ब्लॉगिस्तान
में कल तक तो टिप्पणियों में गड़बड़ थी!
आज यह हो रहा है!
Server not foundआज यह हो रहा है!
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अब बताइए शेखावत जी! क्या करें!
चाह कर भी तो टिप्पणी नही कर पा रहे हैं !
एक कदम दूसरों के लिए : ब्लॉग समीक्षा
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अंतरजाल पर विचरण करते हुए आज एक ऐसे ब्लॉग पर पहुंचा जिस पर लिखा था 'एक
कदम
दूसरों के लिए'| ब्लॉग पर नजर डालते ही वहां राजस्थान की नदियाँ,राजस्थान
का
भूगोल,...
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चर्चा में खलती है,
लेकिन हम आपकी गैरहाजिरी नही होने देंगे!
वास्तु के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य एवं बिना तोडफोड के दोष निवारण
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आज के जमाने में वास्तु शास्त्र के आधार पर स्वयं भवन का निर्माण करना बेशक
आसान व सरल लगता हो, लेकिन पूर्व निर्मित भवन में बिना किसी तोड फोड किए
वास्तु
सिद्ध...
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आपके लिए शायद न हो,
लेकिन हमारे लिए तो यह नई जानकारी है-
भृंगराज, एक छोटा सा पक्षी जिससे बाघ परेशान रहता है.
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*भृंगराज और बाघ का जंगल में छत्तीस का आंकड़ा है। पता नहीं बाघ के शिकार
पर
इसे इतना एतराज क्यों होता है। इसके कारण बाघ को अपनी भूख मिटाना दुश्वार
हो
जाता ...
सरस पायस को मिला कांस्य पदक :
परियोजना पुरस्कृत
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उक्त शुभसूचना के बाद
यह ख़ुशख़बर भी आपको अच्छी लगेगी
और मेरी तरह ही आपके मन को भी ख़ुशी से भर... ------------------
यात्रा संस्मरण बहुत ही रोचक है-
यकीन न हो तो पढ़ लीजिए-
ये कहाँ आ गए हम ...." मेरी स्विस यात्रा."
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यकीन मानिये मैं जब भी यश चोपड़ा की कोई फिल्म देखती थी उसके मनोरम
दृश्यों को
देख यही ख्याल आता था "अरे क्या है ऐसा स्विट्ज़रलैंड में जो हमारे यहाँ
नहीं
मिल...
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शीर्षक तो बहुत ही बढ़िया है!
पत्ते सी लड़की
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एक कमरा-
मेरी ज़िन्दगी का गवाह !
मेरी अभिव्यक्ति से कही ज्यादा
दहशतज़दा !
पुरवा के झोंके में भी
किसी अकेले पत्ते को
यूँ कांपते नहीं देखा होगा
जिस तर...
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मौत से बड़ी सौगात मिली हो जिसे
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चाँदनी से झुलसे जिस्म को
जब चाँदनी भी जलाने लगे
रूह पर पड़ते फालों पर
आहों की सुइयाँ गुबने लगें
पाँव में छाले पड़ने लगें
छालों को अश्कों से सींचने लगें
तब क...
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ग़ज़ल ' ख़्वाब क्या नींद तो मयस्सर हो ' ग़ज़ल 'नीं गाज्यो नीं बरस्यो मेह
'
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आज प्रस्तुत हैं दो ग़ज़लें
*ग़ज़ल*
ख़्वाब क्या नींद तो मयस्सर हो
फ़िर… ज़मीं , टाट , नर्म बिस्तर हो
सब्र दरिया से क्या मिलेगा उसे
जिसकी ज़द में अगर समंदर हो
...
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आज़मा कर देखेंगे इस कैप्सूल को भी!
एक घण्टे के योग का फायदा एक कैप्सूल में। - इसमें कोई दो राय नहीं कि जबसे बाबा रामदेव योग को लेकर मार्केट में आए हैं, तब से उसकी मार्केट वैल्यू बढ़ गयी है। यही कारण है कि आए दिन योग को लेकर तरह-तरह के ...
एक घण्टे के योग का फायदा एक कैप्सूल में। - इसमें कोई दो राय नहीं कि जबसे बाबा रामदेव योग को लेकर मार्केट में आए हैं, तब से उसकी मार्केट वैल्यू बढ़ गयी है। यही कारण है कि आए दिन योग को लेकर तरह-तरह के ...
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चांदनी की सड़क
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[image: DarkMoonLady1.jpg image by bec10111111111111]
चाँदनी की
सड़क पर
पाँव रख
चाँद पाने की
मैंने
ख्वाहिश की
जब नींद टूटी
तो देखा
पाँ...
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टिप्पणियों की संख्या बताने में गूगल बाबा भूल कर सकता है, मगर-
आपके शहर में कौन सी फ़िल्में लगी है ये भी बताएगा गूगल
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गूगल की ढेर सारी सुविधाओं में एक नयी ये भी है की अब आप अपने शहर में चल
रही
फिल्मो की जानकारी भी प्राप्त कर सकते है वो भी बड़ी आसानी से ।
बस अपने शहर का ना...
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आवारा यादें ... - खोखले जिस्म में साँस लेतीं कुछ ज़ख्मी यादें कुछ लहुलुहान ख्वाब जागती करवटों में गुज़री अधूरी रातें जिस्म की ठंडक से चटके लम्हे पसीने से नहाई चादर में लि...
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छोरे की खुशी के लिए,
सबकुछ गवारा है-
तब तो बड़ा मज़ा आएगा
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पति बोला -
ये मुन्ना हद कर रहा है
गधे पे बैठने की ज़िद कर रहा है
पत्नी बोली -
तब तो बड़ा मज़ा आएगा
कन्धे पे बिठालो, छोरा ख़ुश हो जायेगा
[image: alok kh...
*
देसिल बयना – 37[image: My Photo]
गोसाईं दिए खटिया, गोसाईं दिए नींद
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- करण समस्तीपुरी
अलख निरंजन !
बुढ़ारी (बुढ़ापा) में गींजन !!
हें...हें....हें....हें......
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यहाँ भी तो गूगल बाबा से शिकायत है-
क्या आपकी टिप्पणियां भी गायब हो रही हैं?
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पिछले तीन दिन से टिप्पणियां गायब हो रही हैं। मेरी पोस्ट पर आई
टिप्पणियां,
मुझे ईमेल से तो प्राप्त हो जाती हैं, लेकिन पोस्ट में नहीं दिख रही हैं।
और
मैंनें ...
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बिगुल की आवाज सुनकर भी तो यही आभास हो रहा है!
बिगुल
बिगुल
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(RTI एप्लीकेशन का मतलब है:-
Right to Information Act, 2005
के अंतर्गत सूचना मांगने के अधिकार
का
छाती ठोककर प्रयोग करना )
इमैजिनेशन और कला
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यह आर्ट वर्ल्ड है. कभी हकीकत से भरा और कभी कल्पना के रंगों से सजा हुआ.
सभी
के मन में कोई न कोई तस्वीर जरूर होती है. इमैजिनेशन नहीं होगा तो दुनिया
बदरंग
लगे...
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मणिकर्ण के नजारे
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मैं कुल्लू चला गया ..... कुल्लू से बिजली महादेव ..... बिजली महादेव .....
कुल्लू
के चरवाहे और मलाना .....
मैं जंगल में भटक गया ..... कुल्लू से मणिकर्ण
...
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सृजनगाथा के चौथे आयोजन में ब्लॉगर संजीत त्रिपाठी सम्मानित : रिपोर्ट - वेब पत्रिका सृजन गाथा डॉट काम एवं प्रमोद वर्मा स्मृति संस्थान के द्वारा छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के प्रेस क्लब में आयोजित एक गरिमामय व्याख्यान एवं सम्...
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इन आम आदमियों को भूल मत जाना - *आम आदमी* तुमको
तुम्हारे शहर की सड़कों पर पड़ी , जिन्दा लाशों की कसम मत डालना तुम , इन
पर झूठी सहानुभूति का कफ़न इनको यूँही पड़ा रहने दो चीखने दो चिल्लान...
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तेरी यादों की है रहमत, हम अकेले न होंगे
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होगा यूँ भी ज़िन्दगी में कि ये मेले न होंगे
तेरी यादों की है रहमत, हम अकेले न होंगे
मिलेगा वो मुकाम कभी तो इश्क वालों को
ज़माने के हाथों में सिर तलाशते ...
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अमीर धरती गरीब लोग
अफ़सोस अपने ही गुरू के सम्मान समारोह मे नही पंहुच पाया
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गुरू का सम्मान हो और चेला उस कार्यक्रम में विशिष्ठ अतिथी हो,चेले के लिये
इससे बढिया बात और क्या हो सकती है।मगर कहते है ना हर किसी की तक़दीर मे
गुरू को
सम्मा...
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नींद ...
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एक वो !!
रेशमी चादर में लिपट
गुदगुदे गद्दे पे पसर
अनगिनत तकियों में दुबक
करवट बदलते रहे
और ये !!
फुटपाथ के पत्थर से लिपट
धूल-गरदे में लिथड़
केंहुन...
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सिट डाउन ओपन हेयर कटिंग सेलून !!!!
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कहते हैं औरत के सोलह श्रंगार(नख से शिख तक) और पुरुषों का एक ही श्रंगार,
सिर्फ़ क्षौर कर्म याने दाढ़ी और सिर के बाल काटना। मर्दों के श्रंगार करने
के
लिए प्रा...
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चर्चा में बने रहने के लिये नाटक करना पड़ता है
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किसी को स्वाभाविक व्यवहार से अलग व्यवहार करते हुए देख हम अनायास ही कह
देते
हैं " क्यों नाटक कर रहे हो यार ? " अगले व्यक्ति ने कभी ज़िन्दगी में कोई
नाटक
नहीं...
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अब वायरस क्या उसका बाप भी रहेगा आपके कंप्यूटर से दूर .. ब्लॉग 4
वार्ता .. संगीता पुरी
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आप सबों को संगीता पुरी का नमस्कार , हिंदी ब्लॉग जगत में प्रतिदिन आ रहे
इतने सारे चिट्ठाकार और सबकी एक से बढकर एक रचनाएं , वार्ता के लिए समय कम
होती
है , ...
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इन आम आदमियों को भूल मत जाना
-
*आम आदमी*
तुमको तुम्हारे शहर की
सड़कों पर पड़ी ,
जिन्दा लाशों की कसम
मत डालना तुम ,
इन पर झूठी सहानुभूति का कफ़न
इनको यूँही पड़ा रहने दो
चीखने दो चिल्लान...
अन्त में यह पोस्ट भी देख लीजिए-
कायनात का जादू बाकी है
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'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग पर आज प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटती रश्मि
प्रभा जी
की एक कविता 'कायनात का जादू बाकी है'. आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार
रहेगा...
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शास्त्री जी, निवेदन है कि इस सप्ताह भी चर्चा की जिम्मेवारी आपको ही संभालनी पडेगी.किन्ही कारणवश कल भी चर्चा को समय नहीं दे पाऊंगा. आगामी सप्ताह से नियमित रूप से डयूटी संभाल ली जाएगी..सो, कल की चर्चा आपके जिम्मे रही. पं. डी.के.शर्मा "वत्स"
पं. डी.के.शर्मा "वत्स" जी
के आदेश पर
इसे आज बृहस्पतिवार की
चर्चा की मान्यता प्रदान करें!
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चर्चा सुरुचिपूर्ण ।
जवाब देंहटाएंअहं ! आज तो कई ऐसी पोस्ट मिलीं जो मैं नहीं देख पाया था, अब देखूंगा. आभार.
जवाब देंहटाएंअच्छी पोस्टों के लिंक वाली बढ़िया चर्चा
जवाब देंहटाएंकभी कभी यह गड़बड़ हो जाती है शायद गूगल बाबा के सर्वर ज्यादा व्यस्त हो जातें हों
बढ़िया चर्चा
जवाब देंहटाएंमस्त.. बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंhar baar chakit kar jaate hain aap..
जवाब देंहटाएंbahut sundar...
aabhaar..
सुन्दर ,विस्तृत और सुव्यवस्थित चर्चा....आभार
जवाब देंहटाएंढेर सारे लिंक के साथ मस्त चर्चा।
जवाब देंहटाएंनई रचनाएँ पड़ने को मिल रहीं है आपके द्वारा सजाए गए चर्चा मंच से |आभार
जवाब देंहटाएंआशा
बेहद खूबसूरत और सुरुचिपूर्ण चर्चा ..आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और बढिया चर्चा……………काफ़ी नये लिंक्स मिले।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएं बहुत ही सुंदर है...अर्थपूर्ण है... दिल को चू लेने वाली है!... 'आवरा यादें..' मन को झकझोर कर रख देती है!
जवाब देंहटाएंतब तो बड़ा मज़ा आएगा..में तो अजी
पत्नी ने तो हद कर दी...हा, हा, हा!
बढ़िया चर्चा !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद शास्त्री जी...
जवाब देंहटाएंचर्चा बहुत बढिया रही!
आभार्!
देरी से पहुचने के लिए माफ़ी चाहती हू.
जवाब देंहटाएंचर्चा बहुत अच्छी लगी.
आभार.