मित्रों!
राजेश कुमारी जी यात्रा पर हैं इसलिए दो मंगलवार की चर्चा लगाने की जिम्मेदारी मुझ पर है। प्रस्तुत है उन्हीं की शैली में मंगलवार का चर्चा!
कुछ मित्रों ने सुझाव दिया था कि लिंक पर कुछ कमेंट भी किया करो।
मगर कमेंट करना तो आप सभी पाठकों का काम है। फिर भी कोशिश करता हूँ!
राजेश कुमारी जी यात्रा पर हैं इसलिए दो मंगलवार की चर्चा लगाने की जिम्मेदारी मुझ पर है। प्रस्तुत है उन्हीं की शैली में मंगलवार का चर्चा!
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- कबीरा खडा़ बाज़ार में...हिमालय में बसे श्रीखण्ड महादेव की पवित्र श्रीखण्ड छड़ी यात्रा 30 जून 2012 को जिला कुल्लु के निरमण्ड से आरम्भ हो रही है। छड़ी यात्रा का नेतृत्व महंत अशोक गिरी फलाहारी बाबा करेंगे। यात्रा के विस्तृत विवरण की प्रतीक्षा रहेगी।
- कुछ अशुद्ध शब्द जो अंतरजाल पर बहुतायत में हैं .. जी हाँ, अन्तरजाल पर बहुत से शब्दों की पर्तनी ठीक नहीं है।
- विवाहित होते हुए भी अविवाहित दिखने की होड़... कुछ मजबूरियाँ होंगी।
- खुशदीप भैया... गेट वेल सून (Get Well Soon) जल्दी आइए खुशदीप जी।
- एक क्षण ठहर कर... मुझे याद है* *जब भी वहाँ * *‘उस’ खिडकी से * *झाँका करती थी * *देखा करती थी मैं * *दूर गगन में... कितना सुन्दर होगा वो दृश्य!
- गर्भाशय गर्दन कैंसर से मरने वाली हर चौथी महिला आज भारतीय क्यों है ? आपने इस पर खासा प्रकाश डाला है।
- एक खामोश लड़की के लिए.... उस खामोश लड़की के लिए शिकायत कर नहीं पाती ख़िलाफ़त कर नहीं पाती उसे सहने की आदत है बग़ावत कर नहीं पाती कभी सीखा नहीं उसने सबक़ ये दाँव- पेचों का सितम सहती मगर... इसलिए कि वो नारी है।
- आधुनिक- लिंग पुराण...व....कन्या-भ्रूण ह्त्या... कन्या भ्रूण हत्या समाज पर कलंक है।
- गूगल महाराज का तमाशा| हम तो साढ़े तीन साल से ये तमाशे देखते आ रहे हैं।
- विधवाओं के पुनर्वास की व्यवस्था क्या हो ? युवतियों को बहन और वृद्धाओं को मान बना कर अपना लीजिए।
- "लेखक मुद्दा पाठक " - *कोई चैन से लिखता है, कोई बैचेनी सी दिखाता है, डाक्टर के पास दोनो ही में से कोई नहीं जाता है.... क्योंकि हिन्दुस्तान में सब डॉक्टर हैं।
- कुछ हिस्सों का पटाक्षेप कभी नहीं होता - सुना था आज मंगल , शुक्र बृहस्पति और बुध का अनोखा संयोग है आस्मां में चमकेंगे शाम के धुंधलके में दो माह तक मैंने भी बीनने शुरू कर दिए अपने हिस्से के दाने... आपकी बात सही है।
- नम आखों के प्रश्न ! - *औरत की आखों को* * कभी झील कहा उनको,* *कभी सागर की गहराई नापी * *नील गगन की विशालता से* *उनको परिभाषित किया गया,* *अनुसुइया सी ममता देखी..... इन का कोई अन्त नहीं है।
- चारधाम (उतराखंड )की यात्रा ......संस्मरण - ब्लागर साथियों आपलोगों को बताते हुए बड़ा हर्ष हो रहा है की मेरी अविस्श्नीय,अकल्पनीय ,अविस्मरणीय .... आपकी यात्रा मंगलमय हो!
- रैडीमेड - अनवंत कौर विवाह के पाँच साल बाद हुए पहले बच्चे का जन्मदिन था। दोनों उसे धूमधाम से मनाना चाहते थे.... अड़चन क्या है जी! खूब जमकर मनाइए।
- बुरे का फल बुरा ही मिलता है : कहानी - एक ठाकुर और एक नाई के बेटे में बड़ी मित्रता थी| नाई का बेटा बड़ा कुब्दी (कुटिल) व ठाकुर का बेटा बड़ा भोला था.... बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से पाय!
ब्याह रचाने के लिये,,,,, गाँठ में पैसा भरपूर होना चाहिए।
- माहिया - *तुहिना रंजन * *1* *विधु-सी बाला सुन्दर ।*** *नैन उठाये जो** * *उमड़े मोहक सागर ।*** *2* *नाच हिया उठता तब ।*** *रूठे** मुखड़े पर * *मुस्कानें** खिलती... हँसती खिलती मुस्कान सबको भाती है।
- गरजो बादल , बरसो बादल - सूख गई आँगन की तुलसी और सूख गई माँ की आंचल गरजो बादल , बरसो बादल... अब जल्दी ही बरसात भी आने वाली है।
- बांसुरी हम ( हाइकु ) -विकल्प कहाँ जनता के सामने राजनीति में । बांसुरी हम गूँज रहा है नाद कोई अज्ञात । पालतू नहीं दहशतगर्द तो जंगली कुत्ते.... बाँसुरी है तो नाद तो गूँजेगा ही।
- बद्जुबान क्यों हो रही है टीम अन्ना ... खिसियानी बिल्ली और क्या करे?
- सुनो अन्ना... मन डोले, मेरा तन डोले...सुर मिलने चाहिए, तन-मन को डुलाने से मंजिल नहीं मिलेगी।
- नेहरू की ऐतिहासिक भूल या फिर ऐतिहासिक षड़यंत्र ? क्या कहें मौन रहना ही बेहतर है जी।
- किस्मत की लकीर... सबके हाथों में होती हैं।
कार्टून :- क्यों पैसा पैसा करती है...
पैसे बिना काम भी तो नहीं चलता है!
आज के लिए इतना ही.....!
नमस्ते!!
कार्टून को भी सम्मिलित करने के लिए आपका आभार
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा सकलन, साथ में समयोचित कार्टून, बधाई.
जवाब देंहटाएंकुछ लिंक्स बहुत शान दार हैं |कार्टून अच्छा है
जवाब देंहटाएंआशा
बढ़िया चर्चा...टिप्पणी ने लिंक में चार चाँद लगा दिया हैं...कार्टून बढ़िया है...आभार !!
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंलौटा बुद्धू घर को आया, लम्बा बहुत प्रवास रहा |
जवाब देंहटाएंस्नेह-सिक्त पवनों के झोंके, अभिनव बेहद ख़ास रहा |
सुबह सुबह आकर बैठा हूँ, भीषण गर्मी अकुलाये -
कल से नियमित फिर आऊँगा, आज तलक अवकाश रहा ||
ढेर सारे बेहतरीन ब्लॉग्स के बीच अपनी प्रस्तुति अच्छी लगी .
जवाब देंहटाएंआभार !
पर्तनी ?
शास्त्री द्वारा आज की शानदार रचनायें एकत्रित कर चर्चां मंच तैयार करने का आभार
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ मेरे लिंक को
जवाब देंहटाएंभी आपने लगाया है
रविकर लौट के आया है
उसने भी टिप्प्णी में बताया है
चर्चामंच लाजवाब आपने
आज का सजाया है।
बड़े ही रोचक सूत्र..
जवाब देंहटाएंरोचक लिंक्स संयमित चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत शान दार लिंक्स,रचना शामिल करने के लिये आभार ,,,,,,,
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा संकलन..शान दार लिंक्स,...
जवाब देंहटाएंसभी लिंक्स एक से बढकर एक
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा
बढ़िया लिंक परोसे हैं आपने .रविकर जी का भी इतजार है .
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक परोसे हैं आपने .रविकर जी का भी इतजार है .
जवाब देंहटाएंशास्त्रीजी बहुत सुंदर सुंदर लिंक दिए और उनमें विचारणीय विषय मिले. इसके लिए धन्यवाद और मेरी कविता को इस में शामिल करने योग्य समझा इसके लिए आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंक्स के साथ सार्थक चर्चा प्रस्तुति ..
जवाब देंहटाएंआभार
Nice collection .
जवाब देंहटाएंabhar .
बहुत ही अच्छे लिंक्स चयनित किये हैं आपने ...आभार
जवाब देंहटाएंरोचक लिंक्स
जवाब देंहटाएंआभार
बढ़िया चर्चा.... सुन्दर लिंक्स...
जवाब देंहटाएंसादर आभार.
सुंदर चर्चा, बढ़िया लिंक्स.
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