वो जिसके साथ कोई रहबर नहीं होता हम इस जहाँ में फकत आदमी से डरते हैं किसी खुदा का हमें कोई डर नहीं होता हरेक शख्स में इंसानियत नहीं होती हरेक शख्स मगर जानवर नहीं होता वहां किसी पे भरोसा कोई करे कैसे खुद अपना साया जहाँ मोतबर नहीं होता न जाने कैसे दुआएं क़ुबूल होती हैं मेरी दुआ का जरा भी असर नहीं होता न जाने कौन सी मिटटी के बने होते हैं किसी की बात का जिन पे असर नहीं होता
(साभार : देवेन्द्र गौतम )
|
मैं, राजीव कुमार झा,
चर्चामंच : चर्चा अंक :1475 में, इस वर्ष की अपनी आखिरी प्रस्तुति में कुछ चुनिंदा लिंक्स के साथ, आप सबों का स्वागत करता हूँ. --
एक नजर डालें इन चुनिंदा लिंकों पर...
|
![]()
बालार्क की आठवीं किरण हैं सुधा ओम ढींगरा जी जो किसी पहचान की मोहताज नहीं। जो अपनी पहचान आप हैं , उनका लेखन स्वयं बोलता है।
|
![]()
जिसमे उत्साह न हो
वह सफर ही क्या जिसमे शामिल कुछ दिल दिलचस्प यादें न हो |
![]()
फूल भ्रमर
प्यार का इज़हार
या उपकार |
------ उपकार का यदि सिलसीला हो कृपण न हो |
अंकुर जैन
![]()
उस फुटपाथ किनारे
बैठी बूढ़ी का बदनअब भी अधनंगा है उस मौसम की मार झेले किसान की आंख से बहती अब भी गंगा है... |
आज डायरी के
पुराने पन्ने पलटे तो
खुद कि खुद से
दुबारा पहचान हुई
|
हरकीरत 'हीर'
![]()
हर किसी को यही लगा था
कि कहानी खत्म हो गई
और किस्सा खत्म हो गया ……
पर कहानी खत्म नहीं हुई थी
शिखर पर पहुँच कर ढलान की ओर
चल पड़ी थी …
|
मुकेश कुमार सिन्हा
![]()
कोई नहीं
नहीं हो तुम मेरे साथ
फिर भी
चलता जा रहा हूँ
पगडंडियों पर
अंतहीन यात्रा पर ...
|
![]()
दोस्त ग़मख्वारी में मेरी सअ़ई[1] फ़रमायेंगे क्या
ज़ख़्म के भरने तलक नाख़ुन न बढ़ आयेंगे क्या बे-नियाज़ी[2] हद से गुज़री, बन्दा-परवर[3] कब तलक हम कहेंगे हाल-ए-दिल और आप फ़रमायेंगे, 'क्या?'
सर्दियो
|
डॉ. गुणशेखर
![]()
आओ प्यारे वर्ष! आप से
हर्ष भरे कहतीं लतिकाएँ नए क्षितिज की नई किरन की हरें दुआएँ, सभी बलाएँ |
![]()
ग़ालिब एक ऐसे शायर हुए हैं, जो अपनी बेहतरीन शायरी के लिए सदियों तक याद किए जाते रहेंगे. उनकी शायरी में ज़िंदगी के ख़ूबसूरत रंग हैं. ग़ालिब के बिना उर्दू शायरी अधूरी है. हिन्द पॉकेट बुक्स ने हाल में एक किताब प्रकाशित की है, जिसका नाम है ग़ालिब. इस किताब में उर्दू और फ़ारसी के महान शायर मिर्ज़ा ग़ालिब के संक्षिप्त जीवन परिचय के साथ उनका चुनिंदा कलाम दिया गया है.
|
बीना की कहानी: मैं ज़िंदा हूँ
शचीन्द्र आर्य ![]()
साल के आखिरी दिन। कितनी ही तरहों से अपनी तरफ़ खींचते हैं। समेटने जैसे भाव से भरे हुए। पैर में मोजें हैं, फिर भी पैर ठंडे हैं। रात रज़ाई लगता है भीगी हुई है। पैर सिकोड़े वहीं नींद का इंतज़ार करते करते लुढ़क जाते हैं। कल सुबह ही निकालना है इसलिए मेज़ पर हूँ। के कुछ-कुछ लिखता चलूँ।
|
Rajeev Kumar Jha
![]()
Red trees in evening's darkening glow
Breeze cat-footed,stealthy,alert
Like an ashen bird's
first awakening your eyes
|
फिर भी आस अशेष...!
अनुपमा पाठक ![]()
|
केवल राम
![]()
आजकल जितने भी ऐसे छुटभये तैयार हुए हैं उनके कई तरह के नकारात्मक प्रभाव हमारे समाज और देश पर पड़ रहे हैं और जिस धर्म की आड़ में वह यह सब कुछ कर रहे हैं वह वास्तव में धर्म को स्थापित करने जैसा नहीं है, बल्कि भोले-भाले लोगों को अधर्म की तरफ ले जाने वाला मार्ग है. गतांक से आगे ...
|
नीरज पाल
कुछ बातें,
रह गयीं, कुछ अरमान जागने से पहले ही खो गए, उल्फत की ज़िन्दगी है, तन्हाई मेरा अफसाना। |
![]()
रो ले इस रात के वीराने में जितना भी तुझे रोना है
सहला ले जख्मो को अपने लेट कर इस खामोश रात की गोद में भिगोले आंसुओं से अपने ,रात के दामन को जितना भिगोना है |
सुमन
![]()
अगर आप
अपनी प्यारी सी
बिटिया से
करते है
बहुत बहुत
प्यार दुलार
|
अजय कुमार झा
वाह भईये , भई बहुत अच्छे जा रहे हो । यूं ही सधे सधे कदमों से आगे बढते चलो , बेशक इस लडाई का अभी कोई तुरंत और त्वरित सुखद परिणाम निकल कर सामने नहीं आए , इसके बावजूद, हां इसके बावजूद भी ये जो समीकरण बदलने की शुरूआत तुमने की है
|
क्या लिखे तू गरीबी, बीमारी।
लेखनी तेरी क्यों डूबे दर्द में। तार लिख, बाँटने को। सार आत्मसात करने को। |
"मखमली लिबास" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
मखमली लिबास आज तार-तार हो गया!
मनुजता को दनुजता से आज प्यार हो गया!!
सभ्यताएँ मर गईं हैं, आदमी के देश में,
क्रूरताएँ बढ़ गईं हैं, आदमी के वेश में,
|
इतने अकेले क्यूँ हो जाते हैं हम
कि हमारी चीख भी नहीं पहुँचती किसी तक...
हमारा फूट फूट कर रोना भी सुकून नहीं देता कि
आंसू भी जैसे अपने न हों...
इस वर्ष की शरुआत रोते हुए ही हुई थी
और जब जा रहा है तो भी यह वर्ष बेतरह रुला रहा है...
मन बहुत उदास है...
अनुशील पर अनुपमा पाठ
--
शीत लहर
क्या लिखें ?
कैसे लिखें ?
शून्य दिल ,दिमाग सब शून्य ,
लेखनी से निकले शब्द भी शून्य
शीतलहर ने अभी शुरू ही किया है
अपना प्रकोप
छाया चहुँ और गहन कुहासा...
Roshi
--
तुम बिन माँ भावों ने सूनेपन के अर्थ बताए !!
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEii0M1plILTF7UnBgxdueXMxFrBNHfK8oJ_ST3b_GFFJY9i6kDTqQlEeG601PoaGW7sGBiRzVaqOvOHQ7sNvpz5HVv9lz-HLbKksU_QbitWcaJ8yv9agA_bwKPxI27tHYgD0qPJwIw8gNvb/s320/ATgAAAC97xvBl9_-PSLEwwqFczmWobE61OnuTy0gOoiXlkyf9pSH6lJ9VORPyZSCIv93ggi2rjCFSKg59vlxWdTo7PTVAJtU9VAs481JiWDVX3Ep_GeKqOlMwkIozA.jpg)
यूं तो तीसरी हिंदी दर्ज़े तक पढ़ी थीं मेरी मां जिनको हम सब सव्यसाची कहते हैं क्यों कहा हमने उनको सव्यसाची क्या वे अर्जुन थीं.. कृष्ण ने उसे ही तो सव्यसाची कहा था..? न वे अर्जुन न थीं. तो क्या वे धनुर्धारी थीं जो कि दाएं हाथ से भी धनुष चला सकतीं थीं...
मिसफिट Misfit पर Girish Billore
--
नया साल ...
भटकता है मन छिटकती हूं मैं देखो-
फ़िर चला आया है एक और नया साल...
तुम्हारे बिना अकेले चलना कठिन है
बहुत साल दर साल....
मेरे मन की पर Archana
--
झाड़ डाला है झाड़ू ने ऐसा उन्हें,
आबरू उनको मुश्किल बचाना हुआ
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiruMZqnF6Wp8byxTQCc_YnLmHZi92nGZ6U-E6o72ns-pBcssblzeQgkVnue7J6TbbGAaYIEBjkvoL8_9drgbD-37AuYBkW4mcaKFxHcWjDBtXkljElWzIlqaTwoH5nt3jQTcmJA9i4mj8u/s400/free+show.jpg)
Albela Khtari
--
ख़ामोशी
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjSeCFy67C_13f5yX-ePxe2maD4nR_uzUKdhImLcHss8nmwEQzV2wwqwjQ_4owsZgTuu0_hKOpVR_e0bG7xk1aDqJOFTTOIrdoMucpSWsVDbYOObokwfqibp1pLRszuYYSM0HcLzR24mLUF/s320/large_moonlight.jpg)
रात के अँधेरे मेँ,
ख़ामोशी
कुछ इस कदर
पाँव
पसारती है
कि,
समझना
मुश्किल हो जाता है
कि
ख़ामोश हम हैँ
या रातेँ...
आपका ब्लॉग पर abhishek shukla
--
सोचते सोचते ये साल 2013 भी विदा होने को है
पूरा साल कैसे बीत गया ....
ये पता ही नहीं चला |
सोचा था इस 2013 में बहुत कुछ लिखूँगी ...
पर चाह कर भी कामयाब नहीं हुई...
अपनों का साथ पर
Anju (Anu) Chaudhary
--
उसके जैसा ही क्यों नहीं सोचता
शायद बहुत कुछ बचता
हर आदमी सोच नहीं रहा
अगर तेरी तरह तो
सोचता क्यों नहीं
जरुर ही कहीं खोट होगा तेरी ही सोच में
सोचने की कोशिश तो करके देख ....
उल्लूक टाईम्स पर सुशील कुमार जोशी
--
ईमानदार ही नहीं गंभीर भी हो सरकार !
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjnaP6NQbpaYYRmubUab1GAfT25C1VSlivlxt0FGqprWqK-T2vaauiHLJtLDIHhEFmzuKiK5OjYb6j5yl5RV-4K35tQjptfLlJPyt-8eejdgdRE9JmNrgTmzTrmlhOfx4NuZsRSEBPHB-62/s320/1111111.jpg)
बहुत बुलंद फजाँ में तेरी पतंग सही, मगर ये सोच जरा डोर किसके हाथ में है । मुझे लगता है कि इन दो लाइनों से अरविंद केजरीवाल को समझ लेना चाहिए कि उनके बारे में आम जनता की राय क्या है...
आधा सच...पर महेन्द्र श्रीवास्तव
--
जब से बिजुली गयी गांव से सतयुग लौटा है
जब से बिजुली गयी गांव से
सतजुग लौटा है
+++++++
टेपरिकाट के आगे.…
मंगरू मिसिर करीवा चस्मा
लाल रुमाल जैक्सनवा झटका
(अब)
मुरई मरचा लगावत है
मनै मन फगुवा गावत है...
'दि वेस्टर्न विंड' (pachhua pawan) पर DR. PAWAN K. MISHRA
--
रिश्तों की ताप
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi_WYT23wwbOLAvCNKjWG7sbDpjBX_m96Zu0a_wERYep38y-2tM4dmOFAEJHEj2MN6kh4t-A301w-vQyCzkKAcBE4H6G9QJzkiEU9-hn5yzChGKPM47j9NNYTBZe7iMODUSDrf-fJMgXAKR/s320/7331683-hand-sun-and-blue-sky-showing-hope-peace-or-freedom-concept.jpg)
बर्फ सी ठंडी हथेली में,
सूरज का ताप चाहिए
फिर बँध जाए मुट्ठी,
ऐसे जज्बात चाहिए।
बाँध सर पे कफन,
कुछ करने कीचाह चाहिए...
अभिव्यंजना पर Maheshwari kaneri
--
श्री राम की कीमत -
हर परिवारिक किले की चाहरदिवारी
में क्यों नापाक कुचालें चली जाती हैँ
छीन जिन्दगी से सकून ताकतवरों द्वारा
कहते बुजुर्गों के लिये कुछ भी नही हैँ
जाने कैसे हर युग में हर समाज,देश की
हर परत में यह अंकुरित हो जाती हैँ...
![आपका ब्लॉग](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiMfp2Ox2HgYPslqkZhM7A9XQg3hs3ycwDGisYtG5MybDnkfTPL_2nFjkyIpvrtIoSCqG4tMOcecopBieOSPKgtLNI965NLVVhJAz90zzuTSqiMnat19eXXq_jPS8ZY9x3Mzv4UbYvgk28g/s400/aapka_blog.jpg)
पथिक अनजाना में क्यों नापाक कुचालें चली जाती हैँ
छीन जिन्दगी से सकून ताकतवरों द्वारा
कहते बुजुर्गों के लिये कुछ भी नही हैँ
जाने कैसे हर युग में हर समाज,देश की
हर परत में यह अंकुरित हो जाती हैँ...
![आपका ब्लॉग](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiMfp2Ox2HgYPslqkZhM7A9XQg3hs3ycwDGisYtG5MybDnkfTPL_2nFjkyIpvrtIoSCqG4tMOcecopBieOSPKgtLNI965NLVVhJAz90zzuTSqiMnat19eXXq_jPS8ZY9x3Mzv4UbYvgk28g/s400/aapka_blog.jpg)
--
ज़िंदगी का नज़रिया
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEitY5n_st2R_O944G83ugs2DZ-T3_ypv-dqYyViCNtaeb7WvA0U7cY3_Qqi3i_AVQUU9I_2ajDUnj8r1ObrQdE_cnc78NcmAVNO6LYTcl8OEy6E_7ugSX0a8T1PGOTgbQA_ftYTi0zB28Y/s320/beautiful_girl_in_garden-1680x1050.jpg)
पल मे ही तो बदल लेती
नज़रिया आकने का.....
वरना खूबसूरती की कब तक
सागिर्द होगी मोहब्बत .....
खामोशियाँ...!!! पर मिश्रा राहुल
--
wakt वक्त
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg48ka24S5QTrj0IgI-hL-0gs7T8JhCKe9bxxl46U2vsrAdkWgzkhOBlOiVc5SJJv8rTB6Jf4KsrMT4rC0RHamEAAOSnJuISuzWl2HkUoUJsdCLGFI3IJ6Zz0lVR3FkhUh5VJeoUIV86mSD/s400/222250114231.gif)
*काश इस वक्त को भी
हमसे प्यार हो जाए
जब आप दूर रहो
तो ये वक्त तेजी से गुजरता जाए
और जब आप पास आओ तो
ये वक्त चुपके से ठहर जाए...
मेरा मन पंछी सा पर
Reena Maurya
--
जिन्दगी पर से भरोसा ही उठा है
प्यार में हमने तो यूँ दर्द सहा है
प्यार के नाम से मन डरने लगा है।
मौत को देखा है कुछ पास से इतना
जिन्दगी पर से भरोसा ही उठा है...
गुज़ारिश पर सरिता भाटिया
--
"एक पुराना गीत"
मेरे गीत को सुनिए- अर्चना चावजी के मधुर स्वर में!
"दुख-सन्ताप बहुत झेले हैं"
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhovMvI3nOfsXQkAKS-ashnj4-VZgQxFWq6NxniW9hlsd53E28975_j-DfSVNbnEuSeOO7Kgxd052cKGo4MDJKcTWq0Vaj7npD9BTDsnNIcf2LwnFRpJGpmf-su0tHqWIhX-4jYz1UuGElV/s400/rainfall_waiting.jpg)
सुख के बादल कभी न बरसे,
दुख-सन्ताप बहुत झेले हैं!
जीवन की आपाधापी में,
झंझावात बहुत फैले हैं!!
अनजाने से अपने लगते,
बेगाने से सपने लगते,
जिनको पाक-साफ समझा था,
उनके ही अन्तस् मैले हैं!
जीवन की आपाधापी में,
झंझावात बहुत फैले हैं...
" सुख के बादल कभी न बरसे,
जवाब देंहटाएंदुख-सन्ताप बहुत झेले हैं! "
अर्चना जी के मधुर स्वर ने इस गीत की आत्मा को स्पर्श किया है...!
बेहद सुन्दर!
सादर!
आभार .... मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए ........
जवाब देंहटाएंये गीत मेरे लिए भी अविस्मरणीय है ..... धन्यवाद ...
waah waah
जवाब देंहटाएंसभी लिंक दमदार....हमारी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद....!!
जवाब देंहटाएंसभी लिंक दमदार....हमारी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद....!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय राजीव कुमार झा जी।
वाह बहुत सुंदर चर्चा है आज शनिवार की !उल्लूक का 'उसके जैसा ही क्यों नहीं सोचता
जवाब देंहटाएंशायद बहुत कुछ बचता' को शामिल किया आभार !
sundar charcha ...mujhe bhi iska hissa banane kay liye abhar
जवाब देंहटाएंbahut-bahut shukriya aapka...meri post ko yaha shamil karne ke liye :)
जवाब देंहटाएंबढिया चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
बहुत सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंक्या बात वाह! अति सुन्दर
जवाब देंहटाएंतीन संजीदा एहसास
बढ़िया चर्चा |बहुरंगी लिंक्स |
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
बहुत सुन्दर चर्चा !
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
बढ़िया चर्चा ...आभार .... मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा ! मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए ..आभार |......
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंक्स ..
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर जी...
:-)
अच्छे सूत्र , व बढ़िया प्रस्तुति , राजीव भाई व मंच को धन्यवाद
जवाब देंहटाएं॥ जय श्री हरि: ॥
NICE LINKS .THANKS
जवाब देंहटाएंdhanywaad. bahut acche links
जवाब देंहटाएं