आज की मंगलवारीय चर्चा में आप सब का स्वागत है राजेश कुमारी की आप सब को नमस्ते , आप सब का दिन मंगल मय हो, अब चलते हैं आपके प्यारे ब्लॉग्स पर...
कमल से नहीं झाड़ू से पिटे हैं हम
Virendra Kumar Sharma at कबीरा खडा़ बाज़ार में
जवाब दो ‘आप’...खुशदीप
Khushdeep Sehgal at देशनामा
फ़सल लहलहाने को तैयार है
vandana gupta at ज़ख्म…जो फूलों ने दिये
बेजुबाँ होते अगर तुम बुत बना देते
Rajesh Kumari at HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR
गुनाह ...
उदय - uday at कडुवा सच
Untitled
ZEAL at ZEAL
ज़िन्दगी
vijay kumar sappatti at कविताओं के मन से....!!!!
शरण में आये हैं हम तुम्हारी
Anita at डायरी के पन्नों से -
"कच्चे घर" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
वो कौन है दुनिया में जिसे ग़म नहीं होता…रियाज़ खैराबादी
डा. मेराज अहमद at समय-सृजन (samay-srijan)
ग़ज़ल : तेज धुन झूठ की वो बजाने लगा
सज्जन धर्मेन्द्र at ग्रेविटॉन
muktak--pyaar me judaai ke kisse
रामलीला-मंच -लघु कथा
shikha kaushik at भारतीय नारी
धड़कन में ''आप '' है
आज की चर्चा यहीं समाप्त करती हूँ फिर चर्चामंच पर हाजिर होऊँगी
कुछ नए सूत्रों के साथ तब तक के लिए शुभ विदा बाय बाय ||
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आगे देखिए.."मयंक का कोना"
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आ गई हैं सर्दियाँ मस्ताइए।
बैठकर के धूप में सुस्ताइए।।
रोज दादा जी जलाते हैं अलाव,
गर्म पानी से हमेशा न्हाइए।
बैठकर के धूप में सुस्ताइए।।
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सड़े हुऐ पेड की फुनगी पर
कुछ हरे पत्ते दिखाई दे रहे हैं
का समाचार लेकर अखबारी दीमक
दीमकों की रानी के पास डरते डरते जा पहुँचा
उसके मुँह पर उड़ रही हवा को देखकर
रानी ने अपने मंत्री दीमक को ईशारा करके पूछा
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चलो आज लिख देते हैं
सिलसिलेवार दास्तान
तमाम उम्र के मुर्दा शब्दों की
जहां मुहब्बतों के कितने ही फूल
ख़ुदकुशी कर सोये पड़े हैं
कब्रों में …
हरकीरत ' हीर'
सिलसिलेवार दास्तान
तमाम उम्र के मुर्दा शब्दों की
जहां मुहब्बतों के कितने ही फूल
ख़ुदकुशी कर सोये पड़े हैं
कब्रों में …
हरकीरत ' हीर'
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hansee हँसीये हँसी ,
कितनी हसीन है
जब होता है खुशी मन
ये ,हंसी आती है
बड़ी आनंद दायक होती ,
गुदगुदाती है कोई चुपके से
दबी दबी हँसी हँसता है कोई...
*साहित्य प्रेमी संघ*परGhotoo
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Canadian Autumn....काव्य मंजूषा पर स्वप्न मञ्जूषा
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"आप" की गंदी राजनीति...आइये, कुछ बातें करें ! पर
अचानक से ही मुझे सतयुग आने के आसार नजर आने लगे, यह जानते हुए भी कि "आप" सरकार नहीं बनाना चाहती और यह न जानते हुए भी कि सतयुग में कौन से महापुरूष अवतरित हुए थे, बहरहाल आज की राजनीति पर एक लघु चर्चा कर लेने में किसी को भी आपत्ति नहीं होनी चाहिए...
मनोज कुमार श्रीवास्तव
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स्वार्थी मुन्ना की हालिया रचित कविता
अविनाश वाचस्पति की कलम से :
'आप' के लिए
स्वार्थ की खुशी ...
लूटना चाहता हूं
मन की पूरी करना चाहता हूँ
स्वार्थी बने रहना चाहता हूँ
मुझसे कोई मेरा स्वार्थ न छील ले
और बिखेर दे मेरे स्वार्थ को
प्याज के छिलकों की तरह
परत दर परत ...
अविनाश वाचस्पति पर नुक्कड़
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राजनैतिक तुकबन्दियाँकरारी मात के बाद....
अब क्या करेगी कांग्रेस
दुम दबा मुँह छुपाएगी या..
हालात करेगी फेस
सुना था किसी विज्ञापन में कि....
चीता भी पीता है केजरीवाल मगर देखो...
बिना खाए पिए ही जीता है अपनी इज्ज़त....
हँसते रहो पर राजीव तनेजा
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सुनो सूरज तुम जा रहे हो.. मैं भी चलता हूं..
सुनो सूरज
तुम जा रहे हो..
मैं भी चलता हूं..
तुम्हारी मेरी
हर एक शाम
एक अनुबंधित शाम है
तुम भी घर लौटते हो
रोजिन्ना मैं भी घर लौटता हूं..
मिसफिट Misfit पर Girish Billore
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कार्टून :- 'आप' वालों की सरकार तो बननी ही नहीं चाहिए
काजल कुमार के कार्टून
सुंदर चर्चा !
जवाब देंहटाएंश्री राहुल मिश्रा का नये चर्चाकार के रूप में स्वागत है !
आज का चर्चा अंक 1457 होना चाहिये !
उल्लूक के भी कुछ कुछ बहुत कुछ यानी
1. जरूरी जो होता है कहीं जरूर लिखा होता है
और
2.दीमक है इतनी जल्दी हरियाली देख कर कैसे हार जायेगा
की चर्चा आज की चर्चा में करने पर आभार !
सुंदर चर्चा !
जवाब देंहटाएंश्री राहुल मिश्रा का नये चर्चाकार के रूप में चर्चा मंच पर स्वागत है !
आज का चर्चा अंक 1457 कर दिया है।
आदरणीय सुशील जोशी जी आपका आभार।
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बहन राजेश कुमारी जी आपका धन्यवाद।
बड़े ही रोचक व पठनीय सूत्र..
जवाब देंहटाएंसुन्दर बहुआयामी सूत्रों से सजा आज का चर्चामंच |
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
bahut hi acchi prastuti.
जवाब देंहटाएंshree Rahul mishra ji ka swaagat hai .
aapka aabhaar !
shukriya aapka meri kavita ko shamil karne ke liye. aapka dhanywaad.
जवाब देंहटाएंvijay
shaandaar-jaandaar ...
जवाब देंहटाएंलेना देना जब नहीं, करे तंत्र को बांस |
जवाब देंहटाएंलोकसभा में आप की, मानो सीट पचास |
मानो सीट पचास, इलेक्शन होय दुबारे |
करके अरबों नाश, आम पब्लिक को मारे |
अड़ियल टट्टू आप, अकेले नैया खेना |
सबको माने चोर, समर्थन ले ना दे ना ||
सुन्दर चर्चा। । अनीह ईषना की चर्चा करने के लिए धन्यवाद :)
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा। मुझे शामिल करने के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात!
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स से सुसज्जित चर्चा मंच
जवाब देंहटाएंरूह प्यासी क्यूँ ये सहरा में खड़ी होती
जवाब देंहटाएंप्यार का चश्मा अगर दिल में बहा देते
उर्दू अदबीअत की याद दिलाते हैं अशआर ,
अलफ़ाज़ के मानी समझाते हैं ये अशआर।
बढ़िया पायेदान की गज़ल।
बेजुबाँ होते अगर तुम बुत बना देते
Rajesh Kumari at HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR
जवाब देंहटाएंशुक़्रिया
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ at ग़ाफ़िल की अमानत
जिसने भेजा सलाम उसको शुक्रिया अपना
नाम लेकर के उसका क्यूँ करें रुसवा उसको।
बढ़िया अंदाज़ -ए -बयाँ
जवाब देंहटाएंMonday, 9 December 2013
लोकसभा में आप की, मानो सीट पचास -
आपका ब्लॉग
कमल से नहीं झाड़ू से पिटे हैं हम
पूर तमन्ना हो गई, जीते आप चुनाव |
पर अट्ठाइस सीट से, होता नहीं अघाव |
होता नहीं अघाव, दाँव लम्बा मारेगा |
होगा पुन: चुनाव, आप सब को तारेगा |
आये सत्तर सीट, जुड़ेगा स्वर्णिम पन्ना |
सारी दुनिया साफ़, तभी हो पूर तमन्ना ||
रविकर भाई का ज़वाब नहीं
पर अट्ठाइस सीट से, होता नहीं अघाव-
रविकर at "लिंक-लिक्खाड़" -
तेज धुन झूठ की वो बजाने लगा
जवाब देंहटाएंताल पर उसकी सबको नचाने लगा
उसके चेहरे से नीयत न भाँपे कोई
इसलिये मूँछ दाढ़ी बढ़ाने लगा
सबसे कहकर मेरा धर्म खतरे में है
शेष धर्मों को भू से मिटाने लगा
वोट भूखे वतन का मिले इसलिए
गोल पत्थर को आलू बताने लगा
सुन चमत्कार को ही मिले याँ नमन
आँकड़ों से वो जादू दिखाने लगा
वाह दोस्त पूरी पोल खोल दी राजनीति के धंधा बाज़ों की।
ग़ज़ल : तेज धुन झूठ की वो बजाने लगा
सज्जन धर्मेन्द्र at ग्रेविटॉन
बना मील का पत्थर जो, पथ को इंगित करता है,
जवाब देंहटाएंवो संगी-साथी बनकर, कैसे व्यवहार करेगा?
वो कुदरत की संरचना को, कैसे प्यार करेगा?
सुन्दर मनोहर।
"कैसे प्यार करेगा?" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री मयंक')
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक at उच्चारण -
बढ़िया लिंक्स से सुसज्जित पठनीय चर्चा
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंक्स देने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स से सुसज्जित चर्चा मंच
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा , मंच को धन्यवाद
जवाब देंहटाएंचर्चामंच की शोभा बढाने हेतु आप सभी का हार्दिक आभार
जवाब देंहटाएंस्नेह देने के लिये आपका आभारी हूं
जवाब देंहटाएं