मिट्टी
के इक बर्तन में पानी भरता
फिर उसमें मैं चांद देखता उससे गुपचुप बातें करता अपनी कहता, उसकी सुनता कभी रूठना, कभी मनाना था रातों का यही फ़साना
एक
रात मैं छत पर पहुँचा
तो देखा टूट गया था मेरा बर्तन दस-बारह मिट्टी के टुकड़े सारी छत पर फैले थे
अब
कैसे चंदा मामा से बात करूंगा
कैसे बताऊंगा मैंने चुपके-चुपके उसके लिए पिछवाड़े के पेड़ों तोड़ी हैं पकी-पकी जामुन
ये
सवाल
बड़ी अकड़ के साथ खड़े थे फिर वही हुआ जो बचपन में अक्सर होता है गंगा-यमुना का बहना
इतने
में मेरी छुटकी छत पर आई
जिसको मैं कहता था पगली बहना उसने आकर मुझसे पूछा- ”क्यों रोता है?”
मैंने
उसको बर्तन के टुकड़े
ऐसे दिखलाए जैसे मेरे दिल के टुकड़े हों वो मुस्काई नीचे से पानी ले आई
हर
टुकड़े में पानी भर कर
सबको इक पंक्ति में धर कर मुझसे बोली- ”ये लो भैया अब तक तो था एक चांद अब हर टुकड़े में चांद सजा है सबसे मिल लो बातें कर लो ख़ुश हो जाओ!”
मैं
मुस्काया
और फिर मैंने ख़ुद से पूछा मैं क्यों कहता हूँ उसको पागल लड़की उत्तर आया वह पगली है इसीलिए तो ऐसी है
(साभार : नील)
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मैं, राजीव कुमार झा,
चर्चामंच : चर्चा अंक :1468 में, कुछ चुनिंदा लिंक्स के साथ, आप सब का स्वागत करता हूँ. --
एक नजर डालें इन चुनिंदा लिंकों पर...
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लोक लाज त्याग
मेरे हठी
प्रेम ने प्रेम के गले में
प्रेम की वरमाला डाल
प्रेम को साक्षी मान
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आम आदमी ने सुमन, काम किया है खास।
खास आदमी को झटक, हिला दिया विश्वास।। दिल्ली की गद्दी मिले, हुआ अनैतिक मेल। देख सुमन गद्दी वही, ना चढ़ने का खेल।। |
रविकर
माने इसके गूढ़ हैं, इसी बहाने मौत |
कातिल होती मीडिया, मौत रही नित न्यौत
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दिल्ली में विधानसभा चुनाव की गतिविधियाँ तब शुरू ही हुईं थीं। एक दिन अचानक मोबाइल फोन की घंटी बजी। ‘हेलो मैं अरविंद केजरीवाल बोल रहा हूँ। फोन काटिए मत यह रिकॉर्डेड मैसेज है.....।’ अपनी बात कहने का यह एक नया तरीका था।
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रश्मि शर्मा
हां
स्वीकारती हूं मैं कि जीवन अधूरा था बिन तुम्हारे अधूरा ही रहेगा इसलिए इस स्वीकारोक्ति में झिझक नहीं लेशमात्र भी |
रोड-साइड ढाबे पर
तीन साइकल
हीरो, हरक्युलस और एवन के
अगले एक से टायर
थे, एक जगह जुड़े हुए
पर हम थे चार
चल रही थी मंत्रणा
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सर्दियों की ठंढी ठंढी सुबह में
मैं और मेरे घर का आँगन
माध्यम माध्यम बहती हुई
शीत लहर सी पवन
सर्दियो
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डॉ. अनवर जमाल
भारत में ज्यादातर लोग मांसाहारी हैं यानि कि ऐसे लोग हैं जो कि अनाज और सब्ज़ी के साथ अंडा, मुर्ग़ा, मछली और बकरा वग़ैरह का मांस खाते हैं। इनके दरम्यान एक छोटी सी तादाद ऐसे लोगों की भी है जो कि मुर्ग़ा-मछली वग़ैरह का मांस नहीं खाते लेकिन अंडा खा लेते हैं और कुछ इस मामले में इतने ज़्यादा अतिवादी हैं कि वे अंडा तक नहीं खाते।
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ताबो मोनेस्ट्री सुबह के समय देखी जा सकती थी लेकिन चित्रकारी वाले कमरों में फ़ोटो लेनी पर रोक होने के कारण, हमारी रुचि ताबो मोनेस्ट्री स्थित चित्रकारी वाले कमरों को देखने में नहीं रह गयी थी। मोनेस्ट्री में चित्रकारी वाले कमरे सुबह 9 बजे के बाद बाहरी लोगों के लिये खोले जाते है।
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कांग्रेस के लोकसभा चुनाव हारने की आशंका
वीरेन्द्र कुमार शर्मा
हाल में चार राज्यों में विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद अब अगर कांग्रेस अगले साल आम चुनाव भी हार जाती है तो मुझे लगता है कि राहुल गांधी के पास पार्टी में आमूलचूल परिवर्तन लाने का सुनहरा मौक़ा होगा.
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Rajeev Kumar Jha
How come I’m still a seed
beginning to dry up
before snow fairies have
visited me
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कविता के पास...!
अनुपमा पाठक मेरे आसपास नहीं होता कोई जो सुने मेरी बातें... समझे मेरी उलझनें... |
सिद्धेश्वर सिंह
संसार के अलग - अलग हिस्सों की कविताओं के अनुवाद की साझेदारी के क्रम में आइए आज पढ़ते हैं सीरियाई कवि लीना टिब्बी ( जन्म:१९६३) को
अगर मैं मर जाऊँकौन भेजेगा मेरे लिए शुभकामनाओं के संदेश कौन पोंछेगा मेरे माथे से बोझ की लकीरें |
अनु सिंह चौधरी
कविता नहीं होती
सुंदर, शीतल शब्दों, भावों,
बिंबों का मायाजाल
कविता नहीं होती
सिर्फ प्रेम की ऊष्णता
कविता होती है
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डियर रीडर्स , ऑडियो वीडियो चैट की दुनिया में तरह तरह के ऍप्स आते रहते हैं। इससे पहले मै आपको स्काइप ,निम्बुज़ ,फ्रिंग वगैरा के बारे में पोस्ट्स कर चुका हूँ ,और इन दिनों सबसे ज्यादा लोकप्रिय वाट्स एप के बारे में भी बता चुका हूँ।
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उपासना सियाग
भरकर थाली
छप्पन भोग की कब से रही पुकार तुम्हें आओ कान्हा भोग लगाओ |
गगन शर्मा
हमारी जिंदगी तरह-तरह की अनुभूतियों, खट्टे-मीठे अनुभवों, अनोखे घटना चक्रों से भरी पड़ी होती है। इन्हीं में से कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं जो सदा मन-मस्तिष्क पर अपनी छाप ताउम्र के लिए छोड़ जाती हैं, कर जाती हैं इंसान को कायल इंसानियत का, बाँध जाती हैं परायों को भी एक अनोखे रिश्ते में।
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सदा
प्रेम एक प्रार्थना है
जिसके पीछे सब हैं कतार में
कोई शब्दों से व्यक्त करता है
तो कोई मौन रहकर
प्रेम
बंसी के बजने में हो जाता है
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1950वीं पोस्ट "चले आये भँवरे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
शीतल धरा और शीतल गगन है
कड़ाके की सरदी में, ठिठुरा बदन है
उड़ाते हैं आँचल, हवा के झकोरे,
काँटों की गोदी में, पलता सुमन है
कार्टून :- लोकपाल बिल के साइड इफ़ेक्ट्स काजल कुमार के कार्टून -- मेरे सपनों का रामराज्य ( भाग २ ) शाष्टांग प्रणाम किया मैं जगस्रष्टा ,जग नियंता को 'वर' पाकर धन्य हो गया मैं सोचा - पहले सुधारूँगा भारत को| पहुँच कर मैं भारत भूमिपर पहली इच्छा प्रगट किया "सौ लोग आ जाये मेरे पास" वरदान का मैं परीक्षण किया... मेरे विचार मेरी अनुभूति पर कालीपद प्रसाद -- बेग़म तो घर के भीतर आराम कर रही है ! WORLD's WOMAN BLOGGERS ASSOCIATION पर shikha kaushik -- अब आ पड़ी मियां की जूती मियां के सर . ! कौशल ! पर Shalini Kaushik -- हम पंछी थे एक डाल के. काव्यान्जलि पर धीरेन्द्र सिंह भदौरिया -- देश के कर्णधार हैं ....... Sudhinama पर sadhana vaid -- यौनशोषण : सुरक्षा के लिए हमारे द्वारा मुफ्त में बांटे जा रहे इस परचे का भी उपयोग करो Albela Khtari -- सब को आता है कुछ ना कुछ तुझे क्यों नहीं आता है उल्लूक टाईम्स पर सुशील कुमार जोशी -- प्रथमे ग्रासे मक्षिका पातः दो महान और घाघ पार्टियों में अभी गंठजोड़ हो भी नहीं पायी थी कि आपस में एक दुसरे को दो-मुंहा सांप और छछूंदर कहने की नौबत आ गयी ... ZEAL -- न ग़ुस्ताख़ होतीं निगाहें हमारी ग़ाफ़िल की अमानत पर चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ -- भारतीय राजनीति के आकाश में नारियों का योगदान ....डा श्याम गुप्त.... इस आलेख का विषय-क्षेत्र मूल रूप से राजनीति की विसात पर नारियों के तप, त्याग, बलिदान एवं सक्रिय कर्तत्व पर प्रकाश डालना है... भारतीय नारी रिक्त मनुज का शेष रहेगा
हम कार्यालय से उतरे थे,
दिन के कार्य दिवंगत कर के,
देखा सम्मुख उतरे आते,
मित्र हमें जो मन से भाते,
पीछे आये दो सेवकगण,
वाहन में कुछ करके अर्पण,
ठिठके पग, जब देखा जाकर,
आँखे फैली दृश्य समाकर,
भर भर घर फ़ाइल के बक्से,
हम पूछे तो बोले हँस के,
शेष रहा जो कार्य करेंगे,
घर जाकर वह रिक्त भरेंगे,
काम बहुत है, समय बहुत कम,
इसी विवशता में डूबे हम...
बिल पास हो गया --- पथिक अनजाना (सतनाम सिंह साहनी ) आखिर लोकपाल बिल पास हो गया कोई लडाई इतनी लम्बी चली यह इतिहास हो गया दागी मंत्रियों के विरूद्ध बना कानून अब हास्य हो गया भविष्य ही बतावेगा किसके लिये सत्यानाश हो गया... आपका ब्लॉग "गैस सिलेण्डर"
बालकृति नन्हें सुमन से
एक बालकविता
मम्मी की आँखों का तारा।
गैस सिलेण्डर कितना प्यारा।।
रेगूलेटर अच्छा लाना।
सही ढंग से इसे लगाना।।
गैस सिलेण्डर है वरदान।
यह रसोई-घर की है शान।।
दूघ पकाओ, चाय बनाओ।
मनचाहे पकवान बनाओ।।
बिजली अगर नही है घर में।
यह प्रकाश देता पल भर में।।
बाथरूम में इसे लगाओ।
गर्म-गर्म पानी से न्हाओ।।
बीत गया है वक्त पुराना।
अब आया है नया जमाना।।
कण्डे, लकड़ी अब नही लाना।
बड़ा सहज है गैस जलाना।।
किन्तु सुरक्षा को अपनाना।
इसे कार में नही लगाना।
नन्हे सुमन |
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स |
बहुत सुन्दर और उपयोगी लिंकों के साथ बढ़िया चर्चा।
जवाब देंहटाएं--
आदरणीय राजीव कुमार झा जी आपका आभार।
बहुत सुंदर चर्चा सजाई है आज भाई राजीव जी ने
जवाब देंहटाएंउल्लूक की नई फोटो लगाई है आज मयंक जी ने !
आभार "सब को आता है कुछ ना कुछ तुझे क्यों नहीं आता है " को चर्चा में दिखाने के लिये !
बढ़िया लिंक्स व प्रस्तुति , आ० राजीव भाई व मंच को धन्यवाद
जवाब देंहटाएं॥ जय श्री हरि: ॥
बढ़िया लिंक्स सुन्दर प्रस्तुति ..
जवाब देंहटाएंkya baat
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिंक्स ! मेरी प्रस्तुति को सम्मिलित करने के लिये आपका धन्यवाद एवँ आभार !
जवाब देंहटाएंअनवर जमाल ने तो हिन्दू धर्म की सभी मान्यताओं पर कुठाराघात करने का मानो ठेका ही ले रखा है , मुझे उनके इस पोस्ट शाकाहार सेहत की गारंटी नहीं पर सख्त ऐतराज है , बिना कोई प्रमाण दिए उन्होंने अपने पोस्ट में कई आपत्ति जनक बातें लिख डाली .. विवेकानंद मांसाहार करते थे अगर उन्होंने ऐसा लिखा तो उन्हें इस जानकारी का प्रमाणिक श्रोत भी बताना चाहिए , उनकी पोस्ट से ऐसा प्रतीत होता है की योग बेकार की चीज है और उससे कोई फायदा नहीं होता ... उन्होंने शाकाहारियों को अतिवादी कह डाला , लेकिन सूअर नहीं खाने वाले के बारे में कोई विचार नहीं दिया .. आपसे अनुरोध है ऐसे पोस्ट को बढ़ावा नहीं दें ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा ………बढ़िया लिंक्स
जवाब देंहटाएंशानदार संयोजन !
जवाब देंहटाएंराज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कहा है कि हमारी विदेश नीति की समीक्षा की जरूरत है। मुझे लगता है कि विदेश नीति की नहीं देश नीति की समीक्षा की जरूरत है।
जवाब देंहटाएंसिर्फ खेद प्रकट किया है अमरीका ने। मामला वापस नहीं लिया गया है राजनयिक के खिलाफ ,न माफ़ी मांगी है।
सरकार के तम्बू चार राज्यों से उखड जाने के बाद सरकार जल्दी में है शहज़ादे की ताज़पोशी होनी है। मत चूके चौहान।
प्रेम को साक्षी मान
देवयानी खोब्रागड़े का अपमान या चुनाव की चिता ?
हर्षवर्धन त्रिपाठी
ज्यादातर भारतीयों का सीना इस वक्त 2 से 4 इंच चौड़ा हुआ दिख रहा है। हुआ हो न हो, लग ऐसा ही रहा है। और ये सीना चौड़ा होने की अद्भुत घटना रातोंरात हुई इसकी वजह हमारी मजबूत सरकार के फैसले हैं। जी, ठीक सुन रहे हैं आप मजबूत सरकार।
good poetry buddy.
जवाब देंहटाएंI' ve Not Given Up
जवाब देंहटाएंRajeev Kumar Jha
How come I’m still a seed
beginning to dry up
before snow fairies have
visited me
good job buddy .
1950वीं पोस्ट "चले आये भँवरे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
जवाब देंहटाएंशीतल धरा और शीतल गगन है
कड़ाके की सरदी में, ठिठुरा बदन है
उड़ाते हैं आँचल, हवा के झकोरे,
काँटों की गोदी में, पलता सुमन है
परेशान नदियाँ है, नालों के डर से.
करने को दूभर हुआ आचमन है
खूब सूरत अंदाज़ अर्थ और भाव।
बढ़िया बाल रचना।
जवाब देंहटाएंबाथरूम में इसे लगाओ।
गर्म-गर्म पानी से न्हाओ।।
बीत गया है वक्त पुराना।
अब आया है नया जमाना।।
कण्डे, लकड़ी अब नही लाना।
बड़ा सहज है गैस जलाना।।
किन्तु सुरक्षा को अपनाना।
इसे कार में नही लगाना।
बहुत सुंदर चर्चा सजाई है.....मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत धन्यवाद....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिंक्स ! मेरी प्रस्तुति को सम्मिलित करने के लिये आपका धन्यवाद एवँ आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रोचक व पठनीय सूत्र। आभार।
जवाब देंहटाएं