मित्रों!
सोमवार की चर्चा में मेरी पसंद के लिंक निम्नवत् हैं-
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व्योम के उस पार
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh8EmeNsR_7w9wApTejrMalaezqAUKOnL9gA6og7xmPcAsQppnAzutXQ7GlSRSwmqd-p6r8Hs42TxiVQV7qzr4q6_8Z6qZTJhUlw2oyibPpS4OzS7QnngCU-TNPFmKfQDKL_4D6nT6SuV-Z/s400/Footprints+on+sand.jpg)
दूर क्षितिज तक पसरे
तुम्हारे कदमों के निशानों पर
अपने पैर धरती
तुम तक पहुँचना चाहती हूँ...
Sudhinama पर sadhana vaid
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh8EmeNsR_7w9wApTejrMalaezqAUKOnL9gA6og7xmPcAsQppnAzutXQ7GlSRSwmqd-p6r8Hs42TxiVQV7qzr4q6_8Z6qZTJhUlw2oyibPpS4OzS7QnngCU-TNPFmKfQDKL_4D6nT6SuV-Z/s400/Footprints+on+sand.jpg)
दूर क्षितिज तक पसरे
तुम्हारे कदमों के निशानों पर
अपने पैर धरती
तुम तक पहुँचना चाहती हूँ...
Sudhinama पर sadhana vaid
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एहसासों के "जनरल डायर".
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiTItVRSrbpb8BzVHdPyiacyXU-FVahPjVB13uSv9QnsoTfDuxGLIn6bJqaRFWMqTnT5lalfq404E_CUzbHqeLLdQnL5QM9pFG15-dE02_bbvjoqRdA0c2071v8xoBTy_xM6Z-VkNhOIHk/s400/books-1580548.jpg)
हमे गुस्सा है उन लेखकों से
जो अपने एहसासों की लहरें
बस डायरी के सफ़ेद पन्नो मे उड़ेल कर
अपने मेज़ के कोने मे झटक देते....
खामोशियाँ...!!! पर मिश्रा राहुल
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiTItVRSrbpb8BzVHdPyiacyXU-FVahPjVB13uSv9QnsoTfDuxGLIn6bJqaRFWMqTnT5lalfq404E_CUzbHqeLLdQnL5QM9pFG15-dE02_bbvjoqRdA0c2071v8xoBTy_xM6Z-VkNhOIHk/s400/books-1580548.jpg)
हमे गुस्सा है उन लेखकों से
जो अपने एहसासों की लहरें
बस डायरी के सफ़ेद पन्नो मे उड़ेल कर
अपने मेज़ के कोने मे झटक देते....
खामोशियाँ...!!! पर मिश्रा राहुल
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प्राकृतिक उद्देश्य
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgZfjw8GV251ngd1VMVFYpJW3yk7o4ecX5Xeoh7RJuEBxK4BdOiUb4ns2SJkpZxLoDx_4jYARvbqR3RYAs1FyaYoI5nUGA9ocI40gDCUncCjoBUIVPoYz6_T99tF5K-FgKKdfI7Gup5rog/s400/8252_574615645949273_954082741_n.jpg)
मैं जमीन पर ही कल्पना करती हूँ
जमीन पर ही जीती हूँ यूँ
कई बार हौसलों की खातिर
क्षितिज से मिल आती हूँ :) …
ले आती हूँ थोड़ी चिंगारी
जंगल में फैली आग से
समेट लाती हूँ कुछ कतरे
जमीन पर खड़े रहने के लिए...
मेरी भावनायें...पर रश्मि प्रभा...
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgZfjw8GV251ngd1VMVFYpJW3yk7o4ecX5Xeoh7RJuEBxK4BdOiUb4ns2SJkpZxLoDx_4jYARvbqR3RYAs1FyaYoI5nUGA9ocI40gDCUncCjoBUIVPoYz6_T99tF5K-FgKKdfI7Gup5rog/s400/8252_574615645949273_954082741_n.jpg)
मैं जमीन पर ही कल्पना करती हूँ
जमीन पर ही जीती हूँ यूँ
कई बार हौसलों की खातिर
क्षितिज से मिल आती हूँ :) …
ले आती हूँ थोड़ी चिंगारी
जंगल में फैली आग से
समेट लाती हूँ कुछ कतरे
जमीन पर खड़े रहने के लिए...
मेरी भावनायें...पर रश्मि प्रभा...
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काँटों भरी फूलों से सजी .....
दुनियां है ये !!!
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgLKl1TJkb285en0oQKmbRlwVOeejmPzty2sQQPFl6bc3TddCxcPapa-DTFY8nJsFM7dVsQViUSkX-YyGshLQ6WHu35LcYZDyQt4EFgfDJhnyxeMr5JUkpvIzkLZrqd5xWK3DF-K-mi/s400/rose1.jpg)
क्यों बैठा उदास ,
यूँ हैरान सा क्यों है कुछ तो बता ,
यूँ परेशान सा क्यों है...
गुलों से गुलज़ार था ये चमन तेरा
लगता ये आज वीरान सा क्यों है...
यादें...पर Ashok Saluja
दुनियां है ये !!!
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgLKl1TJkb285en0oQKmbRlwVOeejmPzty2sQQPFl6bc3TddCxcPapa-DTFY8nJsFM7dVsQViUSkX-YyGshLQ6WHu35LcYZDyQt4EFgfDJhnyxeMr5JUkpvIzkLZrqd5xWK3DF-K-mi/s400/rose1.jpg)
क्यों बैठा उदास ,
यूँ हैरान सा क्यों है कुछ तो बता ,
यूँ परेशान सा क्यों है...
गुलों से गुलज़ार था ये चमन तेरा
लगता ये आज वीरान सा क्यों है...
यादें...पर Ashok Saluja
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अभिनव चिकित्सा प्रोद्योगिकी
और हमारे माहिरों के हुनर ने
२५ वें हफ्ते में एक साथ पैदा
गम्भीर रोग ग्रस्त शिशु त्रयी को बचाया
गर्भावस्था की सामान्य अवधि ४० सप्ताह बतलाई गई है।
लेकिन जो शिशु ३९ सप्ताह से पहले ही पैदा हो जाते हैं
उन्हें समय से पहले पैदा premature babies कहा जाता है।
--
जो लोग नियमित व्यायाम करते हैं
उनमें लिंगोत्थान अभाव (erectile dysfunction )की सम्भावना
एक तिहैया ही रह जाती है
बरक्स उनके जो व्यायाम कसरत आदि से दूर ही रहते हैं।
ज़ाहिर है उनकी पेनाइल आर्टरी पूरा रक्त नहीं उठा पाती है
व्यायाम शिश्न धमनियों को भी
कुछ तो खुला रखने में सहायक सिद्ध होता ही है।
सेहत
--
मारते पथ्थर अपने पहले --
पथिक अनजाना (सतनाम सिंह साहनी )
पूछ रही है तुम्हारी निगाहें
बस दिल में मात्र इक सवाल है
तुम्हारे प्रति मानव गैर या
अपनों के दिल में क्या ख्याल है
प्राय: पाया अपने सबसे पहले
पथ्थर मारते व उपहास करते हैं
--
एक गीत -
खिड़कियों के पार का मौसम
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiIcAImem14yN8VB4gXtk93o0ANo5AjARuqVfuySl1tX3Foy7ceRJFB4MRgzZK5lnLSu8gaZClvEPqBnb3nHURfpnhe96cFwYG9WnQfPoC8PAw9yo2KARnrTajBW0fsPpl-A39lJXE-u0I/s400/2dQMZwT.jpg)
छान्दसिक अनुगायन पर
जयकृष्ण राय तुषार
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और हमारे माहिरों के हुनर ने
२५ वें हफ्ते में एक साथ पैदा
गम्भीर रोग ग्रस्त शिशु त्रयी को बचाया
गर्भावस्था की सामान्य अवधि ४० सप्ताह बतलाई गई है।
लेकिन जो शिशु ३९ सप्ताह से पहले ही पैदा हो जाते हैं
उन्हें समय से पहले पैदा premature babies कहा जाता है।
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जो लोग नियमित व्यायाम करते हैं
उनमें लिंगोत्थान अभाव (erectile dysfunction )की सम्भावना
एक तिहैया ही रह जाती है
बरक्स उनके जो व्यायाम कसरत आदि से दूर ही रहते हैं।
ज़ाहिर है उनकी पेनाइल आर्टरी पूरा रक्त नहीं उठा पाती है
व्यायाम शिश्न धमनियों को भी
कुछ तो खुला रखने में सहायक सिद्ध होता ही है।
सेहत
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मारते पथ्थर अपने पहले --
पथिक अनजाना (सतनाम सिंह साहनी )
पूछ रही है तुम्हारी निगाहें
बस दिल में मात्र इक सवाल है
तुम्हारे प्रति मानव गैर या
अपनों के दिल में क्या ख्याल है
प्राय: पाया अपने सबसे पहले
पथ्थर मारते व उपहास करते हैं
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एक गीत -
खिड़कियों के पार का मौसम
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiIcAImem14yN8VB4gXtk93o0ANo5AjARuqVfuySl1tX3Foy7ceRJFB4MRgzZK5lnLSu8gaZClvEPqBnb3nHURfpnhe96cFwYG9WnQfPoC8PAw9yo2KARnrTajBW0fsPpl-A39lJXE-u0I/s400/2dQMZwT.jpg)
छान्दसिक अनुगायन पर
जयकृष्ण राय तुषार
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हाइकू
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiWeLSYjoOPvkRRTh61zFJuK9LGnnHUon-DxLOxT1_ijtezXYJFfKalL4oEYrmPZG_xRZesJDhJWSopuyriicRW_2JdNmBoKSqxIkTEwpvAUZGZw5rd_YWuGg6ymdC3zGtjIB69EO7zXqA/s400/images.jpg)
(१)
शिक्षा की देन
अभिनव अनूप
वह है यहीं |
(2)
थे जब साथ
कितना सुहाना था
यह मौसम ...
Akanksha पर Asha Saxena
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiWeLSYjoOPvkRRTh61zFJuK9LGnnHUon-DxLOxT1_ijtezXYJFfKalL4oEYrmPZG_xRZesJDhJWSopuyriicRW_2JdNmBoKSqxIkTEwpvAUZGZw5rd_YWuGg6ymdC3zGtjIB69EO7zXqA/s400/images.jpg)
(१)
शिक्षा की देन
अभिनव अनूप
वह है यहीं |
(2)
थे जब साथ
कितना सुहाना था
यह मौसम ...
Akanksha पर Asha Saxena
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"कैसे भाव भरूँ...?"
सुख का सूरज
काव्यसंग्रह "सुख का सूरज" से
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhmSUWtwBbh1Fq2fkGC3AnSxknuMhwE0-TVFOxqQotlOId1hBFrR1bKUI4Nlraga6eGOkI-e21BYcL2CKWEgRCinbd2wcEGrQW3aielDTQrHs3e0r6wG3G-a9nfTZMQVZ3fTn3EhCncC4w/s400/images+(1).jpg)
एक गीत
"कैसे भाव भरूँ...?"
कैसे मैं दो शब्द लिखूँ और कैसे उनमें भाव भरूँ?
तन-मन के रिसते छालों के, कैसे अब मैं घाव भरूँ?
मौसम की विपरीत चाल है,
धरा रक्त से हुई लाल है,
दस्तक देता कुटिल काल है,
प्रजा तन्त्र का बुरा हाल है,
बौने गीतों में कैसे मैं, लाड़-प्यार और चाव भरूँ?...
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मैं हवा हूँ मेरे मित्र,
मेरे साथ चाहो तो बहो
वरना घरों में चुपचाप रहो
Shabd Setu पर
RAJIV CHATURVEDI
मेरे साथ चाहो तो बहो
वरना घरों में चुपचाप रहो
Shabd Setu पर
RAJIV CHATURVEDI
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जम्मू-कश्मीर में 'श्रीनगर' है
तो भारत में 'श्रीमतीनगर' भी होगा,
उसी की तलाश है मुन्नाभाई को (काव्य)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj2PGXqSTt97GZO9qDzo__qjxjP9Sb6cMzrKaAiCrVu8KyFB6v4r61umeqdUe7SJdqVnG86fGhAb_DZ88Kbc5N1rsLa8981ZcWRqbr-Ujgvq3eHQsKLu7_9o3XmtQyRMN_igw8LXjqNlPk/s320/munnabhai+avinash.jpg)
नुक्कड़
तो भारत में 'श्रीमतीनगर' भी होगा,
उसी की तलाश है मुन्नाभाई को (काव्य)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj2PGXqSTt97GZO9qDzo__qjxjP9Sb6cMzrKaAiCrVu8KyFB6v4r61umeqdUe7SJdqVnG86fGhAb_DZ88Kbc5N1rsLa8981ZcWRqbr-Ujgvq3eHQsKLu7_9o3XmtQyRMN_igw8LXjqNlPk/s320/munnabhai+avinash.jpg)
नुक्कड़
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स्कूटर पर जाती महिला
का सड़क से गुज़रना हो
या गुज़रना हो काँटों भरी संकड़ी गली से ,
दोनों ही बातें एक जैसी ही तो है।
लालबत्ती पर रुके स्कूटर पर बैठी महिला के
स्कूटर के ब्रांड को नहीं देखता कोई भी ...
नयी उड़ान + पर Upasna Siag
का सड़क से गुज़रना हो
या गुज़रना हो काँटों भरी संकड़ी गली से ,
दोनों ही बातें एक जैसी ही तो है।
लालबत्ती पर रुके स्कूटर पर बैठी महिला के
स्कूटर के ब्रांड को नहीं देखता कोई भी ...
नयी उड़ान + पर Upasna Siag
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अनन्य प्रीती...!
हे जीवन! तुमने कह लिया...
अब सुनो हमसे...
जो तुम अब कह पाये शब्दों में,
वह हमें पहले से ज्ञात है...
तुम्हें क्या लगता है
कोई रहस्योद्घाटन किया है तुमने...
अनुशील पर अनुपमा पाठक
हे जीवन! तुमने कह लिया...
अब सुनो हमसे...
जो तुम अब कह पाये शब्दों में,
वह हमें पहले से ज्ञात है...
तुम्हें क्या लगता है
कोई रहस्योद्घाटन किया है तुमने...
अनुशील पर अनुपमा पाठक
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जानते हो मेरे इंतज़ार की इंतेहा
vandana gupta
इश्क और इंतज़ार
इंतज़ार और इश्क
कौन जाने किसकी इंतेहा हुयी
बस मेरी मोहब्बत कमली हो गयी
और मेरे इंतज़ार के पाँव की फटी बिवाइयों में
अब सिर्फ तेरा नाम ही दिखा करता है
खुदा का करम इससे ज्यादा और क्या होगा
देखूँ जब भी अपना चेहरा तेरा दिखा करता है...
ज़ख्म…जो फूलों ने दिये पर vandana gupta
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"ग़ज़ल-नाम तुम्हारा, काम हमारा"
![](https://lh3.googleusercontent.com/blogger_img_proxy/AEn0k_s2pIyARY6BG5cw5umMIoV3XctQjMMjELudJvqoOvorv52eNv8zTmPOTSFNzJcAHBZGL9yvkQLf7SSQMp7J3Ogz6zXaKGHrltNQkxC4oeNCrAXQrk9dXD3IQoLXnGMW0Csc4cNvmWk=s0-d)
काम तो हमारे हैं, नाम बस तुम्हारा है
पाँव तो हमारे हैं, रास्ता तुम्हारा है
लिख रहे हैं प्यार की इबारत को
बोल तो हमारे हैं, कण्ठ बस तुम्हारा है...
काम तो हमारे हैं, नाम बस तुम्हारा है
पाँव तो हमारे हैं, रास्ता तुम्हारा है
लिख रहे हैं प्यार की इबारत को
बोल तो हमारे हैं, कण्ठ बस तुम्हारा है...
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नयी करवट
(दोहा-ग़ज़लों पर एक काव्य )
(६)ढोल की पोल
(ख)पेटू पीर
:शैल : सफ़र में रहा
तमाम उम्र जिसके घर में रहा इक अजनबी की तरह
वो चला तो चलता ही रहा सफ़र में हमसफर की तरह
मैं ढूंढता फिरता रहा, दर- दर भटका, कहाँ -कहाँ न गया
धड़कता रहा वही शख्स दिल में राहे - रहबर की तरह ..
शालिमा "शैल"
sanskrit
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नयी करवट
(दोहा-ग़ज़लों पर एक काव्य )
(६)ढोल की पोल
(ख)पेटू पीर
यह सच है कुछ ‘सन्त’ हैं, सच्चे कई ‘फ़कीर’ |
‘आमिल-कामिल’ भी छुपे, होंगे ‘असली पीर’ ||
देवदत्त प्रसून
--:शैल : सफ़र में रहा
तमाम उम्र जिसके घर में रहा इक अजनबी की तरह
वो चला तो चलता ही रहा सफ़र में हमसफर की तरह
मैं ढूंढता फिरता रहा, दर- दर भटका, कहाँ -कहाँ न गया
धड़कता रहा वही शख्स दिल में राहे - रहबर की तरह ..
शालिमा "शैल"
sanskrit
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सुप्रभात
जवाब देंहटाएंचर्चामंच पर आ कर मन जाना नहीं चाहता
पर क्या करें समय कम पड़ता
जाना ही पड़ता |
मेरी रचना शामिल की | आभार |
आभार...!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा !
जवाब देंहटाएंउल्लूक की 'किताब पढ़ना जरुरी है बाकी सब अपने ही हिसाब से होता है' को शामिल करने के लिये आभार !
बहुत सुन्दर और पठनीय सूत्र
जवाब देंहटाएंउम्दा संग्रह ....आभार..
जवाब देंहटाएंसुप्रभात !
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा.
अच्छी चर्चा. बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंमुझे स्थान देने के लिए आभार
बहुत सुंदर सार्थक चर्चा ! मेरी रचना को सम्मिलित किया आपका धन्यवाद एवँ आभार शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंतठस्थ निशानों की तठस्थ चर्चा - बहुत अच्छे लिंक्स ! खुद को देख ख़ुशी हुई,आभार
जवाब देंहटाएंकाफी सुंदर चर्चा....हमारे लिंक को स्थान देने के लिए आभार....!!!
जवाब देंहटाएंपठनीय सूत्र ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सार्थक चर्चा बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंसभी लिंक्स बहुत अच्छे शास्त्री सर !
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने का आभार
~सादर
बज्हुत ही अच्छा संयोजन प्रस्तुत किया है,साधुवाद ! मेरी रचना को प्रकाशित करने हेतु धन्यवाद !!
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी ...आभारी हूँ आपके स्नेह का ....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे आज के सूत्र , मंच व शास्त्री जी को धन्यवाद
जवाब देंहटाएं|| जय श्री हरिः ||
बहुत सुन्दर लिंक संयोजन |
जवाब देंहटाएं