Followers



Search This Blog

Thursday, December 12, 2013

होशपूर्वक होने का प्रयास (चर्चा मंच : अंक-1459)

आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है 
आज की अनोखी तारीख 11-12-13 और साथ में ओशो का जन्म दिवस , इसका भी मजा लिया जाना चाहिए हालांकि सभी बुद्धिजीवी इसी बात पर उलझे दिख रहे हैं की दिल्ली का क्या बनेगा ? दिल्ली और देश - सचमुच संकट में है ---- अलग-अलग वजह से , लेकिन चर्चा लगाते हुए मैं सिर्फ आज ओशो की जागते रहने की बात सोच रहा हूँ , होशपूर्वक होने का प्रयास कर रहा हूँ |
चलते हैं 12-12-13 की चर्चा की ओर
मेरा फोटो
मेरा फोटो
मेरा फोटो
Laghu-Katha - My Hindi Short Stories -Pavitra Agarwal
मेरा फोटो
आभार 
आगे देखिए.."मयंक का कोना"
--
विशेष तारीख 11-12-13 
समय 14-15-16 दिन, महीना, 
वर्ष और समय सब एकान्तर क्रम से 

कोलाहल से दूर पर 

डॉ0 अशोक कुमार शुक्ल
--
सुनो तुम भी अब न कहना

मुझमे मेरापन मर सा जाता है 
जब भी तुम कहते हो 
अब नहीं बोलूँगा तुम से 
प्यार भरी तकरार 
और फिर मै करू मनुहार 
जिंदा रखते है हमारे ....
ये पन्ने ........ 
सारे मेरे अपने - पर  
Divya Shukla 
--
ज़िन्दगी की उम्र...
लौट आने की ज़िद 
अब न करो 
यही मुनासिब है 
क्योंकि 
कुछ रास्ते 
वापसी के लिए बनते ही नहीं हैं... 
लम्हों का सफ़र पर 
डॉ. जेन्नी शबनम 
--
मनवा की गति है न्यारी ..
हमारा मन 
समुंदर की मानिद ही है शायद
 समेटे है मन , 
समुंदर भांति अतुल गहराई 
लहरों सम आते ढेरों उतार -चडाव 
पा ना सका कोई इस मनवा की गहराई...
Roshi 

--
वो यादें ......बचपन की !!! 
ये बातें .....बाद पचपन की !!!

यादें...पर Ashok Saluja 

--
"शूल मीत बन गये" 
सृजन मंच ऑनलाइन

फूल हो गये ज़ुदाशूल मीत बन गये।
भाव हो गये ख़ुदा, बोल गीत बन गये।।

काफ़िला बना नहीं, पथ कभी मिला नहीं,
वर्तमान थे कभी, अब अतीत बन गये।
--
अगीत की शिक्षाशाला........
कार्यशाला १३... 
रसों का परिपाक.... 
डा श्याम गुप्त ....
अगीत कविता में लगभग सभी  रसों का परिपाक समुचित मात्रा में हुआ है | 
सामाजिक एवं समतामूलक समाज के उदेश्य प्रधान विधा होने के कारण 
यद्यपि शांतकरुणाहास्य ..रसों को अधिक देखा जाता है 
तथापि सभी रसों का उचित मात्रा में  उपयोग हुआ है | 
वीर रस का उदाहरण प्रस्तुत है ....  
" हम क्षत्री है वन में मृगया,करना तो खेल हमारा  है | 
तुम जैसे दुष्ट मृग-दलों को,हम  सदा  खोजते  रहते  हैं | 
चाहे  काल स्वयं सम्मुख हो,नहीं मृत्यु से डरते हैं हम || "  
---शूर्पणखा काव्य उपन्या से
सृजन मंच ऑनलाइन
--
आईबीएन -७ के सूत्रधार आशुतोष 
जो अपनी लम्बी नमस्कार के लिए जाने जाते हैं 
वे कांग्रेस की पराजय के सम्बन्ध में 
जो परिचर्चा करा रहे थे 
(१० दिसंबर सांध्य ० ७ :५७ ) 
उसे सुनकर लगा 
वह परोक्ष रूप से कांग्रेस के सलाहकार भी बने हुए हैं।

कांग्रेस को बड़े बदलाव की ज़रुरत 

--
आरोग्य समाचार /सेहतनामा /नुसखे
(१)

देर तक अपने प्रियपात्र  को 
बाँहों में  थामे रहने सीने से लगाए रहने पर 
मन उल्लसित हो जाता हो जाता है 
ऐसा शरीर में serotonin का स्तर बढ़ जाने से होता है।
--
'Thousand Islands'.....

काव्य मंजूषा पर स्वप्न मञ्जूषा

--
"दुनियादारी जाम हो गई" 

नीलगगन पर कुहरा छाया, 
दोपहरी में शाम हो गई।
शीतलता के कारण सारी, 
दुनियादारी जाम हो गई।।

गैस जलानेवाली ग़ायब, 
लकड़ी गायब बाज़ारों से,
कैसे जलें अलाव? यही तो 
पूछ रहे हैं सरकारों से,
जीवन को ढोनेवाली अब,
 काया भी नाकाम हो गई।
काग़ज़ की नाव (मेरे गीत)
--
कौन कहता है 
हँसते हुए चेहरे ग़मज़दा नहीं होते
ज़िन्दगी सिर्फ सीधी सरल पगडण्डी नहीं होती 
वृक्ष की कौन सी ऐसी शाख है जो टेढ़ी नहीं होती 
हर बचपन के हाथ में सिर्फ खिलौने नहीं होते 
कौन कहता है हँसते हुए चेहरे ग़मज़दा नहीं...
ज़ख्म…जो फूलों ने दिये पर 

vandana gupta
--
क्या करे कोई 
गालिब खयाल वो नहीं हैं अब
होते होंगे कुछ कहीं 
इस तरह के खयाल तेरे पास 
जरूर गालिब दिल बहल जाता होगा 
बहुत ही आसानी से ... 
उल्लूक टाईम्स  पर  
सुशील कुमार जोशी 
--
११-१२-१३ 

ग्यारह - बारह  बाद में , है  तेरह का साल 
अंकों ने  कैसा  किया , देखो  आज कमाल...
अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ)
--
रौशनी है के धुँआ ….. (2 ) 

ज्ञानवाणी पर वाणी गीत 

--
विकल्प की तलाश में जनादेश....!! 

5TH Pillar Corruption Killer पर 

PITAMBER DUTT SHARMA 

23 comments:

  1. लेख व रचानाएं सभी बहुआयामी |११,१२,१३ का अर्थ अब समझ में आया |

    ReplyDelete
  2. चर्चा की बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    सुप्रभात...! आज 12-12-13 है...।
    आपका बृहस्पतिवार मंगलमय हो।
    नमस्ते जी।

    ReplyDelete
  3. बहुत सुन्दर सूत्र संकलन ..

    ReplyDelete
  4. बहुरंगी लिंक्स से सुसज्जित चर्चा मंच को नमन, मुझे भी सम्मिलित करने हेतु आभार. भारतीय फिल्म जगत के महान नायक दिलीप कुमार का ९१ वाँ जन्मदिन भी 11.12.13 को , चर्चामंच के माध्यम से कोटिश: शुभकामनायें..........

    ReplyDelete
  5. बढ़िया लिंक्स व प्रस्तुति , विर्क साहब व मंच को धन्यवाद
    नया प्रकाशन -: जानिये कैसे करें फेसबुक व जीमेल रिमोट लॉग आउट

    ReplyDelete
  6. सुन्दर लिंक्स से सुसज्जित चर्चा

    ReplyDelete
  7. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ....आभार!

    ReplyDelete
  8. आभार दिलबाग भाई जी आपका .......

    ReplyDelete
  9. मेरे विचार सम्मिलित करने हेतु आभार दिलबाग जी......
    सार्थक चर्चामंच हेतु बधाई....

    ReplyDelete
  10. BAHUT AANAND AAYAA JI SAB KI EK SAATH RACHNAYEN DEKHOR PADHKAR !! ATI SUNDAR KARY !! TAARIF JITNI KI JAYE UTNI HI KAM HAI !!
    "5th PILLAR CORRUPTION KILLER " द्वारा करवाये गये " कौन बनेगा - सूरतगढ़ विधायक " सर्वे और मतदाता जागरूकता अभियान के बाद , अब होगा "कौन बनेगा सूरतगढ़ का चेयरमैन " ! !??

    ReplyDelete
  11. बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति ! उल्लूक का "क्या करे कोई गालिब खयाल वो नहीं हैं अब" दिखाने के लिये बहुत बहुत आभार !

    ReplyDelete
  12. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ....आभार!

    ReplyDelete
  13. बढ़िया चर्चा -
    आभार दिलबाग जी-

    ReplyDelete
  14. बहुत सुन्दर सूत्रों से सजा चर्चामंच बधाई दिलबाग जी एवं शास्त्री जी को

    ReplyDelete
  15. श्रेष्ठ लिंक्स के लिये वधाई !

    ReplyDelete
  16. अतीत को सँभालने का जीने का प्रयास ,सुन्दर रचना।


    उल्लूक टाईम्स पर
    सुशील कुमार जोशी

    ReplyDelete
  17. सुन्दर भाव गीत। सांगीतिक माधुर्य लिए छंद बद्ध बंदिश गुनगुनाहट लिए।

    ReplyDelete
  18. मैमना बकरी पार्टी पर करारा व्यंग्य

    बिल्ली और बिलौटना, सदमें में हैं आज।
    उज़ड़ गयी है अंजुमन. उतर गया है ताज।।

    उतर गया है ताज, खत्म हो गयी कहानी।
    विफल हो गयी चाल, देखकर है खिसियानी।।
    कह मयंक कविराय, उड़ाते है सब खिल्ली।
    नौ सौ चूहे खाय, आज सहमी है बिल्ली।।

    ReplyDelete
  19. सुन्दर चर्चा मंच।

    ReplyDelete

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।