एक बरस पहले ही ई -सिगरेटों ने हिन्दुस्तान में दस्तक दी है और आज इनके खिलाफ चिकित्सकों और तम्बाकू -रोधी -उत्साही कार्यकर्ताओं ने इसका मुखर विरोध किया है .अगर इन्हें चलन से बाहर नहीं किया जाता है तो कमसे कम सरकार यह तो तस्दीक करे कि अच्छी दिखने वाली ई -सिगरेटें भी फेशनेबुल कैंसर स्टिक्स ही हैं . |
"रपट-रविकर जी के सम्मान में गोष्ठी"(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')"रविकर" जी के सम्मान में कविगोष्ठी! !!खटीमा (उत्तराखण्ड) 31 मई, 2012!! साहित्य शारदा मंच, खटीमा की ओर से धनबाद से पधारे रविकर फैजाबादी के सम्मान में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर साहित्य शारदा मंच खटीमा के अध्यक्ष डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" ने इन्हें अपनी 4 पुस्तकें भेट की और मंच के सर्वोच्च सम्मान "साहित्यश्री" से अलंकृत किया। ब्लॉगिस्तान में इनकी सक्रियता को देखते हुए "ब्लॉगश्री" के सम्मान से भी सम्मानित किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ नागरिक समिति के अध्यक्ष सतपाल बत्तरा ने की तथा गोष्ठी का सफल संचालन पीलीभीत से पधारे लब्धप्रतिष्ठित कवि देवदत्त "प्रसून" ने किया। इस अवसर पर माँ सरस्वती की वन्दना डॉ. मयंक ने प्रस्तुत करते हुए गोष्ठी का शुभारम्भ किया। इसके बाद वयोवृद्ध रूमानी शायर गुरुसहाय भटनागर ने अपनी ग़ज़ल प्रस्तुत की- "प्यार से मिलके रह लें गाँव-शहर में- देश में हमको ऐसा अमन चाहिए।" स्थानीय थारू राजकीय इण्टर कॉलेज में हिन्दी के प्रवक्ता डॉ.गंगाधर राय ने अपनी एक सशक्त रचना का पाठ किया- "हे राम अब आओ पंथ दिखलाओ! राक्षसी वृत्तियाँ बढ़ रहीं हैं। मर्यादाएँ टूट रही हैं...." गोष्ठी के संचालक देवदत्त प्रसून ने इस अवसर पर काव्य पाठ करते हुए कहा- "आपस के व्यवहार टूटते देखें हैं। नाते-रिश्तेदार टूटते देखें हैं।। हाँ पैसों के लोभ के निठुर दबाओं से- कसमें खाकर यार टूटते देखें हैं।।" हेमवतीनन्दन राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, खटीमा के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. सिद्धेश्वर सिंह ने इस अवसर पर गंगादशहरा पर अपनी कविता का पाठ किया- स्कूटर पर सवार होकर घर आई मिठास बेरंग - बदरंग समय में आँखों को भाया भुला दिया गया सुर्ख रंग यह तरबूज है सचमुच या कि घर में आज के दिन हुआ है गंगावतरण।" हास्य-व्यंग्य के सशक्त हस्ताक्षर गेंदालाल शर्मा "निर्जन" ने अपने काव्य पाठ से गोष्ठी में समा बाँध दिया। गोष्ठी के मुख्यअतिथि दिनेश चन्द्र गुप्त "रविकर" ने अपने काव्य पाठ में कहा- "तिलचट्टों ने तेलकुओं पर, अपनी कुत्सित नजर गड़ाई। रक्तकोष की पहरेदारी, नरपिशाच के जिम्मे आई।" इस अवसर पर "रविकर" जी ने अपने वक्तव्य में कहा- "मेरा किसी गोष्ठी में भाग लेने का यह पहला अवसर है और पहली बार ही मुझे सम्मान मिला है। इसके लिए मैं साहित्य शारदा मंच के अध्यक्ष डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।" |
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प्रेम सरोवर द्वारा प्रेम सरोवर * **बिहार की स्थापना का **100** वां वर्ष** : **क्या खोया,क्या पाया** !* |
अजय कुमार झा द्वारा खबरों की खबर - अबे कितने पति होंगे राष्ट्र के , तुम लोग तो देश को पांचाली बना दिए यार , (रोजिन्ना कोइयो उठ के चल आ रहा है , साले कौन बनेगा करोडपति खेल रहे हो का बे , हटाओ बे ई पोस्टवा को ही खतम कर दो ) |
स्वप्न सुन्दर वल्लभापलकों तले मेरे बसा एक स्वप्न था. जिसमें थी सोती एक सुन्दर वल्लभा. लावण्य की सारी निधि उस पर ही थी. वह स्वयं थी लेटे हुए निधि द्वार पर. पुष्प-शैया पुष्प-कण से थी विभूषित. पुष्प-वृष्टि हो रही पलकों तले नित. |
डीयू के नामी कॉलेजदिल्ली विश्वविद्यालय की पहचान उसके कॉलेजों और विभागों से हैं। दिल्ली के अलग-अलग क्षेत्रों में फैले इनके कुछ कॉलेजों का इतिहास जितना पुराना है, उतना विश्वविद्यालय का भी नहीं है। विश्वविद्यालय की स्थापना 90 साल पहले 1922 में हुई, पर जाकिर हुसैन, हिन्दू और स्टीफंस कॉलेज एक शिक्षण संस्थान के रूप में इससे पहले से अपनी पहचान कायम किए हुए हैं। 77 कॉलेजों में स्नातक स्तर के विभिन्न कोर्सेज छात्रों में करियर की मजबूत नींव तैयार करते हैं। ऐसे में जरूरत है उन कॉलेजों को जानने की, जो दिल्ली विश्वविद्यालय के आधार स्तम्भ रहे हैं। |
रिसता मन - उपालम्भों से आती है हर रिश्ते में खटास शिकवे नहीं रख पाते मन में मिठास टूट जाए जब एक बार विश्वास कैसे करे कोई फिर प्रेम की आस ? होता है हर... |
कृतज्ञओ चारो दिशाओँ ,द्वार सारे खोल कर रक्खे तुम्हीं ने , यात्रा में क्या पता किस ठौर जा पाएँ ठिकाना. शीष पर छाये खुले आकाश , उजियाला लुटाते , धन्यता लो ! |
अंधेरे चश्मेंआंखों पर लगा अँधेरे चश्में तलाशते हैं रोशनी। गुजरते हैं पकड़ अंगुली गुनाह के तंग रास्तों से, करते हैं दोस्ती पहन कर खद्दर एैयाशी के गुमाश्तों से, |
बेशुमार शिकायतों को सीने में दबाए नफ़ीस मुस्कान को मैंने गले लगाया है । अपनी हज़रत को नज़र ना लग जाए हर झरोखे पे मैंने पर्दा चढ़ाया है । बहारें टिकी हैं मौसम के मिज़ाज पे मेरे बहार का ठौर मैंने तुममे पाया है । तुम्हारे दो पल के साथ की आरज़ू में कितनी रातें मैंने आँखों में बिताया है । |
"रविकर की जलेबियाँ" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') |
बहुत शानदार और जानदार चर्चा!
जवाब देंहटाएंरविकर जी!
आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ और बधाई!
बेहतरीन बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर चर्चा ,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST ,,,, काव्यान्जलि ,,,, अकेलापन ,,,,
यात्रा का काव्यात्मक वर्णन..वाह..
जवाब देंहटाएंरविकर आज
जवाब देंहटाएंचर्चामंच पर
पूरा छाया है
जैसे एक
सूरज
उत्तराखंड के
पूरब मे
और उग
आया है।
स्वागत है !!
आभार है !!!
खूबसूरत पोस्ट कतरे ...। मेरी पोस्ट को स्थान देने का शुक्रिया और आभार
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स ...
जवाब देंहटाएंरविकर जी को बधाई और शुभकामनायें !
अच्छे लिंक्स ...
जवाब देंहटाएंरविकर जी को बधाई और शुभकामनायें !
खूबसूरत चर्चा और काव्यगोष्ठी में आये रविकर जी के विषय में वृतांत बहुत बढ़िया लगा हमारी भी शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंविस्तृत चर्चा ...आभार
जवाब देंहटाएंek achchhi parampara. blog jagat ka yah bhaichara bana rahe. links ka chayan bhi lajabab
जवाब देंहटाएंरविकर जी को बधाई और शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंरविकर जी से नजदीक से मिलने का सौभाग्य मुझ अकिंचन को भी है.
जवाब देंहटाएंशास्त्रीजी ने रविकर जी का सम्मान करके अपना बड़प्पन दिखाया है.रविकरजी की कुंडलियों और शास्त्री जी के दोहों का कोई तोड़ नहीं है ब्लॉग-जगत में |
इतनी सुन्दर चर्चा और सम्मान,भई हमारे कलेजे में तो सांप लोट रहे हैं....शास्त्रीजी की कृपा न जाने कब होगी ?
blog jagat ke guru roop chand shastri mayank ji kee aasu kavita to adbhut hai. unkee lekhni ko salaam.
जवाब देंहटाएंअन्यों के बीच हमारी प्रविष्टि को भी स्थान देने के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी प्रस्तुति ... रविकर जी को बहुत-बहुत बधाई सहित शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा ……रविकर जी को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ और बधाई!
जवाब देंहटाएंजब किसी के सबसे प्रिय कवि को मंच मिल जाये और सम्मान भी तो हमारा इतराना स्वभाविक है.
जवाब देंहटाएं— मेरे रविकर जी से बहुत अच्छे संबंध हैं. वे मेरे प्रिय हैं और मैं उनका. :)
— रविकर जी का डॉ. मयंक जी से परिचय तो नया है लेकिन मेरा परिचय उनसे बहुत पुराना है. सचमुच :)
— डॉ. मयंक जी और रविकर जी को एक साथ देखकर मन गदगद हो रहा है. :)
— पिछली बार 'परिकल्पना सम्मान समारोह' में मैं डॉ. मयंक जी के बहुत करीब वाली कुर्सी पर बैठा था. सचमुच :)
— ब्लॉगजगत में दो विद्वान् कवियों की विनम्रता भी मुझे बहुत लुभाती है.... मुझे इस बात का सुखद एहसास होता है कि वे दोनों ही मुझे जानते हैं. :)
सुव्यवस्थित चर्चा.
जवाब देंहटाएंरविकर जी को बहुत बधाई.
जवाब देंहटाएं"तिलचट्टों ने तेलकुओं पर,
जवाब देंहटाएंअपनी कुत्सित नजर गड़ाई।
रक्तकोष की पहरेदारी,
नरपिशाच के जिम्मे आई।धन्य हमारे भाग हम चर्चा में आये ,सफल होयें सब काज हम चर्चा में आये ,रविकर जी को शीश नवायें ,शाष्त्री माथे बिठ्लायें .बधाई बेहतरीन चर्चा मंच के लिए इतने व्यस्त समय के ताने बाने में भी चर्चा आप सजाये ...विविध रंग लाये ... . यहाँ भी पधारें -
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
उतनी ही खतरनाक होती हैं इलेक्त्रोनिक सिगरेटें
ram ram bhai
बृहस्पतिवार, 31 मई 2012
शगस डिजीज (Chagas Disease)आखिर है क्या ?
शगस डिजीज (Chagas Disease)आखिर है क्या ?
माहिरों ने इस अल्पज्ञात संक्रामक बीमारी को इस छुतहा रोग को जो एक व्यक्ति से दूसरे तक पहुँच सकता है न्यू एच आई वी एड्स ऑफ़ अमेरिका कह दिया है .
http://veerubhai1947.blogspot.in/
उठा लो आरोग्य पैकेज
bahut sundar photos aur kareene se saja charcha manch...badhaai
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा चर्चा... सुन्दर लिंक्स...
जवाब देंहटाएंआदरणीय रविकर जी सादर बधाई स्वीकारें सम्मान के लिए....
सादर आभार.
चंद्र रवि संग देख के ,मुदित उत्तराखंड
जवाब देंहटाएंप्रेम सदा गुरु शिष्य का,यूँ ही रहे अखंड |
शब्द-बाणों का तीखापन ऐसा कि लक्ष्य बेधने में समर्थ है - बधाई !
जवाब देंहटाएं'कृतज्ञ' चुनने हेतु कृतज्ञता स्वीकारें .