कभी आप ने देखी क्या?? आज देख लो --
कौन देगा प्यार ....
आधी आबादी यहाँ, रविकर जैसे लोग ।
कुरूपता का दंश यूँ, नियमित लेते भोग ।
नियमित लेते भोग, मगर भरपाई करते ।
मानवता के लिए, जीये फिर झटपट मरते ।
सुन्दर चेहरेदार, मगर सामाजिक व्याधी ।
खुद तो करते मौज, तड़पती दुनिया आधी ।
सफ़ेद घर
शेयर करते आइडिया, जल पाता ना ताज |
मंत्रालय मुंबई का, और न जलती लाज |
और न जलती लाज, बाज आ जाता पाकी |
आतंकी आवाज, आज ना रहती बाकी |
पंचम सुर में गाय, आज सर आँखों धरते |
मरते ना मासूम, अगर हम शेयर करते ||
लाख लाख शुभकामना, हिट होते हिट लाख |
भभ्भड़ कवि भौंचक खड़े, निश्चय बाढ़े साख |
निश्चय बाढ़े साख, गुरु का वंदन करता |
शिरोधार्य आदेश, ब्लॉग पर रहा विचरता |
मस्त सुबीर संबाद, होय सब मंगल मंगल |
प्रस्तुति पर है दाद, बढे शब्दों का दंगल ||
कुरूपता का दंश यूँ, नियमित लेते भोग ।
नियमित लेते भोग, मगर भरपाई करते ।
मानवता के लिए, जीये फिर झटपट मरते ।
सुन्दर चेहरेदार, मगर सामाजिक व्याधी ।
खुद तो करते मौज, तड़पती दुनिया आधी ।
अग्निबाज क्लासेस
(सतीश पंचम)सफ़ेद घर
शेयर करते आइडिया, जल पाता ना ताज |
मंत्रालय मुंबई का, और न जलती लाज |
और न जलती लाज, बाज आ जाता पाकी |
आतंकी आवाज, आज ना रहती बाकी |
पंचम सुर में गाय, आज सर आँखों धरते |
मरते ना मासूम, अगर हम शेयर करते ||
एक लाख ब्लाग पेज हिट्स का आज आनंद उत्सव मनाया जाये । ये ब्लाग एक साझा मंच है इसलिये ये उत्सव सभी का है । तो आइये आज केवल उत्सव का आनंद लिया जाये ।
पंकज सुबीर
सुबीर संवाद सेवा
सुबीर संवाद सेवा
भभ्भड़ कवि भौंचक खड़े, निश्चय बाढ़े साख |
निश्चय बाढ़े साख, गुरु का वंदन करता |
शिरोधार्य आदेश, ब्लॉग पर रहा विचरता |
मस्त सुबीर संबाद, होय सब मंगल मंगल |
प्रस्तुति पर है दाद, बढे शब्दों का दंगल ||
बिना पार्लर हाट, विलासी मन घबराता -एक बच्चे की चाहत पारिवारिक रिश्ते को अंसतुलित करती है
bhuneshwari malot
(1)
खर्चा पूरा पड़े क्या, जब बच्चा अतिरिक्त |
व्यर्थ व्यस्तता भी बढे, पुन: रक्त से सिक्त | पुन: रक्त से सिक्त, रिक्त बटुवा हो जाता |
बिना पार्लर हाट, विलासी मन घबराता |
माँ का बदला रूप, पार्टी होटल चर्चा |
लैप-टॉप सेल कार, निकल न पावे खर्चा || ZEAL खरी खरी कहती रहे, खर खर यह खुर्रैट । दुष्ट-भेड़ियों से गले, मिलते चौबिस रैट । मिलते चौबिस रैट, यही दोषी है सच्चे । हो सामूहिक कत्ल, मरे जो बच्ची-बच्चे । ईश्वर करना माफ़, इन्हें यह नहीं पता है । बुद्धी से कंगाल, हमारी बड़ी खता है ।। |
फ्री एंटीवायरस, तो ये हैं 'पांच' बेहतरीन वेबसाइट्स
NARESH THAKUR
इंटरनेट में एक तरफ जहां पूरी दुनिया की जानकारी रहती है, वहीं इसमें कई ऐसे
घातक वायरस भी रहते हैं, जो आपके कंप्यूटर को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
हालांकि अगर आप इंटरनेट सर्फिग के दौरान सेफ साइट को ओपन करते हैं, तो पीसी
में वायरस आने का खतरा नहीं रहता। फिर भी वायरस से बचने के लिए एंटीवायरस का
होना बेहद जरूरी है। Knowledge Is Power |
वटवृक्ष -
मेरे आगे मैं दौड़ पड़ी हूँ विंडो सीट के लिए
ट्रेन चल पड़ी है - छुक छुक छुक छुक
हवाएँ पलकों को फरफराने लगी हैं
होठों पर गीत मचलने लगे हैं
कई बार छिलके समेत मूंगफली खा लिया है
यह मासूम खेतों से आगे भागनेवाला बचपन
बहुत प्यारा था !
रश्मि प्रभा
|
"आशा का दीप जलाया क्यों" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
मन के सूने से मन्दिर में, आशा का दीप जलाया क्यों?
वीराने जैसे उपवन में, सुन्दर सा सुमन खिलाया क्यों?
प्यार, प्यार है पाप नही है, इसका कोई माप नही है,
यह तो है वरदान ईश का, यह कोई अभिशाप नही है,
दो नयनों के प्यालों में, सागर सा नीर बहाया क्यों?
वीराने जैसे उपवन में, सुन्दर सा सुमन खिलाया क्यों? |
घोंघे करते मस्तियाँ, मीन चुकाती दाम-आप मुड़ कर न देखते
नीरज गोस्वामी
धीरे से अपनी कहे, नीरज रविकर-मित्र | चींखे-चिल्लायें नहीं, खींचे रुचिकर चित्र | खींचे रुचिकर चित्र, पलट कर ताके कोई | हालत होय विचित्र, राम-जी सिय की सोई | पर मैं का मद आज, कलेजा हम का चीरे | कभी रहा था नाज, भूलता धीरे धीरे || पी सी गोदियाल दुखद मार्मिक कष्टप्रद, दुर्घटना गंभीर | पूँछों उन माँ बाप से, असहनीय यह पीर | असहनीय यह पीर, चीर कर डिंगो खाए | भोगी जोड़ी जेल, अंत निर्दोष कहाए | यहाँ बोरवेल साल, गिराता रहता बच्चा | रहे खोद के डाल, दे रहे दोषी गच्चा ||
Suresh Kumar
मेरी कल्पनायें
गम का सौदा कर चले, दामन में भर शूल |
दूजा भय से देखता, पर रविकर के फूल | पर रविकर के फूल, मूल में याद तुम्हारी | इन यादों में झूल, भूलता विपदा सारी | रविकर रखे सहेज, प्यार की अमित-निशानी | अमिट याद का तेज, पलट कर देखो रानी || |
हवन का ...प्रयोजन.....!!
Anupama Tripathi
anupama's sukrity. वाह वाह अनुपम हवन, किन्तु प्रयोजन भूल । आँख धुवें से त्रस्त है, फिर भी झोंके धूल । फिर भी झोंके धूल , मूल में अहम् संभारे । सुकृति का शुभ फूल, व्यर्थ ही ॐ उचारे । अहम् जलाए अग्नि, तभी तो बात बनेगी । आत्मा की पुरजोर, ईश से सदा छनेगी ।। |
पृथ्वी का संरचनात्मक विकास..श्रृंखला ..भाग तीन-- जीवन का विकास |
हिंदी साहित्य पहेली
1- इस बार सबसे पहले सही उत्तर भेजकर विजेता के विजेता बनी हैं सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी। 2-और सही उत्तर भेज कर इस पहेली के उप विजेता हैं आदरणीय डा0 रूपचंद शास्त्री ‘मयंक’जी |
नींद से महरूम रह जाना उकसाता है जंक फ़ूड खाने को |
कोणार्क सूर्यमन्दिर : अभिशप्त ब्रह्मा, अभिशप्त केतकी ?
गिरिजेश राव
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"कार ला दो एक उधार ला दो"Sushil"उल्लूक टाईम्स " गृहणी की चिक-चिक ख़तम, ले आया इक कार | कार्यालय अतिशय निकट, फिर भी अब दरकार | फिर भी अब दरकार, हुआ कम पैदल चलना | वजनदार अंदाज, सुबह नित पड़े टहलना | बढ़ा पेट मधुमेह, दाब भी ऊंचा होया | पैदल दौरे बंद, आज दौरे से सोया || खुरपेंचिया ब्लॉगर अनूप शुक्ल जी !
संतोष त्रिवेदी
खुर वाला खुरपेंच से, झोंके अंखियन धूल | झोंके अंखियन धूल, हजारों रची कुंडली | आलोचक हैं मूक, दीखती नहीं मंडली | अहमक भाव अनूप, अहम् का पीकर हाला | लांछित करके लेख, पूजता है सुरबाला || |
बंदरों की कैद में....
देवेन्द्र पाण्डेय
छुपे गडकरी दीखते, लुकी सोनिया माय ।
बबलू को अति-प्यार से, दुग्ध पिलाती धाय ।
दुग्ध पिलाती धाय, प्रणव इस्तीफा लिखते ।
खाईं कुआं निहार, संगमा नीचे दिखते ।
राजा पाया बेल, जेल को ताक रहा है ।
भागे बन्दर तीन, कटाता नाक रहा है ।।
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सीधा सरल उपाय, भीग छतरी में आधा-दिनेश की दिल्लगीमुनव्वर राना की शायरी और हम लोग !
संतोष त्रिवेदी
बैसवारी baiswari
राय बरेली का जमा, दिल्ली में जो रंग |
जमी मुनौव्वर शायरी, एन डी टी वी दंग | एन डी टी वी दंग, अजी संतोष त्रिवेदी | आया किसके संग, इंटरी किसने दे दी | कहाँ मित्र अविनाश, स्वास्थ्य कैसा है भाई ? श्रेष्ठ कलम का दास, स्वस्थ हो, बजे बधाई || याद हैं मुझे वो सारी बातें
Mridula Harshvardhan
Naaz
नाज प्यार पर है हमें, नजर नहीं लग जाय |
काला टीका लूँ लगा, सीधा सरल उपाय | सीधा सरल उपाय, भीग छतरी में आधा | कंधे-मन रगड़ाय, बाढ़ बन जाती बाधा | थाम परस्पर पृष्ट, बढे हम तीक्ष्ण धार पर | संतुष्टी संदृष्ट, हमें है नाज प्यार पर || इन्तहां प्यार की---
JHAROKHA
JHAROKHA अगर झरोखे में दिखे, गजल गजब उत्कृष्ट । ताक-झाँक नियमित करूँ, नहीं हटाऊं दृष्ट । नहीं हटाऊं दृष्ट , गरीबी बड़ी नियामत । जिन्दा वह इंसान, झेल के बड़ी क़यामत । स्नेह दीप को बार, चुने चेहरे वह चोखे । बाइस्कोप संवार, ताकता उसी झरोखे ।। क्षणिकाएँ
Dr.NISHA MAHARANA
क्षणिकाएं देती सजा, निशा करे आराम । लो पाठक इनका मजा, यात्रा बाद विराम । यात्रा बाद विराम, तोड़ वृत्तांत लिखूँगी । कल से फिर अविराम, आपके संग दिखूंगी । छल-पर्वत संगीत, रात दिन दुःख भरमाये । बहुत बहुत आभार, बड़ी सुन्दर क्षणिकाएं । (भारत का सिरमौर काश्मीर) श्री नगर में दूसरा दिन परीमहल ,चश्मे शाही ,शालीमार गार्डन ,हजरत बल और डल लेक - चित्रों की खुबसूरती, शब्दों का भावार्थ | कृष्ण हांकते रथ चले, आनंदित यह पार्थ | आनंदित यह पार्थ, वादियाँ काश्मीर की | हजरत बल डल झील, पुराने महल पीर की | रविकर टिकट बगैर, घूमता जाए मित्रों | कर लो सब दीदार, आभार अनोखे चित्रों || |
कई लिंक्स से सजा आज का चर्चामंच |
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
आशा
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंरविकर जिस अंदाज
जवाब देंहटाएंसे चर्चामंच सजाता है
क्या बताऊँ सच ही
में मजा आ जाता है
थोड़ा बहुत कूड़ा जो
मैं अपने ब्लाग में
डाल के आता हूँ
भाई जी का आभार है
उसे उनकी टिप्प्णी
के कारण सोना
यहाँ बना पाता हूँ ।
सुन्दर चर्चा , हमेशा कि तरह
जवाब देंहटाएंhriday se aabhar Ravikar jii .Is utkrisht charcha me merii rachnaa ko sthaan milaa ...!!
जवाब देंहटाएंइस काव्य परिपूर्ण बेजोड़ चर्चा एवं उसमे मेरी प्रविष्ठी शामिल करने हेतु आपका आभार रविकर जी !
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छे लिंक्स संयोजित किये हैं आपने ... आभार
जवाब देंहटाएंवाह रविकर जी सुन्दर लिंक्स सयोंजन
जवाब देंहटाएंbhagti daudti zindagi mein beeti yaadon ko jagah dene ke liye abhaar
जवाब देंहटाएंsabhi links sunder aur interesting hain
naaz
Meri shayari Zabt-e-Gum ko shamil karane ke liye bahut-bahut dhanyawaad....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंक संयोजन्।
जवाब देंहटाएंरविकर जी!
जवाब देंहटाएंदिनेश की दिल्लगी पर 1000वीं टिप्पणी के लिए बहुत-बहुत बधाई आपको!
--
आज की चर्चा में बहुत उपयोगी लिंग लगाये हैं आपने!
आभार...!
मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार...
जवाब देंहटाएंसभी लिंक्स दिलचस्प हैं...आपको हार्दिक धन्यवाद एवं शुभकामनाएं .
बेहतरीन चर्चा.
जवाब देंहटाएंबढ़िया है महाराज ,न बंटाधार करो !
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक नराज,हमीं से प्यार करो !
waah manbhawan trike se sjaya gaya links...dhanyavad nd aabhar.......
जवाब देंहटाएंचुन चुन कर मोती लाये हैं आप। इन बेहतरीन लिंक्स तक पहुँचाने के लिए आपका आभार।...I admire your unique and matchless comments.
जवाब देंहटाएंरविकर भैया आज तो आपकी चर्चा ने गजब ढ़ा रखा है बहुत ही सुन्दर लगी है आभार मुझे भी शामिल करने के लिए मेरी ब्लॉग पर आपकी टिपण्णी बहुत प्यारी लगी
जवाब देंहटाएंवाह, सब कुछ काव्यमयी..
जवाब देंहटाएंक्या कहने हैं चर्चा मंच के सब के लिए लाएं हैं सब कुछ अपने रविकर दादा ,ज्ञान विज्ञान शायरी ,कथा लघु ,कश्मीर भी यहीं हैं ,भाव कणिकाएं भी क्षणिकाएं भी और आपकी खुद की कुंडलियाँ यत्र तत्र सर्वत्र .बधाई संयोजन की खूबसूरती और श्रम के लिए .
जवाब देंहटाएंआपके श्रम की दाद देता हूँ ,,,,
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छे सूत्र ,,,,,,
MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: बहुत बहुत आभार ,,
bahut hi badhiya sabhi ke links padh kar atyany°t prasannta hui iske lye aap bahut bahut badhai ke patra hain
जवाब देंहटाएंsadar dhanyyaad
poonam