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मंगलवार, दिसंबर 31, 2013

"वर्ष 2013 की अन्तिम चर्चा" (चर्चा मंच : अंक 1478)

मित्रों!
मंगलवार की चर्चाकार बहन राजेश कुमारी जी
थोड़े दिन के लिए बाहर हैं। इसलिए मंगलवार की चर्चा में 
मेरी पसन्द के लिंक देखिए। 
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बस एक सलाम और तुझे 
ऐ साल जाते जाते 

मनाइये इक्क्तीस दिसम्बर 
थ्री चियर्ज के साथ साल तो 
अगले साल का भी जायेगा 
एक साल बाद इसी तरह 
नये साल की शुभकामनाओं के साथ ... 
उल्लूक टाईम्स पर सुशील कुमार जोशी 
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"राम सँवारे बिगड़े काम" 
ram
राम नाम है सुख का धाम।
राम सँवारे बिगड़े काम।।

असुर विनाशक, जगत नियन्ता,
मर्यादापालक अभियन्ता,
आराधक तुलसी के राम।
राम सँवारे बिगड़े काम।।

सुख का सूरज
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*ॐ* *अलविदा 2013.... 
शुभागमन 2014  
वर्ष 2013 दरवाजे पर जाने को आतुर खड़ा है... 
इस वर्ष ने हमें कितना रुलाया पर हँसाया भी  
इस वर्ष ने हमने कितना कुछ खोया पर पाया भी ...
My Photo
अंतर्मन की लहरें  पर  Dr. Sarika Mukesh
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अब शब्द नहीं मिलते 
लिखने की  कोशिश की 
तो लिख भी न पाई 
कि इस  दिल में 
ख्वाब नहीं रहते ...
Pratibha Verma
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दो साहिल नफरत व मुहब्बत  
---पथिक अनजाना --- 
अपनी सारी जिन्दगी में ये इंसान
दोनों साहिलों से चाहे अनचाहे वह
कर्मों व किस्मत से किसी न किसी
कारणवश रूबरू या अन्य कोण से
अन्तत: बेचारा टकरा ही जाता हैं...
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कुछ लिंक "आपका ब्लाग" से
आपका ब्लॉग
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(हेमा पाल)
आज के ज़माने को देख कर ऐसा लगता है जैसे दोड़ लगी पड़ी है एक दुसरे को पछाड़ कर आगे निकलने की। पूछने पर लोग कहते हैं यही तो समझदारी है लोग आगे हो जाने को समझदारी की पराकाष्ठा मानते हैं इसके लिए साम ,दाम ,दण्ड ,भेद की नीति को भी लगा देते हैं।मानो की आगे निकलना एक लड़ाई है।इस दोड़ में अव्वल आने के लिए अपना-पराया,मान-अपमान,उचित-अनुचित का भेद भी भुला देते हैं ...

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यही मृत्यु है चिकित्सा विज्ञान की शब्दावली में 
इसे नैदानिक मृत्यु (Clinical death )कह लो।
इ दम दा मैनु कि वे भरोसा ,
आया आया, न आया ,न आया। 
जीवन की नश्वरता। 
मृत्यु की शाश्वतता की ओर संकेत है 
इन पंक्तियों में। 
मौत के बारे में ग़ालिब साहब ने 
कहा था - 
मौत का एक पल मुएयन है ,
नींद क्यों  रात भर नहीं आती। 

आपका ब्लॉग पर वीरेन्द्र कुमार शर्मा
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आकलन 

विकासशील देशों की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाएं 
15 साल बाद दुनिया के 
वित्तीय परिदृश्य पर डंका बजाएंगी...
KNOWLEDGE FACTORY 
पर मिश्रा राहुल 
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कितने ही रंग...!
उदासी के कितने ही रंग... 
सब एक साथ मुझे मिल गए...! 
उन रंगों में जाने क्या था ऐसा...? 
मन के अनगिन तह छिल गए...
अनुशील पर अनुपमा पाठक
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मेरा रहबरा 

ओ रे मितवा, 
तू है मेरा रहबरा बन रहा है, 
तुझसे मेरा राबता 
दिल से मेरे है अब...
तमाशा-ए-जिंदगी पर 
Tushar Raj Rastogi 
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दिल क्या चाहे - एक कविता

दुश्मनों का प्यार पाना चाहता है 
हाथ पे सरसों उगाना चाहता है ...
* पिट्सबर्ग में एक भारतीय * पर 
Anurag Sharma
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नयी करवट 
(दोहा-गीतों पर एक काव्य) 
(६) 
ढोल की पोल 
(घ) 
अधर्म-अफ़ीम 
 

इनके ‘झाँसे’ में फँसे, भोले कई “प्रसून” | 
समाज भटका ‘भ्रष्ट पथ’, पनपे ‘पाप’ असीम ||

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अब और तो चारा नहीं 

ग़ाफ़िल की अमानत पर 

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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दिसम्बर की आखिरी पूरी रात 

Rhythm पर नीलिमा शर्मा 

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आज यह खूंटी पर टंगा कलेंडर 
खामोश सा है 
My Photo
Shabd Setu पर 

RAJIV CHATURVEDI
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"टोपी हिन्दुस्तान की" 
आम आदमी लेकर आया, टोपी हिन्दुस्तान की।
ये तेरी भी, ये मेरी भी, ये मजदूर किसान की।।
उच्चारण
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2014 कल तुम आओगे 

Good Bye 2013 
तुमको दुलारने लगूंगा पुकारने लगूंगा 
तुम्हारी राह बुहारने लगूंगा 
शुभकामनाओं के फ़ूल बिखेर बिखेर 
अपने तुपने संबंध को 
मेरे अनुकूलित करने 
किसी पंडित को बुला 
पत्री-बांचने दे दूंगा उसे ...  
या तुम्हारे कालपत्रक पंचांग को पाते ही 
पीछे छपे राशिफ़ल को बाचूंगा.. 
नुक्कड़ पर Girish Billore 
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नया वर्ष ! 

मेरे विचार मेरी अनुभूति पर 

कालीपद प्रसाद 
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नये साल की गंध। …… २०१४ 

नये छंद से, नये बंद से
नये हुए अनुबंध

नयी सुबह की नयी किरण में
नए सपन की प्यास
नव गीतों के रस में भीगी
मन की पूरी आस

लगे चिटकने मन की देहरी
शब्दों के कटिबंध...

सोमवार, दिसंबर 30, 2013

"यूँ लगे मुस्कराये जमाना हुआ" (चर्चा मंच : अंक-1477)

मित्रों!
सोमवार के लिए मेरी पसंद के लिंक निम्नवत हैं।
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खिलती धूप 

Akanksha पर Asha Saxena 
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खाली बोतलों से बना सपनों का आशियाना 

 अपने आशियाने को अनोखा और सबसे सुंदर बनाने की हर किसी को चाहत होती है। घर के डिजाइन को लेकर कई इंजीनियरों से सलाह लेने के अलावा घंटों इंटरनेट पर बैठकर कुछ अलहदा तरीका ढूंढ़ा जाता है। ऐसा ही एक आशियाना इन दिनों मंडलेश्वर मार्ग पर प्राचीन वृद्धकालेश्वर के समीप बन रहा है...
मुझे कुछ कहना है ....पर अरुणा 
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जीवन का मंत्र.... 
एक पुरानी कहानी
बचपन में सुनी कहानी आज भी चरितार्थ है। खासकर केजारीबाल के संदर्भ में। एक बुढ़ा आदमी जब मरने लगा तो उसने अपने बेटा को बुलाकर कहा कि चलो तुमको समाज के बारे में अच्छी तरह सबक दे देता हूं। उसने एक घोड़ा मंगाया और उसके उपर खुद बैठ बेटा को लगाम पकड़ कर चलने के लिए कहा...
चौथाखंभा पर ARUN SATHI 
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तुम रहोगे दिल में हमारे... 

अलविदा २०१३
स्वागतम् २०१४
मधुर गुंजन पर ऋता शेखर मधु
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यूँ लगे मुस्कराये जमाना हुआ 
जब से श्वासों का फिर से न आना हुआ 
ख़त्म जीवन का तब से तराना हुआ । 
इस कदर चाहता मेरा दिल है तुझे 
हार कर तेरा ही अब खजाना हुआ ...
गुज़ारिश पर सरिता भाटिया
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कितने दोहरे मापदंड ! 

व्यक्ति व्यक्ति से बने 
समाज के कितने दोहरे मापदंड हैं ! 
पत्नी की मृत्यु होते उम्र से परे, 
बच्चों से परे पति के 
एकाकी जीवन की चिंता करता है 
खाना-बच्चे तो बहाना होते हैं ....
मेरी भावनायें...पर रश्मि प्रभा..
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कांग्रेस बोले तो करप्ट पार्टी 
कांग्रेस पार्टी करप्ट पार्टी के रूप में बदनाम (मशहूर )हो चुकी है। इसलिए कांग्रेस आदर्श स्केम के गिर्द गिरिफ्त में आये महाराष्ट्र के कांग्रेसियों (मौसेरे भाइयों )को हटाने का नाटक तो कर सकती है लेकिन नैतिक बल अब कांग्रेस के पास कहाँ हैं...
आपका ब्लॉग पर 

Virendra Kumar Sharma
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पिछ्ला साल गया 
थैला भर गया 
मुट्ठी भर यहाँ कह दिया
सही दफन करने से पहले 
एक नजर देख ही लिया जाये 
जाते हुऐ साल को...
उल्लूक टाईम्सपरसुशील कुमार जोशी
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ये कोशिश है परों को चाँद के फिर से कुतरने की ... 
खबर है आसमां पे कुछ सितारों के उभरने की 
ये कोशिश है परों को चाँद के फिर से कुतरने की...
स्वप्न मेरे...पर Digamber Naswa 
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व्यंग्य---ये खिसिआये हुए लोग 
आखिरकार बहुत सारे लोगों को चिढ़ाते और उनकी टिल्ली- लिल्ली करते हुए अरविन्द केजरीवाल दिल्ली की गद्दी पर बैठ ही गए. और "आप" ने देश के दिल में अपनी सरकार बना ही ली. यकीनन यह ढेर सारे लोगों के लिए एक बहुत बड़ा सदमा है. खास कर ऐसे लोगों के लिए जो आप” और उसके झाड़ू से खीझे और डरे हुए हैं. ये कत्तई नहीं चाहते थे कि उन की सरकार बने. पर बार-बार उनको उंगलिया ज़रूर रहे थे कि नंबर दो पर आये होतो क्या हुआबहुमत नहीं मिला है तो क्या हुआहिम्मत हैतो सरकार बना कर दिखाओ. जनता से जो वादे किये हैंउनको पूरा कर के दिखाओ. जैसे उनकी चहेती पार्टियों ने हमेशा ही जनता से किये हुए हर वादे को पूरा कर के दिखाया है....
रात के ख़िलाफ़ पर Arvind Kumar
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दोहा -०१ 

देखो माला काठ की,बदन कढावे छेद 
राम नाम तिस पर चढ़े,समझो सारा भेद . 
DR.JOGA SINGH KAIT JOGI
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मैं और भी निखरती रही........!!! 

साल-दर-साल गुजरते रहे...  
हम गिरते रहे सम्हलते रहे, 
यादो के धागे टूटते रहे बंधते रहे....  
उम्मीदो के सूरज छिपते रहे, 
निकलते रहे......
'आहुति' पर sushma 'आहुति' 
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गीत सुनाती माटी अपने, 
गौरव और गुमान की 
गीत सुनाती माटी अपनेगौरव और गुमान की।
दशा सुधारो अब तो लोगोंअपने हिन्दुस्तान की।।

खेतों में उगता है सोनाइधर-उधर क्यों झाँक रहे?
भिक्षुक बनकर हाथ पसारेअम्बर को क्यों ताँक रहे?
आज जरूरत धरती माँ कोबेटों के श्रमदान की।
दशा सुधारो अब तो लोगोंअपने हिन्दुस्तान की।।
उच्चारण
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"चिड़िया की कहानी" 
बाल कृति 
"हँसता गाता बचपन" से
एक बालकविता
IMG_2480 - Copyरंग-बिरंगी चिड़िया रानी। 
सबको लगती बहुत सुहानी।। 
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एक समय ऐसा भी आता। 
जब इसका मन है अकुलाता।। 
फुर्र-फुर्र बच्चे उड़ जाते। 
इसका घर सूना कर जाते।।
हँसता गाता बचपन
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नक्श फ़रियादी है .....
इक तसल्ली इक बहाना जो मिले ताखीर का 
हम न पूछेंगे खुदाया क्या सिला तदबीर का

आँख पर बाँधे हुए कानून काली पट्टियाँ
हौसला कैसे बढ़े ऐसे में दामनगीर का...

वाग्वैभव पर vandana
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