आज के चर्चा मंच से संगीता स्वरुप का नमस्कार …… आज शास्त्री जी ने अपनी अनुपस्थिति में इस यज्ञ ( चर्चा मंच ) का कार्य भार मुझे सौंपा है…तो लीजिए मैं यज्ञ प्रारंभ करती हूँ …आप सब भी समिधा ( टिप्पणियाँ ) हवन कुंड ( लिंक्स पर ) में समर्पित कीजियेगा आज भारतीय नारियों ने हर क्षेत्र में अपनी धाक जमा ली है …और यह मान लिया गया है कि नारियां किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं …लेकिन क्या आप यह नहीं पढ़ना चाहेंगे ? अफ़सोस भी है........गुस्सा भी और हैरानी भी...…. बात जब हद से गुज़र जाए तो बुरी होती है…… आप भी पढ़ें - बुरे फंसे अमित शाह..अब क्या होगा बात बुरी हो तो इंसान माफ़ी मांग ही लेता है …पर सबसे ज्यादा किससे माफ़ी मांगता है ..जानिए यहाँ पर इंसान सबसे ज्यादा माफ़ी किससे मांगता है?माफ़ी मांग कर दूसरों के लिए भी सही मार्ग प्रशस्त करता है और बन जाता है पथ –प्रदर्शक पथ प्रदर्शन का काम धार्मिक आधार पर बखूबी किया जाता है….आप भी पढ़िए धार्मिक आधार .. इस्लाम में चार शादियाँ..जीवन में धर्म हो या ज्ञान …गुरु का महत्त्व हमेशा से रहा है…भले ही कोई इसे माने या ना माने …पर मैं यह मानती हूँ कि जो भी आपको थोड़ा सा भी ज्ञान देता है वो गुरु ही होता है….गुरु की महत्ता से आप भी रू -ब-रू होइए . आज गुरु पुर्णिमा है ( रविवार को थी )ज्ञानवान को कुछ भी सिखाना कठिन होता है….जैसे लिखे हुए कागज पर नहीं लिखा जाता… कागज कोरा हो तो उस पर कुछ भी लिख सकते हैं…ऐसे ही कुछ यूँ प्रार्थना की गयी है आ कर छू लो कोरा है मनलीजिए कोरे मन की बात चली तो यहाँ तो सन्नाटा ही छा गया …..चलिए इसे भी पढ़ ही लें .. नीरवता इस नीरवता में भी एक शोर है..कहीं सूखा है तो कहीं बाढ़ …..आप भी देखें ऐसे दृश्य पानी ही पानी-देखिए बरसात के कुछ दृश्यप्रकृति के दृश्य तो हम आँखों से देख सकते हैं ….पर हम स्वयं किस प्रवृति के हैं …यह जानना चाहते हैं तो मन के चक्षु खोलिए और थोड़ा अंतर्मंथन कीजिये .. क्या आप जानना चाहेंगे आप किस प्रवृत्ति के मनुष्य हैं ?खुद को जान समझ लिया है तो आपको ले चलते हैं एक यात्रा पर ‘महाकाल’ .......... जहाँ जलती थी रोज एक चिताअब यात्रा के साथ ही तो जीवन की यात्रा भी जुडी हुई है….और यह यात्रा निरंतर चलती रहती है…पल -पल आगे बढती हुई …..फिर भी हम एक पल के बारे में सोचते रह जाते हैं … एक पललोग पल - पल का हिसाब रखते हैं पर जब फंस जाएँ ट्रैफिक में तब? ज़रा आप भी जानिए की क्या होता है तब … व्यंग्य: उफ्फ! यह ट्रैफिक!वैसे इससे छुटकारा पाने का एक बहुत आसान तरीका है….जानना चाहेंगे आप ? गर मैं चिड़िया होता लीजिए यह तो परिंदा बन उड़ लिए….और यहाँ नीव के पत्थर ही कम पड़ रहे हैं ..सपनों का घर बनाने के लिए किये जा रहे हैं शिल्प –जतनऔर जब जतन सम्पूर्ण मन से किया जाये तो एक खूबसूरत घरौंदा बन ही जाता है फिर उम्र कितनी ही क्यों ना हो…. जब तुम होगे साठ साल के. कभी कभी ऐसा भी होता है की उम्र खत्म हो जाती है….इस संसार से मुक्ति भी मिल जाती है ..पर फिर भी आप बहुत याद आते हैं …किसी न किसी बहाने से …. कील पर टँगी बाबूजी की शर्टयाद आने की बात चली है तो यहाँ भी ज़रा पढ़िए कि हम राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी को कैसे याद और क्यों याद कर रहे हैं गांधी तेरे देश मेंअब बापू से तो हो गए शिकवे शिकायत….ज़रा यह भी देख लें कि यहाँ गाँधी जी के बंदरों की परिभाषा ही बदल गयी है गाँधी जी के तीन बंदरो की बदली हुई परिभाषाबंदरों की बात करते करते ना जाने क्यों बच्चे याद आ गए….असल में बच्चे कोई बन्दर से कम थोड़े ही होते हैं …आज कल बहुत धूम है बच्चों की …. हम बच्चों की बड़ी धूम है..बच्चों को शांत कराने के लिए पहले ज़माने में कह दिया जाता था कि चुप बैठो नहीं तो बाबा आ जायेगा …पर आज कल के बच्चे ….खैर आप यहाँ देखिये बाबा का चक्कर चलिए बाबा का चक्कर छोडिये और यहाँ पर तीखा तीखा पढ़िए अपने बच्चे, बच्चे और दूसरो के मुसीबतसच में यह बात तो बहुत गलत है …बच्चों को मुसीबत कहना ….यह तो अपराध हुआ ना…आप यहाँ पढ़ेंबड़ा अपराध ?अब बड़ा अपराध क्या , और छोटा क्या…हमारे तो सारे मंत्री इसी श्रेणी में आते हैं …मानसून सत्र प्रारंभ हो चुका है वहाँ क्या होने वाला है ज़रा आप भी एक दृष्टि डालें - महंगाई जैसे कई मुद्दों पर गरजेगा मानसून सत्रअब जो गरजेगा वो बरसेगा भी ….आंधी पानी सब आ सकता है …हमको तो चिन्ता है कि एक दीप भी नहीं जल पायेगा क्या ? दीपक एक नहीं जल पायाचलो कोई बात नहीं दीप जले या ना जले ….मान्यता है कि गंगा में डुबकी लगा लो सारे पाप धुल जाते हैं …तो भैया कर लेते हैं हर - हर गंगे एक डुबकी गंग धार मेंअकेले अकेले गंगा नहाने का कोई आनंद नहीं…..तभी तो आप यहाँ पढ़िए जब तुम साथ थेसाथ हो किसी का तो रंगत कुछ और ही होती है…अब रंग की बात चली है तो यह भी जान लीजिए रंग है आपके व्यक्तित्व की परछाईं..अब परछाईं पकड़ने से तो कुछ होने वाला है नहीं…कहीं कोई किनारा भी ना छूट जाये .. छूटे किनारों के बीच.किनारे छूटें या ना छूटें पर बीच में स्वार्थ ज़रूर आ जाता है … राजनीतिक स्वार्थ ..स्वार्थ से ऊपर उठता ही नहीं कोई ….और आँखों में उदासी उतर आती है….उम्र के निशाँ चेहरे पर दिखने लगते हैं ….यह दुनिया ही मतलब की है…चलिए आप यहाँ पढ़िए उदास आँखों में छुपी झुर्रियों की दास्तान (भाग -12)चलिए अब इस दास्ताँ को पढते हुए आगे बढते हैं ….जहाँ कोई बहुत ओजपूर्ण गीत गा रहा है .. मिहिरपुत्र के गीतगीत के अलावा भी बहुत सी विधाएं हैं , एक है उसमें नाटक….नाटक तो हर इंसान ज़िंदगी में करता है…..लेकिन कुछ ऐसी व्यवस्थाएं हैं जहाँ नाटक नहीं होना चाहिए… मीडिया का काम नाटकबाज़ी नहींसंसद में भी खूब नाटक चलता है….लेकिन उस नाटक से कम से कम कोई खुश तो है…आप भी जाने कि किसको सबसे ज्यादा खुशी है चप्पलें खूब खुश हैंचलिए इनको खुश रहने दीजिए…..हम सैर कर आते हैं मुंबई की …..जहाँ के वासियों में जिजीविषा है…हर हादसे से उबरने की हिम्मत है …तभी तो वहाँ के लोग कहते हैं आमची मुंबई … ये मुंबई आमा हल्दी..जहाँ ऐसा माहौल हो तो रिश्ते अपने आप पनपते हैं ….. यदि कहीं कोई कमी भी रहती है तो मन में यह भावना भी आती है… रिश्तों की भूख जगने दोगहन रिश्तों में कभी कभी रूह का ऐसा स्वर भी झंकृत हो उठता है …. बस वो ना बनायाचलिए नहीं बनाया तो न सही….हम तो एक आवाहन कर ही सकते हैं कि अभी देर नहीं हुई है….अब तो जागोऔर केवल जागने से ही तो काम नहीं चलता न…हौसला बुलंद होना चाहिए ….एक बानगी आप भी देखें … फिर भी जीते रहे ज़िंदगी, कभी न टूटे हम. |
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बुधवार, जुलाई 28, 2010
गांधी तेरे देश में …..उफ़ यह ट्रैफिक …………चर्चा मंच - २२८
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बहुत सुन्दर चर्चा |बहुत बहुत बधाई |
जवाब देंहटाएंआशा
bahut hi pransangik charcha..
जवाब देंहटाएंbadhai swikaren..
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक मिले ,उपयोगी चर्चा ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा के लिये बधाई संगीताजी ! मुझे इस चर्चा में स्थान देने का बहुत बहुत धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंbahut achchhi charcha lagi ye bhi :)
जवाब देंहटाएंआपकी चर्चा की शैली देख कर चमत्कृत और प्रभावित हुआ। कृपया बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएं@ संगीता आंटी जी,
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा है.....आप तो हम बच्चों का कित्ता ख्याल रखती हैं और अपनी चर्चा में हम लोगों की भी चर्चा करती रहती हैं...आपको ढेर सारा प्यार.
वाह, सीधी-सादी टू-द-पाइंट चर्चा सुंदर लगी.
जवाब देंहटाएंमज़ा आ गया!
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा,अच्छे लिंक्स, और इस चर्चा में मुझे शामिल करने के लिए धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंsundar charchaa , achchhe link. dhanyvaad.
जवाब देंहटाएंबहुत -बहुत आभारी हूँ आप की ,आप का ये स्नेह और आशीष सदा यूँ ही मिलता रहे |
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा |
बेहतरीन लेखों का समावेश.... बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंमेरे व्यंग्य को भी स्थान देने का बहुत-बहुत धन्यवाद!
बहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा………आभार्।
जवाब देंहटाएंSangeetaji, Ayask ki post ko charchamanch mein jagah dene ke liye shukriya.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा |
जवाब देंहटाएंbahut badhiyaa sab ek jagah mil gaya
जवाब देंहटाएंसंगीता जी बहुत अच्छी चर्चा लगी हमको तो बिना मेहनत के पढने को बहुत कुछ मिल जाता है.सुन्दर चर्चा के लिये बधाई. मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंaapki charcha bahut pasand aai.ahut sari upyogi, samvedansheel aur rachnatmak posts ek jagah padne ko mil gai. kuch post dil ko chhoo gai jisme "Kil par tangi babuji ki shirt" bahut marmik. umda callection...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा………आभार्।
जवाब देंहटाएंक्या बात है ..ये भी खूब रही ..
जवाब देंहटाएंरोचक विस्तृत चर्चा.
बढ़िया रही चर्चा....शुक्रिया अच्छे लिंक्स का...
जवाब देंहटाएंSangeeta Ji,
जवाब देंहटाएंaapse judker bahut badhiya laga..
aur aapki prastuti laajawaab rahi
rochak charcha............:)
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा भी बेहतरीन रही ....
जवाब देंहटाएंकई बार सादगी में भी सुंदरता होती है और ये बात आज की चर्चा सिद्ध कर रही है.
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक्स से सुसज्जित बेहतरीन चर्चा .
आभार.
bahut achchhi charcha lagi ye bhi..
जवाब देंहटाएंAbhaar sweekar karein..!!
badhiya charchaa
जवाब देंहटाएंअद्भुत !बहुत ही करीने से पिरोया है एक -एक मोती और इस माला मे एक मोती मेरे भी नाम का गूंथ दिया गया ,इस सुन्दर अह्सास को कैसे बयां करूं समझ नही पा रही बस हाथ जोड्कर तहे दिल से धन्यवाद करती हूं आपका ,जो इस सफ़र का साथी बनाया .आपने आरम्भ भी बडी खूबसूरती के साथ किया .इस हवन सामग्री की सभी जडी बूटियां उपयोगी रही .
जवाब देंहटाएंसंगीता जी, इस चर्चा में मेरे लेख को भी शामिल करने के लिए आभार। बहुत सारी पोस्ट्स के बारे में भी पता चला। अब उन्हें पढ़ आती हूँ।
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
संगीता जी
जवाब देंहटाएंमेरा लेख शामिल करने के लिये धन्यवाद............।आपकी चर्चा से जहाँ नये लोगों को अच्छे लिंक्स मिलते हैं वहीं लेखक को हौसलाअफजाई.................
संगीता जी
जवाब देंहटाएंमेरा लेख शामिल करने के लिये धन्यवाद............।
ये भी खूब रही... चर्चा.. :)
जवाब देंहटाएंcharchamanch ke madhyam se rachnao ka prasar badh raha hai.
जवाब देंहटाएंlaghukatha shamil karne ke liye aabhar.
aapki prastuti lajawab hai.
जवाब देंहटाएंkshama ke saath kahoonga ki yadi rachana ke shirshak ke saath rachanakar ka nam tatha blog ka nam bhi hota to adhik accha rehta. hamare manas me kuchh parichaya pehle se hote hai unse turat link bane isliye iski jaroorat mehsoos hoti hai
हरीश जी ,
जवाब देंहटाएंआपकी बात सही है....आप उन लोगों से सरलता से लिंक जोड़ लेते हैं जो आपके मानस पर पहले से होते हैं ....कभी कभी हम ऐसी चर्चा इसलिए कर देते हैं जिससे आप नए लोगों से भी जुड सकें ....आपके सुझाव का ध्यान रखा जायेगा ....आभार
चर्चा को यज्ञ जैसा पवित्र नाम देकर
जवाब देंहटाएंआपने चर्चा मंच को धन्य कर दिया है!