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कॉमनवेल्थ
हम कॉमन मेन के ग़ुलाम नहीं...लठिया दो ससुरे को!
Cartoon: © T.C. Chander, New Delhi, India
जोरदार कार्टूनों के साथ मज़ेदार चुटकुलों का आनन्द वही ले जो यहां क्लिक करे!
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- RAJESH KUMAR DUBEY
एक कार्टून ........................
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- अब देखिए कुछ आम चर्चाएँ ---------------------
निर्वाण
तुम्हारा साथ पाने की
उद्विग्नता ...
हड्डियों के ढांचे से
चिपके मांस में
छिपी रक्त धमनियों को
उकसा देती है .
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: लविज़ा | Laviza | Source: लविज़ा | Laviza
आपको पता है, मैं कितनी सफाई पसंद हूँ ? जरा भी गन्दगी मुझे अच्छी नहीं लगती इसलिए घर पर कहीं भी जरा भी गन्दगी मुझे दिखाई दे, मैं बस वायपर और पानी लेकर पहुँच जाती हूँ. तस्वीरों में देखिये, कैसे मैं बालकनी की सफाई कर रही हूँ. हा.. हा..
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अब इसमें दोष किसका ? वास्तुशास्त्र , भाग्य अथवा निज कर्म का ? - पिछली कुछ पोस्टस में आपने जाना कि मानव हित में वास्तुविद्या का कितना अधिक महत्व है.अब बहुत से लोग ऎसे भी होते हैं जो कि जीवन में वास्तु इत्यादि को कोई महत्...
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Jul 13, 2010 | Author: नवीन प्रकाश | Source: Hindi Tech Blog
ये आपके Hindi Tech Blog - तकनीक हिंदी में की 700 वीं पोस्ट है । 11 महीने से भी कम समय में आपके प्रोत्साहन और सहयोग से इतनी दूर चले आये है । [read more]
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बूझॊ तो जाने?? - अजी सब से आसान, ओर सब से कठिन पहेली है यह, देखे इन महाशय को कोन पहचानता है?बस ध्यान से देखे ओर झट पट पहचान कर नाम लिख दे, हिंट यह कोई आम आदमी नही, अगला हि...
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2010 की पहली छमाही में बॉलीवुड की सौ से भीे ज्यादा फिल्में टिकट खिड़की पर औंध्ंेा मूहं गिर गई. इसके बावजूद हर महीनें इंडस्ट्री कम से कम एक हिट फिल्म देने में कामयाब रही,, जिसने दूसरी फिल्मों की नाकामी के दर्द को कुछ हद तक कम कर दिया. तो, आईए जानते हैं कि साल की पहली छमाही में कौन सी फिल्में टिकट खिड़की पर पैसा कमाने में कामयाब रही ः जनवरी - इश्कियां ः इस फिल्म के साथ विशाल भारद्वाज का नाम जुड़ा हुआ था. पिक्चर उनके चेले और ओमकारा, मकड़ी जैसी फिल्में लिख चुके अभिषेक चैबे ने बनाई थी. पिक्चर बो ..
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अनमोल पलों को खोकर हम कुछ नश्वर चीजे पाते है
और उस पर मान जताते है
यह अभिमान छणिक है बंधू
समय का कौन ठिकाना है
जो मंगल गीत बना
उसको निश्चित मातम बन जाना है...
और उस पर मान जताते है
यह अभिमान छणिक है बंधू
समय का कौन ठिकाना है
जो मंगल गीत बना
उसको निश्चित मातम बन जाना है...
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Jul 13, 2010 | Author: आनन्द पाण्डेय | Source: देशभक्त
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Jul 13, 2010 | Author: ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ | Source: Science Bloggers' Association
यह हमारे समय का एक कटु सत्य है कि एक ओर जहाँ आदमी को खाने के लिए रोटी भी मयस्सर होनी मुश्किल हो रही है, वहीं दूसरी ओर कुत्ते और बिल्लियाँ आलीशान एयरकंडीशंड गाड़ियों में शान से घूमते दिख जाते हैं। लेकिन लगता है कि जैसे अब स्थिति में बहुत जल्द बदलाव देखने को मिलने वाला है। कारण है केन्द्र सरकार का वह कानून, जिसके द्वारा पशु-पक्षी पालना अब लोहे के चने चबाने जैसा कठिन होने जा रहा है। एनिमल वेलफेयर
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(सिद्धेश्वर सिंह ने निज़ार क़ब्बानी की इन कविताओं का अनुवाद सबद के सतत आग्रह पर किया है. उनका आभार. चित्र-कृति सिल्विया की.)
जादू
दुनिया भर के बच्चों को
जादू
दुनिया भर के बच्चों को
सिखला दिया है मैंने
तुम्हारे नाम का उच्चारण
और चेरी के वृक्ष में
परिवर्तित हो गए हैं उनके होंठ।...
तुम्हारे नाम का उच्चारण
और चेरी के वृक्ष में
परिवर्तित हो गए हैं उनके होंठ।...
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Jul 13, 2010 | Author: वन्दना | Source: ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़र
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Jul 13, 2010 | Author: Shah Nawaz | Source: प्रेम रस
हर किसी को मृत्यु के बाद स्वयं अपने प्रभु के सामने खड़े होना है और उत्तर देना है कि पृथ्वी लोक में ईश्र्वर के बताए हुए रास्ते पर चला अथवा नहीं? क्योंकि उत्तर स्वयं देना है इसलिए आस्था का मामला भी एकदम निजी है, इसमें किसी और का हस्तक्षेप तो हो ही नहीं सकता है, क्योंकि आस्था का संबंध हृदय से होता है इसलिए मनुष्य उसी राह पर चलता है जिस पर उसका दिल हां कहता है।
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Jul 13, 2010 | Author: निर्मला कपिला | Source: वीर बहुटी
कुछ दिन से मेरे ब्लाग पर पूरे कमेन्ट पोस्ट नही होते --मुझे मेल आती है कि कमेन्ट किया था मगर पोस्ट पर नही दिखा। और मैं भी कई बार किसी की पोस्ट पर कमेन्ट करती हूँ तो दोबारा देखती हूँ तो कमेन्ट वहाँ नही होता। क्या और भी किसी के ब्लाग पर ये प्राबलम है। अगर नही तो मेरे ब्लाग पर क्यों है क्या कोई बता सकता है? देखिये और साथ ही श्री प्राण शर्मा जी की एक प्यारी से गज़ल पढिये------
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Jul 13, 2010 | Author: AlbelaKhatri.com | Source: Albelakhatri.com
हमारा देश और इस देश का नागरिक जितने बड़े संकट से आज गुज़र
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Jul 13, 2010 | Author: डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक | Source: नन्हें सुमन
सिसक-सिसक कर स्लेट जी रही, तख्ती ने दम तोड़ दिया है। सुन्दर लेख-सुलेख नहीं है, कलम टाट का छोड़ दिया है।
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HAPPY B'DAY.............................................WE LOVE YOU............. - HAPPY B'DAY----------------------------------------------- (Chitra --google se saabhaar)
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Jul 13, 2010 | Author: Suman | Source: लो क सं घ र्ष !
एक ऐसी नन्ही ब्लोगर जिसके तेवर किसी परिपक्व ब्लोगर से कम नहीं ......जिसकी मासूमियत में छिपा है एक समृद्ध रचना संसार .....जो अपने मस्तिस्क की आग को बड़ी होकर पूरी दुनिया के हृदय तक पहुंचाना चाहती है ....जानते हैं कौन है वो ?
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तेरे मेरे........ - खुल सकते नहीं राज़ तेरे मेरे दिल की बातें हैं दिल के सायों में तेरे दिल से मेरे दिल तक फूल भी कांटे भी इन राहों में मेरी वफ़ा की देने को गवाही कुछ आसूँ हैं ...
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क्या हम सब एक जंगल में रहते हैं.....?? - मैं भूत बोल रहा हूँ..........!! क्या हम सब एक जंगल में रहते हैं.....?? ..........जंगल.....!!यह शब्द जब हमारी जीभ से उच्चारित होता है....तब हमारे जेहन मे..
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और अन्त में यह पोस्ट भी देख लीजिए-
Jul 12, 2010 | Author: 'अदा' | Source: काव्य मंजूषा
हम तो कुछ लिख ही नहीं पा रहे हैं.. समय ही नहीं है... लेकिन अपनी पसंद का गीत तो सुनवा ही सकते हैं ... बात ये है कि... ये दोनों गीत किशोर साहब और रफ़ी साहब की आवाज़ में हमें बहुत-बहुत पसंद ... तो सोचा क्यूँ न आप लोगों को भी याद दिलवा दें इन सदाबहार गानों की..
nice
जवाब देंहटाएंकाजल भाई तो बधाई..
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी इतने बढ़िया संयोजन के लिए बधाई स्वीकार करे
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट को यहाँ स्थान देने का शुक्रिया. विश्वास है आगे भी एक से बढ़कर रचनाये देखने को मिलेगी
बहुत सुन्दर चर्चा...काजल जी को बधाई...
जवाब देंहटाएंचर्चा का ये अन्दाज़ भी बहुत ही भाया……………बहुत सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंshandar chrcha
जवाब देंहटाएंshandaar charchaa !!
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी, सचमुच आनन्द आ गया चर्चा बाँचकर....बहुत ही बढिया!
जवाब देंहटाएंशानदार है यह रंग बिरंगी चर्चा।
जवाब देंहटाएं................
पॉल बाबा का रहस्य।
आपकी प्रोफाइल कमेंट खा रही है?.
बहुत बढ़िया चर्चा.
जवाब देंहटाएंइस सुन्दर से चर्चा और एक साथ इतने सारे कलाकारों की जानकारी के लिए आभार !!
जवाब देंहटाएंnice post
जवाब देंहटाएंकाजल भाई को तो मैं पहले भी बधाई दे चुका हूं.
जवाब देंहटाएंइस बार आपको बधाई क्योंकि आपने क्रीम किस्म के कार्टूनिस्टों को एक मंच पर लाकर अच्छा काम किया है.
भाई मुझे तो निजी तौर पर यह प्रयास नया और शानदार लगा.
वाह! कमाल है!!
जवाब देंहटाएंऔर अंतिम कर्टून तो धमाल है।
वैसे शास्त्री जी हम सब तो कार्टून ही हैं!
veri nice
जवाब देंहटाएंso cute
............ :D
ab to aa hi jayege,,,,,,,kartoonist
शास्त्री जी ,
जवाब देंहटाएं:):) अंतिम कार्टून तो बहुत बढ़िया रहा....
असली कार्टून तो बादवाला ही है!
जवाब देंहटाएंcharcha badi shaandar lagi chali ja rahi thi..me bhi post dar post title wise padhti ja rahi thi par....kintu ..parantu...sabse jyada hansi aur maza pata he kab aaya jab maine shastri ji ki ye halat dekhi...ha.ha.ha....ch.ch.ch.
जवाब देंहटाएंshastri uncle kitti galat baat hai na ham charcha manch ke members kitti mahnat karte hai logo ko dhoondh dhoondh kar unki post lagate hain...even unhe msg.bhi dete hai ki unki charcha lagayi gayi he...tab bhi ye log aate nahi.dukh to hota hai.
lekin aapne jis haalat ko darshate hue apna cartoon banaya use dekh dukh hansi me chhup gaya.
mafi chahungi is hansi k liye..lekin ye mui fir b aa rahi hai. aapko is tareh se dress-up dekh kar.
हरफनमौला चर्चा..
जवाब देंहटाएंहा हा हा
जवाब देंहटाएंकोई भी कार्टूनिस्ट भले ही कमेन्ट न करने आया हो लेकिन आप का कार्टून तो सब पर ही भारी है.
कुछ दिन के लिए बाहर जाने के कारण नेट से दूर था. आपकी चर्चा से ही मुझे लोकसंघर्ष परिकल्पना सम्मान प्रकाशन की भी सूचना मिली है. अत्यंत आभार.
बधाइयों के लिए सभी मित्रों का सादर आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया !!
जवाब देंहटाएंमजेदार है.
जवाब देंहटाएंकाजलजी तो पहुंच ही गए
आपका कार्टून भी शानदार है. ऐसा ही होता है.
माफी चाहूंगा देरी के लिए...नेट पर अभी बैठा तो राजकुमार भाई ने बताया कि शास्त्री जी ने चर्चा में तुम्हे भी शामिल किया ...इतने बढ़िया संयोजन के लिए बधाई ...धन्यवाद..आभार आपका
जवाब देंहटाएं