मित्रों! शनिवार की चर्चा में देखिए चर्चा मंच का प्रवेशांक और मेरी पसन्द के 22 अद्यतन लिंक।
- बालकथा ....बच्चों मुझे कुछ कहना है ---- कुछ कहानियाँ ऐसी होती हैं जो चखी जाती हैं ,कुछ सटक ली जाती हैं मगर कुछ खूब अच्छी तरह चबाई जाती है तब भी हजम नहीं होतीं | लगता है उनके बारे में दूसरों से बातें करो.....
- विलुप्ति की कगार पर हिन्दू सभ्यता.....जो कौम इतिहास से नही सीखती वो बर्बाद होकर मिट्टी मे मिल जाती है | जो हिंदू इस घमंड मे जी रहे है कि अरबो सालो से......
- मेरे दो व्यक्तित्व हैं..... जिसमे पहले में मैं वो औरत हूँ जो पत्नी भी है माँ भी है ....
- चाँद पर एक दादी रहा करती थी...चरखा कातती... कपड़े बनाया करती... उजले कुर्ते, लाल कमीजें, काले स्वेटर... बादल जब भी चाँद से गुज़रते... दादी से ज़रूर मिलते थे...
- एक ख्वाब-जलता हुआ सा.....रात मैंने ख्वाब में सूरज को देखा था. जल उठा था मेरा ख्वाब, मेरी बंद आँखों में... मेरे आंसुओं की नमी भी बचा न सकी उसे जलने से.... अब कैसे बीनूं वो अधजले टुकड़े!! कैसे सृजन करूँ एक नये ख्वाब का....
- मेरे पास तुम्हारी सोच काएक विस्तृत आकाश है ... जो मुझे कहीं भी डगमगाने नहीं देता मुझे उड़ने का हौसला देकर मेरे पंखों को सहलाता है....
- जीवन ये, आईना है, सूरत तो देखिये.. क्या अक्स ,दिख रहा है ,मंजर तो देखिये.....
- हल्दीघाटी.......... वही मिला है जग मॆं सब कॊ, जिसनॆं जॊ कुछ बॊया, मिला ललाट कलंक किसी कॊ,कॊई सम्मान संजॊया, मात-पिता की सॆवा सॆ बढ़कर, और ना कॊई पूजा है....
- आज हुई पहली बरसात, बरस गये मेघ आज घुमड़ के, जगा गए दिल के जज्बात, आज हुई पहली बरसात | ताप रहा था कोना-कोना, गर्मी से आता था रोना, आह्लादित हो उठी जमात, आज हुई पहली बरसात |
- *ज़िन्दग़ी प्यार का नाम है। प्यार कुदरत का ईनाम है।। जब तलक चाँद-तारे रहेंगे, नित नये ही फसाने कहेंगे। कुछ को मिलता खुदा, कोई होता ज़ुदा। कोई नाहक ही बदनाम है.....
- कोहरे के आगोश में...मैं उससे कहता कि यह सड़क मेरे घर जाती है- फिर सोचता कि भला सड़क भी कहीं जाती है. जाते तो हम आप हैं. एक जोरदार ठहाका लगाता और अपनी ही बेवकूफी को उस ठहाके की आवाज से बुनी चादर के नीचे छिपा देता......
- रुबाइयाँ .... बेग़ैरत ज़िन्दगी हिस्सा है खिज़िर का इसे झटके क्यों हो, आगे भी बढ़ो राह में अटके क्यों हो, टपको कि बहुत तुमने बहारें देखीं, पक कर भी अभी शाख में लटके क्यों हो.....
- मृगतृष्णा .....शब्दों की चाक़ पर ढाले कुछ शब्द ....तपते मरुस्थल में रेत के फैले समंदर पर प्यासे पथिक को मृगतृष्णा भरमाती है शहरों में कोलतार सनी सड़कें भी भरी दुपहरी में भ्रम का संसार रचाती है ...
- भारतीय नारी: पुरूषों के झूठे अहम की वलिवेदी पर चढ़ी बकरी है....
- हंसगुल्ले - जिंदगी कम्प्यूटर होती* दिल में अगर सीपीयू होता तो? - सभी यादों को सेव कर सकता,दिमाग में अगर प्रिंटर होता तो? - ख्यालों के प्रिंट आउट निकाल लेता.....
- भूली-बिसरी यादें.....अब तो खो गया सब - पांच वर्ष की लड़की....पहली बार दिल्ली से गर्मी की छुट़टियां बिताने गांव आती है अपनी मां और बड़े भाई के साथ। आते ही देखा उसने....
- काव्य वाटिका ...इतना ही बरसना मेघ प्राण - त्राण को मचल रहे जीवक अपलक निहारते नभ को नीड़क जलदागम का संदेशा लेकर आयी द्रुतगति से बह निकली पवन बौराई....
- पाँच पैसे का सिक्का.......- पिछली बार आपने कब 'पाँच पैसे का सिक्का' देकर कुछ खरीदा था? खरीदना तो छोड़िए, पिछली बार आपने कब 'पाँच पैसे का सिक्का' देखा था? कठिन है ना याद करना !
- new look - क्या मुझे अपने ब्लॉग को नई लुक देनी चाहिए ? बहुत दिनों से सोच रहा था कि मैं अपने ब्लॉग के गेटअप को बदल दूं | काफी सोच विचार की बाद मैंने ये फैसला लिया है कि.. ..
- बॉडी पिअर्सिंगः जहां-तहां छिदवाने से पहले,कुछ बातों को समझ लें .....
- समान नागरिक संहिता(Uniform Civil Code ) - आवश्यकता और अनिवार्यता !
- ये मदिरा है बहुत नशीली बाबाजी - तेज़ हवा और एक थी तीली बाबाजी फिर भी हमने बीड़ी पी ली बाबाजी ...
- फिरंगी संस्कृति का रोग है यह - *प्रजनन अंगों को लगने वाला एक संक्रामक यौन रोग होता है सूजाक .इस यौन रोग गान' रिया(Gonorrhoea) से संक्रमित व्यक्ति से यौन संपर्क स्थापित करने वाले व्यक्ति ...
- जादू समुद्री खरपतवार क़ा - *जादू समुद्री खरपतवार क़ा * * * *समुद्री खरपतवार (शैवाल ) कार्बन उत्सर्जन स्रोत से निसृत कार्बन को वैसे ही सोख लेती है जैसे स्याही सोख स्याही को सोख लेता है...
- देवल देवी खुशरवशाह - एक प्रेमकथा जो भुला दी गई..
- राह मिल जायेगी
"दिल है कि मानता नही" (चर्चा मंच-प्रवेशांक)
- बालकथा ....बच्चों मुझे कुछ कहना है ---- कुछ कहानियाँ ऐसी होती हैं जो चखी जाती हैं ,कुछ सटक ली जाती हैं मगर कुछ खूब अच्छी तरह चबाई जाती है तब भी हजम नहीं होतीं | लगता है उनके बारे में दूसरों से बातें करो.....
- विलुप्ति की कगार पर हिन्दू सभ्यता.....जो कौम इतिहास से नही सीखती वो बर्बाद होकर मिट्टी मे मिल जाती है | जो हिंदू इस घमंड मे जी रहे है कि अरबो सालो से......
- मेरे दो व्यक्तित्व हैं..... जिसमे पहले में मैं वो औरत हूँ जो पत्नी भी है माँ भी है ....
- चाँद पर एक दादी रहा करती थी...चरखा कातती... कपड़े बनाया करती... उजले कुर्ते, लाल कमीजें, काले स्वेटर... बादल जब भी चाँद से गुज़रते... दादी से ज़रूर मिलते थे...
- एक ख्वाब-जलता हुआ सा.....रात मैंने ख्वाब में सूरज को देखा था. जल उठा था मेरा ख्वाब, मेरी बंद आँखों में... मेरे आंसुओं की नमी भी बचा न सकी उसे जलने से.... अब कैसे बीनूं वो अधजले टुकड़े!! कैसे सृजन करूँ एक नये ख्वाब का....
- मेरे पास तुम्हारी सोच काएक विस्तृत आकाश है ... जो मुझे कहीं भी डगमगाने नहीं देता मुझे उड़ने का हौसला देकर मेरे पंखों को सहलाता है....
- जीवन ये, आईना है, सूरत तो देखिये.. क्या अक्स ,दिख रहा है ,मंजर तो देखिये.....
- हल्दीघाटी.......... वही मिला है जग मॆं सब कॊ, जिसनॆं जॊ कुछ बॊया, मिला ललाट कलंक किसी कॊ,कॊई सम्मान संजॊया, मात-पिता की सॆवा सॆ बढ़कर, और ना कॊई पूजा है....
- आज हुई पहली बरसात, बरस गये मेघ आज घुमड़ के, जगा गए दिल के जज्बात, आज हुई पहली बरसात | ताप रहा था कोना-कोना, गर्मी से आता था रोना, आह्लादित हो उठी जमात, आज हुई पहली बरसात |
- *ज़िन्दग़ी प्यार का नाम है। प्यार कुदरत का ईनाम है।। जब तलक चाँद-तारे रहेंगे, नित नये ही फसाने कहेंगे। कुछ को मिलता खुदा, कोई होता ज़ुदा। कोई नाहक ही बदनाम है.....
- कोहरे के आगोश में...मैं उससे कहता कि यह सड़क मेरे घर जाती है- फिर सोचता कि भला सड़क भी कहीं जाती है. जाते तो हम आप हैं. एक जोरदार ठहाका लगाता और अपनी ही बेवकूफी को उस ठहाके की आवाज से बुनी चादर के नीचे छिपा देता......
- रुबाइयाँ .... बेग़ैरत ज़िन्दगी हिस्सा है खिज़िर का इसे झटके क्यों हो, आगे भी बढ़ो राह में अटके क्यों हो, टपको कि बहुत तुमने बहारें देखीं, पक कर भी अभी शाख में लटके क्यों हो.....
- मृगतृष्णा .....शब्दों की चाक़ पर ढाले कुछ शब्द ....तपते मरुस्थल में रेत के फैले समंदर पर प्यासे पथिक को मृगतृष्णा भरमाती है शहरों में कोलतार सनी सड़कें भी भरी दुपहरी में भ्रम का संसार रचाती है ...
- भारतीय नारी: पुरूषों के झूठे अहम की वलिवेदी पर चढ़ी बकरी है....
- हंसगुल्ले - जिंदगी कम्प्यूटर होती* दिल में अगर सीपीयू होता तो? - सभी यादों को सेव कर सकता,दिमाग में अगर प्रिंटर होता तो? - ख्यालों के प्रिंट आउट निकाल लेता.....
- भूली-बिसरी यादें.....अब तो खो गया सब - पांच वर्ष की लड़की....पहली बार दिल्ली से गर्मी की छुट़टियां बिताने गांव आती है अपनी मां और बड़े भाई के साथ। आते ही देखा उसने....
- काव्य वाटिका ...इतना ही बरसना मेघ प्राण - त्राण को मचल रहे जीवक अपलक निहारते नभ को नीड़क जलदागम का संदेशा लेकर आयी द्रुतगति से बह निकली पवन बौराई....
- पाँच पैसे का सिक्का.......- पिछली बार आपने कब 'पाँच पैसे का सिक्का' देकर कुछ खरीदा था? खरीदना तो छोड़िए, पिछली बार आपने कब 'पाँच पैसे का सिक्का' देखा था? कठिन है ना याद करना !
- new look - क्या मुझे अपने ब्लॉग को नई लुक देनी चाहिए ? बहुत दिनों से सोच रहा था कि मैं अपने ब्लॉग के गेटअप को बदल दूं | काफी सोच विचार की बाद मैंने ये फैसला लिया है कि.. ..
- बॉडी पिअर्सिंगः जहां-तहां छिदवाने से पहले,कुछ बातों को समझ लें .....
- समान नागरिक संहिता(Uniform Civil Code ) - आवश्यकता और अनिवार्यता !
- ये मदिरा है बहुत नशीली बाबाजी - तेज़ हवा और एक थी तीली बाबाजी फिर भी हमने बीड़ी पी ली बाबाजी ...
- फिरंगी संस्कृति का रोग है यह - *प्रजनन अंगों को लगने वाला एक संक्रामक यौन रोग होता है सूजाक .इस यौन रोग गान' रिया(Gonorrhoea) से संक्रमित व्यक्ति से यौन संपर्क स्थापित करने वाले व्यक्ति ...
- जादू समुद्री खरपतवार क़ा - *जादू समुद्री खरपतवार क़ा * * * *समुद्री खरपतवार (शैवाल ) कार्बन उत्सर्जन स्रोत से निसृत कार्बन को वैसे ही सोख लेती है जैसे स्याही सोख स्याही को सोख लेता है...
- देवल देवी खुशरवशाह - एक प्रेमकथा जो भुला दी गई..
- राह मिल जायेगी
FRIDAY, DECEMBER 18, 2009
चर्चा मंचः प्रवेशांक
मित्रों!
काफी दिनों से "चर्चा हिन्दी चिट्ठों की में" आपके चिट्ठों को चर्चा के लिए प्रस्तुत कर रहा था। आप सबके स्नेह से मुझे बल मिला और स्वतन्त्ररूप से चर्चा करने के लिए यह "चर्चा मंच" तैयार कर लिया।
यह आपका सबका ही मंच है। आशा ही नही अपितु विश्वास भी है कि आपका प्यार पूर्ववत् मुझे मिलता रहेगा।
मित्रों!
काफी दिनों से "चर्चा हिन्दी चिट्ठों की में" आपके चिट्ठों को चर्चा के लिए प्रस्तुत कर रहा था। आप सबके स्नेह से मुझे बल मिला और स्वतन्त्ररूप से चर्चा करने के लिए यह "चर्चा मंच" तैयार कर लिया।
यह आपका सबका ही मंच है। आशा ही नही अपितु विश्वास भी है कि आपका प्यार पूर्ववत् मुझे मिलता रहेगा।
ब्लॉग वाणी और चिट्ठा-जगत को हार्दिक धन्यवाद के साथ- आपके आशीर्वाद का आकांक्षी
*लड़की की इच्छा क्या है ,
बस इक पानी का बुलबुला है
बनना चाहती है बहुत कुछ,
करना चाहती है बहुत कुछ !
जाना चाहती हैं यहाँ वहां,देखना चाहती है सारा जहाँ कल्पन...
ताऊ डॉट इन में पढ़िए ब्लॉग जगत के ताऊ की शादी का क्या राज था?
"राज ब्लागर के पिछले जन्म के"
खुशदीप ने उगलवाया ताऊ की शादी का राज -
पिछले अंक मे आपने पढा था कि खुशदीप ने ताऊ को
पिछले जन्म में ले जाकर सवाल पूछना शुरु किया.
ताऊ अब अपने पिछले जन्म मे जब वो
झंडू सियार था वहां पहुंच गया. अब...
खुशदीप ने उगलवाया ताऊ की शादी का राज -
पिछले अंक मे आपने पढा था कि खुशदीप ने ताऊ को
पिछले जन्म में ले जाकर सवाल पूछना शुरु किया.
ताऊ अब अपने पिछले जन्म मे जब वो
झंडू सियार था वहां पहुंच गया. अब...
- *कई दिन से बच्चे आये हुये हैं
कुछ अधिक नया लिख नहीं पा रही।
ये छोटी सी गज़ल जिसे प्राण भाई साहिब ने संवारा है
उनके आशीर्वाद से
आपके सामने प्रस्तुत कर रही हू...
कुछ अधिक नया लिख नहीं पा रही।
ये छोटी सी गज़ल जिसे प्राण भाई साहिब ने संवारा है
उनके आशीर्वाद से
आपके सामने प्रस्तुत कर रही हू...
हैकरों ने ट्विटर को बनाया निशाना,
अपने कब्जे में ले किया DNS में बदलाव -
पिछली बार जब फेसबुक व ब्लॉगस्पॉट पर
हैकिंग हमला हुआ था तो
उसके बाद गूगल जैसी दिग्गज वेब साईट्स
अक्सर ऐसा कुछ होने पर
कहती रही हैं कि ताज़ा स्थिति के लिए ट्...
अपने कब्जे में ले किया DNS में बदलाव -
पिछली बार जब फेसबुक व ब्लॉगस्पॉट पर
हैकिंग हमला हुआ था तो
उसके बाद गूगल जैसी दिग्गज वेब साईट्स
अक्सर ऐसा कुछ होने पर
कहती रही हैं कि ताज़ा स्थिति के लिए ट्...
बर्फ़ के ख़िलाफ़ धूप ज़रा मुझ तक आने दो -
धूप ज़रा मुझ तक आने दो !
सुनो, शीत से काँप रहा हूँ तन बाँहों से ढाँप रहा हूँ
कैसे राहत मिल सकती है
सूरज से मैं भाँप रहा हूँ ।
नहीं मूँगफली भुनी हुई, बस थोड़...
मनोरमा में श्यामल सुमन जी की
धूप ज़रा मुझ तक आने दो !
सुनो, शीत से काँप रहा हूँ तन बाँहों से ढाँप रहा हूँ
कैसे राहत मिल सकती है
सूरज से मैं भाँप रहा हूँ ।
नहीं मूँगफली भुनी हुई, बस थोड़...
मनोरमा में श्यामल सुमन जी की
रात कहो लबों पे आ के जो रूक जाये वही बात कहो
हैं राज दिल में कई कहना जिसे मुश्किल है
छलक पड़े जो ये आँखों से तो सौगात कहो ...
हैं राज दिल में कई कहना जिसे मुश्किल है
छलक पड़े जो ये आँखों से तो सौगात कहो ...
आस्तीन के सांप... -
आधुनिकता के इस दौर में
पाश्चात्य सभ्यता के अनुगमन कि
होड़ में.. हम दौड़ रहे हैं... अंधी दौड़ में...
बहुत आगे,
मगर पदचिन्हों पर किसी के..
हर बदलते पल के साथ, ...
आधुनिकता के इस दौर में
पाश्चात्य सभ्यता के अनुगमन कि
होड़ में.. हम दौड़ रहे हैं... अंधी दौड़ में...
बहुत आगे,
मगर पदचिन्हों पर किसी के..
हर बदलते पल के साथ, ...
"अँदरसा, पूरनपोली या पिटव्वा" (अमर भारती) -
* * *आज प्र**स्तुत है- अँदरसाः
* * * *पूर्वी उत्तर प्रदेश में "पिटव्वा",
* *पश्चिमी उत्तर प्रदेश में "अँदरसा * *
और सामान्यतः इसे
"पूरनपोली" के नाम से जाना जात...
* * *आज प्र**स्तुत है- अँदरसाः
* * * *पूर्वी उत्तर प्रदेश में "पिटव्वा",
* *पश्चिमी उत्तर प्रदेश में "अँदरसा * *
और सामान्यतः इसे
"पूरनपोली" के नाम से जाना जात...
श्री गगन शर्मा जी Alag sa को -
उस्ताद बिस्मिल्ला खां को
बालाजी का आशीर्वाद प्राप्त था. -
उस्ताद बिसमिल्ला खां,
संगीत की दुनिया का एक बेमिसाल फनकार,
सुरों का बादशाह।
जिन्होंने सिर्फ शादी-ब्याह के मौकों पर बजने वाली
शहनाई को एक बुलंद ऊंचाई तक...
बालाजी का आशीर्वाद प्राप्त था. -
उस्ताद बिसमिल्ला खां,
संगीत की दुनिया का एक बेमिसाल फनकार,
सुरों का बादशाह।
जिन्होंने सिर्फ शादी-ब्याह के मौकों पर बजने वाली
शहनाई को एक बुलंद ऊंचाई तक...
इसलिए लोग कहते हैं कि
गरजने वाले बरसते नहीं हैं -
गरजना बादल की उकताई और चिल्लाहट है
बरसना बादल का मदमाना और मुसकाहट है
बादल जब तक बादलों से टकराता है,
बेचारा बोर होता है लेकिन बादल जब बादली से...
गरजने वाले बरसते नहीं हैं -
गरजना बादल की उकताई और चिल्लाहट है
बरसना बादल का मदमाना और मुसकाहट है
बादल जब तक बादलों से टकराता है,
बेचारा बोर होता है लेकिन बादल जब बादली से...
कुछ खुरदुरी-सी दो ग़ज़लें/
लगभग बुरी-सी दो ग़ज़लें - *ग़ज़ल*
जोकि ये समझ रहे हैं मुझे कुछ पता नहीं है
उन्हें जाके ये बता दो उन्हें ख़ुद पता नहीं है
यूंही ख्वाहमख्वाह ही डरके कोई बात मान लेना
इसे तुम हया न सम...
लगभग बुरी-सी दो ग़ज़लें - *ग़ज़ल*
जोकि ये समझ रहे हैं मुझे कुछ पता नहीं है
उन्हें जाके ये बता दो उन्हें ख़ुद पता नहीं है
यूंही ख्वाहमख्वाह ही डरके कोई बात मान लेना
इसे तुम हया न सम...
उछलती -मचलती
लहरों सी चंचल चितवन
जब तिरछी होकर
नयन बाण चलाती है
ह्रदय बिंध- बिंध जाता है
धडकनें सुरों के सागर पर
प्रेम राग बरसाती हैं के...
लहरों सी चंचल चितवन
जब तिरछी होकर
नयन बाण चलाती है
ह्रदय बिंध- बिंध जाता है
धडकनें सुरों के सागर पर
प्रेम राग बरसाती हैं के...
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आज के चर्चा मंच में केवल 11 चिट्ठों की चर्चा ही लगा पाया हूँ!
शुभकामनाओं सहित-
आज के चर्चा मंच में केवल 11 चिट्ठों की चर्चा ही लगा पाया हूँ!
शुभकामनाओं सहित-
टिप्स हिंदी में ब्लॉग को स्थान देने के लिए धन्यवाद | हैकरों ने ट्विटर को बनाया निशाना,
जवाब देंहटाएंअपने कब्जे में ले किया DNS में बदलाव :- ये लिंक काम नहीं कर रहा |
टिप्स हिंदी में
अच्छी चर्चा . मेरी कविता एक ख्वाब जलता हुआ सा को शामिल करने के लिए शुक्रिया
जवाब देंहटाएंजबरदस्त ...!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा संकलन है.सभी रसों का समावेश किया गया है.ये शास्त्री जी आपका ही अध्यवसाय है कि चर्चा मंच इतना लोकप्रिय व पठनीय आधार बन गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंसुंदर सुंदर लिंक्स !!
चर्चा मंच का यह प्रयास सराहनीय है । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है। धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा लिनक्स का चयन
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा चर्चा | मेरी रचना "आज हुई पहली बरसात" को शामिल करने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंआपका श्रम सराहनीय है.अतिसुन्दर प्रयास.
जवाब देंहटाएंमोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
अच्छी चर्चा ....
जवाब देंहटाएंचर्चा की चर्चा चली, प्रस्तुत पोस्ट पुरान |
जवाब देंहटाएंमई माह से छप रही, समझें नहीं सयान |
समझे नहीं सयान, बेस्ट चर्चाएँ शामिल |
आये कई बयान, असहमत पाठक बेदिल |
मगर पुरानी पोस्ट, पढो रविकर बिन खर्चा |
पाय पुराने ब्लॉग, करो उनकी भी चर्चा ||
चर्चा की चर्चा चली, प्रस्तुत पोस्ट पुरान |
जवाब देंहटाएंमई माह से छप रही, समझें नहीं सयान |
समझे नहीं सयान, बेस्ट चर्चाएँ शामिल |
आये कई बयान, असहमत पाठक बेदिल |
मगर पुरानी पोस्ट, पढो रविकर बिन खर्चा |
पाय पुराने ब्लॉग, करो उनकी भी चर्चा ||
नये पुराने का संगम भा रहा है………सुन्दर लिंक संयोजन
जवाब देंहटाएंसुन्दर पठनीय सूत्र..
जवाब देंहटाएंबेहतर लिंक्स
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंक्स ....रोचक चर्चा...आभार
जवाब देंहटाएंअच्छा संकलन शास्त्री जी, आभार !
जवाब देंहटाएंgreat links...thanks..
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच में विभिन्न लिंकों में अनेक उत्तम रचनाओं को पढ़ा |अति सार्थक प्रयास |
जवाब देंहटाएंचर्चामंच के प्रवेशांक अंक के साथ सुन्दर लिंक संयोजन प्रस्तुति के लिए आभार
जवाब देंहटाएंनये पुराने लिंकों का सुंदर संगम,..,,,,,
जवाब देंहटाएंमेरा आलेख शामिल करने का शुक्रिया...सारे लिंक्स अच्छे हैं।
जवाब देंहटाएंअच्छी लिंक्स से सजा चर्चा मंच चर्चा मंच प्रवेशांक भी अच्छा लगा |
जवाब देंहटाएंआशा
bahut baduya charcha...
जवाब देंहटाएंmere link deval devi khushraushah-aik premkatha jo bhula di gai, ko shamil karne ke liye shukriya..
बहुत बढ़िया प्रयास सरे ब्लोग्स को एक साथ संजोने का.
जवाब देंहटाएं----------
.मेरे ब्लॉग पे आएगा
आज भारत बंद है
प्रगतिशील सरकार की पहचान !
सुन्दर, सार्थक एवं सुव्यवस्थित चर्चा !
जवाब देंहटाएंसद्य स्नाता सा ताज़ा और नव यौवना सा विकासमान हो रहा है चर्चा मंच .लिंक नए और शुरु -आती भाये यकसां शास्त्रीजी ,बधाई ले लो शास्त्री जी .. .कृपया यहाँ भी पधारें -
जवाब देंहटाएंram ram bhai
शनिवार, 9 जून 2012
स्ट्रेस से असर ग्रस्त होतें हैं नन्नों के नन्ने विकासमान दिमाग
http://veerubhai1947.blogspot.in/
अच्छी चर्चा . मेरी कविता को शामिल करने के लिए शुक्रिया
जवाब देंहटाएं