पाय खुला भू-फलक, नहीं अब "आप" छकाना -
काना राजा भी भला, हम अंधे बेचैन |
सहमत हम सब मतलबी, प्यासे कब से नैन |
प्यासे कब से नैन, सात सौ लीटर पानी |
गै पानी मा भैंस, शर्त की की नादानी |
सत्ता को अब तलक, मात्र मारा है ताना |
पाय खुला भू-फलक, नहीं अब "आप" छकाना |
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आ गया है नया ठेकेदार - अपने-अपने काम करालो
smt. Ajit Gupta
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"कुहासे की चादर" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
छिपा क्षितिज में सूरज राजा,
ओढ़ कुहासे की चादर।
सरदी से जग ठिठुर रहा है,
बदन काँपता थर-थर-थर।।
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भाग–७ वेदों में पर्यावरण चेतना (Environmental consciousness in Vedas)
(Vivek Rastogi)
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Shalini Kaushik
"मयंक का कोना"
मित्रों आज मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं है!
--
‘मैं’ एक समस्यायें अनेक
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjWvCF7nasvZbK0ZWyQwya5u9dKDZP4lfWQdU-mlspDzlOwb1xb_bYrDYB9EIQvP2lGBrUC1vqW6urHj6cUuJZJRj079_BH1Qtg91zoNzXKe4kLexSbE-1m0hImgXJMWRWa6iD93TQnF28/s400/AATMA.jpg)
समस्यायें अनेक
रूप अनेक
लेकिन व्यक्ति केवल एक।
नहीं होता स्वतंत्र अस्तित्व
किसी समस्या या दुःख का,नहीं होती समस्या
कभी सुप्तावस्था में,
जब जाग्रत होता 'मैं'घिर जाता समस्याओं से...
Kashish - My Poetry पर
Kailash Sharma
--
"कुकड़ूकूँ की बाँग लगाता"
--
दाता ही थैला लेके उसके ठौर आ गया है
![](https://lh3.googleusercontent.com/blogger_img_proxy/AEn0k_vxhZp_CpR1mtRe_le8lVrW8rPjojle8jiM1h1hRnx0et9UszhEMeiQnCr3Gn9r8m_xYEXri_-ocyJ_qhYLFXWDC9N2lUZtrD8EuMpQNyX_nIVPb9DwccwAV-cRmSrNIDOx4sVNW7VthYAkl-oSuqjh4o3TW0OhPTWmAnhj0LLf3NaVNWH9=s0-d)
तब्दीली का जहाँ में अब दौर आ गया है ,
कुदरत के ख़त्म होने का दौर आ गया है ....
! कौशल ! पर Shalini Kaushik
--
सरोकारनामा:
व्यवस्था के प्रति विश्वास जगाने की कहानी
दयानन्द पाण्डेय का उपन्यास
कोलाहल से दूर पर डॉ0 अशोक कुमार शुक्ल
--
इस्लाम आईने के सामने - सुधीर मौर्य
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgtC59NBBIW19GDbiqXQi-MsPXnTfmYGpayh3mIoMN2sGEK5VjqgPNOLln4UbZIJP5A3ZaSKiG-NaCBFflOqVapSKxIzTKGaAtroUT7jbVzWhb1Pk4KHAnBC5l7e_0-67KI3liMS3gI1PE/s400/forced+conversion.jpg)
कलम से..
--
स्वप्न
स्वर्णिम भविष्य के लिए ,मानवता विकास के लिए !
पंक में पंकज के लिए ,स्व व पर के लिए सबके लिए !!
स्वप्न होना स्वप्न आना ,स्वप्न पाना स्वप्न की ओर बदना !
स्वप्न बना कर लीन हो जाना ,स्वप्न बुनस्वप्न साकार करना ...
स्व रचना पर Girijashankar Tiwari
--
कभी कभी अनुवाद करने से
मामला गंभीर हो जाता है
![My Photo](//lh4.googleusercontent.com/-ZSb1VU-2raM/AAAAAAAAAAI/AAAAAAAABHM/OzoQ19JGBus/s512-c/photo.jpg)
उल्लूक टाईम्स पर सुशील कुमार जोशी
--
हाइकु -- नवपत्रक
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjUzR24SVQshsUoMkuYD8vUNX8s3FvPfxp5tvCRbCeypl1CLPwsGtEqZzaz-AGgih4xg0z1iYmu1ghrzvkVdVnN8SFgIG5YPMgyYeVwFBjE67WBqrv6KrHecqzUyW_f_tVc1bLZJJp-dzQ/s400/index.jpeg)
१
मृदा ही सींचे
पल्लवित ये बीज
मेरा ही अंश।
२
माटी को थामे
पवन में झूमती
है कोमलांगी।...
sapne(सपने) पर shashi purwar
--
निकाह की 'हाँ'
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhJ9oScrsmD8_XPVAQxR0KH2EJQ8rB5Pl5iQ4NbJTyHxQQvZn8jhtd4wyFsgBNdkC7SSk6BxjRGjQLNqA3rIOIl6yjQFt2EZ1QCxataZcgz_H6VmqjeFRSoYQjj4lbI19vvRegfrNTXsktw/s400/Nikah.jpg)
हमारे देश के मुस्लिम समुदाय में विशेषकर उत्तर भारत में लड़कों और खासकर लड़कियों से शादी से पहले अकसर उनकी मर्ज़ी तक मालूम नही की जाती है, एक-दुसरे से मिलना या बात करना तो बहुत दूर् की बात है... रिश्ते लड़के-लड़की की पसंद की जगह माँ-बाप या रिश्तेदारों की पसंद से होते हैं. ऐसी स्थिति में निकाह के समय काज़ी के द्वारा 'हाँ' या 'ना' मालूम करने का क्या औचित्य रह जाता है?...
छोटी बात पर Shah Nawaz
--
कांग्रेस को वह बालक
जो यह कह दे राहुल कुछ नहीं कर रहें हैं
कभी नहीं मिलेगा।
कांग्रेस अपने तमाम भ्रष्ट आचरण को
वंशकुल की आड़ लेकर ही छिपाए हुए हैं।
इन खुर्राट दुर्मुखों से पिंड छुड़ाना
शहज़ादे के बूते का नहीं है।
![](https://lh3.googleusercontent.com/blogger_img_proxy/AEn0k_suWIFKqcxO6XJcjl8ciiIJwKVUygzfFIIJMXz-Tg6QFuNZ0cVvP6sVOnb2_RhplDmvB4e3L3DpUVlDWb1l4PWvhZXWwtyFzZ9JR2xJfS7hsRYS0HzAezu42mZpt3v9DmT89K0-_OzMwqd727B616B0=s0-d)
17 जनवरी को PM कैंडिडेट घोषित होंगे राहुल?
--
हाइकू (२)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgk4gb-Ol9cnH9sQbaekuD0uo3KO_eEnw5hkRUk-Hj_p5trWslfuZdRwtBZFbvlSCBWDWJn4hljHBTt0U2uVX2q_ZWT7vbFvKs4WjkQ7606F-Kkfa7BrP1M_60uzbwlrACIcsrN1wJBOAA/s400/images.jpg)
Akanksha पर Asha Saxena
--
तुम हो दामिनी !
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhBzqC2aAaZBsaisQJkRmNin0ut-P8-7r-0jAbDRJ5v9d0zqw0l27fk62y_zIGY0VIKUj5n_s5c5hoUgJ5pabb_ZsLXDfEVVTtgE5ixBaE0FRv5sLsdXB4XDa32Dxe7IfhtSI8WVl9FcDGk/s400/tribute.jpg)
वीथी पर sushila
--
मुझे श्रद्दांजली नहीं चाहिए --
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhNLUx0y7MnQCGzam6m1gKIQfNuNmD8QYizYoIyKdT5O6KYeFt18gHyX2eCx1DgW3QAgLAqSnRMTOUOvpv4JhXmKZkRaTa7AlB4qmbrjaCBQvCJ-tSWj_XB39ZS726fODIO0_RJsNFL9UQ/s400/thumb.jpg)
ये पन्ने ........सारे मेरे अपने -पर
Divya Shukla
--
कार्टून :- रे लोकपाल आ गया तू ? शाबाश.
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjhX_hTkL-iyQV858kXqj_NKlCQiaHCgTRb3UFAqF4SFBgGA2j_tIyYyHH_d2HQeEZA57keXVRBHanfUoRzV_kRySIeBabzfwkOnBs9il7x2fATyFm82peLc9nkZyh-3qXjwpETGn6QQuM/s1600/17.12.2013.jpg)
मित्रों आज मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं है!
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‘मैं’ एक समस्यायें अनेक
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समस्यायें अनेक
रूप अनेक
लेकिन व्यक्ति केवल एक।
नहीं होता स्वतंत्र अस्तित्व
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कभी सुप्तावस्था में,
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Kashish - My Poetry पर
Kailash Sharma
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"कुकड़ूकूँ की बाँग लगाता"
बाल कृति
"हँसता गाता बचपन" से
"हँसता गाता बचपन" से
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एक बालकविता
हँसता गाता बचपन--
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कलम से..
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Gay Relationship पर ग़लत है Politics
होमोसेक्सुअलिटी, एक मनोवैज्ञानिक विकृति Homosexuality and Indian Cultureक्रिएटर के स्वाभाविक अधिकार को न मानकर आधुनिक पश्चिमी सभ्यता ने लोगों को आत्म-विस्मृति का शाप भोगने पर मजबूर कर दिया है। हमें उन्हें शाप से मुक्ति का उपाय बताना है न कि उनकी ही तरह शापित हो जाना है। उठो, जागो और वरदान के पात्र बनो! Read entire story and give your opinion on both of these blogs होमोसेक्सुअलिटी, एक मनोवैज्ञानिक विकृतिडा. अनवर जमाल Tuesday December 17, 2013 एक लेख के अनुसार भारत में लगभग 1 करोड़ समलैंगिक हैं। इनमें से कुछ लोग अपने अधिकार के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। ऊँची तालीम पाए हुए कुछ लोग इनकी वकालत...Blog News पर DR. ANWER JAMAL
--स्वप्न
स्वर्णिम भविष्य के लिए ,मानवता विकास के लिए !
पंक में पंकज के लिए ,स्व व पर के लिए सबके लिए !!
स्वप्न होना स्वप्न आना ,स्वप्न पाना स्वप्न की ओर बदना !
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कभी कभी अनुवाद करने से
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१
मृदा ही सींचे
पल्लवित ये बीज
मेरा ही अंश।
२
माटी को थामे
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है कोमलांगी।...
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निकाह की 'हाँ'
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हमारे देश के मुस्लिम समुदाय में विशेषकर उत्तर भारत में लड़कों और खासकर लड़कियों से शादी से पहले अकसर उनकी मर्ज़ी तक मालूम नही की जाती है, एक-दुसरे से मिलना या बात करना तो बहुत दूर् की बात है... रिश्ते लड़के-लड़की की पसंद की जगह माँ-बाप या रिश्तेदारों की पसंद से होते हैं. ऐसी स्थिति में निकाह के समय काज़ी के द्वारा 'हाँ' या 'ना' मालूम करने का क्या औचित्य रह जाता है?...
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कांग्रेस को वह बालक
जो यह कह दे राहुल कुछ नहीं कर रहें हैं
कभी नहीं मिलेगा।
कांग्रेस अपने तमाम भ्रष्ट आचरण को
वंशकुल की आड़ लेकर ही छिपाए हुए हैं।
इन खुर्राट दुर्मुखों से पिंड छुड़ाना
शहज़ादे के बूते का नहीं है।
17 जनवरी को PM कैंडिडेट घोषित होंगे राहुल?
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हाइकू (२)
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कार्टून :- रे लोकपाल आ गया तू ? शाबाश.
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कोलहल से दूर को इस सम्मनित व्लाग पर स्थान देने के लिये हृदय से आभारी हूं
जवाब देंहटाएंसदा बहार इस मन्च पर मेरी रचना शामिल करने के लिये आभार सर |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंरविकर जी आपका आभार!
मयंक जी ! अपने स्वास्थ का ख्याल रखें ! आपके जल्दी स्वस्थ होने के लिये ईश्वर से प्रार्थना औरे शुभकामनाऐं !
जवाब देंहटाएंरविकर की सुंदर टिप्पणियों से सजी चर्चा में कहीं उल्लूक का"कभी कभी अनुवाद करने से मामला गंभीर हो जाता है " को भी स्थान देने के लिये दिल से आभार !
शीघ्र स्वस्थ हो गुरुवर -
जवाब देंहटाएंआभार
सुंदर चर्चा.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ...आभार!
जवाब देंहटाएंचुनिंदा और ज्ञानवर्धक लिंक्स के लिए शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक लिंक्स...आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर, रोचक व पठनीय सूत्र।
जवाब देंहटाएंकाव्य सौंदर्य से भरपूर रचना शैली माधुर्य देखते ही बनता है।
जवाब देंहटाएंदूर-दूर रह कर, क्यों हल को खोज रहे हो,
मरुथल में जाकर, क्यों जल को खोज रहे हो,
गंगा तट पर प्यास बुझाने,
गड़वा लेकर आ भी जाओ।
द्वार खुले हैं, आ भी जाओ!!
जनपदीय शब्दों का सुन्दर प्रयोग किया है रचना में।
किया अर्पण
जवाब देंहटाएंपूरा जीवन तुझे
तूने जाना ना |
मौज़ू मुद्दा उठाया है निकाह की हाँ में।
जवाब देंहटाएंनिकाह की 'हाँ'
Posted on by Shah Nawaz in Labels: Samaj
हमारे देश के मुस्लिम समुदाय में विशेषकर उत्तर भारत में लड़कों और खासकर लड़कियों से शादी से पहले अकसर उनकी मर्ज़ी तक मालूम नही की जाती है, एक-दुसरे से मिलना या बात करना तो बहुत दूर् की बात है... रिश्ते लड़के-लड़की की पसंद की जगह माँ-बाप या रिश्तेदारों की पसंद से होते हैं. ऐसी स्थिति में निकाह के समय काज़ी के द्वारा 'हाँ' या 'ना' मालूम करने का क्या औचित्य रह जाता है???
शादी के बाद पति-पत्नी विवाह को नियति समझ कर ढोते रहते हैं और हालत से समझौता करके जीवनी चलाते है...
मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने शादी का प्रस्ताव देने वाले को वसीयत की है कि वह उस महिला को देख ले जिसे शादी का प्रस्ताव दे रहा है। मुग़ीरा बिन शोअबा रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि उन्होंने एक औरत को शादी का पैगाम दिया तो इस पर नबी (स.) ने फरमाया:
“तुम उसे देख लो क्योंकि यह इस बात के अधिक योग्य है कि तुम दोनों के बीच प्यार स्थायी बन जाये।’’
इस हदीस को तिर्मिज़ी (हदीस संख्या: 1087) ने रिवायत किया है और उसे हसन कहा है तथा नसाई (हदीस संख्या: 3235) ने रिवायत किया है।
कर्म से नहीं मुक्ति मानव की
जवाब देंहटाएंलेकिन अहम् रहित कर्म
नहीं है वर्जित 'मैं'.
हे ईश्वर! तुम ही हो कर्ता
मैं केवल एक साधन
और समर्पित सब कर्म तुम्हें
कर देता यह भाव
मुक्त कर्म बंधनों से,
और हो जाता अलोप 'मैं'
और अहम् जनित दुःख।
गीता सार। सुन्दर भाव मोक्ष का नुस्खा।
समलैंगिकता का रूझान रखने वाले व्यक्तियों को सायकोलॉजिकल चैलेन्ज का सामना करने वाले व्यक्तियों के रूप में देखा जाना चाहिए। इससे हमें उनकी मनोवैज्ञानिक विकृतियों का समाधान तलाश करने का मौक़ा मिलेगा। मनोवैज्ञानिक विकृतियों को क़ानूनी मान्यता देना विज्ञान की चेतना के भी खि़लाफ़ है।
जवाब देंहटाएंआज अंधे को आंख दी जा सकती है और लंगड़े को टांग दी जा सकती है तो बीमार मन को सेहतमंद विचारधारा क्यों नहीं दी जा सकती ?
समलैंगिकता के हिमायती चंद लोगों के सिवा 1 अरब 26 करोड़ भारतीय जनता इस घिनौने संबंध को बदस्तूर अपराध की सूची में ही देखना चाहती है। ऐसे में जनता के चुने हुए नेता भारतीय जनता के बहुमत का प्रतिनिधित्व करने के बजाय उसके खि़लाफ़ क्यों जा रहे हैं?
प्रासंगिक मुद्दे उठाता लेख।
सुन्दर बाल गीत
जवाब देंहटाएंरोज सवेरे मैं उठ जाता।
कुकड़ूकूँ की बाँग लगाता।।
कहता भोर हुई उठ जाओ।
सोने में मत समय गँवाओ।।
आलस छोड़ो, बिस्तर त्यागो।
मैं भी जागा, तुम भी जागो।।
पहले दिनचर्या निपटाओ।
फिर पढ़ने में ध्यान लगाओ।।
अगर सफलता को है पाना।
सेवा-भाव सदा अपनाना।।
मुर्गा हूँ मैं सिर्फ नाम का।
सेवक हूँ मैं बहुत काम का।।
सुन्दर बाल गीत
जवाब देंहटाएंरोज सवेरे मैं उठ जाता।
कुकड़ूकूँ की बाँग लगाता।।
कहता भोर हुई उठ जाओ।
सोने में मत समय गँवाओ।।
आलस छोड़ो, बिस्तर त्यागो।
मैं भी जागा, तुम भी जागो।।
पहले दिनचर्या निपटाओ।
फिर पढ़ने में ध्यान लगाओ।।
अगर सफलता को है पाना।
सेवा-भाव सदा अपनाना।।
मुर्गा हूँ मैं सिर्फ नाम का।
सेवक हूँ मैं बहुत काम का।।
take more of transparent liquid lemon tea and get well soon beloved shastri ji .
जवाब देंहटाएंरविकर जी बढ़िया चर्चा मंच सजाया। आदर से हमको बिठलाया।
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