मित्रों!
रविवार के लिए कथा के ऱूप में कुछ लिंकों की शृंखला आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहा हूँ!
कुछ बातें मेरी …भी सुनिए ! पुराना आईना वो हदे नज़र ...से बरसात का मजा लेकर "आओ धान की पौध लगाएँ" क्योंकि यही काल-चक्र है... ! अकेलापन.....दूर कीजिए न..." हमसे है जमाना - जमाने से हम नहीं " फिर भी नींद मानो रूठ कर बैठ गयी...शायद विधना रूठ रहे होंगे! मन के तम को दूर कर...मित्रता दृढ़ता से धर ! बच्चा आपसे जिरह करता है रोज़ ? तो फ़ुरसत में ... : झूठ बोले कौआ काटे ...! तेरे मेरे मिलने का दिन था मुकरर्र* *मगर तेरे जानिब.....बहाने-बहाने..वाह बहुत खूब हैं तेरे बहाने.....! वो देखो मंगल मेघ है आया...क्योंकि लोगों को इसबार काफी झुलसा कर गगन में छा गये बादल....! अब दिखाई दे रहा है...प्रकृति का मनमोहक नज़ारा...!
सब बहुत असमंजस में हैं कि ये जमा पूँजी ... कहाँ से आई? यादों की लकीरें ...जब दस्तक देतीं हैं तो...स्वप्न नयनों से छलक पड़ते हैं...! हर जगह चाहतों के मेले ..सजे हुए हैं...लेकिन अपने बच्चो को आत्महत्या से कैसे बचाएं ? पर्वत की हर एक शिखर पर अकेलापन.....युवाओं में बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्ति क्या यही नवयुग की देन है? किन्तु फिर भी ये हैं कुछ चीजे, इन्हें कभी साथ न खाएं वरना...हो जाएगी हालत खराब...!
आओ हमारे भी देश....क्योंकि कल सपने में आई थी पुलिस...! क्या करे यहाँ जमीन ही नहीं लाचार आसमान तक है। शादी से पहले....धीमे धीमे पैर पसारती है...फिर भी हिंद को बदलना है...! नहीं खेलते खेल, बैठ के दुश्मन....! कुरान का संदेश......मैं किस बिध तुमको पाऊँ प्रभु..? आखरी निशानी और ख़याल का अंडा...! इसी लिए तो इस दौर में हर रोशनी बिकती है! जबसे समझ लिया सौन्दर्य का असल रूप तबसे उतार फेंके जेवरात सारे न रहा चाव...अब दीजिए इज़ाज़त क्योंकि कृष्णलीला…चलती रहेगी!
सुंदर लिंक्स चयन ....उम्दा चर्चा ...आभार शास्त्री जी मेरी रचना को स्थान दिया ...!!
ReplyDeleteकथा रूप में प्रस्तुति सुंदर लगी...यही कालचक्र है को शामिल करने के लिए आभार !!
ReplyDeletesundar charcha wah!
ReplyDeletesundar links..
ReplyDeletesundar charchamanch....
:-)
bahut sundar ... jay ho ! vijay ho !!
ReplyDelete्बहुत सुन्दर लिंक संयोजन
ReplyDeleteबेहद बेहतरीन चर्चा SIR
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिंक्स संयोजन से सुसज्जित चर्चा बधाई
ReplyDeleteसुन्दर चर्चा ! बेहतरीन लिंक्स !
ReplyDeleteबेहतरीन सूत्र,,,,
ReplyDeleteRECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: आश्वासन,,,,,
lovely links...thanks.
ReplyDeleteएक दूसरे में गुँथे सुन्दर सूत्र...
ReplyDeleteआपके इस खूबसूरत पोस्ट का एक कतरा हमने सहेज लिया है साप्ताहिक महाबुलेटिन ,101 लिंक एक्सप्रेस के लिए , पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक , यही उद्देश्य है हमारा , उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी , टिप्पणी पर क्लिक करें और देखें
ReplyDeleteshukriya Dadu.....
ReplyDeletebehtreen links....
Apki paarkhi nazar se kabhi kabhi koi bacha hai....!!
हर जगह चाहतों के मेले ..सजे हुए हैं...लेकिन अपने बच्चो को आत्महत्या से कैसे बचाएं ? पर्वत की हर एक शिखर पर अकेलापन.....युवाओं में बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्ति क्या यही नवयुग की देन है? किन्तु फिर भी ये हैं कुछ चीजे, इन्हें कभी साथ न खाएं वरना...हो जाएगी हालत खराब...!
ReplyDeleteताल मेल बढ़िया लिए हुए कवित्तमय प्रस्तुति .लिंक्स में अच्छे लिंक्स लाएं शास्त्री कहाएँ .... veerubhai1947.blogspot.com ,43,309 ,Silver Wood DR,CANTON,MI,48,188
001-734-446-5451
वीरुभाई .
आभार आपका ||
ReplyDeleteसुंदर चर्चा सजाई है आपने। बधाई।
ReplyDeleteबहुत सुंदर चर्चा। आज सुबह देर जरूर की इसने आने में ।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर और उम्दा चर्चा शास्त्री जी आज कि चर्चा में मेरे ब्लाग पोस्ट "आओ हमारे भी देश" को स्थान देने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद...
ReplyDeleteआज कि चर्चा बिलकुल नये तरीके से पढ़ कर लिंक मिले बहुत अच्छा लगा.
देरी से आने के लिए क्षमा चाहूँगा...
सुंदर चर्चा और बढ़िया लिंक्स.
ReplyDeleteइंतजार का फल मीठा होता है.
चर्चा मंच में मेरी रचना " अपने बच्चो को आत्महत्या से कैसे बचाएं ?" को स्थान देने के लिए आभार,,,
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