नमस्कार ,साप्ताहिक काव्य मंच का था आप सबको इंतज़ार… तो हाज़िर है आपका यह मंच. ..आज इस मंच को मैंने दो भागों में विभक्त किया है…..पहला ---वह रचनाकार जिनको मैं नियमित पढ़ती हूँ और उनके लेखन की विशेषताओं से प्रभावित होती हूँ…..आज कुछ कवियों से अपनी सोच के आधार पर परिचय करा रही हूँ….हांलांकि कोई भी परिचय का मुहताज नहीं है ..पर आज आप इनसे मेरी दृष्टि से मिलिए और इस परिचय का सिलसिला आगे भी चलेगा…क्यों कि सबका परिचय एक साथ नहीं करा सकती थी ..यदि ऐसा करती तो चर्चा शायद अंतहीन हो जाती…तो आज कुछ रचनाकारों से मिलिए…अगली कड़ी में कुछ अन्य का परिचय ले कर आऊँगी….परिचय के साथ उनकी कुछ रचनाओं को भी प्रस्तुत किया है….ब्लॉग तक जाने के लिए चित्र पर क्लिक करें ..और रचनाओं के लिंक रचनाओं के साथ हैं….और आज की चर्चा के दूसरे भाग में आपको इस सप्ताह की कविताओं के लिंक्स मिलेंगे….तो प्रारंभ करते हैं आज की चर्चा ……. |
समीर लाल जी से कौन परिचित नहीं है….आपका हर विधा में लेखन खूबसूरती से गढा हुआ होता है…कविता हो लेख हो या कहानी…..कविताओं की बात करें तो हर रंग आपको इनकी रचनाओं में मिलेगा …जीवन दर्शन हो या ..व्यंग में कही बात …या फिर मन का उद्द्वेलन ..गहरी से गहरी बात सरलता से कह जाते हैं --
मैं कृष्ण होना चाहता हूँ!जो दिखा वो मैं नहीं हूँबस पाप धोना चाहता हूँ है मुझे बस आस इतनी कुछ और होना चाहता हूँ. जिन्दगी चलती रही है ख्वाब सी पलती रही है सब मिला मुझको यहाँ पर कुछ कमी खलती रही है. |
डा० रूपचन्द्र शास्त्री जी अपने कार्य के प्रति जिस तरह से समर्पित हैं उनसे हमें प्रेरणा मिलती है…हर कार्य निरंतर लगन से करते हैं..गीतों की रचना सहज और सरल होती है.लयबद्ध और छंदबद्ध रचनाएँ लिखने में इनका कोई सानी नहीं है | बच्चों के लिए बहुत सार्थक रचनाएँ प्रस्तुत करते हैं..ज़िंदगी की हर बात से जुडी इनकी रचनाएँ होती हैं …आप भी कुछ नमूने देखिये .
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आशाजी की कविताओं में ज़िंदगी का सार नज़र आता है….एक सकारात्मक सोच का एहसास लिए ..दिनप्रतिदिन में घटने वाली घटनाओं का ज़िक्र हर पाठक के मन से जोड़ देता है…और एक नयी सीख और प्रेरणा पा कर मन को कहीं सुकून मिलता है…आप भी कुछ रचनाओं को देखें ..
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एम० वर्मा जी की रचनाएँ बहुत ओज पूर्ण होती हैं ….आम इंसान की हकीकत को बयान करती हुई….कविताओं के साथ साथ अपने दूसरे ब्लॉग पर खूबसूरत रचनात्मक कार्य करते भी देखा जा सकता है…मैं इनकी क्षणिकाओं से बेहद प्रभावित हूँ ..जहाँ वो शब्दों का ऐसा चमत्कार प्रस्तुत करते हैं कि हम सोच भी नहीं पाते….आप भी उनकी कुछ ऐसी रचनाएँ देखें ..
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दिगंबर नासवा जी के लेखन को कौन नहीं जानता…..आपकी रचनाएँ हमेशा प्रेरणादायक रही हैं….ग़ज़ल बहुत खूबसूरत लिखते हैं तो यथार्थ में डुबो कर कलम से सुन्दर नज्मों को जन्म देते हैं …आज कल बहुत गहरे भाव लिए कविताएँ पढने को मिल रही हैं….हर कविता जैसे मन की गहराई से जुडी हुई … ज़िंदगी के फलसफे को बताती हुई….
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रश्मिप्रभा जी के लेखन ने मुझे बहुत प्रभावित किया है…मन के भावों को इतनी सहेजता से समेटती हैं कि पढते हुए लगता है कि पाठक भी उन्ही भावों में बहा चला जा रहा है….कहीं संवाद से युक्त रचनाएँ होती हैं तो कोई कठोर धरातल पर उकेरी हुई…सत्य के परिपेक्ष में लिखी रचनाएँ हमेशा प्रेरणा प्रदान करती हैं ….उनकी कुछ रचनाओं की बानगी प्रस्तुत कर रही हूँ ….
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तो आज मैंने कुछ चुनिन्दा रचनाकारों से अपनी नज़र से परिचय कराया ….अगली बार कुछ अन्य लोगों को लेकर आऊँगी इस मंच पर …..अब आज के चर्चा मंच का दूसरा भाग …..इस सप्ताह के काव्य कलश को सुन्दर भावों से सजी धारा से भर कर आपको पेश कर रही हूँ….आप इसका भरपूर आनंद उठायें….यही ख्वाहिश है…. |
सुख-दुख पर पढ़िए मदन मोहन अरविन्द जी की रचना कल ऐसी बरसात नहीं थी झूले भी थे आंगन भी था तूफानों की बात नहीं थी कल ऐसी बरसात नहीं थी। भीगे आँचल में सिमटी सी बदली घर-घर घूम रही थी आसमान के झुके बदन को छू कर बिजली झूम रही थी ********************************************** अर्चना तिवारी कुछ लम्हे दिल के ... पर लायी हैं दोस्तों की आस्तीनों में छुपे हैं नाग अब दोस्तों की आस्तीनों में छुपे हैं नाग अब रहनुमा, रहज़न बने हैं, इनसे बच कर भाग अब गांव, बस्ती, शहर, क़स्बा, देश का हर भाग अब जल चुका है, क्या बुझेगी नफरतों की आग अब |
हरकीरत ' हीर' » की क्षणिकाएं पढ़िए नजरिया ...... उसकी नज़रें देख रही थीं रिश्तों की लहलहाती शाखें ..... और मेरी नज़रें टिकी थी उनकी खोखली होती जा रही जड़ों पर .......!! ************************************************ दो ग़ज़ल----बारिश की बारदात।कुछ भी नया नहीं है, वहीं दिन है, वही रात ! उनसे कहूं तो कैसे कहूं कोई नयी बात !! मैं तो दरिया हूं नये ख्वाब का ,बहने आया ।। ‘क्यों है खाली तेरा घर’, कोई ना कहने आया । तू गया छोड़ के तो कोई ना रहने आया ।। |
शिखा वार्ष्णेय के स्पंदन पर इसरार बादल का , गज़ब की सोच है…..कोई और इसरार करे ना करे यह तो बादलों के साथ ही अपने सपनों के गाँव उड़ जाना चाहती हैं… आज मुस्कुराता सा एक टुकडा बादल का मेरे कमरे की खिड़की से झांक रहा था कर रहा हो वो इसरार कुछ जैसे जाने उसके मन में क्या मचल रहा था *********************************************** पारुल के ब्लॉग Rhythm of words... पर क्यों दिखती नहीं वो. अब मिलना ही ऐसी चीज़ से चाहती हैं जो बहुत मुश्किल है….ज़रा आप भी पढ़ें .. वो मुट्ठी बंद थी एक रोज से जो जब तब खुल जाती थी वो भी कोई दौर था जब जिंदगी आबो-हवा में घुल जाती थी । वो एक ख़्वाबों की खुसफुस जो बड़ा शोर करती थी एक चुप्पी पे भी अम्मी तब बड़ा गौर करती थी |
अरुणा कपूर जी अपने मन की बेचैनी को मेरी माला,मेरे मोती. पर कुछ इस तरह बयां कर रही हैं --- अंतर है...उनमें और हम में.. अब वे टिम-टिम नही, ट्विट-ट्विट करते है... ब्लॉग हिंदी में नहीं, इंग्लिश में लिखतें है! हिंदी फिल्मों में अभिनय करते है, तो क्या हुआ? भारत में भी रहते है...तो क्या हुआ? ********************************************** रंजू भाटिया कुछ मेरी कलम से….ज़िंदगी को हिदायत देते हुए कह रही हैं कि तब जिंदगी मेरी तरफ रुख करना … पर कब ? यह जानिये इनकी यह रचना पढ़ कर जिस तरफ़ देखो उस तरफ़ है भागम भाग ..... हर कोई अपने में मस्त है कैसी हो चली है यह ज़िन्दगी एक अजब सी प्यास हर तरफ है जब कुछ लम्हे लगे खाली तब ज़िन्दगी मेरी तरफ़ रुख करना |
संजय तिवारी को पढ़िए "Aawara Rahi" पर … कह रहे हैं कि आदत... डाल लो….अब कैसी आदत डालनी है यह जानना बाकी है - आदत डाल लो, समस्या जड़ से ख़त्म हो जायेगी इसलिए,आदत डाल ली हमने भूख से लड़ने की आदत भय में जीने की आदत गरीबी से जूझने की आदत |
उपेन्द्र जी सृजन _शिखर पर मायावती जी के माध्यम से शासकों से कुछ कह रहे हैं - " मायावती जी सुनिए ! "मायावती जी !हमें पता चला है की आप हजारों के बेड पे चैन की नींद सोती है करोड़ो के नोट की माला पहनकर इठलाती है। |
साखी पर पढ़ें राजेश उत्साही की कविताएं…… पानी _________ पानी अब कहीं नहीं है विलोम अर्थवो दुश्मन नहीं हैं मेरे हां, मैं उनका दुश्मन हूं |
नवगीत की पाठशाला पर : कमल खिला : पूर्णिमा वर्मनसेवा का सुफल मिला धीरे से मन के इस मंदिर का ताल हिला कमल खिला पंकिल इस जीवन को जीवन की सीवन को अनबन के ताने को मेहनत के बाने को |
राम त्यागी कविता संग्रह पर कह रहे हैं कि बढता ही जाऊँगा… मैं ना रुकूँगा ना ही हारूँगा बस प्रयास के रास्ते बढता ही जाऊँगा !! |
भागीरथ कनकनी Santam Sukhaya पर कैसे राम की कल्पना कर रहे हैं ज़रा आप भी देखें .. मेरी रामायण का राममै फिर से एक रामायण लिखूंगा जो एक आदर्श रामायण होगी. |
राजीव रत्नेश ek kona mera apna पर लिखते हैं … बस एक बार .......!!!!!!तूलिका भी हो रंग भी हो ,कनवास भी हो , और गर मैं चित्रकार भी होता फिर भी भगवन तुम्हारी तस्वीर नहीं बना सकता । |
वाणी शर्मा गीत मेरे .... पर बहुत ही संवेदनशील रचना पेश कर रही हैं….घर की धुरी माँ होती है और हर रिश्ते को कैसे निभाया जाता है ,यह वही कर सकती है.. बस माँ ही जानती है ... कलई चढ़ाना ... बर्तनों पर भी ,रिश्तों पर भीमाँ लौट आई है गाँव से खंडहर होते उस मकान के इकलौते कमरे से अपना कुछ पुराना समान लेकर आया था जो विवाह में दायजा बन कर .. |
राजेन्द्र स्वरंकर को पढ़िए शस्वरं » पर गोविंद से गुरु है बड़ा गुरुपूर्णिमा पर लिखे उनके दोहे गुरु की महत्ता को बताते हैं … शिल्पी छैनी से करे , सपनों को साकार ! अनगढ़ पत्थर से रचे , मनचाहा आकार !! माटी रख कर चाक पर , घड़ा घड़े कुम्हार ! श्रेष्ठ गुरू मिल जाय तो , शिष्य पाय संस्कार !! |
के० एल० कोरी की गज़लें बहुत खूबसूरत होती हैं . मेरे जज्बात » पर उनकी गज़ल पढ़िए - मेरा दिल ख्याली है..मेरी सोच है संजीदा, मेरा दिल ख्याली हैबेतरतीब सी मैंने एक दुनिया बना ली है तुम आ जाओ और इनको छू लो होठों से मेरी ग़ज़ल तुम्हारे बगैर खाली--खाली है |
हमकलम : पर पढ़िए एकांत श्रीवास्तव की दो कवितायें अनाम चिड़िया के नामगंगा इमली की पत्तियों में छुपकरएक चिड़िया मुँह अँधेरे बोलती है बहुत मीठी आवाज़ में ********************************************** दु:ख दु:ख जब तक हृदय में था था बर्फ़ की तरह पिघला तो उमड़ा आँसू बनकर गिरा तो जल की तरह मिट्टी में रिस गया भीतर बीज तक |
नरेश शांडिल्य की गज़लें पढ़िए वाटिका » पर वाटिका - जुलाई, 2010 ये चार काग़ज़, ये लफ्ज़ ढाई है उम्र भर की यही कमाई किसी ने हम पर जिगर उलीचा किसी ने हमसे नज़र चुराई |
चैन सिंह शेखावत को पढ़िए ज़िन्दगी-ऐ-ज़िन्दगी पर …. आज की विसंगतियाँ देख कवि के हृदय में जो आक्रोश जन्म लेता है उसी की बानगी मिलेगी … अन्नदाता हैं हमारे सहते रहो पीठ पर लातों के सन्नाटेदार चाबुक अन्नदाता हैं हमारे ये अमिट स्याही नहीं कलंक है लोकतंत्र की उँगलियों पर यही द्रोणाचार्य फिर उखाड़ेंगे उँगलियों से नाखून |
स्वप्न मंजूषा जी की ग़ज़लों से कौन वाकिफ नहीं है…. खूब लिखती हैं और कमाल का लिखती हैं ..ज़रा आप भी गौर फरमाएं … उफ़क से ये ज़मीन क्यूँ रूबरू नज़र आए .. |
देवेन्द्र जी अपनी बेचैन आत्मा से इस बार बात कर रहे हैं सरकारी अनुदान की , तीखा व्यंग पढ़ना है तो ज़रूर पढियेगा झिंगुरों से पूछते, खेत के मेंढक बिजली कड़की बादल गरजे बरसात हुयी |
लमहा -लमहा » पर मैं नीर भरी के नाम से लिखती हैं ….आज उनके विचार जानिए..इंसान कहाँ खो रहा है… आकाश से ज़मीन की रह गुजर में .हम खो गएजैसे रास्तों पर खो जाते हैं पावों के निशान फिर खो जाती है स्फूर्ति सारी ताक़त सारा रस कहीं .!. |
आज का काव्यमंच प्रवीण पांडे जी की कविता के बिना अधूरा ही रह जाता …आज की यह विशेष प्रस्तुति आप सब के लिए …. जिन्होंने नहीं पढ़ा अब तक तो इसे ज़रूर पढ़ें और जो पढ़ चुके हैं दुबारा पढ़ें :):) … न दैन्यं न पलायनम् पर पढ़ें नहीं दैन्यता और पलायनअर्जुन का उद्घोष था 'न दैन्यं न पलायनम्'। पिछला जीवन यदि पाण्डवों सा बीता हो तो आपके अन्दर छिपा अर्जुन भी यही बोले संभवतः…………. मन में जग का बोझ, हृदय संकोच लिये क्यों घिरता हूँ, राजपुत्र, अभिशाप-ग्रस्त हूँ, जंगल जंगल फिरता हूँ, देवदत्त हुंकार भरे तो, समय शून्य हो जाता है, गांडीव अँगड़ाई लेता, रिपुदल-बल थर्राता है, बहुत सहा है छल प्रपंच, अब अन्यायों से लड़ने का मन, नहीं दैन्यता और पलायन । |
आज इस अर्जुन के उद्घोष के साथ ही चर्चा मंच का समापन करती हूँ ….आशा है आपको चर्चा पसंद आई होगी….इसकी सार्थकता आपके ही हाथों में निहित है….फिर मिलते हैं अगले मंगलवार को कुछ विशेष चिट्ठों और सप्ताह के बेहतरीन लिंक्स के साथ….तब तक के लिए …..नमस्कार |
संगीता दीदी,
जवाब देंहटाएंआप बहुत अच्छी चर्चा करतीं हैं...
सच में...!!
संगीता जी ,सब से पहले तो आपका आभार की आपने
जवाब देंहटाएंमुझे पढ़ा और आज के चर्चा मंच में स्थान दिया |
आज आपने चर्चा मंच में इतनी लिंक दी हैं की उन्हें सहेज कर पढ़ना होगा | मैं इस ब्लॉग को बहुत चाव से पढती हूं |एक बार फिर से आपके चर्चा के तरीके
के लिए बधाई |
आकर्षक प्रस्तुति..........बेहतर पोस्ट......एक जगह...........धन्यवाद!!
जवाब देंहटाएंआपकी चर्चा सुन्दर फूलों का गुलदस्ता ...
जवाब देंहटाएंकई छूटे हुए और बेहतरीन लिंक्स मिल गए ...
आभार ...!
इस चर्चा का जवाब नहीं ..
जवाब देंहटाएंआपकी चर्चा न केवल विस्तृत होती हैं वरन आकर्षक भी. मैं तो हर मंगलवार इंतजार करता रहता हूँ आपके द्वारा की गई साप्ताहिक काव्य चर्चा का. आपकी मेहनत परिलक्षित होती है.
बधाई सफल और सार्थक चर्चा के लिये
बड़ी मेहनत से तैयार की गई है आज की चर्चा. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंआदरणीया संगीता स्वरुप जी
जवाब देंहटाएंआपको और चर्चामंच परिवार के समस्त सदस्यों को नमस्कार !
साप्ताहिक काव्य मंच में पहली बार सम्मिलित हुआ हूं … और बहुत प्रसन्न हूं इतने श्रेष्ठ रचनाकारों को पा'कर ।
बहुतों के यहां तो मैं लगातार जाता रहता हूं ,
मैं बाकी हर लिंक पर भी अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराने का पूरा प्रयास करूंगा …
ऐसी श्रम साधना और लगन से सबको साथ ले'कर चलने की आपकी भावना को पुनः नमन है !
शस्वरं पर आप सब का हार्दिक स्वागत है , अवश्य अवश्य आइएगा …
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं
जबरदस्त!!!!
जवाब देंहटाएंपुलकित कुआ मन, इतनी अच्छी चर्चा...बहुत बहुत बहुत ही बढ़िया..
इससे अच्छी सुबह नहीं होने वाली :)
बहुत ही खूबसूरत चर्चा ! और रचनाकारों से रू ब रू कराने के आपके अंदाज़ ने तो मन ही मोह लिया ! आपकी सम्यक दृष्टि में सबके लिये स्थान है देख कर बहुत प्रसन्नता हुई ! रचनाओं की लिंक्स तो हमेशा की तरह बेहतरीन हैं ही ! मेरी बधाई स्वीकार करें ! आभार एवं शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंsangeeta ji ye charcha bilkul sahejne yogya hai...aaram se padhne wali
जवाब देंहटाएंसंगीता जी !
जवाब देंहटाएंआपका श्रमसाध्य प्रयोजन दीर्घजीवी हो। एक साथ इतने लोगों को साधना और अपनी पसन्द के अनुरूप चयनित करना स्तुत्य है।
आपका ब्लाग अनुकरणीय है।
कड़ी मेहनत से की हुई सुन्दर, आकर्षक और उम्दा चर्चा के लिए आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों बाद ब्लॉग चर्चा पढ़ी बहुत पसंद आई शुक्रिया मेरे लिखे लिंक को लेने के लिए
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा तो बहुत ही मनोयोग से लगाई है…………आपका तो अंदाज़ ही निराला है……………एक से बढकर एक बेहतरीन लिंक्स हैं…………आभार्।
जवाब देंहटाएंसंगीता जी
जवाब देंहटाएंसबसे पहले मेरे ब्लाग को इस चर्चा योग्य समझने के लिए आपका हार्दिक आभार..........
ब्लागिंग की दुनिया में इस नये_नवेले आदमी को इतने ब्लागों से अवगत कराकर जो आप ने खुशी दी है उसे मैं बयान नहीं कर पा रहा हूं। सारी पोस्ट मैंने पढीं। बहुत ही उत्कृष्ट संचयन..... बधाई ।
सभी लेखक महोदय से मैं उनके ब्लाग पर मिलता रहूंगा ।
संगीता जी
जवाब देंहटाएंसबसे पहले मेरे ब्लाग को इस चर्चा योग्य समझने के लिए आपका हार्दिक आभार..........
ब्लागिंग की दुनिया में इस नये_नवेले आदमी को इतने ब्लागों से अवगत कराकर जो आप ने खुशी दी है उसे मैं बयान नहीं कर पा रहा हूं। सारी पोस्ट मैंने पढीं। बहुत ही उत्कृष्ट संचयन..... बधाई ।
सभी लेखक महोदय से मैं उनके ब्लाग पर मिलता रहूंगा ।
नमस्कार संगीता जी ....
जवाब देंहटाएंआज तो बहुत निराला अंदाज़ है चर्चा का ..... कितने ही रचनाकारों से परिचय हो गया ... समीर जी से तो परिचय था ही ... वर्मा जी, शास्त्री जी ...रश्मि जी, आशा जी ... सभी से मिल कर बहुत अच्छा लगा ...... आपका आभार की आपने
आज के चर्चा मंच में स्थान दिया ....
सार्थक संवाद करती चर्चा..बधाई.
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा तो लग रहा है एक कुशल शिक्षक ने बनाई है :) विद्द्यार्थियों के सभी गुणों को पहचान कर इंगित किया है :)
जवाब देंहटाएंबहुत ही आकर्षक चर्चा है ..विस्तृत ,व्यवस्थित और रोचक.
बेहद उम्दा चर्चा के लिए आपका आभार !
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा ..आभार
जवाब देंहटाएंmain pahli baar yahan aaya tha..
जवाब देंहटाएंbut i liked this place to much
i hv also found some poets of my interest and followed them...
thanks..
all links are worth
जवाब देंहटाएंसंगीता जी चर्चा मंच पर बहुत से अछ्हे कवियों और उनकी रचनाओं को देखकर बहुत अच्छा लगता है !आप के भीतर एक ऊर्जा का सतत प्रवाह मिलता है जो ख़ुशी और स्फूर्ति से भर देता है.
जवाब देंहटाएंवाह! ये हुई न कुछ बात!!
जवाब देंहटाएंअलग हटके, नेए और सुंदर अंदाज में।
आदरणीय संगीता जी ,
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग को पहली बार इस स्तरीय चर्चा में सम्मलित करने हेतु आपका हार्दिक आभार.
सदैव की भाँति इस बार भी आपकी चर्चा बड़ी प्रभावी है..
खूबसूरत फूलों को चुन चुनकर ये गुलदस्ता तैयार किया है आपने...आभार ..
zabardast type ki charcha mumma... ek dum solid... kavi parichay aur fir saptah bhar ki utkrisht kavitaayen ...maza hi aa jaye padh ke.. :)
जवाब देंहटाएंआज शायद इस चर्चा की जितनी तारीफ को और आपकी मेंहनत को सराहना को अगर शब्दों में बाँधा जाये तो शायद अन्याय होगा आपकी मेंहनत के साथ और साथ ही आपकी सक्षमता के साथ. दांतों तले ऊँगली दबाने के अलावा और कुछ नहीं रह जाता.
जवाब देंहटाएंकोटिश धन्यवाद आपकी मेंहनत को और आपकी काबलियत को.
सुंदर और सुवयवस्थित चर्चा ।
जवाब देंहटाएंSangeeta ji,
जवाब देंहटाएंcharchamanch ke saptahik kavyamanch par aakar aChchha laga.
Mere kai priy rachnakaron ko ek sath dekhkar achchha mahsoos hua.
Apne karishmai vblog ke zariye meri ghazalon ki ittilah apne dosto tak pahuchane ka shukriya.
इसे कहते हैं साहित्यिक अंदाज में चर्चा करना......बहुत ही शानदार प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंदेरी से आने के लिए क्षमा चाहता हूँ और बहुत आभारी हूँ कि आपने मुझे यह स्थान दिया.
जवाब देंहटाएंनिश्चित ही गर्व का अनुभव कर रहा हूँ.
कृप्या ऐसा ही स्नेह बनाये रखें.
सुन्दर चर्चा///
बहुत बहुत बधाई.
बहुत अच्छी चर्चा अच्छे लिंक्स के साथ ..........
जवाब देंहटाएंबेहतरीन। लाजवाब।
जवाब देंहटाएंरचना को सम्मान देने के लिये अतिशय आभार। अन्य रचनायें भी पढ़ने का सौभाग्य मिला इस पोस्ट के माध्यम से।
जवाब देंहटाएंअति सुंदर!.....लग रहा है कि किसी सुंदरसी वाटिका में पहुंच गए है...जहां रंग-बिरंगी फूल खिले है!.... मन प्रसन्न हुआ संगीताजी!
जवाब देंहटाएंआपकी ये चर्चा सबसे ज्यदा अच्छी लगी एक ब्लॉग के अन्दर से भी अच्छी पोस्ट ढूंढ़ निकली आपने. माफ़ी चाहती हूँ की कल प्रतिक्रिया नहीं दे सकी.गलती जो आपकी थी इतने सारे लिनक्स और पोस्ट सब की यात्रा में ही समय कब निकल गया पता ही नहीं चला
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी लगी आपकी ये चर्चाएँ ...सभी को पढ़ना चाहती हूँ लेकिन समयाभाव के कारण अभी नहीं पढ़ पा रही हूँ...कृपया जारी रखें इसे
जवाब देंहटाएंबड़ी मेहनत से तैयार हुई होगी यह पोस्ट. समयाभाव के चलते समय पर नहीं पढ़ पाया. सुंदर लिंक दिया है आपने.
जवाब देंहटाएं...आभार.
बहुत ही शानदार रही यह चर्चा!
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