मित्रों!
आप सभी को 13-12-13 की नमस्ते।
शुक्रवार की चर्चा में मेरी पसंद के लिंक निम्नवत् हैं।
--
इनसे तो वे ठीक, बने जो आधे पौने
-
-

इसी भरोसे चल पड़े, फैलाने कुविचार ।
धर्म विरोधी पा गए, इक भोथर हथियार ।
इक भोथर हथियार, कर्म हैं बड़े घिनौने ।
इनसे तो वे ठीक, बने जो आधे पौने ।
धर्म न्याय विज्ञान, आज जब इनको कोसे ।
रविकर से हतबुद्धि, दीखते इसी भरोसे...
रविकर की कुण्डलियाँ
--
"हो नहीं सकता हमारा देश आरत"
सीख लो यह सीख वेद-कुरान से,
वाहेगुरू का भी यही उपदेश है,
बाईबिल में प्यार का सन्देश है...
उच्चारणवाहेगुरू का भी यही उपदेश है,
बाईबिल में प्यार का सन्देश है...
--
--
याद आते हैं गंगा चाचा...
अपनी आत्मा में बसाये रहे।
फ़ोन की घण्टी बजते ही वह उसे उठाते
और 'जी', 'जी हाँ', 'हाँ कहिये', 'मैं गंगाशरण बोल रहा हूँ,
कहा जाए' आदि से वार्तारंभ करते।
उनके उपर्युक्त कथन से प्रभावित होकर मैंने भी
यह प्रयोग कुछ समय तक किया था;
लेकिन बाद में मैं उसे निभा न सका....
मुक्ताकाश....पर आनन्द वर्धन ओझा
[तीसरी कड़ी]
सच है, गंगा चाचा आजीवन हिंदी-प्रेम कोअपनी आत्मा में बसाये रहे।
फ़ोन की घण्टी बजते ही वह उसे उठाते
और 'जी', 'जी हाँ', 'हाँ कहिये', 'मैं गंगाशरण बोल रहा हूँ,
कहा जाए' आदि से वार्तारंभ करते।
उनके उपर्युक्त कथन से प्रभावित होकर मैंने भी
यह प्रयोग कुछ समय तक किया था;
लेकिन बाद में मैं उसे निभा न सका....
मुक्ताकाश....पर आनन्द वर्धन ओझा
--
मजबूरी गाती है.

पलकों पर आँसू की डोली सहज उठाती है ,
ऐसा भी होता है, तब जब मजबूरी गाती है |
छोटे कदम बड़ी मंजिल का पता बताते है ,
लेकिन छोटे को सुविधा -सम्पन्न दबाते है...
काव्यान्जलि पर धीरेन्द्र सिंह भदौरिया

पलकों पर आँसू की डोली सहज उठाती है ,
ऐसा भी होता है, तब जब मजबूरी गाती है |
छोटे कदम बड़ी मंजिल का पता बताते है ,
लेकिन छोटे को सुविधा -सम्पन्न दबाते है...
काव्यान्जलि पर धीरेन्द्र सिंह भदौरिया
--
द्विलिंगी गुट *गेगले, गन्दी करते औनि-

केंचुल कामी का चुवे, धरे केंचुवा यौनि |
द्विलिंगी गुट *गेगले, गन्दी करते औनि
"लिंक-लिक्खाड़" पर रविकर

केंचुल कामी का चुवे, धरे केंचुवा यौनि |
द्विलिंगी गुट *गेगले, गन्दी करते औनि
"लिंक-लिक्खाड़" पर रविकर
--
पाँच कवितायें ......
योगेन्द्र कृष्णा
लौटना है हमें अपनी जड़ों में
जैसे लौटती है कोई चिड़िया
अपने घोंसले में ...
हम और हमारी लेखनी पर
गीता पंडित
योगेन्द्र कृष्णा
लौटना है हमें अपनी जड़ों में
जैसे लौटती है कोई चिड़िया
अपने घोंसले में ...
हम और हमारी लेखनी पर
गीता पंडित
--
हमारा लक्ष्य गाँव का रुस्तम कहलाना नहीं
बल्कि माल कमाना है
लिहाज़ा अब यह मुकाबला
पूरे देश में करेंगे

अलबेला खत्री
बल्कि माल कमाना है
लिहाज़ा अब यह मुकाबला
पूरे देश में करेंगे

अलबेला खत्री
--
--
--
"छू लो हमें.."
"धरा के रंग"
काव्य संग्रह "धरा के रंग" से

एक गीत सुनिए...
अर्चना चावजी के स्वर में
अर्चना चावजी के स्वर में
आप इक बार ठोकर से छू लो हमें,
हम कमल हैं चरण-रज से खिल जायेगें!
प्यार की ऊर्मियाँ तो दिखाओ जरा,
संग-ए-दिल मोम बन कर पिघल जायेंगे!!
--
रोग निवारण और संगीत

संगीत तरंगों का प्रभाव जड़-चेतन पर समान रूप से पड़ता है.लय और ताल में बंधे हुए स्वर प्रवाह को संगीत कहते हैं.यह गायन के रूप में स्वर प्रवाह के साथ ही जुड़ा हुआ हो सकता है और वाद्य यंत्रों की तदनुरूप ध्वनि भी संगीत में गिनी जा सकती है.गायन और वादन दोनों का सम्मिश्रण उसकी पूर्णता निर्मित करता है....
देहात पर राजीव कुमार झा

संगीत तरंगों का प्रभाव जड़-चेतन पर समान रूप से पड़ता है.लय और ताल में बंधे हुए स्वर प्रवाह को संगीत कहते हैं.यह गायन के रूप में स्वर प्रवाह के साथ ही जुड़ा हुआ हो सकता है और वाद्य यंत्रों की तदनुरूप ध्वनि भी संगीत में गिनी जा सकती है.गायन और वादन दोनों का सम्मिश्रण उसकी पूर्णता निर्मित करता है....
देहात पर राजीव कुमार झा
--
क्षणिकाएं ( भाग २)

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः
क्षणिकाएं (भाग २)
(1)
मन से मन की बात
यदि ना हो पाए
मन चाही मुराद यदि मिल न पाए
मन दुखी तब क्यूं न हो
बेमौसम का राग वह क्यूँ गाए | ...
प्रतापगढ़ साहित्य प्रेमी मंच -
BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN
पर Asha Saxena

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः
क्षणिकाएं (भाग २)
(1)
मन से मन की बात
यदि ना हो पाए
मन चाही मुराद यदि मिल न पाए
मन दुखी तब क्यूं न हो
बेमौसम का राग वह क्यूँ गाए | ...
प्रतापगढ़ साहित्य प्रेमी मंच -
BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN
पर Asha Saxena
--
इष्ट मेरा

हैं कंटकमय संकीर्ण यह क्षत- विक्षत
पहुँच मार्ग पर है सेतु तेरे मेरे बीच का ...
Akanksha पर Asha Saxena

हैं कंटकमय संकीर्ण यह क्षत- विक्षत
पहुँच मार्ग पर है सेतु तेरे मेरे बीच का ...
Akanksha पर Asha Saxena
--
नामालूम ज़िन्दगी के, तन्हाई पिए जाते हैं.....
मुतमाईन ज़िन्दगी से, कुछ ऐसे हुए जाते हैं
क़िस्मत के फटे चीथड़े, बेबस हो सीये जाते हैं...
काव्य मंजूषा पर स्वप्न मञ्जूषा
मुतमाईन ज़िन्दगी से, कुछ ऐसे हुए जाते हैं
क़िस्मत के फटे चीथड़े, बेबस हो सीये जाते हैं...
काव्य मंजूषा पर स्वप्न मञ्जूषा
--
क्या पूरे देश की चेतना कुंद हो गई है ?
ऐसा लगता है बकरी मैमना पार्टी
समलैंगिकता को संरक्षण देकर
कोई राष्ट्रीय क्रान्ति करना चाहती है।
बकरी और मैमने को तमाम न्यूज़ चैनल
बारहा इसका प्रचार करते दिखा रहे हैं।
धन्य है यह राष्ट्रीय पार्टी।
लगता है देश आत्मघातियों के हाथों में आ गया है।
आपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma
ऐसा लगता है बकरी मैमना पार्टी
समलैंगिकता को संरक्षण देकर
कोई राष्ट्रीय क्रान्ति करना चाहती है।
बकरी और मैमने को तमाम न्यूज़ चैनल
बारहा इसका प्रचार करते दिखा रहे हैं।
धन्य है यह राष्ट्रीय पार्टी।
लगता है देश आत्मघातियों के हाथों में आ गया है।
आपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma
--
--
--
--
जन्मदिन मुबारक

आज के दिन
इस नन्ही सी गुड़िया का जन्म हुआ था।
ये मेरी सबसे प्यारी बेटी है ...
समाज पर Kartikey Raj

आज के दिन
इस नन्ही सी गुड़िया का जन्म हुआ था।
ये मेरी सबसे प्यारी बेटी है ...
समाज पर Kartikey Raj
--
शीर्षकहीन
पैंतालीस का प्रेम
कई दिनों से देख रही थी कि
सामने वाले मकान में सफाई हो रही थी।
मेरी बालकोनी से सामने वाले
फ्लैट के अन्दर तक दिखाई देता है...
दिल से पर कविता विकास
पैंतालीस का प्रेम
कई दिनों से देख रही थी कि
सामने वाले मकान में सफाई हो रही थी।
मेरी बालकोनी से सामने वाले
फ्लैट के अन्दर तक दिखाई देता है...
दिल से पर कविता विकास
--
--
विस्मित हम!
अनुशील पर अनुपमा पाठक
कैसे जुड़ जाते हैं न मन!
कोई रिश्ता नहीं...
न कोई दृष्ट-अदृष्ट बंधन...
फिर भी
तुम हमारे अपने,
और तुम्हारे अपने हम...
अनुशील पर अनुपमा पाठक
--
--
नहीं ये नहीं हो सकता ..

Supreme Court says gay sex illegal, govt hints at legislative route सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए ११ दिसंबर को भारतीय दंड सहिंता की धारा ३७७ को जायज़ ठहराया और समलैंगिक सम्बन्धों को अपराध .भारतीय दंड सहिंता की धारा ३७७ जिसमे कहा गया है कि - ''जो कोई किसी पुरुष ,स्त्री या जीव-जंतु के साथ प्रकृति की व्यवस्था के विरुद्ध स्वेच्छया इन्द्रिय भोग करेगा ,वह आजीवन कारावास से ,या दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी ,दण्डित किया जायेगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ....
कानूनी ज्ञान पर Shalini Kaushik
Supreme Court says gay sex illegal, govt hints at legislative route सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए ११ दिसंबर को भारतीय दंड सहिंता की धारा ३७७ को जायज़ ठहराया और समलैंगिक सम्बन्धों को अपराध .भारतीय दंड सहिंता की धारा ३७७ जिसमे कहा गया है कि - ''जो कोई किसी पुरुष ,स्त्री या जीव-जंतु के साथ प्रकृति की व्यवस्था के विरुद्ध स्वेच्छया इन्द्रिय भोग करेगा ,वह आजीवन कारावास से ,या दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी ,दण्डित किया जायेगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ....
कानूनी ज्ञान पर Shalini Kaushik
--
आप

आप महान है
कोई संदेह कहाँ?
मै भी अभिभूत हू
लोगो का भ्रम बना रहने दो न...
ज़रूरत पर Ramakant Singh
--
समलैंगिकता को कानूनी मान्यता?
एक पढ़ी लिखी नौकरी करती बेहद निपुण स्त्री ने जो पारम्परिक अरैन्ज्ड विवाह में विश्वास करती थी, जिसने एक से एक अच्छे अन्तर्जातीय रिश्ते ठुकराकर अपने माता पिता के द्वारा चुने सुन्दर, सुशील, अच्छे घर के सजातीय पुरुष से विवाह किया। वह पहले ही दिन पति के मित्र ( प्रेमी) का अपने ससुराल में पूरा दखल, घर में महत्व, पति पर उसका इतना प्रभाव कि वह जो कहे वह पति मान ले देख दंग रह गई। पति उसके साथ मायके जाने को मना कर दे, किसी रस्म को निभाने से मना कर दे, उसके साथ कमरे में रहने को ही मना कर दे तो हर मर्ज का एक इलाज वह मित्र था...
घुघूतीबासूती पर Mired Mirage
--
सुरजीत कौर परमार

कनाडा से इलाज़ के लिए सूरतगढ़ पधारी
श्रीमती सुरजीत कौर परमार ...
DR.JOGA SINGH KAIT JOGI

आप महान है
कोई संदेह कहाँ?
मै भी अभिभूत हू
लोगो का भ्रम बना रहने दो न...
ज़रूरत पर Ramakant Singh
--
समलैंगिकता को कानूनी मान्यता?
एक पढ़ी लिखी नौकरी करती बेहद निपुण स्त्री ने जो पारम्परिक अरैन्ज्ड विवाह में विश्वास करती थी, जिसने एक से एक अच्छे अन्तर्जातीय रिश्ते ठुकराकर अपने माता पिता के द्वारा चुने सुन्दर, सुशील, अच्छे घर के सजातीय पुरुष से विवाह किया। वह पहले ही दिन पति के मित्र ( प्रेमी) का अपने ससुराल में पूरा दखल, घर में महत्व, पति पर उसका इतना प्रभाव कि वह जो कहे वह पति मान ले देख दंग रह गई। पति उसके साथ मायके जाने को मना कर दे, किसी रस्म को निभाने से मना कर दे, उसके साथ कमरे में रहने को ही मना कर दे तो हर मर्ज का एक इलाज वह मित्र था...
घुघूतीबासूती पर Mired Mirage
--
सुरजीत कौर परमार

कनाडा से इलाज़ के लिए सूरतगढ़ पधारी
श्रीमती सुरजीत कौर परमार ...
DR.JOGA SINGH KAIT JOGI
सुप्रभात
ReplyDeleteकई लिंक्स बिभिन्न विषयों पर|
मेरी रचनाएं शामिल करने के लिए आभार |
आशा
सुन्दर चर्चा-
ReplyDeleteआभार गुरुवर -
अच्छे लिंक्स व प्रस्तुति , शास्त्री जी व मंच को धन्यवाद
ReplyDelete॥ जै श्री हरि: ॥
बहुत कुछ है आज की चर्चा में !
ReplyDeleteबहुत सुंदर !
चर्चा मंच पर विविध रंग. बहुत सुंदर लिंक्स एवं प्रस्तुति !
ReplyDeleteमेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.
अच्छी चर्चा
ReplyDeleteमुझे शामिल करने के लिए आभार
bahut sundar
ReplyDeleteउत्तम सूत्र ,...!
ReplyDeleteमेरी पोस्ट को मंच में शामिल करने के लिए आभार,,,,
RECENT POST -: मजबूरी गाती है.
मजबूरी नाचती भी है का.....?
ReplyDeletenice
ReplyDelete(1)
ReplyDeleteकारें चलती देश में, भर डीजल-ईमान |
अट्ठाइस गण साथ पर, नहिं व्यवहारिक ज्ञान |
नहिं व्यवहारिक ज्ञान, मन्त्र ना तंत्र तार्किक |
*स्नेहक पुर्जे बीच, नहीं ^शीतांबु हार्दिक |
*लुब्रिकेंट ^ कूलेंट
गया पाय लाइसेंस, एक पंजे के मारे |
तो स्टीयरिंग थाम, चला दिखला सर-कारें ||
भाई साहब कमाल है शब्द चातुर्य और संदर्भित प्रयोग का .
ReplyDeleteवैयक्तिक सामाजिक समस्या को कानूनी दायरे से बाहर ही रखा जाए। अध्यादेश लाया जा रहा है। समलिंगी वोट जो कराये सो कम।
--
समलैंगिकता को कानूनी मान्यता?
एक पढ़ी लिखी नौकरी करती बेहद निपुण स्त्री ने जो पारम्परिक अरैन्ज्ड विवाह में विश्वास करती थी, जिसने एक से एक अच्छे अन्तर्जातीय रिश्ते ठुकराकर अपने माता पिता के द्वारा चुने सुन्दर, सुशील, अच्छे घर के सजातीय पुरुष से विवाह किया। वह पहले ही दिन पति के मित्र ( प्रेमी) का अपने ससुराल में पूरा दखल, घर में महत्व, पति पर उसका इतना प्रभाव कि वह जो कहे वह पति मान ले देख दंग रह गई। पति उसके साथ मायके जाने को मना कर दे, किसी रस्म को निभाने से मना कर दे, उसके साथ कमरे में रहने को ही मना कर दे तो हर मर्ज का एक इलाज वह मित्र था...
घुघूतीबासूती पर Mired Mirage
नेक काम में देर कैसी ज़नाब।
ReplyDeleteवैयक्तिक सामाजिक समस्या को कानूनी दायरे से बाहर ही रखा जाए। अध्यादेश लाया जा रहा है। समलिंगी वोट जो कराये सो कम।
एक समाज वैज्ञानिक मुद्दे सशक्त मौज़ू पोस्ट। सारा किस्सा वोट का है। समलिंगी वोट का। समलिंगी मतदान का।
एक ही मुद्दा है समलिंगी यौनाचार
श्री राहुल गांधी ,श्रीमती सोनियाजी ,श्री चिदंबरम ,श्री कपिल सिब्बल साहब इस ओर निदर्शन की
पहल करें।
लगता है टाइम्स आफ इंडिया के सम्पादक मंडल में कोई विकृत दिमाग की शख्शियत बैठी है जो कांग्रेस को वोट कबाड़ने के समलैंगिक नुस्खे बतला रही है। अब भारत की पहचान ये समलैंगिक यौन व्यवहार ही बनेगा। आखिर एक बहुत बड़ी कोंस्टीट्यूएंसी है समलिंगी वोट। यूथ के वोट जुगाड़ का नायाब रामबाण नुस्खा है समलिंगिक यौन उच्छृंखलता। नौज़वानों के वोट कबाड़ने के लिए क्यों न चोरी चकोरी डकैती को भी अपराध मुक्त घोषित कर दिया जाए। बलात्कार को भी आखिर अंतिम लक्ष्य तो यौन तृप्ति ही है बलात्कार की भी। उन्हें वोट से मतलब है साधनों की शुचिता से नहीं। ये गांधियों की संकर ब्रीड है।
अब न मुद्रा प्रसार कोई मुद्दा है जबकि नवंबर की तिमाही में वह ११. २४ फीसद के पार चला गया है ,न देश के सामने आतंकवाद की समस्या है न कोई सीमा विवाद न नक्सलवाद ,न कोई कोयला मुद्दा है न कोई और खुला -खेल -भ्रष्टाचारी ,न राष्ट्रीय सुरक्षा कोई मुद्दा है।
राष्ट्र के सामने एक ही ज्वलंत समस्या और मुद्दा है समलिंगियों को प्राप्त मानवाधिकार परसनल स्पेस। भले वे किसी पशु को अपने यौन बाड़े में बंद कर लें। पशुओं के साथ यौन व्यभिचार को भी वैध घोषित कर दिया जाए अध्यादेश तो आ ही रहा है उसे और व्यापक बनाया जाए। निशाना चूक न जाए।
--
नहीं ये नहीं हो सकता ..
Supreme Court says gay sex illegal, govt hints at legislative route सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए ११ दिसंबर को भारतीय दंड सहिंता की धारा ३७७ को जायज़ ठहराया और समलैंगिक सम्बन्धों को अपराध .भारतीय दंड सहिंता की धारा ३७७ जिसमे कहा गया है कि - ''जो कोई किसी पुरुष ,स्त्री या जीव-जंतु के साथ प्रकृति की व्यवस्था के विरुद्ध स्वेच्छया इन्द्रिय भोग करेगा ,वह आजीवन कारावास से ,या दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी ,दण्डित किया जायेगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ....
शबाब फ़िल्म की याद ताज़ा करदी आपने। संगीत चिकित्सा करता है नायक राजकुमारी की जिसे नींद न आने की बीमारी है। संगीत से पौधों की बढ़वार रफ़्तार पकड़ लेती है जड़ चेतन को समान रूप से असर करता है संगीत। हवन कुंड की अग्नि मन्त्रों की सांगीतिक ध्वनि से पैदा की जाती थी न की माचिस या किसी अन्य साधन से। भागवत पुराण में इसका ज़िक्र आया है।
ReplyDeleteरोग निवारण और संगीत
संगीत तरंगों का प्रभाव जड़-चेतन पर समान रूप से पड़ता है.लय और ताल में बंधे हुए स्वर प्रवाह को संगीत कहते हैं.यह गायन के रूप में स्वर प्रवाह के साथ ही जुड़ा हुआ हो सकता है और वाद्य यंत्रों की तदनुरूप ध्वनि भी संगीत में गिनी जा सकती है.गायन और वादन दोनों का सम्मिश्रण उसकी पूर्णता निर्मित करता है....
देहात पर राजीव कुमार झा
Deleteगा गाके जीवन के राग सुनाती है ,
मजबूरी खुलके गाती है। सुन्दर रचना।
मजबूरी गाती है.
पलकों पर आँसू की डोली सहज उठाती है ,
ऐसा भी होता है, तब जब मजबूरी गाती है |
छोटे कदम बड़ी मंजिल का पता बताते है ,
लेकिन छोटे को सुविधा -सम्पन्न दबाते है...
काव्यान्जलि पर धीरेन्द्र सिंह भदौरिया
ReplyDeleteगा गाके जीवन के राग सुनाती है ,
मजबूरी खुलके गाती है। सुन्दर रचना।
मजबूरी गाती है.
पलकों पर आँसू की डोली सहज उठाती है ,
ऐसा भी होता है, तब जब मजबूरी गाती है |
छोटे कदम बड़ी मंजिल का पता बताते है ,
लेकिन छोटे को सुविधा -सम्पन्न दबाते है...
काव्यान्जलि पर धीरेन्द्र सिंह भदौरिया
झूठा ख़त ही हमें भेज देना कभी,
ReplyDeleteआजमा कर हमें देख लेना कभी,
साज-संगीत को छेड़ देना जरा,
हम तरन्नुम में भरकर ग़ज़ल गायेंगे!
प्यार की ऊर्मियाँ तो दिखाओ जरा,
संग-ए-दिल मोम बन कर पिघल जायेंगे!!
गीत और स्वर दोनों सशक्त।
झूठा ख़त ही हमें भेज देना कभी,
ReplyDeleteआजमा कर हमें देख लेना कभी,
साज-संगीत को छेड़ देना जरा,
हम तरन्नुम में भरकर ग़ज़ल गायेंगे!
प्यार की ऊर्मियाँ तो दिखाओ जरा,
संग-ए-दिल मोम बन कर पिघल जायेंगे!!
गीत और स्वर दोनों सशक्त।
एक गीत सुनिए...
अर्चना चावजी के स्वर में
"छू लो हमें.."
आप इक बार ठोकर से छू लो हमें,
हम कमल हैं चरण-रज से खिल जायेगें!
प्यार की ऊर्मियाँ तो दिखाओ जरा,
संग-ए-दिल मोम बन कर पिघल जायेंगे!!
"धरा के रंग"
अरविन्द केज़रीवाल एक पनपता हुआ बिरवा है अभी तो अंकुर फूटें हैं। नज़र दिल्ली की संसदीय सीटों पर हैं चार न तो तीन पर उनकी नज़र रहेगी। दो सीट पक्की हैं उनकी। नोट कर लें आप भी महेंद्र जी। वैसे आपका विश्लेषण दिनानुदिन निखार पर है। अच्छा लगता है आपको पढ़के। अगर हमारे माफ़ी मांगने से आपकी नाराजी दूर होती है तो हम आप की कोर्ट में हाज़िर हैं आप हमें मुआफ करें। ब्लागिंग में मेरे भाई वैचारिक तू तू मैं मैं भी कभी कभार हो जाती है आदमी का मन बदलता है। उम्र के साथ आदमी भौतिक से आध्यात्मिक ऊर्जा की तरफ जाता है मुआफी सहायक सिद्ध होती है इस दिशा में। आदाब भाई।
ReplyDeleteनिर्धन को धनवान सा, सुलभ सदा हो न्याय।
ReplyDeleteनहीं किसी के साथ हो, भेद-भाव अन्याय।।
भारत माता कर रही, कब से यही पुकार।
भ्रष्ट सियासत की नहीं, भारत को दरकार।।
संसद में पहुँचे नहीं, रिश्वत के अभ्यस्त।
आम आदमी ने किये, सभी हौसले पस्त।।
बेहतरीन सामयिक रचना आइना दिखाती सत्ता के थोक दलालों को।
ReplyDeleteचुनावों में बुरी तरह पिटी कांग्रेस को एक मुद्दा तो मिला। चुनावों का मूल आधार तो वोट है और वोटों पर इस समय दबदबा नौजवानों का है। तो ऐसे में नौजवानों का वोट हासिल करने के लिए यदि समलैंगिकों को समर्थन दिया जाता है तो कांग्रेस के लिए यह घाटे का सौदा नहीं है और खासकर तब जब टाइम्स आफ इंडिया जैसे प्रतिष्ठित अखबार के सम्पादक -मंडल का कोई व्यक्ति ऐसा परामर्श और प्रेरणा दे रहा हो। उनका सुझाव बहुत बढ़िया है। सोना तो सोना है ,चाहे कीचड़ या मल में क्यों न पड़ा हो उसे उठा ही लेना चाहिए। हर समझदार आदमी यही करता है। कांग्रेस में कोई समझदारों की कमी नहीं है।
सचमुच की समझ होना और राजनीतिक दृष्टि से समझ होना ये दो अलग बातें हैं। लोग तो सार्वजनिक जीवन में कपड़े पहन कर आते हैं पर टाइम्स आफ इंडिया के सम्पादक ने तो सारे कपड़े उतार दिए हैं । हो सकता है कि उन्होंने अपने सम्पादकीय में कहीं व्यंग्य छिपा रखा हो पर उन्हें ये नहीं पता है कि कांग्रेसी तो शुरू से ही नंगे हैं। खद्दर भी कोई कपड़ा होता है क्या?आदमी नंगा होने पर आ जाए तो खद्दर तो क्या पूरा कंबल भी नंगेपन को ढ़क नहीं सकता। टाइम्स आफ इंडिआ के सम्पादक को यह नहीं पता है कि यदि वह अपना सुझाव न भी देता तो भी कांग्रेस के नंगनाथ क्या चुप बैठ रहते। अभी तो चार ही सामने आये हैं। एक एक करके सभी चालीस चोर सामने आयेंगें। समलैंगिक होना कोई अपराध थोड़ी न है.वोट मिलेंगे तो चोरी और डकैती को भी अपराधों से बाहर किया जा सकता है। शरीर अपना है जो कुछ चाहे करें। उम्मीद तो यह भी है कि कांग्रेसी केवल सिद्धांत तक सीमित नहीं रहेंगे। खुद भी प्रक्टिकल करेंगे। आगे बढ़कर निदर्शन करेंगे।
विज्ञान तो ऐसे किसी सिद्धांत को नहीं मानता जो प्रयोग में खरा न उतरता हो फिर समलिंगी घर्षण के तो कई क्षेत्र हैं। अनेकों प्रयोग हो सकते हैं। फिर कांग्रेस में विचारकों और विज्ञानियों की कोई कमी है क्या जो टाइम्स आफ इंडिया का सम्पादक श्रेय लेना चाहता है।लोगों को विश्वास है कि कांग्रेसी नाहक में उस सम्पादक को श्रेय नहीं दे सकते।
नहीं ये नहीं हो सकता ..
Supreme Court says gay sex illegal, govt hints at legislative route सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए ११ दिसंबर को भारतीय दंड सहिंता की धारा ३७७ को जायज़ ठहराया और समलैंगिक सम्बन्धों को अपराध .भारतीय दंड सहिंता की धारा ३७७ जिसमे कहा गया है कि - ''जो कोई किसी पुरुष ,स्त्री या जीव-जंतु के साथ प्रकृति की व्यवस्था के विरुद्ध स्वेच्छया इन्द्रिय भोग करेगा ,वह आजीवन कारावास से ,या दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी ,दण्डित किया जायेगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ....
कानूनी ज्ञान पर Shalini Kaushik
मौज़ू सवाल उठाये हैं आपने धार्मिक इतिहास और परम्परा के आलोक में।
सुन्दर सूत्रों की चर्चा।
ReplyDelete