आज तलक अवकाश रहा-
अन्नाबाबा की पुत्रवधू पारुल और पुत्र अंशुल की प्रथम वैवाहिक वर्षगांठ है आज
अद्भुत अंशुल की सदा, प्यारी पारुल प्रीत ।
वर्षगाँठ मनती रहें, बने रहे मनमीत ।।
"कुछ हिस्सों का पटाक्षेप कभी नहीं होता " (चर्चा मंच-908)
लौटा बुद्धू घर को आया, लम्बा बहुत प्रवास रहा |
स्नेह-सिक्त पवनों के झोंके, अभिनव बेहद ख़ास रहा |
स्नेह-सिक्त पवनों के झोंके, अभिनव बेहद ख़ास रहा |
सुबह सुबह आकर बैठा हूँ, भीषण गर्मी अकुलाये -
कल से नियमित फिर आऊँगा, आज तलक अवकाश रहा ||
चिरकुट-चूहों से बचाओ !
संतोष त्रिवेदी
चिरकुट चूहों की हरकत पर, "चाची" का *चूँचरा सुना ।
*बहाना/ विरोध
आज तलक क्या सफ़ेद हाथी, गन्ना खाकर मरा सुना ??
आज अन्न पर प्रेक्टिस करते, कल अन्ना को धरा सुना ।
जनता से सत्ता ना डरती, ज्ञापन से क्या डरा सुना ??
क्रांति...
सक्रिय सहभागिता मेरी
जीवन के हर एक स्पंदन और विचलन में उच्छृंखलता और नियमन में चढ़ान और फिसलन में अवसाद और थिरकन में... पर साथ-साथ फन उठाये एक डर भी उलझाता एक एहसास भी |
झुलसे खर-पतवार हैं, सूख चुकी जब मूंज ।
पड़ी दरारें खेत में, त्राहिमाम की गूँज ।
त्राहिमाम की गूँज, गगन बादल दल खोजे ।
दल-दल घोंघे भूंज, खोलते खाके रोजे ।
सावन सा वन होय, रोय रा-वन की लंका ।
बादल का ना बाज, आज तक मारू डंका ।।
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राधा जैसी इक दीवानी .....Sharad Singh | तेरे घर में माँ बहन नहीं है क्या ?Bloggers Problem उफ़ ब्लागिंग |
क्षणिकाएं
चढ़ते चढ़ते - चढ़ गए
जन्नत की सारी सीढियाँ . इस तरह से यार - हम फिर स्वर्गवासी हो गए. वहां नहीं हैं - वो जहाँ थे ढून्ढ रहा हूँ - कब से यार आखिर उस वक्त - वो यहाँ थे - तब हम कहाँ थे . satish sharma 'yashomad' | क्षणिका
ए वक़्त !
बस इतना सा एहसान कर दे धूल के गुबार की तरह मेरा ज़र्रा ज़र्रा उड़ता जाए और कहीं खो जाए ज़मीं पर गिरने से पहले। ©यशवन्त माथुर© |
महिलाएं और लड़कियां क्यों लगाती हैं बिंदी....................
किसी
भी स्त्री की सुंदरता में चार चांद तब लग जाते हैं जब वह पूर्ण श्रंगार के
साथ ही माथे पर बिंदी भी लगाएं। वैसे तो बिंदी को श्रंगार का एक आवश्यक
अंग ही माना जाता है और इसी वजह से काफी महिलाएं और लड़कियां बिंदी लगाती
हैं। शास्त्रों में सुंदरता बढ़ाने के साथ ही बिंदी लगाने के कई अन्य लाभ
भी बताए गए हैं।
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हिन्दी साहित्य पहेली 85 परिणाम और विजेता हैं श्री सवाई सिंह राजपुरोहित जी
हिंदी साहित्य पहेली
अशोक कुमार शुक्ला |
जलने और जलने में हीं कितना अंतर आ जाता हैउद्गीत . . .Alokita जलने और जलने में हीं कितना अंतर आ जाता है
शमा भी जलती चिता भी जलती
जलती अगन दोनों में है
औरों को रौशनी देने को शमा जलती,
कतरा-कतरा पिघलती है
भष्म करके कई खुशियों अरमानो को हीं
चिता कि लपटों को शान्ति मिलती है
ज्योत शमा की चमक लाती नयनो में
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मार मंहगाई कीAkankshaAsha Saxena
सारी रंगत गुम हो गयी
कारण किसे बताए
मंहगाई असीम हो गयी
सारा राशन हुआ समाप्त
मुंह चिढाया डिब्बों ने
पैसों का डिब्बा भी खाली
उधारी भी कितनी करती
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कुछ लपटे तो वहा भी उठ रही थी!.....(कुँवर जी)kunwarji'sजलन थी, धुआँ... बड़ी मुश्किल से एक कोना ढूँढा ... बैठे, कुछ अपने दिल में झाँका, देखा... कुछ लपटे तो वहा भी उठ रही थी! अब..? |
जान देना यह विकल्प कितना सही है???
संस्कार कविता संग्रह
Reena Maurya
बचपन से किताबों में पढ़ते
और
लोगों से सुनते आए हैं
"जीवन संघर्ष है " "मेहनत करने से सफलता मिलती है" एक साल की तो बात थी |
पड़ी जलानी आग, गणेशा ताप रहा है
गंग-चन्द्र तन भस्म है, गले में डाला नाग |
गले में डाला नाग, हुए कैलाश निवासी |
मना रहे आनंद,बने है घट घट वासी |
पर शंकर परिवार, ठंड से कांप रहा है |
पड़ी जलानी आग, गणेशा ताप रहा है || Me and my caricature
मेरा नाम ऐना है, मैं 6 वर्ष की हूँ और दूसरी कक्षा में पढ़ती हूँ. मैं
अपने ब्लॉग को लेकर बहुत उत्साहित हूँ. इसे मेरे अब्बू जी ने मेरे लिए
बनाया है, जहाँ मैं अपनी गतिविधियाँ आप लोगो के साथ साझा करुँगी. आज कल
गर्मियों की छुट्टी चल रही हैं, इसलिए मेरे पास खेलने और चित्रकारी करने के
लिए बहुत सा समय है. चित्रकारी करना मेरे शौक है, यहाँ आपके साथ अपना
बनाया हुआ एक कैरिकेचर शेयर कर रही हूँ.
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रविकर जी आपका स्वागत और अभिनन्दन!
जवाब देंहटाएंबुधवार की चहकती और महकती चर्चा के लिए आपका आभार!
आज मा.मुख्यमन्त्री जी सितारगंज में चुनाव के लिए पर्चा भरने आ रहे हैं। वहाँ जाना है। शाम तक आ पाऊँगा। तब तक के लिए शुभविदा।
रविकर जी बढ़िया सजाई है चर्चा इस मंच पर |
जवाब देंहटाएंआभार मेरी कविता के लिए |
आशा
बहुत दिनो के बाद
जवाब देंहटाएंरविकर दिखा है आज
अपनी उसी अदा के साथ
सुंदर चर्चामांच और बेहतरीन
लिंक्स लिये अपने हाथ
स्वागत है ।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति रविकर जी बहुत बहुत आभार
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंक्स..
जवाब देंहटाएंमुझे सम्मिलित करने के लिए आभार...
बेहतरीन चर्चा मंच....
:-)
रोचक लिंक संयोजन
जवाब देंहटाएंरविकर जी मेरी पोस्ट को चर्चा मंच में शामिल करके आपने जो सम्मान दिया है और उत्साहवर्द्धन किया है, उस के लिए मैं आपकी हार्दिक आभारी हूं. आपको बहुत बहुत धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंएक और सुंदर चर्चा प्रस्तुत करने के लिए बधाई....
बहुत बहुत धन्यवाद सर!
जवाब देंहटाएंसादर
इतने बेहतरीन लिंक्स के साथ मेरी पंक्तियों को भी आपने चर्चा मंच में शामिल किया... इस उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद,आभार, अब तो मुझे अपनी जिम्मेदारी और भी अधिक बड़ी महसूस हो रही है.,
जवाब देंहटाएंकुँवर जी,
आज की चर्चा भी बड़ी सुन्दर लगी.आभार.
जवाब देंहटाएंमोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
रंग-बिरंगी लिंकों का संयोजन करके रोचक चर्चा किया है आपने..आपको हार्दिक बधाई..
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा.. बढ़िया लिंक्स...
जवाब देंहटाएंसादर आभार.
बेहतरीन चर्चा।
जवाब देंहटाएंsundar links se saja post...abhar.
जवाब देंहटाएंNice links.
जवाब देंहटाएंthanks uncle for sharing my post
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