मित्रों!
सोमवार के लिए मेरी पसंद के लिंक निम्नवत हैं।
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खाली बोतलों से बना सपनों का आशियाना
अपने आशियाने को अनोखा और सबसे सुंदर बनाने की हर किसी को चाहत होती है। घर के डिजाइन को लेकर कई इंजीनियरों से सलाह लेने के अलावा घंटों इंटरनेट पर बैठकर कुछ अलहदा तरीका ढूंढ़ा जाता है। ऐसा ही एक आशियाना इन दिनों मंडलेश्वर मार्ग पर प्राचीन वृद्धकालेश्वर के समीप बन रहा है...
मुझे कुछ कहना है ....पर अरुणा
अपने आशियाने को अनोखा और सबसे सुंदर बनाने की हर किसी को चाहत होती है। घर के डिजाइन को लेकर कई इंजीनियरों से सलाह लेने के अलावा घंटों इंटरनेट पर बैठकर कुछ अलहदा तरीका ढूंढ़ा जाता है। ऐसा ही एक आशियाना इन दिनों मंडलेश्वर मार्ग पर प्राचीन वृद्धकालेश्वर के समीप बन रहा है...
मुझे कुछ कहना है ....पर अरुणा
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जीवन का मंत्र....
एक पुरानी कहानी
बचपन में सुनी कहानी आज भी चरितार्थ है। खासकर केजारीबाल के संदर्भ में। एक बुढ़ा आदमी जब मरने लगा तो उसने अपने बेटा को बुलाकर कहा कि चलो तुमको समाज के बारे में अच्छी तरह सबक दे देता हूं। उसने एक घोड़ा मंगाया और उसके उपर खुद बैठ बेटा को लगाम पकड़ कर चलने के लिए कहा...
चौथाखंभा पर ARUN SATHI
एक पुरानी कहानी
बचपन में सुनी कहानी आज भी चरितार्थ है। खासकर केजारीबाल के संदर्भ में। एक बुढ़ा आदमी जब मरने लगा तो उसने अपने बेटा को बुलाकर कहा कि चलो तुमको समाज के बारे में अच्छी तरह सबक दे देता हूं। उसने एक घोड़ा मंगाया और उसके उपर खुद बैठ बेटा को लगाम पकड़ कर चलने के लिए कहा...
चौथाखंभा पर ARUN SATHI
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यूँ लगे मुस्कराये जमाना हुआ
जब से श्वासों का फिर से न आना हुआ
ख़त्म जीवन का तब से तराना हुआ ।
इस कदर चाहता मेरा दिल है तुझे
हार कर तेरा ही अब खजाना हुआ ...
गुज़ारिश पर सरिता भाटिया
जब से श्वासों का फिर से न आना हुआ
ख़त्म जीवन का तब से तराना हुआ ।
इस कदर चाहता मेरा दिल है तुझे
हार कर तेरा ही अब खजाना हुआ ...
गुज़ारिश पर सरिता भाटिया
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कितने दोहरे मापदंड !
व्यक्ति व्यक्ति से बने
समाज के कितने दोहरे मापदंड हैं !
पत्नी की मृत्यु होते उम्र से परे,
बच्चों से परे पति के
एकाकी जीवन की चिंता करता है
खाना-बच्चे तो बहाना होते हैं ....
मेरी भावनायें...पर रश्मि प्रभा..
व्यक्ति व्यक्ति से बने
समाज के कितने दोहरे मापदंड हैं !
पत्नी की मृत्यु होते उम्र से परे,
बच्चों से परे पति के
एकाकी जीवन की चिंता करता है
खाना-बच्चे तो बहाना होते हैं ....
मेरी भावनायें...पर रश्मि प्रभा..
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कांग्रेस बोले तो करप्ट पार्टी
कांग्रेस पार्टी करप्ट पार्टी के रूप में बदनाम (मशहूर )हो चुकी है। इसलिए कांग्रेस आदर्श स्केम के गिर्द गिरिफ्त में आये महाराष्ट्र के कांग्रेसियों (मौसेरे भाइयों )को हटाने का नाटक तो कर सकती है लेकिन नैतिक बल अब कांग्रेस के पास कहाँ हैं...
आपका ब्लॉग पर
Virendra Kumar Sharma
कांग्रेस पार्टी करप्ट पार्टी के रूप में बदनाम (मशहूर )हो चुकी है। इसलिए कांग्रेस आदर्श स्केम के गिर्द गिरिफ्त में आये महाराष्ट्र के कांग्रेसियों (मौसेरे भाइयों )को हटाने का नाटक तो कर सकती है लेकिन नैतिक बल अब कांग्रेस के पास कहाँ हैं...
आपका ब्लॉग पर
Virendra Kumar Sharma
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पिछ्ला साल गया
थैला भर गया
मुट्ठी भर यहाँ कह दिया
सही दफन करने से पहले
एक नजर देख ही लिया जाये
जाते हुऐ साल को...
उल्लूक टाईम्सपरसुशील कुमार जोशी
थैला भर गया
मुट्ठी भर यहाँ कह दिया
सही दफन करने से पहले
एक नजर देख ही लिया जाये
जाते हुऐ साल को...
उल्लूक टाईम्सपरसुशील कुमार जोशी
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ये कोशिश है परों को चाँद के फिर से कुतरने की ...
खबर है आसमां पे कुछ सितारों के उभरने की
ये कोशिश है परों को चाँद के फिर से कुतरने की...
स्वप्न मेरे...पर Digamber Naswa
खबर है आसमां पे कुछ सितारों के उभरने की
ये कोशिश है परों को चाँद के फिर से कुतरने की...
स्वप्न मेरे...पर Digamber Naswa
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व्यंग्य---ये खिसिआये हुए लोग
आखिरकार बहुत सारे लोगों को चिढ़ाते और उनकी टिल्ली- लिल्ली करते हुए अरविन्द केजरीवाल दिल्ली की गद्दी पर बैठ ही गए. और "आप" ने देश के दिल में अपनी सरकार बना ही ली. यकीनन यह ढेर सारे लोगों के लिए एक बहुत बड़ा सदमा है. खास कर ऐसे लोगों के लिए जो “आप” और उसके झाड़ू से खीझे और डरे हुए हैं. ये कत्तई नहीं चाहते थे कि उन की सरकार बने. पर बार-बार उनको उंगलिया ज़रूर रहे थे कि नंबर दो पर आये हो, तो क्या हुआ? बहुमत नहीं मिला है तो क्या हुआ? हिम्मत है, तो सरकार बना कर दिखाओ. जनता से जो वादे किये हैं, उनको पूरा कर के दिखाओ. जैसे उनकी चहेती पार्टियों ने हमेशा ही जनता से किये हुए हर वादे को पूरा कर के दिखाया है....
रात के ख़िलाफ़ पर Arvind Kumar
आखिरकार बहुत सारे लोगों को चिढ़ाते और उनकी टिल्ली- लिल्ली करते हुए अरविन्द केजरीवाल दिल्ली की गद्दी पर बैठ ही गए. और "आप" ने देश के दिल में अपनी सरकार बना ही ली. यकीनन यह ढेर सारे लोगों के लिए एक बहुत बड़ा सदमा है. खास कर ऐसे लोगों के लिए जो “आप” और उसके झाड़ू से खीझे और डरे हुए हैं. ये कत्तई नहीं चाहते थे कि उन की सरकार बने. पर बार-बार उनको उंगलिया ज़रूर रहे थे कि नंबर दो पर आये हो, तो क्या हुआ? बहुमत नहीं मिला है तो क्या हुआ? हिम्मत है, तो सरकार बना कर दिखाओ. जनता से जो वादे किये हैं, उनको पूरा कर के दिखाओ. जैसे उनकी चहेती पार्टियों ने हमेशा ही जनता से किये हुए हर वादे को पूरा कर के दिखाया है....
रात के ख़िलाफ़ पर Arvind Kumar
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मैं और भी निखरती रही........!!!
साल-दर-साल गुजरते रहे...
हम गिरते रहे सम्हलते रहे,
यादो के धागे टूटते रहे बंधते रहे....
उम्मीदो के सूरज छिपते रहे,
निकलते रहे......
'आहुति' पर sushma 'आहुति'
साल-दर-साल गुजरते रहे...
हम गिरते रहे सम्हलते रहे,
यादो के धागे टूटते रहे बंधते रहे....
उम्मीदो के सूरज छिपते रहे,
निकलते रहे......
'आहुति' पर sushma 'आहुति'
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गीत सुनाती माटी अपने,
गौरव और गुमान की
गौरव और गुमान की
गीत सुनाती माटी अपने, गौरव और गुमान की।
दशा सुधारो अब तो लोगों, अपने हिन्दुस्तान की।।
खेतों में उगता है सोना, इधर-उधर क्यों झाँक रहे?
भिक्षुक बनकर हाथ पसारे, अम्बर को क्यों ताँक रहे?
आज जरूरत धरती माँ को, बेटों के श्रमदान की।
दशा सुधारो अब तो लोगों, अपने हिन्दुस्तान की।।
उच्चारण
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"चिड़िया की कहानी"
बाल कृति
"हँसता गाता बचपन" से
"हँसता गाता बचपन" से
एक बालकविता
रंग-बिरंगी चिड़िया रानी।
सबको लगती बहुत सुहानी।।
सबको लगती बहुत सुहानी।।
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एक समय ऐसा भी आता।
जब इसका मन है अकुलाता।।
फुर्र-फुर्र बच्चे उड़ जाते।
इसका घर सूना कर जाते।।
हँसता गाता बचपनजब इसका मन है अकुलाता।।
फुर्र-फुर्र बच्चे उड़ जाते।
इसका घर सूना कर जाते।।
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नक्श फ़रियादी है .....
इक तसल्ली इक बहाना जो मिले ताखीर का
हम न पूछेंगे खुदाया क्या सिला तदबीर का
आँख पर बाँधे हुए कानून काली पट्टियाँ
हौसला कैसे बढ़े ऐसे में दामनगीर का...
वाग्वैभव पर vandana
इक तसल्ली इक बहाना जो मिले ताखीर का
हम न पूछेंगे खुदाया क्या सिला तदबीर का
आँख पर बाँधे हुए कानून काली पट्टियाँ
हौसला कैसे बढ़े ऐसे में दामनगीर का...
वाग्वैभव पर vandana
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इ दम दा मैनु कि वे भरोसा ,
आया आया, न आया ,न आया।
जीवन की नश्वरता।
मृत्यु की शाश्वतता की ओर संकेत है
इन पंक्तियों में....आपका ब्लॉग पर
Virendra Kumar Sharma
आया आया, न आया ,न आया।
जीवन की नश्वरता।
मृत्यु की शाश्वतता की ओर संकेत है
इन पंक्तियों में....आपका ब्लॉग पर
Virendra Kumar Sharma
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सुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा
मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
बेहतरीन कलेक्सन ...
जवाब देंहटाएंनव वर्ष सबके लिए मुस्कुराहटें लेकर आये...
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा!
आभार!
सुन्दर प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा-
आभार आपका-
बहुत सुंदर सूत्रों से सजी आज की चर्चा में उल्लूक का "पिछ्ला साल गया थैला भर गया मुट्ठी भर यहाँ कह दिया" को स्थान देने के लिये आभार !
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ! मयंक जी ! मेरी रचना '' ज्यों आंखे मलते उठते हो..........'' को शामिल करने हेतु ।
जवाब देंहटाएंविस्तृत चर्चा ... शुक्रिया मेरी गज़ल को शामिल करने का ...
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स
जवाब देंहटाएंमुझे भी स्थान देने के लिए शुक्रिया
Thanks Shastri jii , for Join Aam aadmi party.
जवाब देंहटाएंआप बड़ी सुन्दरता के साथ सभी लिंक्स को स्थान देते हैं .
जवाब देंहटाएंआपने मेरी पोस्ट को भी जगह दी इसके लिए भी बहुत बहुत आभार.
आपने मेरी पोस्ट को भी जगह दी इसके लिए भी बहुत बहुत आभार.डॉ.साहेब एक कष्ट देना चाहूँगा कि पोस्टर व चित्र पर हिंदी या इंग्लिश.में कैसे लिखते हैं
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार!
सुंदर सार्थक चर्चा...सादर आभार...नव वर्ष की मंगलकामनाएँ !!
जवाब देंहटाएं