आप सबको अनामिका का नमस्कार. लीजिए हाज़िर है आज की चर्चा एक नए अंदाज़ में.....
सपनो की दुनिया में "शिनाख़्त करो खुद की" और "खुली आँखों के सपने" देखो, देखो कैसे बूंद-बूंद इतिहास . बदल रहा है. अन्तःकरण में देवत्व का उदय हो रहा है. लेकिन हम खिलौने हैं और "खिलौनों की वेदना कौन जानता है ? वक्त फिसलता रहा..है, अभिशप्त जीवन है, कोई लड़की अपने नाखूनों को देखती है तो कोई पूछ रहा है कि है किसीके पास ऑक्टोपस? और तो और कोई चिल्ला रहा है कि बंद कीजिये हाय हाय .अब तो हाल ये हैं की 'पुतलियाँ पूछती है प्रश्न '' कि हम कब सुधरेंगे? सच में दुनिया एक पागलखाना नज़र आती है.
कुछ ताज़ा खबरे ये भी हैं कि -
- "नदी के किनारे" रवि ने जब-जब ली अँगड़ाई तो सांझ का बादल वो लम्बी गली का सफ़र तय करके धरती से "अपूर्ण अनुच्छेद..." करने चला आया रवि "वरना आफताब पा गया होता.........."
- पुरस्कार की पीड़ा को जान शरीफ़ लोग आजकल वाले आगाह कर रहे हैं कि 'कस के मुझपे वार करो' गे तो हमें बोलना आता है? और आपकी कसम हम बिहार में ताजमहल बना देंगे....
- ऐ साथी मेरे सुन...... तीन महीने में एक बार लेना होगा इन्सुलिन का इंजेक्शन .
और अब अंत में ...
किसान का भी इन्तज़ार खतम होने को है और वो बादलों की रिम-झिम देख "अंतिम फैसला" करता हुआ सोच रहा है कि कल फसल जरूर कटेगी .
और इसी के साथ शुक्रवार की ये चर्चा यहीं विश्राम लेती है.
आप सबको अनामिका की तरफ से शुभकामनाएँ ...आप सब का समय मंगलमय हो. |
ग़ज़ब! अद्भुत! अनूठी चर्चा।
जवाब देंहटाएंबिल्कुल नया अंदज़! बहुत अच्छा है।
बहुत बढ़िया चर्चा... प्रारम्भ में लिंक्स को रेखांकित करना बेहतर होता....
जवाब देंहटाएंनवगीत की पाठशाला में मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंअंदाज़ निराला है, आपकी प्रस्तुति का!"सच में" के प्रति आपके स्नेह के लिये आभारी हूं!
जवाब देंहटाएंइस चर्चा की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि
जवाब देंहटाएंपाठक उत्सुकतावश् सभी लिंक खोलकर देख लेता है!
अलग अन्दाज़ की चर्चा. बेहद खूबसूरत और अनूठा प्रयोग
जवाब देंहटाएंबधाई
पसंदीदा अंदाज चर्चा का...................
जवाब देंहटाएंbahut sundar aur anootha..kuch alag sa hai ..
जवाब देंहटाएंbahut accha laga..
aabhaar..
आपकी यह विधा तो भा गयी। सरल भाषा में सबको समेट कर आपने अपनी विद्वता को प्रतिस्थापित कर दिया।
जवाब देंहटाएंwaah !
जवाब देंहटाएंबहुत अलग अंदाज .. बढिया रहा !!
जवाब देंहटाएंwaaah!!!!!!!
जवाब देंहटाएंjabardast taseeka hai ye to :)
bahut bahut badhiya
Dhanyawaad Anamika ji....bahut badhiya charchaa ...apne aap mein ek lekh ....very creative
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया अंदाज,
जवाब देंहटाएंसुन्दर....
Anamika ji
जवाब देंहटाएंSabse pahle to abhaar aapka ..
itneee siddhat se to maine likha bhee nahii tha jitni khubsurtee se aapne prastut kar diya ....:))
Aaki kalam kee dhaar badii manjhee huyi maluum hoti hai .
Shukriya !
बहुत बढ़िया, आभार!
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा का अंदाज़ निराला है ....
जवाब देंहटाएंशुक्रिया हमारी धरती को भी स्थान देने के लिए ....
आज की चर्चा का अन्दाज़ तो गज़ब का है…………बहुत पसन्द आया………………आभार्।
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा का अन्दाज़ तो गज़ब का है…………बहुत पसन्द आया………………आभार्।
जवाब देंहटाएंmujhe bhi behad pasand aaya...aapka charcha manch
जवाब देंहटाएंस्वास्थ्य-सबके लिए ब्लॉग की खबर लेने के लिए धन्यवाद। यह देखकर अच्छा लगता है कि चर्चाकारगण बिना किसी पक्षपात के,कई पोस्टों से गुजरते हुए कम चर्चित पोस्टों की ओर ध्यानाकर्षण कर रहे हैं। ब्लॉग जगत के लिए यह शुभ है।
जवाब देंहटाएंबिल्कुल अलग अन्दाज मेम की गई ये चर्चा भी खूब रही...बढिया प्रयोग किया आपने..
जवाब देंहटाएंआभार्!
आज की चर्चा का रंग भी खिला हुआ है.
जवाब देंहटाएंआपको शुभकामनाएं
Naya andaaj achchha laga.
जवाब देंहटाएंआज के प्रस्तुतिकरण का अंदाज कुछ निराला है संगीता जी!...बहुत अच्छा लग रहा है!... बारी बारी से सभी लेख पढे और मजा आ गया!
जवाब देंहटाएं...अनामिकाजी!...संगीताजी का पोस्ट पढने के बाद मैने टिप्पणी लिखी... सो उनका नाम लिखा गया!... गलति के लिए क्षमा चाहती हूं!
जवाब देंहटाएंमेरा लेख शामिल करने के लिए धन्यवाद!
आज का प्रस्तुतिकरण बिलकुल ही नये अंदाज में है!
वाह ! अनुपम अंदाज़ !
जवाब देंहटाएं* पोस्ट्स के लिंक्स से वाक्यों का निर्माण किया गया है। यह अच्छी बात है और अलग तरह की रचनात्मक प्रस्तुति का उदाहरण भी।
जवाब देंहटाएं....किन्तु ...लगता है कि वर्तनी संबंधी सावधानी को बरतने में किंचित शिथिलता बरती गई - सी है। यदि इसे / इन्हें एक बार देख / परख कर सुधार लिया जाय तो बहुत अच्छा होगा।
उदाहरणार्थ -
०१- दुनियाँ / दुनियां / दुनिया
०२-अन्त: करण / अन्त:करण
०३- अभिशिप्त / अभिशप्त
०४-सुभकामनाये / शुभकामनायें.....
* 'चर्चा मंच' से मुझे प्राय: कुछ पठनीय लिंक्स का रास्ता मिलता है अत: इस रास्ते में पड़े हुए वर्तनी संबंधी कुछ कंकड़ ठीक नहीं लग रहे हैं।
* आशा है कि पोस्ट लेखक और 'चर्चा मंच' की पूरी टीम अन्यथा न लेगी।
* बाकी सब ठीक। अगली पोस्ट की प्रतीक्षा ताकि फिर कुछ पठनीय पोस्ट्स / ठिकाने मिलें।
... बेहतरीन चर्चा !!!
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा रही अनामिका जी।
जवाब देंहटाएंइस चर्चा में आपने मेरी रचना को शामिल किया इसके लिए बहुत बहुत शुक्रिया।
आप सभी पाठकों ने आज की चर्चा को पढ़ा,सराहा और अपने अपने सुझाव भी दिए इसके लिए सभी की तहे दिल से आभारी हूँ. कुछ गलतियाँ हुई हैं इनके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ. वर्तनी सम्बन्धी गलतियों की सुधारने की कोशिश की है. आगे भी ध्यान रखूंगी.
जवाब देंहटाएंआप सब के मार्ग-दर्शन की जरुरत सदा रहेगी..इसलिए अपना साथ और स्नेह बनाये रखियेगा.
धन्यवाद.
इसमें तो कोई दोराय नहीं हो सकती।
जवाब देंहटाएं................
व्यायाम और सेक्स का आपसी सम्बंध?
चर्चा का यह अनूठा अंदाज काबिल-ए-तारीफ है। इसमें मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंचकित हूं अनामिका जी आपके अन्दाज पर!चर्चा का नयाब तरीका ! ‘लड़की और नाखून’लेने के लिये आभार.
जवाब देंहटाएंअब वर्तनी की त्रुटियाँ नही के बराबर ही होंगी!
जवाब देंहटाएंवाह चर्चा का आभार
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा ...बूंद-बूंद इतिहास को चर्चा में शामिल करने के लिए धन्यवाद । यह अंदाज पसंद आया । उम्मीद है आगे भी इसी प्रकार के प्रयोग जारी रहेंगे ।
जवाब देंहटाएंचर्चा अच्छी लगी नये लिंक के साथ साथ आपकी कलम की कारीगिरी भी नज़र आई......
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया अंदाज,
जवाब देंहटाएंअंदाज़ निराला है, आपकी प्रस्तुति का
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