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रविवार, अगस्त 29, 2010

प्योर मैथ्स का रोमांस और पर्दा भी होना चाहिए ….चर्चा मंच --- 261 ..

नमस्कार , आज रविवार का दिन , यानि कि थोड़ा छुट्टी मनाने का मन …आराम आराम से काम करने का दिन …और मनोज जी तो छुट्टी पर ही चले गए …कोई बात नहीं ..उनकी तरफ से चर्चा ले कर मैं हाज़िर हूँ ..बस आज आप सबकी प्रविष्टियों पर चर्चा नहीं हो पायेगी …एक तरह से यहाँ नए और मेरी पसंद के चिट्ठों का संकलन है …आपातकालीन सेवा में त्रुटियाँ रह जाती हैं …अत: आप सभी से नम्र निवेदन है कि त्रुटियों पर ध्यान न दे कर चिट्ठों को पढ़ें और रविवार का आनन्द लें ….चर्चा में पहले काव्य कलश ….
My Photoस्वप्न मंजूषा जी को पढ़िए ..
हर मौज मगर क्यूँ लगती ज्यूँ, दामन हो साहिल का...
चल रहा काफ़िला दबे पाँव, धीरे-धीरे दिल का
और मुझे भी होश कहाँ, रास्तों का मंज़िल का
My Photo
डा० हरदीप संधू की रचना 
ओ कलम के धनी !
कलम से ज्यादा
ताकत नहीं रखती तलवार
लेकिन कलम की भी
होती है तेज़ धार
My Photo

कविता रावत जी पूछ रही हैं कि  
जिंदगी रहती कहाँ है
अपने वक्त पर साथ देते नहीं
यह कहते हुए हम थकते कहाँ है
ये अपने होते हैं कौन?
यह हम समझ पाते कहाँ है!
My Photo
शाहनवाज़ सिद्दीकी जी की एक गज़ल पढ़िए
यह दूरियों का सिलसिला कुछ इस तरह चला
यह दूरियों का सिलसिला कुछ इस तरह चला
कभी वो खफा रहे, तो कभी हम खफा रहे
रहते थे साथ-साथ मगर आज क्या हुआ
कभी वो जुदा रहे, तो कभी हम जुदा रहे
अनुपमा पाठक लिख रही हैं …
My Photo
कई बातों की बात अभी बाक़ी है ...
कुछ पहर शेष है ... रात अभी बाक़ी है
पर रात बीतेगी , उसे बीतना ही होगा ..
अहले सुबह की शुरुआत अभी बाक़ी है .
मेरा फोटो
वंदना जी तो खुद को ही डूबा हुआ बता रही हैं ..ज़रा देखें कैसे …

हम तो डूबे हुए अशआर हैं

हम तो डूबे हुए अशआर हैं 
दर्द बिन ग़ज़ल बन नहीं सकते 
बहर मात्राओं की जुगलबंदी बिन
मुकम्मल शेर बन नहीं सकते
मेरा फोटोअरुण चन्द्र राय जी आवरण के माध्यम से अपने प्यार को बताते हुए क्या कह रहे हैं …आप भी पढ़ें .. 

आवरण

आवरण
के पीछे
रहता है सच
आवरण झुठलाता है
सच को
देता है
नया अर्थ
नया रूप
मेरा फोटो

दिलीप लाये हैं कुछ नया कुछ अलग अंदाज़ में ….

कुछ ख्याल..

बारूद तो तुम्हारे सीने मे भी है, मेरे सीने मे भी...
बस देखना ये है की चिंगारी पहले किसे छूती है...
-------------------------------------------------------
रात के घर की रसोई की वो गोल खिड़की खोलो ना...
जाने कबसे वो चाँदी का गोल ढक्कन लगा हुआ है...
चूल्‍हे के धुएँ से रात की माँ का दम घुटता होगा...
मेरा फोटो
रश्मि जी कुछ खोयी खोयी सी हैं और पूछ रही हैं कि  

मैं कहाँ हूँ !!


मैं हमेशा खो जाती हूँ
फिर ढूंढती हूँ खुद को
सबके दरवाज़े खटखटाती हूँ
पर कहीं नहीं मिलती...
दम घुटता तो है
पर तलाश जारी है अपनी

वाणी गीत  इस बार लायीं हैं एक बहुत भाव पूर्ण रचना ..

विषकन्या


कन्यायें
यूं ही नहीं
रातो रात चुप चाप
तब्दील हो जाती है
विषकन्याओं में...
शिल्पकारशिल्पकार  ललित शर्मा जी  बता रहे हैं कि 
प्रिय तेरी याद आई

जब
मौसम ने ली अंगड़ाई
बदरी ने झड़ी लगाई
सूरज ने आँखे चुराई
तब,प्रिय तेरी याद आई।
जब
अपनो ने की बेवफ़ाई
पवन ने अगन लगाई
घनघोर अमावश छाई
तब,प्रिय तेरी याद आई
मेरा फोटो

आशा जी दिखा रही हैं 
एक झलक
है नई जगह अनजाने लोग ,
फिर भी अपने से लगते हैं ,
हैं भिन्न भिन्न जीवन शैली ,
भाषा भी हैं अलग अलग ,
पर सब समझा जा सकता है ,
उनकी आत्मीयता और स्नेह ,
गति अवरोध दूर करते हैं ,
मेरा फोटो
प्रतिभा सक्सेना जी को पढ़िए …

बार-बार आऊँगा

वाचक -आह रक्त की प्यास नजाने ,जाग जाग उठती क्यों ,
जाने क्यों शैतान उतर कर बार- बार आता है ,
फिर प्राणों के प्यासे बन जाते हैं भाई-भाई ,
उसी लाल लोहू से फिर इतिहास लिखा जाता है ,

वाचिका -मानव के मन कोई शैतान छिपा बैठा है ,
मौका पाते ही जो अपना दाँव दिखा जाता है ,
सींगों से वह निर्माणों को तहस-नहस कर देता ,
कठिन खुरों से सभी सभ्यता रौंद-रौंद देता है ,
My Photo
राजेंद्र स्वरंकर लिख रहे हैं

अभी रमज़ान के दिन हैं ! ईश्वर - अल्लाह एक हैं !

भुलादे रंज़िशो - नफ़रत , अभी रमज़ान के दिन हैं !
तू कर अल्लाह से उल्फ़त , अभी रमज़ान के दिन हैं !
इबादत कर ख़ुदा की , बंदगी  बंदों की ; करले तू
रसूलल्लाह से निस्बत , अभी रमज़ान के दिन हैं
My Photoविवेक रस्तोगी जी देखना चाहते हैं कि विजय किसकी होती है ..

देखना है रक्त की विजय !!! …

विषादों से ग्रसित जीवन,
रुधिर के थक्के
जीवन में जमते हुए,
खुली हवा की घुटन,
थक्के के पीछे
नलियों में, धमनियों में,
धक्के मारता हुआ
राजभाषा पर पढ़िए     विश्वास का उजास
रात कुछ गहरा सी गई है
शहर भी सारा सो सा रहा है
अचानक आता है -
कोई मंजर आंखों के सामने
ऐसा लगता है कि -
कहीं कुछ हो तो रहा है।
My Photo
शाहिद मिर्ज़ा जी की गज़ल का आनंद उठाइए .. 
पर्दा भी होना चाहिए

बेग़रज़ बेलौस इक रिश्ता भी होना चाहिए
ज़िन्दगी में कुछ न कुछ अच्छा भी होना चाहिए
बोलिए कुछ भी मगर आज़ादी-ए-गुफ़्तार में
लफ़्ज़ पर तहज़ीब का पहरा भी होना चाहिए
My Photo
हरीश जी  बात कर रहे हैं कुछ     अंतःकरण    की

वह साहस
बहुत मुश्किल से आता हैं
आपके भीतर से कोई चीखता हैं
रुकना नहीं
जो होगा देखा जायेगा
आप ठिठक देखते हैं
कोई नहीं हैं
आसपास
मेरा फोटो

उच्चारण पर पढ़िए  …  
“आज का समय” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)

आज समय का, कुटिल - चक्र चल निकला है।
संस्कार का दुनिया भर में, दर्जा सबसे निचला है।।
नैतिकता के स्वर की लहरी मंद हो गयी।
इसीलिए नूतन पीढ़ी, स्वच्छन्द हो गयी।।
अपनी गलती को कोई स्वीकार नही करता है।
अपने दोष, सदा औरों के माथे पर धरता है।।
अब काव्य रस का आसास्वादन कर लेने के बाद  ले चलती हूँ कुछ बौद्धिक बातों पर ….अब आप कहेंगे कि क्या कविता मैं बुद्धि नहीं लगती ….लेकिन मैंने ऐसा नहीं कहा है …:) कविता में मन का भाव ज्यादा महत्त्व रखता है …  संवेदनशीलता ज्यादा होती है ….और लेखों में दिल से ज्यादा तर्क  काम  करता है …तो लीजिए अब हम ले चलते हैं तर्क के क्षेत्र में …
मेरा फोटोराजीव खंडेलवाल बता रहे हैं ….संसद के इतिहास का काला दिन
गत शुक्रवार को भारतीय संसद में सांसदो का वेतन १६ हजार से बढ़ाकर ५० हजार व अनेकानेक भो भी गई गुना बढ़ाये जाने का प्रस्ताव सर्वसमति से पारित किया गया और इसके ४ दिन बाद ही सोमवार केबिनेट ने पुनः १० हजार रुपये की पैकेज में वृद्धि के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की। इस प्रकार लगभग ८४०००/- से अधिक की कुछ वृद्धि वेतन व अन्य भाड़ो में हुई।
My Photoप० डी० के० शर्मा “वत्स" बता रहे हैं …   कर्म चक्र, भाग्य और आधुनिक विज्ञान
पिछले आलेख में आपने जाना कि कर्म का सिद्धान्त कोई धार्मिक अवधारणा नहीं है बल्कि कार्य-कारण के नियम से बँधा विशुद्ध् भौतिकी का ही सिद्धान्त हैं. अब सवाल ये उत्पन होता है कि कार्य-कारण के अटल नियम में से बच निकलने का इन्सान के पास कोई रास्ता नहीं, तो क्या कर्म के बन्धनों से बच निकलने का भी कोई रास्ता नहीं हैं ?
मेरा फोटोदीपक जी का ब्लॉग है ..दीपक बाबा की बक –बक …और वो बता रहे हैं …
शीला दीक्षित - हे दिल्ली की अर्राध्य देवी - तुम नमन है
हे हाईकमान नन्दनी, दिल्ली में आपके महंगाई जनक आदेशों से दबा हुवा शहरी होने के नाते में तुम्हे प्रणाम करता हूँ. मैडम जी, जिस प्रकार आप दिल्ली १९९८ से दिल्ली की बागडोर हाई कमान की इनायत से संभल रही हैं – उसे में अभिभूत हूँ – और आपके समक्ष नतमस्तक होकर आपको दुर्गेश नन्दनी की तर्ज़ पर हाईकमान नन्दनी के खिताब से नवाजता हूँ.
लोक संघर्ष पर पढ़िए सुमन जी का लेख …
हिन्दुवत्व वादी संगठन उन्माद फैलाने की तैयारी में
सितबर माह में बाबरी मस्जिद प्रकरण में माननीय उच्च न्यायलय, इलाहाबाद खंडपीठ लखनऊ काफैसला आने वाला है। उस फैसले के मद्देनजर हिन्दुवत्व वादी संगठनो के नेता व कार्यकर्ताजगह-जगह धार्मिक उन्माद फैलाने के लिए प्रष्टभूमि तैयार कर रहे हैं

चंद्र भूषण जी लाये हैं गणित गाथा 

प्योर मैथ का रोमांस


अट्ठारह साल के एक नौजवान ने अपने पिता को लिखे पत्र में बड़े उत्साह से अपने रिसर्च टॉपिक के बारे में बताया। जवाब में भेजी गई चिट्ठी में पिता ने लिखा- मेरे बेटे, समानांतर रेखाओं के फेरे में तो तुम हरगिज न पड़ना। यह रास्ता मेरे लिए अच्छी तरह जाना-बूझा है। न जाने कितनी अंतहीन रातें जाग कर मैंने इसकी थाह लेने की कोशिश की है लेकिन मेरे जीवन की सारी रोशनी, मेरी सारी खुशी इस प्रयास में स्वाहा हो गई।
हमज़बान पर शहरोज़  लाये हैं    .. सैयद एस क़मर की कलम से 

पैसे से खलनायकी ...सफ़र कबाड़ का

 उड़ीसा से छत्तीसगढ़ तक वेदांता की ख़ूनी रेल

यह कोई फ़िल्मी  कहानी नहीं है जिसमें एक कुली मजदूर किस तरह रातों रात खरब पति बन जाता है,यह कहानी वेदांता जैसी कंपनी के मालिक की  है, जिसकी छवि आम लोगों के दरम्यान खलनायक की है ,लेकिन उसे  नायक बनाने के लिए कुछ अफसरों और राजनेताओं ने सारे नियम-कानून को धता बताते हुए ज़मीन-आसमान एक कर दिए हैं
My Photo
संगीता पूरी जी  गत्यात्मक ज्योतिष सिखाते हुए बता रही हैं कि -
गोचर क्‍या होता है ??

ज्‍योतिष में रूचि रखने वाले भी बहुत लोग गोचर का अर्थ नहीं जानते हैं। पृथ्‍वी के सापेक्ष सभी ग्रहों की गति ही गोचर कहलाती है। आकाश में वर्तमान में कौन सा ग्रह किस राशि और नक्षत्र में चल रहा है, यही ग्रहों का गोचर है , जिसे हम पंचांग के माध्‍यम से जान पाते हैं। भले ही हम जीवनभर की परिस्थितियां अपने जन्‍मकालीन ग्रहों से प्राप्‍त करते हों , पर गोचर का विचार फलित करते समय महत्‍वपूर्ण माना जाता है , क्‍यूंकि अस्‍थायी समस्‍याओं को जन्‍म देने में इसकी बडी भूमिका होती है। '
[IMG_0155[9].jpg]मनोज जी मनोज ब्लॉग पर लाये हैं .. 
फ़ुरसत में… साहब आप भी न.....
सुबह सुबह मॉर्निंग वाक पर जाता हूँ। सवा से डेढ़ घंटे की हमारी सैर होती है। जिस दिन जैसा स्‍पीड रहा। कभी ब्रिस्‍क वॉक, तो कभी फ़्रिस्क (frisk – to move sportively), कभी कभी तो रिस्‍क वॉक भी हो जाता है। अब उसी दिन एक टैक्सी वाला छूकर कर निकल गया, बाल-बाल बचा
My Photoपी० सी० गोदियाल जी अंधड पर आंधी ला रहे हैं …..

अन्य धर्मों द्वारा फैलाया जा रहा यह आतंकवाद तो कौंग्रेस और गृहमंत्री जी को नजर ही नहीं आता !

अपने मोहरों को बारी-बारी से आगे करके राजनीति की विसात पर जमकर राजनैतिक फायदा कैसे उठाया जाता है, मैं समझता हूँ कि हमारे राजनैतिक दलों को यह खेल कौंग्रेस से सीखना चाहिए ! अभी ताजा उदाहरण गृहमंत्री पी चिदंबरम का वह बयान है जिसमे उन्होंने भगवे को ही आतंकवाद का खिताब दे डाला
My Photoराज कुमार सोनी जी बिगुल पर दिखा रहे हैं कुछ  सपने ….

सबसे खतरनाक होता है हमारे सपनों का मर जाना
कवि पाश की यह बात पूरी तरह से सच है क्योंकि एक सपना ही है जो हमें आगे बढ़ाता है, पीछे धकेलता है और रास्ता भी बताता है। अब सवाल यह है कि सपनों को हकीकत में बदलने के लिए क्या किया जाए। अव्वल तो पहले वही सपना देखना चाहिए जिस सपने से आपका आत्मीय रिश्ता कायम हो सकें। अब हेमामालिनी का सपना देखकर कोई यह सोचे कि उसकी बिटिया से ब्याह कर लेगा तो इसे सपना मानना भी गलत है।
My Photo
राजीव ओझा जी मिलवा रहे हैं कुछ ब्लोगर्स से …आप भी मिलिए ..
भौकाली ब्लॉगर
कालेज डेज में हम लोगों को नसीहत दी जाती थी कि खाली, बीए-एमए करने से कुछ नही होगा. कुछ बनना है तो स्पेशलाइज्ड फील्ड चुनो. इसी तरह जर्नलिस्टों की जमात में घुसने पर सीनियर्स ने कहा आगे बढऩा है तो स्पेशलाइज्ड फील्ड पकड़ो. उस समय एड्स के बारे में कम ही लोग जानते थो सो इस पर खूब ज्ञान बघारा.


प्रवीण पाण्डेय  जी ने इतिहास बदल दिया है ….महाभारत १८ दिन की  जगह २१ दिन की  ले कर आये हैं ….नहीं विश्वास तो आप भी पढ़ें …
21 दिवसीय महाभारत
21 दिन पहले मानसिक ढलान को ठहरा देने का वचन किया था, स्वयं से। वह वचन भी नित दिये जाने वाले प्रवचनों की तरह ही प्रभावहीन निकल गया होता यदि उसमें रॉबिन शर्मा की 21 दिवसीय सुधारात्मक अवधि का उल्लेख न होता। जिस समय 21 दिन वाले नियम का उल्लेख कर रहा था, खटका उसी समय लगा था कि कहीं अपनी गर्दन टाँग रहा हूँ।
आज की चर्चा को यहीं विराम देती हूँ …..उम्मीद है कि आपको पसंद आएगी ….आपकी प्रतिक्रियाएं हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत हैं ….शुक्रिया …नमस्कार

27 टिप्‍पणियां:

  1. आभार !!!!एक साथ इतने लिंक्स को समेटने के लिए ...
    आसान हो जाता है सबको पढ़ना ....धन्यवाद ...

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  2. हमेशा की तरह बहुत अच्छी चर्चा ....
    आभार !

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  3. संगीता स्वरूप जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!
    --
    तत्काल सूचना पर इतनी बढ़िया चर्चा कर दी आपने तो!

    जवाब देंहटाएं
  4. कुछ पोस्टों को देखने के बाद लगा कि देर रात तक आपने चर्चा लिखी है. आपकी मेहनत और चर्चा करने के जज्बे हो हम सैल्यूट करते है.

    चर्चा में उम्दा लिंक संजोने के लिए एवं मेरी कविता को स्थान देने के लिए आपका कोटिश आभार.

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  5. मेरी रचना आज के चर्चा मंच में शामिल करने के लिए आभारी हूं |
    आप और आपके टीम सदस्यों से जो स्नेह और प्रोत्साहन मुझे मिल रहा है ,उसका धन्यवाद कैसे करूं ,समझ नहीं पा रही हूं |
    शायद आपको पता न हो ब्लॉग बनाने की प्रेरणा मुझे मेरी छोटी बहन साधना वैद से मिली है |मुझे तो कम्पूटर भी ठीक से ऑपरेट करना नहीं आता था
    आशा

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  6. बहुत अच्छी चर्चा।

    हिंदी, नागरी और राष्ट्रीयता अन्योन्याश्रित हैं।

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  7. आपके मंच से हर बार कुछ बहुत अच्छे लेखों के बारे में जानकारी मिल जाती है। लाभान्वित कराने का आभार।

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  8. वाह बहुत सारे ब्लाग कवर किए हैं आपने. धन्यवाद.

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  9. हमेशा की तरह बहुत अच्छी चर्चा, मेरी कविता को स्थान देने के लिए आपका कोटिश आभार...!!

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  10. किसी और को काम पर लगा कर आराम करने का लुत्फ़ ही कुछ और है।
    सदा की तरह आज का भी अंक बहुत अच्छा लगा।
    हमारे ब्लॉग को स्थान और सम्मान देने के लिए आभार।

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  11. एक और उम्दा और बेह्तरीन ब्लोग चर्चा के लिये आपका आभार संगीता जी!

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  12. आप के परिश्रम का लाभ उठाते हैं हम ,चुन-चुन कर रचनाएं आप रखती हैं और खुराक पा जाते हैं हम .
    आपके और इन रचनाकारों के आभारी हैं हम !

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  13. i read the posts in charchmanch often!
    it is nice to see my poetry too included here....thanks for the same!
    these collective thoughts not only inspire , they r treasurable too!!!
    itne rachnakaron ko ek saath padhna sundar anubhuti hai....
    subhkamnayen:)

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  14. एक से बढ़कर एक बेहतरीन रचनाओं के लिंक्स...... बहुत खूबसूरत चर्चा.....

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  15. मेरी ग़ज़ल को भी शामिल करने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया.

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  16. हमेशा की तरह एक बार फिर खूबसूरत और सारगर्भित चर्चा……………………काफ़ी लिंक्स मिल गये ………………आभार्।

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  17. में बोलता बहुत हूँ, घर-परिवार और यार दोस्त कहते हैं - बक बक बहुत करता है. आप जैसे बुद्धिजीवीयों के चिट्ठे पड़ कर लगा की बक बक को लिखने भी लग जायूं.

    मज़े की बात है - बक बक चालू कर दी है .... और आप सब का स्नेह बराबर मिल रहा है. आज मेरे चिट्ठे को आपने चर्चा में शामिल किया .... इसके लिए आभार........

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  18. Aapki aabhari hun ki aapne bahut mehnat kar blog charcha mein meri post shamil kar mujhe protsahit kiya... iske saath hi bahut achhi links padhne ke sugamta huyee...
    ...Aapka bahut bahut dhanyavaad

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  19. सभी चर्चाकारोँ को नमस्कार जी! चर्चा मंच पर आकर अच्छा लगा। लेकिन मैँ यह जानना चाहता हूँ कि अपनी रचनायेँ चर्चामँच पर कैसे शामिल की जाती है। - MY E-mail :- ashok.kr0106@gmail.com ब्लोग पर आने के लिए आप इस लिँक पर क्लिक कर सकते है।

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  20. "सुबह सुबह मॉर्निंग वाक पर जाता हूँ।"

    मार्निंग वाक सुबह सुबह ही होती है ना :)

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  21. आपकी पसंद के चिट्ठों का संकलन है और ये आपातकालीन चर्चा अच्छी रही.

    आभार.

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  22. बहुत झन्नाट चर्चा करते हैं शाश्त्रीजी आप तो.

    रामराम.

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  23. आपकी आज की ये त्वरित चर्चा भी सदैव की भान्ती ही बेहतरीन लगी.....बहुत बढिया लिंक्स संजोए हैं आपने..
    आभार्!

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  24. संगीता जी, बेहतरीन सज्जा के साथ रोचक शैली में प्रस्तुत की गई चर्चा बहुत अच्छी लगी.
    जज़्बात को स्थान देने के लिए शुक्रिया
    http://shahidmirza.blogspot.com/

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