मित्रों!
बहन राजेश कुमारी जी अभी प्रवास पर हैं। शायद अगले मंगलवार की चर्चा लगायेंगी। इसलिए मंगलवार की चर्चा मैं ही संक्षिप्त टिप्पणी के साथ पेश कर रहा हूँ!
बहन राजेश कुमारी जी अभी प्रवास पर हैं। शायद अगले मंगलवार की चर्चा लगायेंगी। इसलिए मंगलवार की चर्चा मैं ही संक्षिप्त टिप्पणी के साथ पेश कर रहा हूँ!
- त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ... माँ के चरणयुगल में मेरा प्रणाम!
- पिता.... पिता की मार में भी प्यार होता है!
- "पिता की आकांक्षाएँ" बहुत होती हैं अपने पुत्र से!
- "आओ अपना धर्म निभाएँ" हर एक को निभाना चाहिए!
- आज का दिन पिता के नाम ? आज का ही दिन क्यों पूरा जीवन भी यदि पिता के नाम कर दें तो भी उनके ऋण से उऋण नहीं हो सकते।
- मेरे पापा... ईश्वर के बाद पिता का दर्जा परमात्मा से कम नहीं है!
- क्योंकि वह पिता है... पितृ देवो भव!
- मेरे पिता एक आदर्श गुरू... द्वितीय गुरू पिता ही होता है!
- पिता, पत्ता और पता... अच्छा विश्लेषण किया है शब्दों का!
- इक पुराना पेड़, है अभी तक गाँव में... ईश्वर करे इसकी छाया टुगों-युगों तक मिलती रहे।
- बहेलिए के नाम एक संदेश... अब तो पंछी को पिंजड़े से आजाद करो!
- ये चीत्कार... कहता है कि निर्दोषों को खून बहाना बन्द करो!
- कुछ जानी पहचानी...कुछ अंजानी...पर्वतों की रानी... मसूरी की शान ही निराली है।
- चुनौतिया शुरू होंगी राष्ट्रपति चुनाव के बाद.. आगे-आगे देखिए होता है क्या?
- कौल कंडली मन्दिर... कभी तो हमें भी यहाँ जाने का सौभाग्य मिलेगा ही!
- साथ तेरा मेरा... जीवन भर का बन्धन!
- पत्थर, कागज ,मिटटी , हवा या खुशबू ज़िन्दगी की... यही तो मकसद है जीवन का!
- "महारानी लक्ष्मीबाई के 154वें बलिदान-दिवस पर"... नमन!
- संजय की हो दूर दृष्ट, या नियोग संतान.... आपकी काव्यात्मक टिप्पणियों का जवाब नहीं!
- कचरा फैलाऊ हम..... इसके जिम्मेदार हम सभी हैं!
- मन के कीड़े... पुरानी यादों को कुरेदते रहते हैं!
- हमने समझा था ,हमें सुकून मिल गया... छलावा है यह जीवन!
- मैं बेनका़ब हो जाऊँ ... मगर बेबसी आड़े आती है!
- ग़ज़ल कुञ्ज आपने बहुत सुन्दर गज़लपुंज लगाई है!
- कागज मेरा मीत है, कलम मेरी सहेली...... फिर किस बात की कमी है, लिखते चले जाइए....!
- बहुत अच्छा लगता है.. है ना.. वाकई में बहुत अच्छा लगता है!
- लहरें और चट्टान... पर्वतः दूरतः रम्या लगन्ति!
- विज्ञान विविधा में आज नुस्खे सेहत के और बहुत कुछ... तन्दुरुस्ति हजार नेमत!
- प्रेम-वरदान ..... मगर दुनिया में ऐसा कहाँ सबका नसीब है!
- लिखते हुए, शब्दों की अपार कमी है... माँ की वन्दना कीजिए न!
- कहती है जिंदगी....
- वर्षा रानी जल्दी आओ... दो-तीन दिन में आपकी पुकार इन्द्र देव सुन लेंगे!
- सोचा की आज आपके नाम एक ख़त लिखूँ.... आप लिखते जाइए, हम पढ़ते जायेंगे!
आज के लिए केवल इतना ही! नमस्ते जी!!
पढ़ने के लिये कितना कुछ
जवाब देंहटाएंबहुत ही सारगर्भित चर्चा है और इस चर्चा में काफी पठनीय लिंकों का समावेश किया गया है .. .आभार
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा...........
जवाब देंहटाएंदिन भर के लिए पढ़ने का काम मिल गया.....
देखते हैं बारी बारी..
सादर
bahut acchi prastuti...thanks nd aabhar....
जवाब देंहटाएंबहुत कुछ है आज की चर्चा में उम्दा चर्चा !
जवाब देंहटाएंचर्चा में कितना करें, समय गुरूजी खर्च |
जवाब देंहटाएंपाठक-गण वाचन करें, करनी पड़े न सर्च |
करनी पड़े न सर्च, सजी उत्कृष्ट अनोखी |
खट्टी-मिट्ठी मस्त, प्रस्तुती ताज़ी चोखी |
करूँ नहीं टिप्पणी, पढ़े बिन कुछ भी पर्चा |
होगी यह तौहीन, समय जो लेती चर्चा ||
बढ़िया चर्चा लगाई है...आभार
जवाब देंहटाएंसारगर्भित सुंदर चर्चा है,,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST ,,,,फुहार....: न जाने क्यों,
सारगर्भित सुंदर चर्चा है,,,,,मेरे आलेख को स्थान देने के लिए आप का बहुत बहुत आभार शास्त्री जी...
जवाब देंहटाएंबढिया चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और रोचक लिंक्स..आभार
जवाब देंहटाएंबहुत से लिंक ... लाजवाब चर्चा ...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा !
जवाब देंहटाएंपठनीय लिंकों का बहुत सुन्दर संयोजन..आभार..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और रोचक लिंक्स.
जवाब देंहटाएंस्पर्श पाके आपका लघु की महिमा भी अपरम पार हो जाती है .स्माल इज ब्यूटीफुल ./अच्छी चर्चा रही ऐसा नहीं लगा बेगार टाली है .अच्छे और सामयिक लिंक्स रहे पितृ प्रेम और ग़ज़ल के गिर्द सेहत का हाल सुनाया आपने .हमें भी बहुत लुभाया आपने .
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स पढने को मिलीं |
जवाब देंहटाएंआशा
लिंक ही लिंक! सुंदर चर्चा।
जवाब देंहटाएंSIR बहुत ही सुन्दर चर्चा (मेरी दो पोस्ट शामिल करने के लिए आभार)
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