नमस्कार मित्रों।
कल जो टूटे थे रिश्ते आज वो लगते झूठे हैं ....
कल जो टूटे थे रिश्ते आज वो लगते झूठे हैं प्रीत डगर के काँटों से मेरे पाँव के छाले फूटे हैं शिकवों का दस्तूर नहीं ना है गिलों का कोई रिवाज़ नेह की वो सारी कोंपल बस कागज़ के गुल-बूटे हैं |
त्रासदियाँ
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झूठ पकड़ने वाला रोबॉट
जब मैं छोटा बच्चा था, कभी शरारत नहीं करता था.. ढँग की जब कोई बात सुने ना, फिर मैं दँगा करता था आज मेरा मन निट्ठल्ला डीप-रेस्ट है, मैंनें दू-दुगो पोस्ट लिक्खड्डाली.. और एक सब्सक्राइबर तक झाँकने न आया... |
अनन्त आखाश--वीर बहुटी पर निर्मला कपिला दीदी की कहानी अनन्त आकाश-- भाग- 1 पढिए। मेरे देखते ही बना था ये घोंसला, मेरे आँगन मे आम के पेड पर---चिडिया कितनी खुश रहती थी और चिडा तो हर वक्त जैसी उस पर जाँनिस्सार हुया जाता था। कितना प्यार था दोनो मे! जब भी वो इक्कठे बैठते ,मै उन को गौर से देखती और उनकी चीँ चीँ से बात ,उनके जज़्बात समझने की कोशिश करती।-- |
ऐसे सीखा बूढ़े तोते ने राम राम कहना! बूढ़ा तोता राम राम कहना नहीं सीख सकता"। अब हम भी तो बूढ़े हो गये हैं याने कि अब हम भी कुछ सीख नहीं सकते। पर कोशिश करने में क्या हर्ज है; आखिर कम्प्यूटर चलाना, वर्ड, एक्सेल, पॉवरपाइंट, पेजमेकर आदि हमने सन् 1996 में खुद का कम्प्यूटर खरीदने के बाद ही, याने कि छियालीस साल की उम्र के बाद ही, तो सीखा है, और वह सब भी खुद ही कोशिश करके। बस फोटोशॉप ही तो सीख नहीं पाये क्योंकि उसे सीखने की कभी प्रबल इच्छा ही नहीं हुई हमारी। और अब जब इसे सीखने की इच्छा हो रही है तो लगता है कि कहीं "सिर तो नहीं फिर गया है" हमारा। पर हमने भी ठान लिया कि सीखेंगे और जरूर सीखेंगे। आखिर जब ललित शर्माजी हमारा हेडर बना सकते हैं तो हम खुद क्यों नहीं? |
गैरजरूरी प्रार्थनाएं
आकाश और धरती में |
कौव्वे की कांव कांव , जाग उठा सारा गांव
गांव में सुबह से ही हलचल शुरु हो जाती है ।लोग अपने काम में लग जाते हैं । यहां मुम्बई में भी लोग भोर में चहल पहल शुरू कर देते हैं और नौकरी अर्थात दूसरे के काम में लग जाते हैं ।हां तो बात का रुख बदले इससे पहले बता दूं कि आज भी गांव में ग्रामीण-अलार्म की व्यवस्था काम कर रही है । नहीं समझे , अरे भाई ग्रामीण-अलार्म माने काग भुसुण्डी जी । काग भुसुण्डी भी नहीं जानते !!! अच्छा--- कौवा (Crow ) तो समझेंगे । याद आया सुबह की कांव कांव ,बिला नागा सही समय पर । |
गाँव....गोपन.....चाँद की गठरी.....खोज- खुलिहार ...और भरी दुपहरी.......सतीश पंचम
गाँवों में कई कहाँनिया...कई बातें....कई गोपन छिपे होते हैं.....आराम कर रहे होते हैं.....जिन्हें यदि खुलिहार दिया जाय तो ढेर सारी बातें उघड़कर सामने आ जांय ..... मानों वह बातें खुलिहारे ( छेड़े) जाने का ही इंतजार कर रही हों। |
“.. ..कुछ-कुछ होता है!” (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
दिल में कुछ-कुछ होता है, |
वो खिड़की उदास रहती है वो खिड़की, |
पहली बारिश और हम तुम.... सिमटे सिमटे |
दोस्तों पर्यावरण पर कुछ विज्ञापन कॉपी
दोस्तों पर्यावरण पर कुछ विज्ञापन कॉपी |
मंजिल के लिए
कहीं कोई अंतर ही नहीं, सारे रास्ते दर्द के तुमने भी सहे हमने भी सहे तुमको एक तलाश रही मेरे साथ विश्वास रहा |
क्षणिकाएँ...
परी..माँ... |
तेरी अनुकंपा सेमनोज पर मनोज कुमार |
मान गए मम्मी की एस्ट्रोलोजी को !! बात मेरे बेटे के बचपन की है , हमने कभी इस बात पर ध्यान नहीं दिया था कि अक्सर भविष्य की घटनाओं के बारे में लोगों और मेरी बातचीत को वह गौर से सुना करता है। उसे समझ में नहीं आता कि मैं होनेवाली घटनाओं की चर्चा किस प्रकार करती हूं। लोगों से सुना करता कि मम्मी ने 'एस्ट्रोलोजी' पढा है , इसलिए उसे बाद में घटनेवाली घटनाओं का पता चल जाता है। यह सुनकर उसके बाल मस्तिष्क में क्या प्रतिक्रिया होती थी , वो तो वही जान सकता है , क्यूंकि उसने कभी भी इस बारे में हमसे कुछ नहीं कहा। पर एक दिन वह अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर सका , जब उसे अहसास हुआ कि मेरी मम्मी वास्तव में बाद में होने वाली घटनाओं को पहले देख पाती है। जबकि वो बात सामान्य से अनुमान के आधार पर कही गयी थी और उसका ज्योतिष से दूर दूर तक कोई लेना देना न था। |
बस। |
धन्यवाद. कुछ और बेहतरीन पोस्टों के लिंक भी मिले.
जवाब देंहटाएंमान गए आपकी चर्चा करने की क्षमता को...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन..
आज तो बस कमाल की चर्चा हुई है....
सारे लिंक्स बेजोड़ लगे हैं...
बहुत बहुत धन्यवाद...
सुंदर चर्चा ,बेहतरीन पोस्टों के लिये धन्यवाद...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा!
जवाब देंहटाएं--
अच्छे लिंक मिल गये पढ़ने के लिए!
कुछ लिंक छूट गये थे, पढ़ आये ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद। सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा...अच्छे लिंक्स मिले
जवाब देंहटाएंचर्चित रचनाओं में खुद को देखना सुखद होता है
जवाब देंहटाएंमान गए आपको भी ..
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढिया प्रस्तुति !!
सुव्यवस्थित ,और विस्तार से चर्चा के लिये आभार।
जवाब देंहटाएंnice links
जवाब देंहटाएंमैंने भी कुछ कड़ियों पर जाकर देखा!
जवाब देंहटाएंअच्छी रचनाओं की चर्चा की गई है!
बहुत ही बढिया और सुन्दर चर्चा………………आभार्।
जवाब देंहटाएंdhanyawaad, is sundar charcha ke liye
जवाब देंहटाएंwaah
जवाब देंहटाएंbahut khoob !
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंमनभावन चर्चा. अच्छे लिंक्स मिले.
जवाब देंहटाएंआभार.
मनोजजी
जवाब देंहटाएंआपका शुक्रिया।
यह अच्छी बात है कि चर्चा मंच में चर्चा करने वाले तमाम ब्लागर इस बात की सूचना भी देते हैं कि आपकी पोस्ट शामिल की गई है। जाहिर सी बात है मन में अपनी पोस्ट को देखने की जिज्ञासा तो बनी रहती है। ठीक वैसे ही जैसे लेखक अपनी पहली किताब के लिए लालायित रहता है।
आपने मेरी पोस्ट को चर्चा के लायक समझा इस बाबत् आपका धन्यवाद।
मनभावन चर्चा मनोज जी!
जवाब देंहटाएंआभार्!
बहुत सुन्दर चर्चा!
जवाब देंहटाएंवाह वाह इंद्रधनुषी छटा बिखेरती चर्चा । बहुत ही सुंदर मनोज भाई , एकदम मनभावन चर्चा
जवाब देंहटाएंमनोज भाई !
जवाब देंहटाएंबहुत मुश्किल है सैकड़ों ब्लाग्स में से चर्चा के लिए कुछ ब्लाग को अपना मनपसंद बताते हुए उनके बारे में लिख पाना !
आप लोगों की मेहनत से बड़ी हिम्मत अफजाई होती है ! शुभकामनायें
बहुत ही अच्छी चर्चा!
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंअनुगृहीत हूँ, और क्या कहें..
मेरे उपेक्षित पोस्ट की सुध लेने के लिये धन्यवाद श्रीमन !