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बुधवार, मई 16, 2012

रविकर के छल-छंद - चर्चा-मंच 881


(1)

पढ़ि-लिखि के भकुआ बने यार !

संतोष त्रिवेदी at बैसवारी baiswari  
22 वीं वर्षगाँठ पर शुभकामनाएं 
बाइस पसेरी में बिका, भैया सारा धान |
रचो सुरक्षित बाइसी, करो सती-गुणगान |
करो सती-गुणगान, मान लो उनका कहना |
बाई ना चढ़ पाय, करो अब बंद उलहना |
अगर अकेला पाय, कहीं जो अधिक सताइस |
बैसवार से आय, धमकिहैं साले बाइस ||


(2)

  A

कार्टून तो आप हैं जिन्हें कार्टून समझने की बुद्धि ही नहीं...

  ZEAL 
कार्टून में हैं रखे, नोट वोट के थाक |
जर-जमीन लाकर पड़े, है जमीर पर लाक |
है जमीर पर लाक , नाक हर जगह घुसेंड़ें |
बड़े बड़े चालाक, चलें लेकिन बन भेड़ें |
रविकर रक्षक कौन, जहर जब भरा खून में |
कार्टून नासमझ, भिड़े इक कार्टून में ||

  B

होती क्या है टीके की दवा वैक्सीन ?

veerubhai at ram ram bhai 

टीका पर करते सटीक, टीका टिप्पण आप |
लोहा लोहे से कटे, कटे विकट संताप |
कटे विकट संताप, सूक्ष्म विश्लेषण करते |
नकारात्मक पक्ष, सावधानी  भी धरते |
टीका पर रख ध्यान, करे ना जीवन फीका |  
रविकर करे सचेत, समझ कर लेना टीका ||

  C

"बन्दीघर में पाला जायेगा" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

कहो कसाई को अब साईं, वही गुसाईं  है भाई  |
जब कसाब साहब बन जाए, होती सब बेकार दुहाई ||

आधा सच भी नहीं दिखाते -सच कैसे मीडिया बताई |
चांदी के जूते खा-करके, होती गुरुवर आज छपाई ||

D

Hindi Topics

मां के साथ हुए गैंग रेप का एकमात्र गवाह था, जिंदा जला डाला

 चिंटू जैसे केस नित, सहता रहा बिहार ।
होय दबंगों के घरे, हर रिश्ते की हार । 
हर रिश्ते की हार, बहन बेटी पर आफत ।
केवल सेक्स विचार, छोड़ते रहे शराफत ।
ऊपर से छह इंच, नहीं अब बीच काट दो ।
बहुत बड़े यह मर्द, नपुंसक बीच बाँट दो ।।

E

बेटी,,,,,

प्रस्तुति यह उत्कृष्ट है , रची 'धीर' गंभीर ।
फटें बिवाईं आपनी, तब जाने पर-पीर ।।

A

दशक का ब्लॉगर, एक और गड़बड़झाला

Blog ki khabren at Blog News  

चर्राया है शौक पुराना, महिमा मंडित करने का |
इसकी टोपी उसके सर पर, उसकी अपने धरने का | 

टुकड़े टुकड़े में है दुनिया, इसको और कुतरने का |
आधा सच कह देता रविकर, डाट-डैश में भरने का ||

  B

गाँव

  अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ)  
गाँव-राँव की बारीकी से,  वर्णन करते चले अरुण |
बाराहमासों के अलबेले, रंग ब्लॉग पर मले अरुण |

रहन-सहन संजीव कबड्डी, तीज और त्योहारों का-
जीव-जंतु मजदूर किसानों, पर लिखते हैं भले अरुण ||


A

महामारी के समय की गई सेवा

मनोज कुमार at विचार
मिट्टी की पट्टी करे, जहाँ रोग उपचार |
गांधी जी का शुद्ध चित्त, ठीक करे बीमार |
ठीक करे बीमार, स्वयं भी रहे निरोगी |
उदाहरण ना अन्य, मिलें ना ऐसे योगी |
बड़ा भयंकर प्लेग, जहाँ गुम सिट्टी-पिट्टी |
गई व्यवस्था भाग, वहाँ बापू की मिट्टी ||

B

मत पूछ मेरे हौसलों की हदों के बारे में

रश्मि प्रभा... at वटवृक्ष  
भरपूर हौसला साथ लिए, जोखिम को तत्पर भैया ।
ख्वाहिश है आकाश सरीखी, बाधा लेती रही बलैया |


दर्द दवा से रहे चुराते, तकलीफें ताकत बनती -
देख हौसले मेरे ऊंचे,  किस्मत
कह दैया रे दैया ||

(5)

  (प्रवीण पाण्डेय) at न दैन्यं न पलायनम्

सट्टा शेयर जुआं से, रह सकते हम दूर |
जीवन के कुछ दांव पर, कर देते मजबूर |
कर देते मजबूर, खेलना ही पड़ता है |
पौ बारह या हार, झेलना ही पड़ता है |
पड़ता उलटा दांव, शाख पर लागे बट्टा |
बने सिकंदर जीत, खेल के जीवन सट्टा ||

  B

मेरे दोस्त, मैं एक बार मरना तो चाहता हूँ


मरकर ज़िंदा हो रहे, है हिम्मत का काम |
डबल बहादुर हैं प्रभू , बारम्बार सलाम |
बारम्बार सलाम, करे कुछ लोग तगादा |
बीबी ढूँढे  काम,  दोस्त दस बाढ़े ज्यादा |
बेटा डबल सवार, ढूंढता नया परिंदा |
ठीक-ठाक परिवार, करो क्या होकर ज़िंदा ||

(6)

दादा दादी देव, दुआ दे दुर्लभ दृष्टी-

टूटते परिवार, बिखरता समाज – विश्व परिवार दिवस पर कुछ विचार

मनोज कुमार at विचार  
संसाधन सा जानिये, संयुत कुल परिवार |
गाढ़े में ठाढ़े मिलें, बिना लिए आभार |
बिना लिए आभार, कृपा की करते वृष्टी |
दादा दादी देव, दुआ दे दुर्लभ दृष्टी |
सच्चे रिश्ते मुफ्त, हमेशा भला इरादा |
रखे सकल परिवार, सदा अक्षुण मर्यादा |

(7)

गर्भवती हो जाय, ढूँढ़ता कुत्ता अगली-

  (सतीश पंचम) at सफ़ेद घर
विज्जेनर नर-श्रेष्ठ है, ज्यों बरदन में सांढ़ ।
गाँव-रांव का क्लेश है, दुर्बल जन में चांड़ |
दुर्बल जन में चांड़, गालियों का है ज्ञाता |
जीव-जंतु क्या बाप, खेत निर्जीव अघाता |
ऐसे ग्यानी पुरुष, भरे हैं घर में पानी |
घर अन्दर महराज, हाल होते  कुतियानी ||

B

"बच्चा बिकाऊ है"

ई. प्रदीप कुमार साहनी at भारतीय नारी  

 पगली है तो क्या हुआ, मांस देख कामांध ।
 अपने तीर बुलाय के, तीर साधता सान्ध |
तीर साधता सान्ध, बांधता जंजीरों से |
घायल तन मन प्राण, करे जालिम तीरों से |
गर्भवती हो जाय, ढूँढ़ता कुत्ता अगली |
दुष्ट मस्त निर्द्वन्द, करे उसका क्या पगली ||

"कार्टून और लंगोट "

Sushil at "उल्लूक टाईम्स "
कार्टून के भूत से, लक्ष्मण है हैरान |
दलित प्रेम के प्रेत ने, ले ली उनकी जान |
ले ली उनकी जान, बड़ी चुड़ैल भी गुस्सा |
गिने "चुने" ये लोग, भरा गोबर या भुस्सा ||
भागे रविकर भूत,  लंगोटी खूब संभाली |
रही भली मजबूत, ढील होवे ना साली ||

जाट खड़ी करने लगा, अब कइयों की खाट |
लट्ठ हाथ में ले खड़ा, हंसी-ठहाका बाँट |

(9)

A

जीवन ...

  (दिगम्बर नासवा) at स्वप्न मेरे................   

परिभाषित जीवन किया,  दृष्टिकोण में दर्द ।
प्रेम तमन्ना कर्म पर,  मजबूरी का गर्द ।
मजबूरी का गर्द , हुआ जीवन पर हावी ।
बंधी सांस की डोर, खींचता जीवन भावी ।
 हुए दिगंबर राम,  फिरें भटकें वन-वासित ।
मजबूरी का दंश, करे जीवन परिभाषित ।।

B

अकेली स्त्री -- समाज और असहिष्णुता

ZEAL at ZEAL  
दुर्घटना के गर्भ में, गफलत के ही बीज |
कठिनाई में व्यर्थ ही, रहे स्वयं पर खीज |
रहे स्वयं पर खीज, कठिन नारी का जीवन |
मौका लेते ताड़, दोस्ती करते दुर्जन |
कर रविकर नुक्सान, क्लेश देकर के हटना |
इनसे रहो सचेत, टाल कर रख दुर्घटना ||

  (10)

कौन सही है मैं या मेरा नक्चढ़ा दिल...

अभिषेक प्रसाद 'अवि' at खामोशी...  

 दिल तो लल्लू है सखे, सगी हैं दोनों आँख |
चले फिसलता हर घरी, बुद्धि सिखाये लाख |

बुद्धि सिखाये लाख, फफोले दिल के फोड़े |
बाहर करे गुबार, किन्तु ना उनको छोड़े |

रविकर कर विश्वास, हुआ है बड़ा निठल्लू |
पल्लू की ले आस, घुमाता दिल तो लल्लू ||

(11)

संतानों के सृजन से, माँ का जीवन धन्य-

  A

कविवर डी तन्गवेलन की हिन्दी कविता --मातृत्व की महक ... डा श्याम गुप्त

गमला पौधा सुमन खुश, आँगन भी अन्यान्य |
संतानों के सृजन से, माँ का जीवन धन्य |
माँ का जीवन धन्य, किया बढ़िया विश्लेषण |
तंगवेलन कविराज, मस्त भावों का प्रेषण |
बहुत बहुत आभार, डाक्टर श्याम पुरौधा |
प्रस्तुत रचना पाठ, खिला मन-गमला-पौधा ||

  B

चिकनी चूपड़ी मज़े लेके खाना कटि प्रदेश बढ़ाना

veerubhai at ram ram bhai 
चुपड़ी ललचाती रहे, रुखा- सूखा खाव |
दरकिनार नैतिक वचन, बेशक नहीं मुटाव |
बेशक नहीं मुटाव, चढ़ी चर्बी है भारी |
डूब रही है नाव, ढेर  काया बीमारी |
यह प्रस्तुत सन्देश,  घुसा के रखियो खुपड़ी |
लगे हृदय पर ठेस, बुरी है भैया चुपड़ी ||

  C

किशोरों में बढ़ती अपराध प्रवृति

Kailash Sharma at Kashish - My Poetry  
नैतिक शिक्षा पुस्तकें, सदाचार आधार  |
इन से भी ज्यादा महत्त्व, मात-पिता व्यवहार |
मात-पिता व्यवहार, पुत्र को मिले बढ़ावा |
पति-पत्नी तो व्यस्त, बाल मन बनता लावा |
खेल वीडिओ गेम, रहे एकाकी घर पर |
मारो काटो घेर, चढ़े फिर उसके सर पर ||

 (12)
S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib')    

एहसासात... अनकहे लफ्ज़.

संग तुम अविराम हो

  माँ दहकती धूप में तुम छांव हो तुम शाम हो। 
स्वेद से जब मन भरा हो, सांस हो, आराम हो। 

दीप आशा हो तुम्हीं, तुम आरती हो श्लोक भी,
जब जुबां खोली, निकलता, एक पावन नाम हो। 

(13)

"समय का कुटिल-चक्र" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')



आज समय का, कुटिल-चक्र चल निकला है।
संस्कार का दुनिया भर में, दर्जा सबसे निचला है।।

नैतिकता के स्वर की लहरी, मंद हो गयी।
इसीलिए नूतन पीढ़ी, स्वच्छन्द हो गयी।।

28 टिप्‍पणियां:

  1. चर्चा मंच टिप्पणियों से सजी पोस्ट पाकर धन्य हो गया!
    आभार...!

    जवाब देंहटाएं
  2. चर्चा मंच टिप्पणियों से सजी पोस्ट पाकर धन्य हो गया!
    आभार
    HAPPY FAMILY DAY CHARCHA MANCH .
    RAVIKAR AND FAMILY,ALL BLOGGERS.

    जवाब देंहटाएं
  3. चार्चा मंच पर आज की टिप्‍पणीया कुछ विशेष जानकारी की और प्रेरण प्रदर्शित कर रही है मंच पर लेख केशोरो मे बढती अपराध प्रवति बहुत अच्‍दा लगा

    जवाब देंहटाएं
  4. चर्राया है शौक पुराना, महिमा मंडित करने का |
    इसकी टोपी उसके सर पर, उसकी अपने धरने का |

    Nice links.

    Thanks.

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट पर आपका पुन: स्वागत है । धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  6. लिखने वाला कील बनाता है
    हथौड़ा भी साथ ले जाता है
    रविकर ही लेकिन उसे ठोकने
    की हिम्मत कर पाता है
    अपनी टिप्पणी से कील
    पर वो हथौड़ा चला ले जाता है।

    वाह !!!
    आभार भी साथ में !!

    जवाब देंहटाएं
  7. Sabse pahle to mere post ko shaamil karne ke liye dhanyavad charcha manch ka... Har baar kee hi tarah is baar bhi umda posts ke link mil gaye... alag-alag blog pe ja kar post dhundhne kee sardardi se chhutkara dilata hai ye... mera aabhaar aur dhanyavaad...

    जवाब देंहटाएं
  8. बातों पर बातें ,
    बड़ी मज़ेदार और रसभरी घातें !

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत बढ़िया लिंक्स
    बढ़िया चर्चा प्रस्तुति
    आभार!

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  10. रवि सोम मंगल बीते, आया दिन बुधवार
    रविकर कर रवि आरती,करन चले सिंगार
    करन चले सिंगार , चर्चा-मंच दुल्हनियाँ
    लेख बने गलहार , गीत कविता पैंजनियाँ
    चूड़ी बिंदी निखर, गई है दुल्हन की छवि
    बहुत लगन सिंगार , कराते आये हैं रवि

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  11. बहुत ही सुन्दर लिंक्स एक से बढ़कर एक बहुत अच्छा चर्चामंच सजाया है रविकर जी ...आभार

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत ही अच्‍छे लिंक्‍स का चयन किया है आपने ...आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  13. काव्यमय चर्चामंच ... रोचक लिख और उनका परिचय ...

    जवाब देंहटाएं
  14. शुक्रिया मुझे भी शामिल करने का ...

    जवाब देंहटाएं
  15. काव्यमय करीने से सजी सुंदर चर्चा,,,,,,,,,,,
    मेरी रचना को मंच में स्थान देने के लिए आभार,....

    जवाब देंहटाएं
  16. लिंक्स पर टिप्पणियों ने चर्चा को और रोचक बना दिया...आभार

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  17. Wonderful presentation ! Your counter comments are just awesome !....Thanks Sir.

    जवाब देंहटाएं
  18. अलग ही अंदाज की सुन्दर चर्चा... बढ़िया लिंक्स...
    सादर आभार.

    जवाब देंहटाएं
  19. आपकी टीप से मालामाल यह चर्चा वाकई निराली है.मुझे बाईस-साला मुबारकवाद देने का आभार !
    यहाँ शामिल करने का शुक्रिया ,रविकर भाई !

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  20. इस मंच पर हो रही कविता की बारिश में भींज कर इस जेठ की तपती गर्मी में थोड़ी राहत मिली।

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  21. kyaa baat hai .....

    ravikar kee kundaliyaan hain.
    kyaa mast jalebiyaan hain .

    baahar hoon ..hindi naheen likh paarahaa hoon...

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  22. टिप्पणियों से सजी सुन्दर चर्चा | मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार | देर से आने के लिए क्षमा | बिजली की हालत बहुत बुरी है यहाँ |

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  23. कल 19/05/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी http://nayi-purani-halchal.blogspot.in (यशोदा अग्रवाल जी की प्रस्तुति में) पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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