(1)
पति-पत्नी की ताज़ी न्यूज सच्चित सचिनशादी की रिसेप्शन पार्टी में वेट्रेस से सेक्स । पति पकडाया - शादी के दिन ही तलाक । वेट्रेस से हुई शादी । खुश आधी आबादी ।। |
(2)भगवान् राम की सहोदरा (बहन) : भगवती शांता परम-3
रविकर फैजाबादी
दक्षिण कोशल सरिस था, उत्तर कोशल राज |
सूर्यवंश के ही उधर, थे भूपति महराज ||20||
राजा अज की मित्रता, का उनको था गर्व |
दुर्घटना से अति-दुखी, राजा-रानी सर्व ||21||
(3)श्रीमद्भगवद्गीता-भाव पद्यानुवाद (१६वीं-कड़ी)Kailash SharmaKashish - My Poetry (कर्म-योग - ३.२५-३५) अविद्वान व्यक्ति हे भारत! होकर आसक्त कर्म हैं करते. अनासक्त लोक संग्रह को विद्वत जन हैं कर्म वो करते. अज्ञानी आसक्त कर्म में, ज्ञानी करें न उनको विचलित. है कर्तव्य विद्वान जनों का करें अन्य को कर्मों में प्रेरित. |
(4)शीतल दाह ..संजय @ मो सम कौन ?मो सम कौन कुटिल खल |
(5)तरुण सहरावत और ब्रेक से ब्रेक के बीच की पत्रकारिताpramod joshiजिज्ञासा
|
(6)ग़ज़ल
अख़तर क़िदवाई
हरफ़े अख़तर सूनी सी आँखों की खातिर सपने और अरमान खरीदें (7)अंधेरा ...(दिगम्बर नासवा)
स्वप्न मेरे.
ठीक उसी वक्त
जब अंधेरा घर वापसी की तैयारी करता है
उजाला बादलों के पीछे से अपने आने की खबर देने लगता है
भूलने लगते हैं सब अंधेरे का अस्तित्व
हालांकि सच तो ये है
दिन का उजाला मन के अंधेरे को ढांप नहीं पाता (8)हर प्रात ...कहते हुए ...शुभप्रभात ...!!anupama's sukrity. |
श्यामनारायण मिश्र
मनोज कुमार
छूट गये पीछे
रस के वे निर्झर
केशर की घाटी,
कुंकुम के टीले।
अमरपुरी के नक्शे
हाथ में लिए
तेजाबी शहरों में आ बसे क़बीले।
|
(10)हेनरी पोलाक का साथ
मनोज कुमार
विचार
गांधी जी लिखते हैं, “अपने अनुभव द्वारा मैंने
अकसर देखा है कि हम चाहते कुछ हैं और हो कुछ और ही जाता है। पर इसके साथ ही यह भी
अनुभव किया है कि जहां सत्य की ही साधना और उपासना होती है, वहां भले परिणाम हमारी
धारणा के अनुसार न निकले, फिर भी जो अनपेक्षित परिणाम निकलता है वह अकल्याणकारी
नहीं होता और कई बार अपेक्षा से अधिक अच्छा होता है।”1
|
*श्रद्धा सुमन मोन उपवन में प्रीतम *
*अहिं हमर मोन चितवन में प्रीतम *
*प्रेम परागक अनुराग अछि जीवन *
*श्याम राधा मिलन वृन्द्रावन में प्रीतम *
*चलू जतय बहैय प्रेम स्नेह सरिता *
*सिया रामक संग रामवन में प्रीतम *
*रुक्मिणी बनी विरह कोना हम जियब *
*हमहू जाएब लक्ष्मणवन में प्रीतम *
*अढाई अक्षर प्रेमक प्रेम में संसार *
*प्रेम विनु जीव कोना भवन में प्रीतम *
*वर्ण-१५.......*
*रचनाकार-प्रभात राय भट्ट*
|
(12)फर्श से 'अर्श' तक व्योम के पार तक "प्रीत ही प्रीत की माधुरी है प्रिये " तरही मुशायरा कुछ देर से शुरू हो रहा है सुलभ जायसवाल के साथ ।
पंकज सुबीर
सुबीर संवाद सेवा
इस बार का मुशायरा अर्श और माला को समर्पित है और साथ में प्रेम को भी । आज की
ये पोस्ट कंचन के लिये क्योंकि आज उसके लिये बड़ा दिन है । आज वो एक और
पड़ाव पर मुम्बई में क़दम रखने जा रही है । अनंत शुभकामनाएं कंचन को आज के
लिये । जाओ अपने हौसलों से उड़नपरी बन कर दिखाओ ।
इस बार का तरही मिसरा देने के बाद यूं लगा कि लोगों के मन में इस शुद्ध हिंदी
के मिसरे के प्रति वो उत्साह नहीं देखने को मिला जो सामान्य रूप से देखा
जाता है । हालांकि मिसरा उतना कठिन नहीं था । एक बहुत लोकप्रिय बहर पर लिखा
जाना था । बाद में भी मिसरे को लेकर लोगों ने उतना उत्साह नहीं दिखाया । .
|
मनोरमा
खुशी की दिल में चाहत तो, खुशी के गीत गाते हैं भरोसा क्या है साँसों का, चलो गम को भुलाते हैं दिलों में गम लिए लाखों, हँसी को ओढ़कर जीते सहज मुस्कान वाले कम, जो दुनिया को सजाते हैं |
जीवन दीप लिए कुछ पुत्र,
बढ़े पूजन को, माँ की टूटी
मूरत।
आओ पानी दें, राष्ट्र धर्म को,
मानवता रोपें, करें देश को
विकसित।
(15)वर्ना लोग क्या कहेंगे ???sada-srijan लेकिन जब तुम्हारी बारी आती है तोउसी सामने वाले को चक्कर आने लगते हैं गिरगिट की तरह रंग बदलकर छतरी बंद कर देता है और लाठी की तरह टेक बनाकर तुम्हारे कांधे का सहारा लेकर चलने लगता है |
(17) A-Fकरूँ नहीं टिप्पणी, पढ़े बिन कुछ भी पर्चा -Aनेकी कर दरिया में डाल
ऋता शेखर मधु
मधुर गुंजन
मेहनत हुई फिजूल सब, दरिया दिया उलीच |
नेकी बही समुद्र में, तट पर ठाढ़ा नीच | तट पर ठाढ़ा नीच, नीच ने थप्पड़ मारा | रविकर आँखें मींच, बहाये अश्रु धारा | दरिया फिर भर जाय, नहीं पर नेकी डाले | नेकी रखके जेब, नीच को फेंके खाले || Bवारुणी-वर्जनाnoreply@blogger.com (पुरुषोत्तम पाण्डेय)जाले पी पी कर पछता रहे, रोज पियक्कड़ आज । नारी धन दौलत गई, लत पर लेकिन नाज । लत पर लेकिन नाज, राज की बात बताता ।
काट लीजिये नाक, खुदा फिर साफ़ दिखाता ।
रविकर संध्या होय, लगे इक सिर पर टिप्पी ।
कदम बढ़ें दो सीध, बहकते फिर से पी पी ।।
Cमुझे लडकी बना देमेरा मन
अर्जी कर मंजूर जब, लड़की दिया बनाय ।
मची हाय-तोबा गजब, मुश्किल में मर माय ।
मुश्किल में मर माय, सास ससुरा पति पीटा ।
किया एक का व्याह, कर्ज में गया घसीटा ।
बिन व्याहे दो जन्म, अगर है तेरी मर्जी ।
करे कष्ट आजन्म, सुने ना कोई अर्जी ।। Dकिसी की आहटों का अहसासDeepti Sharma स्पर्श
और चाँद भी डूबता, निकले घंटा लेट |
एक मास में तीन दिन, खुद को रखे समेट | खुद को रखे समेट, दर्द न जाने मेरे | हैं गंवार ठाठ-ठेठ, छुपे जा कहीं सवेरे |
दीप्ति जी को दाद, समय हित चाँद भरोसा |
सुने नहीं फरियाद, तभी तो रविकर कोसा || Eलम्बी अनुपस्थिति के बाद वापसीअजित गुप्ता का कोनाडेढ़ मास में जो शुरू, फिर से ये संवाद | फिर से ये संवाद, कई नव भाव समेटे | लगा रखी उम्मीद, शीघ्र हम सब को भेंटे | मिले लेख सुविचार, धीर न लम्बी धरते | करिए कुछ तो पोस्ट, आपका स्वागत करते || Fगुड़ सी जिंदगी !!!my dreams 'n' expressions.....याने मेरे दिल से सीधा कनेक्शन....
रचे जिंदगी पर खरे, सुन्दर सुन्दर शेर |
अनुकृति हर इक शेर है, आँखें रहे तरेर | आँखें रहे तरेर, बड़े बब्बर है सारे | दिखलाते सौ रंग, जिन्दगी सही सँवारे | बाधाएं भी ढेर, प्यार से करो बंदगी | गुड़ बारिश शतरंज, प्रेम ही रचे जिंदगी | |
(18)क्या बला है यह चीनी का बाप ?veerubhaiकबीरा खडा़ बाज़ार में
सिंघानिया कहतें हैं यही वह प्रक्रिया है जो इसे हमारे इस्तेमाल के लिए
बेकार ,नाकाबिल बना देती है .रूप पे मरके क्या कीजिएगा .यही रूप फिर आपको
मारेगा .
बीच का रास्ता है टेबिल सुगर
शुद्ध गन्ने का रस और गुड के बीच की कड़ी है चीनी .टेबिल सुगर में
मौजूद रहता है ५०%फ्रक्टोज और इतना ही ग्लूकोज़ .लेकिन इसमें कुछ रसायन भी आ
जुड़तें हैं .
हमारे जिगरी दोस्त बन चुके कोर्न सीरप में ४५% ग्लूकोज़ ,५५% ';फ्रक्टोज रहता है .
|
(20)
"बादल घने हैं....." (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
कभी कुहरा, कभी सूरज, कभी आकाश में बादल घने हैं।
दुःख और सुख भोगने को, जीव के तन-मन बने हैं।।
आसमां पर चल रहे हैं, पाँव के नीचे धरा है,
कल्पना में पल रहे हैं, सामने भोजन धरा है,
पा लिया सब कुछ मगर, फिर भी बने हम अनमने हैं।
दुःख और सुख भोगने को, जीव के तन-मन बने हैं।।
शुभप्रभात ....!!!!!
जवाब देंहटाएंरविकर जी सुंदर चर्चा ...बढ़िया लिंक्स ...
बहुत आभार ...मेरी कृति को स्थान दिया .....!!
बहुत सुंदर चर्चा । उत्तम लिंक्स ।
जवाब देंहटाएंसुसज्जित...सुव्यवस्थित चर्चामंच
जवाब देंहटाएं.....आभार !!!
बहुत बढ़िया चर्चा...
जवाब देंहटाएंसभी लिंक्स देख लिए.....
हमारी रचना को शामिल करने के लिए आपका बहुत शुक्रिया रविकर जी.
सादर
बढ़िया लिंक्स .
जवाब देंहटाएंबड़े ही सुन्दर और रुचिकर सूत्र..
जवाब देंहटाएंSuprabhat. Bahut hi achche links. Abhar.
जवाब देंहटाएंव्यापकता लिए हुए रोचक ढंग से की गई चर्चा के लिए आपका आभार!
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा
जवाब देंहटाएंbadhiya charcha
जवाब देंहटाएंरविकर जी सुंदर चर्चाओं के गुलदस्ते में अपनी रचना ..तुमने पत्र रखा .. को पा कर मन खिल उठा....आभार.
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स दिए हैं आपने...आपके श्रम को नमन..
अर्श और माला अर्श से फर्श तक यूं ही छाये रहें ,मुस्कातें रहें रविकर जी यूं ही लिंक्ल सजाते रहें ,हम आते रहें हर्षाते रहें बधाई बढ़िया चर्चा के लिए . अच्छी प्रस्तुति .कृपया यहाँ भी पधारें -
जवाब देंहटाएंबुधवार, 20 जून 2012
क्या गड़बड़ है साहब चीनी में
क्या गड़बड़ है साहब चीनी में
http://veerubhai1947.blogspot.in/
बेहतरीन लिंक्स
जवाब देंहटाएंदिनेश जी ... बहुत ही काव्यात्मक चर्चा ...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया मुझे भी शामिल करने का ...
सुन्दर लिंक्स संजोये रोचक चर्चा...आभार
जवाब देंहटाएंसभी रसों से ओतप्रोत ये संकलन बहुत अच्छा लगा, आपको बहुत बहुत बधाई.
जवाब देंहटाएंसुन्दर सूत्र संकलन के लिये बधाई,
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST:...काव्यान्जलि ...: यह स्वर्ण पंछी था कभी...
मुझे यह पोस्ट बहुत पसंद है आपने काफी अच्छी पोस्ट लिखी है, कंप्यूटर मोबाइल ब्लॉगिंग इंटरनेट से संबंधित ढेर सारी जानकारी अपनी मातृभाषा हिंदी में पढ़ने के लिए हमारे ब्लॉग पर विजिट करे aaiyesikhe.com
जवाब देंहटाएं