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शनिवार, जुलाई 17, 2010

अक्ल हमको मगर आती नहीं --- चर्चा मंच --- 217

नमस्कार , आज की चर्चा आपातकालीन चर्चा है….जी हाँ  कुछ परिस्थितियां  ऐसी आ जाती हैं कि कभी कभी काम बहुत शीघ्रता में करने पड़ते हैं ….और जल्दी का काम शैतान का होता है..तो आज मैं शैतान की ही भूमिका में हूँ…यदि कोई  त्रुटि  हो जाये तो क्षमा कीजियेगा….यह बिजली भी ऐसे गुल खिलाती है कि इंसान मजबूर हो जाता है…आज शायद बिजली के चलते ही चर्चा मंच अपनी पूरी  शान ऑ शौकत से नहीं सज पाया है….फिर भी प्रयास किया है….ज्यादा बात ना करते हुए आज हम ले चलते हैं महत्त्वपूर्ण लिंक्स पर …
१-- शनिवार की चर्चा   ----  यदि यह नहीं पढ़ी तो आप बहुत कुछ खो रहे हैं ..

२ - एक शहीद की  माँ  का पत्र तत्कालीन प्रधान मंत्री के नामपढ़िए हमारे देश की विडंबना

३- सारे रिश्ते तोड़ आया ….  सच में ?

४-  धूल …..    कितना झाडें ?

५ - शहीद भगत सिंह के नायाब चित्र…. नमन

६-   ये राजनीति की कुर्सी है ….  जो भ्रष्टाचार को बुलाती है

७  ..मिलिए वर्ष की सर्वश्रेष्ठ कवयित्री से ….. बधाई

८ -बड़े बेआबरू हो कर …. आबरू है ही कहाँ ?

९-  तारे कितने सारे…..   सच्ची  बहुत सारे |

१० -माचिस , आग और धुंआं.. एक ही जाति  के शब्द हैं

११ -सार्थक संगीत …. सप्तरंगी पर

१२ -अक्ल हमको मगर आती नहीं  आ भी नहीं सकती :)

१३- कबीर रहस्यवादी नहीं हैं  रहस्यमयी तो हम स्वयं हैं

१४ -मैं आज़ाद औरत हूँ…. फिर भी बंदिशों में बंधी हुई .

१५ -सुबह और दिन भागते हुए शुरू होते हैं….  इतनी भी भाग दौड क्यों ?

१६- मैं विश्व के महान तत्व का एक अंश हूँ…….सूक्ति वाक्य ..

१७ -दरभंगा के आम ..और नितीश का शासनआम के आम गुठलियों के दाम

१८ -नज़र अपनी अपनी….  बहुत बढ़िया नज़र है .

१९ -ये मौत के सौदागर…. हर जगह पाए जा रहे हैं .

२० -टिप्पणियों की तिकडम से खुद को तो नहीं बढा रहा….. अरे ! सब कर रहे हैं …

२१ -पागल नहीं हूँ मैं….  अच्छा किया बता दिया .

२२- उज्जवला ..अब खुश थी ..अंत भला तो सब भला .

२३ -त्याग पत्र ...समापन किस्तप्रभावशाली उपन्यास .

२४ -हम तो हम है. बिलकुल जानते हैं कि हम नहीं सुधरेंगे .

२५ -रुपये का  चिह्न मैंने भी देखा…. अब आया रूपया डॉलर के बराबर .

२६ - मधुमक्खी  और चिड़िया से मिलिए…. दो बाल कविताएँ ..

२७ - खबरनवीस   की  मौत.यही आज का सच है .

२८ काव्य के नए मानक गढने दो…  गढ़ लीजिए जी ..मना किसने किया है

२९ -संभाल लो मुझे…. जी खुद तो संभल जाएँ …

३० -१९४२ की झाँसी की रानी . . अरुणा आसिफअली…. जय हिंद .

३१ -दिल तो बच्चा है जीवाह क्या बच्चा है…

३२ -तुम्हारे लिए…. भई मान गए समर्पण .

३३ -आखिर हम ब्लॉग क्यों लिखते हैं…. अब लिखते हैं तो लिखते हैं जी .

३४ नाच रहा जंगल में मोरजंगल में मोर नाचा  किसने देखा ?

३५ -तुम ही बता दो….. अब हम क्या बताएँ ?
आज की चर्चा यहीं समाप्त….हो सकता  है कि कुछ महत्त्वपूर्ण लिंक्स छूट गए हों….प्रयास बहुत किया है…आप तक अच्छे लिंक्स पहुँचाने का….आपके सुझाव आमंत्रित हैं….आभार…नमस्कार

20 टिप्‍पणियां:

  1. आज तो चर्चा में बहुत कुछ बहुत सुन्दरता से समेंट लिया!
    --
    इतनी सुन्दर चर्चा के लिए बधाई!

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  2. क्या बात है आप तो एक लाइना में भी कमाल निकलीं.मजा आ गया .बेहतरीन चर्चा.

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  3. waah ji waah bahut khoobsurat yaha yah andaaz bhi....shaitani adaao se bhara....natkhat sa.

    naye naye badlaav sunderta badhate hain charcha ki..so chahe jaldi me lagayi gayi charcha he...lekin mast hai ji.

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  4. एक बेहद उम्दा 'एक लाइना' ब्लॉग चर्चा ............बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !

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  5. ye charchaa to behad umda aur tikaauu hai.........mazaa aa gaya ise padhkar to...........bahut sundar.

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  6. ये एक लाईना भी खूब रही...बहुत बढिया!!
    आभार्!

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  7. इतनी सुन्दर चर्चा...........क्या बात है........बधाई..........

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  8. इमर्जेंसी में डाक्टर ज़्यादा अटेंशन देते हैं।
    काफी अटेंसन देकर की गई चर्चा।

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  9. निर्बल के बलराम सहायक!
    --
    आपकी इमर्जेंसी सेवाओं के लिए आभारी हूँ!

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  10. ati sundar........

    samriddh aur saarthak charcha.........

    dhnyavaad !

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  11. वाह ! सच में कमाल की एकलाइना हैं... संक्षेप में बहुत कुछ समेट लिया है आपने.

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  12. सुन्दर चर्चा. 'पाखी की दुनिया' की चर्चा के लिए आपको ढेर सारा प्यार व आभार.

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  13. mumma...mujhe to aap ki charcha ye style sabse dhansu laga.....hheh..turant turat links mil jate hain ..aur har post ke title ke sath apne jo baten kaheen hain ..badi mazedar hain ...heheh

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  14. काम जल्दी का रहा लेकिन शैतान का नहीं लगा.. :)

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  15. गागर में सागर को चरितार्थ करती आज की चर्चा. वर्ष की सर्वश्रेष्ठ कवियत्री का सम्मान मिलने पर हमारी ओर से रश्मि प्रभा जी को बहुत बहुत बधाई और ढेरों शुभकामनायें . इसके अतिरिक्त अरुणजी की रचना "तुम्हारे लिए " समर्पण की नई इबारत सिखला रही है.

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