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जानिए भारत की विश्व को देन : गणित शास्त्र-१ ---प्रस्तुतकर्ता श्री अनुनाद सिँह( भारत का वैज्ञानिक चिन्तन)
गणित शास्त्र की परम्परा भारत में बहुत प्राचीन काल से ही रही है। गणित के महत्व को प्रतिपादित करने वाला एक श्लोक प्राचीन काल से प्रचलित है।ईशावास्योपनिषद् के शांति मंत्र में कहा गया है-
ॐपूर्णमद: पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते।।
यह मंत्र मात्र आध्यात्मिक वर्णन नहीं है, अपितु इसमें अत्यंत महत्वपूर्ण गणितीय संकेत छिपा है, जो समग्र गणित शास्त्र का आधार बना। मंत्र कहता है, यह भी पूर्ण है, वह भी पूर्ण है, पूर्ण से पूर्ण की उत्पत्ति होती है, तो भी वह पूर्ण है और अंत में पूर्ण में लीन होने पर भी अवशिष्ट पूर्ण ही रहता है। जो वैशिष्ट्य पूर्ण के वर्णन में है वही वैशिष्ट्य शून्य व अनंत में है। शून्य में शून्य जोड़ने या घटाने पर शून्य ही रहता है। यही बात अनन्त की भी है।
बास्टन के पण्डे,गौवंश और सामुद्रिक कला के बारे में बता रहे हैं श्री अनुराग शर्मा.वो लिखते हैं कि---अमेरिका में गाय की एक जाति को भी ब्राह्मण गाय/गोवंश (Brahman cow/cattle) कहा जाता है। अपने चौडे कन्धे और विकट जिजीविशा के लिये प्रसिद्ध यह गोवंश पहली बार 1849 में भारत से यहाँ लाया गया था और तब से अब तक इसमें बहुत वृद्धि हो चुकी है। और आप सोचते थे कि जर्सी और फ्रीज़ियन गायें बेहतर होती हैं। यह तो वैसी ही बात हुई जैसे उल्टे बाँस बरेली को। |
साईब्लाग पर अरविन्द मिश्र जी प्रस्तुत कर रहे हैं:-यौनिक रिश्तों की पड़ताल के कुछ नए परिणाम !भारतीय समाज यौन मुद्दों पर खुलकर बात करने से कतराता है,हमारे संस्कार,हमारे कतिपय सुनहले नियम इसका प्रतिषेध करते हैं. और एक दृष्टि से यह उचित भी है.किन्तु जब ऐसी वर्जनाएं यौन कुंठाओं को जन्म देने लगे तो हमें कुछ स्वच्छन्दता लेनी चाहिए -और वैज्ञानिक निष्कर्षों के प्रति एक खुली दृष्टि रखनी चाहिए,विचार विमर्श होते रहना चाहिए नहीं तो खाप पंचायतों जैसी हठधर्मिता ,भयावह सामाजिक स्थितियां भी मुखरित हो उठती हैं. |
कलियुग केवल नाम अधारा---अभिषेक औझानाम तो धांसू होना ही चाहिए चाहे किसी रेसिपी का हो या जगह का. इंसान का तो फिर भी ठीक है...अपना बस चलता तो लोग रखते फिर एक से बढ़कर एक नाम. हमारे एक दोस्त ने दसवीं में अपना नाम पप्पू से बदल कर अक्षय कुमार कर लिया ! अब ये बात अलग है कि उनको इस बात पर दोस्तों ने इतना परेशान किया...अगर फिर मौका मिलता तो वो अब अपना नाम रवीना टंडन भी कर लेते लेकिन अक्षय कुमार तो नहीं ही रहने देते. जो भी हो…..
हिन्दू या मुसलमान होने से पहले 'इंसान' होने का लाभ (Benefits of Becoming a Good Human Being First)बता रहे हैं श्री प्रवीण शाहमेरे 'इंसान' मित्रों,'इंसान' होने का लाभ (Benefits of Becoming a Good Human Being First) आज मैं आपको 'इंसान' होने के फायदे बताऊंगा... धर्म-धार्मिकता-मजहब से परे अगर कोई महज एक अदना सा 'इंसान' है तो उसे क्या क्या फायदे है या कोई अगर धर्म की मानसिक गुलामी से निजात पा महज 'इंसान' बन जाता है तो उसके उसे क्या क्या फायदे होंगे ?... |
और सांई बाबा लौट गए... (लघु कथा)गुरूपूर्णिमा का दिन,मुहल्ले के सांई बाबा मंदिर में भंड़ारा का आयोजन। मंदिर बनवाने वाली महिला ही मुख्य आयोजक, उनके आदेशानुसार भंडारा चालू था। एक- दो घंटे तक मुहल्ले की भीड़ के साथ-साथ आसपास के झुग्गी-झोपड़ी के गरीब लोग भी एकत्रित थे, दोनों वर्गों के लिए अलग-अलग लाईन और व्यवस्था देख रहे लोगों का इन दोनों लाईन के लोगों के लिए अलग-अलग व्यवहार। | मेरी अपूर्णता !!हे प्रभु! तूँ भी पूर्ण है. तेरी इच्छा भी पूर्ण है. तेरी सृ्ष्टि भी पूर्ण है. तेरी कृ्ति भी पूर्ण है. केवल एक मैं ही अपूर्ण हूँ और वह भी सिर्फ अपने अहंकार के कारण.मेरा ही अहंकार मेरे और आपके दरम्यान एक पर्दा बन गया है. यदि मैं आपके भक्ति रस में डूबे प्रेम गीत गाकर, अपने प्रत्येक पवित्र कर्म द्वारा और अपने स्वच्छ, पवित्र, शुद्ध और निर्मल मन की उडान द्वारा इस पर्दे को हटा सकूँ तो…. |
अंजाम-ए-आशिकी क्या है (अरुण मिश्रा)वफ़ा में मेरी कसर कोई रह गयी क्या है,जब भी पूछा,तो वो बोला,तुम्हें जल्दी क्या है! लूट कर मुझको वो कज्जाख अब ये कहता है, और हो जायेगा फिर,आपको कमी क्या है !! ये कत्लगाह, सलीबें, ये सलासिल, ये कफस, अब न पूछूँगा मैं, अंजाम-ए-आशिकी क्या है!! | एक भूमिका और रिल्के का पहला ख़तयूरोप के विएना शहर की सन् 1888 के पतझड़ की एक शाम। बलूत के पेड़ तले झड़ती पत्तियों के बीच एक कमजोर और दुबला सा लड़का उदास बैठा हुआ था। अपने कुल तेरह साल के जीवन के धूसर से रंगों के बीच उलझा, हताश। अपने ही अनबुझ सवालों से परेशान, कि आखिर जिंदगी उससे चाहती क्या है? वो अपनी जिंदगी से क्या चाहता है ? |
“गांधी की सन्तान कहते हुए भी... ..” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)एक पादप साल का,जिसका अस्तित्व नही मिटा पाई, कभी भी,समय की आंधी । ऐसा था, हमारा राष्ट्र-पिता,महात्मा गान्धी ।। कितना है कमजोर, सेमल के पेड़ सा- आज का नेता। जो किसी को,कुछ नही देता ।। दिया सलाई का- मजबूत बक्सा, सेंमल द्वारा निर्मित,एक भवन । माचिस दिखाओ,और कर लो हवन। आग ही तो लगानी है, | झज्झर का यक्ष प्रश्न?????(डा. पवन मिश्र)ब्राह्मण देव मुझे छूने से इतना क्यों घबराते है नारायण कि चौखट पर सारे अंतर मिट जाते है मै भी बना पंच तत्वों से प्रभु ने रचा मनोयोग से क्या जल अछूत पावक अछूत,धरती अछूत ,अम्बर अछूत अपने स्वारथ में रत होकर मानवता को बाँट दिया ज्ञान से मुझको वंचित कर अज्ञानी का नाम दिया |
कार्टून : संसद का 'महंगाई सत्र' (बामुल्लाहिजा) |
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चलिए अब चलते चलते जान लीजिए अपना मासिक राशिफल------अगस्त 2010** यह राशिफल जन्मकालीन चन्द्र राशि पर आधारित है. |
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वत्स जी, बडी बढिया चर्चा की है आपने, काफी उपयोगी पोस्टों के लिंग उपलबध हो गये इसी बहाने।
जवाब देंहटाएं…………..
पाँच मुँह वाले नाग देखा है?
साइंस ब्लॉगिंग पर 5 दिवसीय कार्यशाला।
सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा ...आभार
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा ...आभार!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा....... बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा....... बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया चर्चा।
जवाब देंहटाएंपंडित जी, चर्चा के लिए आपने बहुत ही अच्छी पोस्टस का चुनाव किया है/
जवाब देंहटाएंप्रणाम/
बढ़िया चर्चा !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा.......
जवाब देंहटाएंआज ही एक सप्ताह की यात्रा के बाद घर लौटा हूँ!
जवाब देंहटाएं--
चर्चा बाँचकर बहुत ही आनन्द आया!
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन कवरेज!
जवाब देंहटाएंआत्मवत् सर्वभूतेषु य: पश्यति स पंडित: अर्थात् जो समस्त प्राणियों में आत्मीय भाव रखता है, वही पंडित है। सभी प्रकार के ब्लोगों को समायोजित करने में आपके नाम की सार्थकता प्रकट होती है. मुझे स्थान देने के लिए आपको साधुवाद
जवाब देंहटाएंजय भीम अच्छी प्रस्तुति
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