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दोस्तों
लीजिये एक बार फिर हाजिर हूँ आपके समक्ष सोमवार की चर्चा के साथ
आज की चर्चा मे ज़िन्दगी के नये -पुराने रंग देखिये
आज की चर्चा मे ज़िन्दगी के नये -पुराने रंग देखिये
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देखिये ज़रा रविश जी अपने ब्लोग पर मह्बूबा की कितनी सुन्दर तस्वीर पेश कर रहे हैं------
48 मिनट पूर्व कस्बा qasba... पर ravish kumar
फैबइंडिया की चादर में लिपट कर सरकाये थे जब उसने पांव अपने वुडलैंड की चप्पलों में लुई वित्तॉं के थैले में भर कर मेकअप का सामान निकली थी वो बाहर जाने को मेरे ...समाचार
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2 घण्टे पूर्व गुरुकृपा हि केवलम् !... पर गुरुकृपा हि केवलम्
जप, तप, व्रत, उपवास, ध्यान, भजन, योग आदि साधन अगर सत्संग के बिना किये जायें तो उनमें रस नहीं आता। वे तो साधन मात्र हैं। सत्संग के बिना वे व्यक्तित्व का सिंगार ...समाज
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3 घण्टे पूर्व JYOTISH NIKETAN SANDESH... पर डॉ. उमेश पुरी 'ज्ञानेश्वर'
संसार में दो मुख्य तथ्य हैं- है या नहीं। इसको आप यूं भी कह सकते हैं कि आपके पास है या आपके पास नहीं है। है को धनात्मक और नहीं को ऋणात्मक कह सकते हैं। है के पार्श्व ...समाज
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ाअरुण जी का अन्दाज़ तो देखिये ----------ज़िन्दगी की रेल कैसे अन्तिम लक्ष्य तक पहुँचेगी ………बताने का अन्दाज़ बहुत ही खूबसूरत है------------
4 घण्टे पूर्व मन की लहरें... पर Arun Khadilkar
दौड़ती रेलगाड़ी का एक डिब्बा भीतर यात्री चल फिर रहे हैं डिब्बे के एक छोर से दूसरे छोर के बीच दोनों तरफ की दीवारों के बीच उनके चलने-फिरने में भी कोई न कोई ...समाज
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है अनंत यह आसमान , इसका कोई छोर नहीं , दूर क्षितिज में जब भी देखा , धरती आकाश को मिलते देखा , जब अधिक पास जाना चाहा , उनको दोराहे पर पाया , यह तो केवल भ्रम ही है , कि ...समाज
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5 घण्टे पूर्व बेचैन आत्मा... पर बेचैन आत्मा
एक दिन वह था जब मैं अपने ही घर की छत पर छोटे-छोटे गढ्ढे बना दिया करता था हम उम्र साथियों के साथ कंचे खेलने के लिए ! एक दिन यह है जब मैं अपने घर की दीवारों में कील ...समाज
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यहाँ देखिये …………ज़िन्दगी को समझने की जद्दोजहद मे जीते हर इंसान के ख्याल
8 घण्टे पूर्व दिल की बात... पर God's Son
कुछ लफ्ज़ ऐसे होते हैं जिन्हें बयाँ कर पाना उनके बारे में कुछ कह पाना बेहद मुश्किल होता है मसलन एक लफ्ज़ है ज़िन्दगी!! ज़िन्दगी लम्हों और एहसासों के बीच का एक ...समाज
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9 घण्टे पूर्व HAPPINESS RAINBOW... पर ATUL SANTOSH
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36 मिनट पूर्व धान के देश में!... पर जी.के. अवधिया
इक आग के दरिया में मै डूब के आया हूँ जिल्लत है मिली मुझको पर इश्क नहीं पाया हूँ कुचले हैं मेरे अरमां टूटी है मेरी आशा गैरों का सताया हूँ अपनों का रुलाया हूँ दिल ...समाज
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राकेश जी कितना सुन्दर संदेश दे रहे हैं-----------
54 मिनट पूर्व गांधी का देश... पर राकेश श्रीवास्तव
देखो हमारा वंश कितना आगे बढ़ गया, देखते ही देखते चाँद पर चढ़ गया, और हम अब तक पेड़ों पर कुलाटी मार रहे हैं ? चलो हम भी कुछ दिखाए ! एक नौजवान बंदर बोला, यार हम ...समाज
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57 मिनट पूर्व "अभिनन्दन"... पर योगेश शर्मा
हैं चिराग़ अपनी मर्जी के, न कायल रहमतों के हैं आँधियों और बढ़ो ,दम है तो बुझा दो , ये डर जिंदा रहने का, है हर खौफ़ से बढ़कर ,कभी ऐ मौत भूले से , ज़रा तुम तो डरा दो वो ...समाज
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सुधि मित्रों, मेरा सादर नमस्कार स्वीकार करें। अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रियाएं देकर मेरी हौसला आफजाई करने के लिए आप सभी का बेहद शुक्रगुजार हूँ, और गुजारिश करता ...समाज
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जंगली फ़ूलो का गुलदस्ता!!
मैने सोच लिया है इस बार
जब भी शहर जाउंगा,
एक खाली जगह देख कर
सजा दूंगा अपने
सारे ज़ख्म,
सुना है शहरों मे
कला के पारखी
रहते है,
सुंदर और नायब चीजों,
के दाम भी अच्छे मिलते है वहां।
पर डरता हूं ये सोच कर,
जंगली फ़ूलो का गुलदस्ता,
कोई भी नहीं सजाता अपने घर में!
खास तौर पे बेजान शहर में!
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posted by Jayant Chaudhary at * जयंत चौधरी - मृत्युंजय विचार * - 4 minutes ago
सीने में जब आग जलेगी, तब ही फौलाद पिघलेगा... भट्ठी में जब लपट उठेगी, नस नस में फिर वो बहेगा... मन में वो द्रढ़ता लाएगा, बाहों की शक्ति बनेगा... पर्वत भी आकर टकराएँ, उनका विध्वंस करेगा... अग्नि पथ पर बढ़न...
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posted by खुशदीप सहगल at देशनामा - 17 hours ago
*आओ रानी, हम ढोयेंगे पालकी,* ** *यही हुई है राय जवाहरलाल की,* *ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय* तो कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान अक्टूबर में भारत नहीं आ रही हैं...लेकिन उनके बेटे प्रिंस चार्ल्स उनकी नुमाइंद...
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posted by राकेश कौशिक at हृदय पुष्प - 17 hours ago
सन्नाटा था दूर गांव से एक पुराना कुंआ था। हार मान कर जीवन से एक वृद्ध वहां पर पहुंचा था।। लिए पुलिंदा अपमानों का तिरस्कार की गठरी भी। बूढा बदन बोझ भारी वही कुंआ उसकी मंज़िल थी।। कंपित–कदम एक बाहर एक कुंए में...
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posted by Raviratlami at रचनाकार - 28 minutes ago
*हँसिकाएँ* नाक आयकर अधिकारी ने रूपसी अभिनेत्री के घर छापा मारा तो उसका रूप सौंदर्य देखकर ठगे से हिरणी सी आँखें, तोते सी नाक देख इतना ही कह सके, ‘आपके सौंदर्य की धाक रहेगी हाथों के ही तोते उड़ेंगे… ...
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दोस्तों
आज की चर्चा को अब यहीं विराम देती हूँ-----------उम्मीद है आपको चर्चा पसंद आयी होगी------------आज काफ़ी
नये लिंक्स लेने की कोशिश की है।अपने विचारों से अवगत कराइये ताकि अगली चर्चा मे
आपके विचारों को मान दे सकूँ।
अब अगले सोमवार फिर मिलेंगे एक नये अन्दाज़ के साथ्।
नये लिंक्स लेने की कोशिश की है।अपने विचारों से अवगत कराइये ताकि अगली चर्चा मे
आपके विचारों को मान दे सकूँ।
अब अगले सोमवार फिर मिलेंगे एक नये अन्दाज़ के साथ्।
काफ़ी विभिन्न, ब्लोग से अवगत कराने के लिये,धन्यवाद!उपयोगी चर्चा!
जवाब देंहटाएंbahut badhiya charcha rahi aaj ki...
जवाब देंहटाएंaabhaar..
आज की चर्चा बहुत हा रंगीन और मनभावन रही!
जवाब देंहटाएं--
ऐसे लग रहा है जैसे कि इन्द्रधनुष
आसमान से उतरकर चर्चा में समा गया है!
हर तरह की पोस्टों की जानकारी के लिए धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंkuchh nai post dekhne ko mili...achhi charcha.
जवाब देंहटाएं...aabhaar.
मनभावन चर्चा |
जवाब देंहटाएंShukriya Vandana ji....hafte ki shuruaat badhiyaa ho gayi...aabhaar
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा..और बहुत से अच्छे लिंक्स देने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंअरे वाह ! यहाँ से तो बहुत सारे लिंक्स मिल गए ..शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंshukriya .....links dene ke liye
जवाब देंहटाएंshukriya .....links dene ke liye
जवाब देंहटाएंshukriya .....links dene ke liye
जवाब देंहटाएंshukriya .....links dene ke liye
जवाब देंहटाएंshukriya .....links dene ke liye
जवाब देंहटाएंshukriya .....links dene ke liye
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जवाब देंहटाएंupyogi ........charchamanch! ke through maine bahut se aise blog ki talash ki, jo mere liye dur tha........:)
जवाब देंहटाएंdhanyawad vandana jee!
चर्चा मंच पर आकार चर्चाओं का नया और सुंदर रूप देखने को मिलता है.
जवाब देंहटाएंआभार.
उपयोगी लिंक्स के साथ बेहतरीन चर्चा ! रंगों के समावेश से और भी सुन्दर बन पड़ी है ! आपकी मेहनत के लिए शुभकामनायें !!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन ब्लोग्स, बेहतरीन चर्चा. बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंबाहर मानसून का मौसम है
बाहर मानसून का मौसम है,
लेकिन हरिभूमि पर
हमारा राजनैतिक मानसून
बरस रहा है।
आज का दिन वैसे भी खास है,
बंद का दिन है और हर नेता
इसी मानसून के लिए
तरस रहा है।
मानसून का मूंड है इसलिए
इसकी बरसात हमने
अपने ब्लॉग
प्रेम रस
पर भी कर दी है।
राजनैतिक गर्मी का
मज़ा लेना,
इसे पढ़ कर
यह मत कहना
कि आज सर्दी है!
मेरा व्यंग्य: बहार राजनैतिक मानसून की
sundar aur aakarshak charcha
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा !!
जवाब देंहटाएंमेरी चर्चा को जगह देने के लिए आभार...
जवाब देंहटाएंजय हिंद...
सुंदर ,सार्थक चर्चा
जवाब देंहटाएंचर्चा मन को लुभा गई....
जवाब देंहटाएंहमारी पोस्ट को सम्मिलित नहीं करने के लिए आभार :)
bahut sundar charcha..
जवाब देंहटाएं