 5 hours ago
[image: image] हिन्दी चिट्ठों में अब नए, नायाब और विशिष्ट प्रयास हो रहे हैं. बाल सजग इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है. बाल सजग के बारे में चिट्ठे पर लिखा गया है - *“बाल सजग एक हकीकत भरा प्रयास... जिसके ल...
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posted by दीपक 'मशाल' at मसि-कागद - 9 hours ago
साब जी अभी हाल में एक टूटी-फूटी रचना लिखी थी.. अब उसमे कुछ सुधार किया और गाने की गलती कर बैठा.. सोचा आपको भी सुना ही दूँ.. दिन अच्छा रहा होगा तो ख़राब हो जाएगा सुनने के बाद.. इस प्रयोग के लिए समीर सर का व...
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posted by राजेश उत्साही at गुलमोहर - 14 hours ago
*दोस्तो मेरी जीवनसंगिनी पर केन्द्रित कविता का दूसरा भाग प्रस्तुत है। * नीमा यानी निर्मला के मां-पिता कभी उत्तरप्रदेश के बीहड़ों से निकलकर पश्चिम निमाड़ की उपजाऊ जमीन में आ बसे थे एबी रोड यानी आगरा-बं...
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posted by खुशदीप सहगल at देशनामा - 14 hours ago
आज आपको *अटल बिहारी वाजपेयी* जी की एक कविता सुनाता हूं...क्यों सुना रहा हूं ये आज आपको *पाबला जी की पोस्ट* से शायद पता चल जाए...*अटल जी जिस राजनीतिक धारा से जुड़े रहे, उससे मेरा कोई लेना-देना नहीं लेकिन एक...
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7 मिनट पूर्व Badlaw ki Taraf...... पर Ashok Maurya
लोग किनारे की रेत पे अपने दर्द छोड़ देते हैं वो समेटता रहता है अपनी लहरेँ फैला फैला कर हमने कई बार देखा है समंदर को नम होते हुए। जब भी कोई उदास होकर आ जाता ...समाज
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45 मिनट पूर्व वीणा के सुर... पर वीना
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51 मिनट पूर्व कुछ कहानियाँ,कुछ नज्में... पर Sonal Rastogi
मैं सोने सी कुछ आग सी कभी चमक उठूँ कभी दहक उठूँ ना जाने किस पल लहक उठूँ दरिया को संग बहा लूं मैं बिन मेघ भी जल बरसा लूं मैं दुनिया के तंग घरौंदे में गौरया ...समाज
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बहुत परिश्रम से तैयार की गई चर्चा!
जवाब देंहटाएं--
आपका आभार!
nice
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत चर्चा....इन्द्रधनुष जैसी...अच्छे लिंक्स मिले..आभार
जवाब देंहटाएंकई लिंक से रूबरू कराती चर्चा |
जवाब देंहटाएंआशा
bahud umda charcha! badhiya rochak aur samvedansheel links!
जवाब देंहटाएंशानदार चर्चा... जानदार लिंक्स
जवाब देंहटाएंबधाई आपको.
बहुत अच्छी प्रस्तुति, खूबसूरत चर्चा......आपका आभार!
जवाब देंहटाएंबढिया प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआभार्!
बहुत अच्छी प्रस्तुति, खूबसूरत चर्चा...!
जवाब देंहटाएंसुन्दर रंग-बिरंगी चर्चा के लिए आभार..
जवाब देंहटाएंसुन्दर रंगबिरंगी चर्चा है ..
जवाब देंहटाएंखूबसूरत चर्चा...
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद।खूबसूरत प्रस्तुति। कई उम्दा लिंक्स मिले। आभार
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद।खूबसूरत प्रस्तुति। कई उम्दा लिंक्स मिले। आभार
जवाब देंहटाएंखूबसूरत रंग बिरंगी चर्चा.
जवाब देंहटाएंनए नए केस आ रहे हैं अदालत में.
बहुत सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा
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