मैं डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री चर्चा मंच में ब्लॉगवाणी के रूप में अवतरित “हमारीवाणी” का स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ! आप यथाशीध्र अपना ब्लॉग “हमारीवाणी” में सामिल कर लीजिए! "हमारीवाणी।कॉम" का घूँघट उठ चूका है, और अस्थाई संकलक को बंद कर दिया गया है |
आइए अब चलते हैं आज की चर्चा की ओर-
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चलना बहुत सम्भल के-
जिंदगी बहुत बड़ी है , उसमे हताशा कैसी , प्यार में सफलता न मिली , तो निराशा कैसी , मन तो सम्हल ही जाएगा , आसान नहीं होता , प्यार में मिली असफलता से , दो चार हो... Akanksha |
मै गंगा हूँ-शायद इसीलिए मैली हूँ!मै गंगा हूँवही गंगा जिसे देवलोक सेभूलोक पर भागीरथ लाये थे थेकड़ी तपस्या करकेअपने पूर्वजों के पापों का उद्धार करने हेतु,और मैंने भी सबको मातृत्व प्रदान किया धर्म को आयाम दियाभारत को खुशहाल�...राष्ट्र सर्वोपरि... sanu shukla |
कमाल ही कमाल-
ये लहराती जुल्फें.. ये घुंघराले बाल... बारिश का मौसम..कमरे में आती तेज ठंडी हवाऐसे में कौन खुश न हो ये लहराती जुल्फें..ये घुंघराले बाल...क्या बात है मेरे लाल..ये सोफासन.. शाम को मस्ती के मुड में आदि की कुछ खूबसूरत तस्वीरें... कुछ पक्ति... आदित्य (Aaditya)... Aaditya |
उपयोगी जानकारी है भइया-
अथातो सर्प जिज्ञासा: पिछली पोस्ट पर आये सवालों, जिज्ञासाओं के जवाब। सापों को लेकर जितनी जिज्ञासाएं जनमानस में हैं शायद उतनी किसी अन्य जानवर के बारे में नहीं....पिछली पोस्टपर विचार शून्यने एक प्रश्न पूछा है -"विषेले सर्प जब काटते हैं तो उनके कटाने कि जगह पर एक या �... सर्प संसार (World of Snakes)... ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ |
पत्रकारिता के इस पुरोधा को श्रद्धा-सुमन अर्पित करता हूँ-
प्रभाष परम्परा की आड़ में - मित्रों पिछले कुछ दिनों से दो तीन डाट कामों पर प्रसिद्ध पत्रकार प्रभाष जोशी के नाम पर गठित किए एक ट्रस्ट ( प्रभाष परम्परा न्यास) को लेकर जमकर जूतम-पैजार च... |
शर्त - क्या हुआ, क्या कहा उन्होने? क्या आज भी राजी नहीं हुये? मना कर दिया? बोलो ना? तुम्हारे अधरों पर बिखरे हुये धुसरित मौन
मेरी धड़कनों की तीव्रता को और तेज कर रह...
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मेरी आवाज
होली और फटा हुआ पैंट - कुछ यादें … - बात बहुत पुरानी है , करीब २० साल पुरानी तो होगी, मेरे बचपन का एक बहुत ही मजाकिया लम्हा !! हमारे गाँव के थोड़े से ही दूरी पर मेरे मामा का गाँव है, जहा..
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Hasya Kavi Albela Khatri आलू छाप आदमी - खच्चरों को फख्र है कि उनके पूर्वज घोड़े थे....... -जर्मन कहावत जिस आदमी के पास शानदार पूर्वजों के बिना अभिमान करने की कोई और चीज नहीं है, वह आलू छाप... |
Kala Jagat लोक कलाओं की मुश्किल - घर की दीवारों को खूबसूरत बनाने और कानों के रास्ते मन को आनंदित करने वाली लोक कलाएं मुश्किल में हैं. दिन में रॉकिंग म्यूजिक बेशक अच्छा लगे लेकिन सुबह की शु... |
यह सूरज अस्त नहीं होगा! - (19 जुलाई 1827 --- 8 अप्रैल 1857) जिस ईस्ट इंडिया कम्पनी का सूर्य कभी अस्त नहीं होता था, वह हमेशा के लिये डूब गया. सिर्फ एक सिपाही ने गोली चलाने का साहस किय... |
भय बिन होत न प्रीत | Author: गिरीश बिल्लोरे | Source: मिसफिट:सीधीबात | "बाल कविता मेरी : स्वर-अर्चना चावजी का" डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक | उच्चारण |
सितारों की महफ़िल में आज शमा | Author: रवीन्द्र प्रभात | Source: ब्लॉगोत्सव २०१० ब्लोगोत्सव-२०१० के दौरान परिकल्पना पर प्रकाशित संस्मरण (एक माँ के दर्द की कहानी, उसीकी ज़ुबानी) के लिए शमा जी को वर्ष की श्रेष्ठ सह लेखिका (संस्मरण) के रूप में चयनित करते हुए ब्लोगोत्सव की टीम द्वारा सम्मानित करने का निर्णय लिया गया है . "जानिये अपने सितारों को" के अंतर्गत आज प्रस्तुत है उनसे पूछे... |
नुक्कड़ परिकल्पना ब्लॉगोत्सव 2010 में वर्ष के श्रेष्ठ व्यंग्यकार अविनाश वाचस्पति - यह पोस्ट ही मेरी बधाई है। उनके विचार जानने के लिए यहां पर क्लिक कीजिए आप परिचित ही हैं कि *अनेक ब्लॉग नेक हृदय *का लोगो भी अविनाश वाचस्पति जी ने ही दिया ... | डॉ.कविता'किरण'( कवयित्री) Dr.kavita'kiran' (poetess) 'दर्द'! तुझको पनाह देने को ...... - 'दर्द'! तुझको पनाह देने को एक दिल था उसे भी दे डाला ************** डॉ कविता'किरण' |
गीत.......मेरी अनुभूतियाँ ज़रा मैं भी तो देखूं ! .. - चाँद हूँ वो जो अँधेरी रातों से मुहब्बत करता है अंधकार हूँ वो जो गगन के तारों से मुहब्बत करता है तन्हां हूँ खुद जिसे तन्हाई से मुहब्बत है .. | ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़र ख़ामोशी पर लगे पहरे - यूँ तो खामोश थी हूँ और रहूँगी ना गिला कोई ना शिकवा ना आँसू ना मुस्कान ना चाहत कोई ना अरमान मगर ख़ामोशी पर लगे तेरी याद के पहरे ही ख़ामोशी तोड़ जाते हैं... |
मयंक “खटीमा में बाढ़” - पिछले 3 दिनों से खटीमा में लगातार बारिश हो रही है! कल रात से तो वर्षारानी ने अपनी रफ्तार तेज कर दी है! इसलिए खटीमा (उत्तराखण्ड) में बाढ़ आ गयी है! |
एक दोस्त की आत्मकथा - २ Author: Ashok Pande | Source: कबाड़खाना मेरे सिर के फोड़े और पिताजी की नई स्थिति के कारण मुझे हल्द्वानी भेज दिया गया, जो उन दिनों नैनीताल ज़िला प्रशासन का शीतकालीन कैम्प हुआ करता है. बाबू की पहली प्राथमिकता थी कि मेरे फोड़े का जल्द इलाज कराएं. एलोपैथी से ज़्यादा फ़ायदा नहीं हुआ और अन्ततः आपरेशन का फ़ैसला किया. बाबू का एक चपरासी था जो बाद के दिनों में मेरा बहुत अंतरंग हो गया. उसने मुझे बाद में बताया कि मैं दर्द और मवाद की वजह से लगातार…… | सभी मनुष्यों का समय बहुत ही तेज गति से बदलता है !! गत्यात्मक ज्योतिष एक सज्जन कई वर्षों से हमारे संपर्क में थे , बहुत बुरा दिन चल रहा था उनका। कभी करोडों में खेलने का मौका जरूर मिला था उन्हें , पर बाद में एक एक पैसे के लिए मुहंताज चल रहे थे। महीनेभर का खर्च , बेटे बेटियों की पढाई , हर बात के लिए कर्ज लेने को मजबूर थे। कोई परेशानी आती , तो हमें भी फोन पर परेशान कर देते थे। 'गत्यात्मक ज्योतिष' यह मानता है कि ज्योतिष में ग्रहों के बुरे प्रभाव को दूर करने के लिए अभी तक बहुत सटीक उपाय नहीं हुए हैं, कुछ उपायों से बुरे समय को कम बुरा और अच्छे समय को अधिक अच् ... |
खुशियाँ मुकर जातीं हैं हरेक हादसे के बाद.... | Author: 'अदा' | Source: काव्य मंजूषा खुशियाँ मुकर जातीं हैं हरेक हादसे के बाद हम जी भर के रोते हैं घर आ जाने के बाद | बदन Author: knkayastha | हिंदी-हृदय:नीरज जोश है इस जिस्म में, जज्बात से सिहरता बदनजंग से हालात हैं, हर रात है पिघलता बदन |
अन्त में एक पोस्ट यह भी देख लीजिए-
| Author: anurag vats | Source: सबद... (छिटपुट कहानियों के छपने के बाद 'कथा' शीर्षक यह स्तंभ अंततः सबद पर कुछ विलंब से ही सही, शुरू हो रहा है. इसमें कहानियों व उपन्यासों का प्रकाशन होगा. स्तंभ की शुरुआत हम उदयन वाजपेयी की कथा-कृति से कर रहे हैं. यह कथा-कृति यह भी बतलाती है कि एक आधुनिक मन कैसे परंपरा की खोज-संभाल करता है. खासकर ऐसे समय में जब हमारे यहाँ यह वृत्ति बिसरा दी गई है, उदयन वाजपेयी का काम एक अनुपम मिसाल की तरह हमारे सामने है. कथा के साथ दी गई चित्र-कृति शिवकुमार गाँधी की है.).. |
bahut hi badhiya...
जवाब देंहटाएंशानदार विस्तृत चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार चर्चा
जवाब देंहटाएंकाफी अच्छे लिंक्स
कुछ पर जा चुका हूं
बाकी पर जाता हूं
आपको बधाई.
अच्छी चर्चा, हमारीवाणी का स्वागत और हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंहमारीवाणी को बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं ! शानदार चर्चा !
जवाब देंहटाएंउम्दा और विस्तृत चर्चा...आभार इतने लिंक्स देने का..
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा के लिए आभार. कुछ नई पोस्टों की जानकारी मिली. बाद में पढ़ने के लिए बुकमार्क कर ली हैं.
जवाब देंहटाएंहमारी वाणी .कॉम के घूंघट उठने की काफी दिन से प्रतीक्षा थी |इस प्रयास के लिए बधाई |आपके द्वारा सजाया गया चर्चा मंच बहुत विस्तृत होता है |
जवाब देंहटाएंकई नए लिंक पढ़ने को मिल जाते हैं |आज इसमें जगह दी है इस लिए आभार |
आशा
बहुत सुन्दर चर्चा. इतने लिंक्स देने का आभार..
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर चर्चा लगाई है……………।काफ़ी लिंक्स मिल गये……………आभार्।
जवाब देंहटाएंढेर साते लिंक्स के साथ उपयोगी चर्चा।
जवाब देंहटाएंउत्तम चर्चा.
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक देने के लिये धन्यवाद
जवाब देंहटाएंumda charcha...........
जवाब देंहटाएंबहुत मेहनत से की गयी चर्चा ...
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स ...!
आदरणीय संगीता जी, रमेश प्रजापति की कविताओं सम्बन्धी पोस्ट को ‘चर्चामंच’ पर लेने के लिए धन्यवाद। आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। मुझ जैसे नये ब्लागरों के लिए तो यह और भी महत्त्वपूर्ण और उपयोगी सिद्ध होता है। हार्दिक आभार एवं शुभकामनाएँ !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा भाईसाहब ...आभार हमारी पोस्ट को स्थं देने के लिए...!!
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