मित्रों!
सादर अभिवादन!
दिल्ली निवासी श्रीमती सरिता भाटिया जी
आज दिल्ली चुनावों का जश्न मनाने में लगी हैं।
देखिए सोमवार की चर्चा में
मेरी पसंद के कुछ लिंक!
--
फेसबुक और ट्विटर पर
'आप' की क्रांति पर
और इतर कुछ हालिया स्टेटस :
ब्लॉगस्वामी/पाठक भी आनंद लें
इन चुटकी भरी हकीकतों का
नुक्कड़
'आप' की क्रांति पर
और इतर कुछ हालिया स्टेटस :
ब्लॉगस्वामी/पाठक भी आनंद लें
इन चुटकी भरी हकीकतों का
नुक्कड़
--
"रंग-बिरंगी चिड़िया रानी"
रंग-बिरंगी चिड़िया रानी।
सबको लगती बहुत सुहानी।।
--
एक समय ऐसा भी आता।
जब इसका मन है अकुलाता।।
--
फुर्र-फुर्र बच्चे उड़ जाते।
इसका घर सूना कर जाते।।
उच्चारण
रंग-बिरंगी चिड़िया रानी।
सबको लगती बहुत सुहानी।।
--
एक समय ऐसा भी आता।
जब इसका मन है अकुलाता।।
--
फुर्र-फुर्र बच्चे उड़ जाते।
इसका घर सूना कर जाते।।
उच्चारण
--
--
--
--
पुराना मोहल्ला
मेरे अनुभव पर Pallavi saxena
कुछ ऐसा है हमारी भाबो का पुराना मोहल्ला ।
मंदिरों में मंत्र उच्चारण और भजन कीर्तन से पूरे मोहल्ले का वातावरण बहुत ही शालीन महसूस हो रहा है। लोग मंदिरों में अपनी-अपनी पूजा की थाली के साथ आ रहे हैं। मोहल्ले की सभी बुज़ुर्ग महिलाएं अपनी-अपनी पूजा की टोकरी से रूई निकाल कर बाती बनाने में मग्न हैं...
मेरे अनुभव पर Pallavi saxena
--
चार पंक्तियाँ ...
वक्त ने फ़िर नया मोड़ लिया
उफ़नती लहरों के बीच हमें छोड़ दिया
हैं हम पानी से भी तरल और सरल
बस! हमने भी चट पट बूँदों से रिश्ता जोड़ लिया ....
मेरे मन की पर Archana
वक्त ने फ़िर नया मोड़ लिया
उफ़नती लहरों के बीच हमें छोड़ दिया
हैं हम पानी से भी तरल और सरल
बस! हमने भी चट पट बूँदों से रिश्ता जोड़ लिया ....
मेरे मन की पर Archana
--
जुदाई के पल
आज जब मैंने तुमसे बात की तो मैं रो पड़ी
क्युकी कुछ महीनों के लिए तुम दूर जो हो
मुझसे पर तुमने हँस कर कहा
"दूर कहाँ हमेशा तो मैं तुम्हारे साथ हूँ तुम्हारे दिल मे ,
बस उस साथ को महसूस करो...
Love पर Rewa tibrewal
आज जब मैंने तुमसे बात की तो मैं रो पड़ी
क्युकी कुछ महीनों के लिए तुम दूर जो हो
मुझसे पर तुमने हँस कर कहा
"दूर कहाँ हमेशा तो मैं तुम्हारे साथ हूँ तुम्हारे दिल मे ,
बस उस साथ को महसूस करो...
Love पर Rewa tibrewal
--
मैं हारी - पर मेरा प्रेम जीत गया
*हार और जीत के माइने
सबके लिए अलग अलग होते है
कोई हार कर भी
जीत का सुखद अनुभव प्राप्त कर लेता है,,
कोई जीत कर भी कभी -कभी
प्रश्नचिन्ह सा रह जाता है,,,
मेरा मन पंछी सा पर
Reena Maurya
*हार और जीत के माइने
सबके लिए अलग अलग होते है
कोई हार कर भी
जीत का सुखद अनुभव प्राप्त कर लेता है,,
कोई जीत कर भी कभी -कभी
प्रश्नचिन्ह सा रह जाता है,,,
मेरा मन पंछी सा पर
Reena Maurya
--
परख : इसलिए कहूँगी मैं
(सुधा उपाध्याय)
*संभावनाओं के द्वार पर दस्तक देतीं कविताएँ
ब्रजेन्द्र त्रिपाठी सुधा उपाध्याय का दूसरा कविता-संग्रह है-
‘इसलिए कहूँगी मैं’.
यह शीर्षक भी बहुत कुछ व्यंजित करता है...
समालोचन पर arun dev
(सुधा उपाध्याय)
*संभावनाओं के द्वार पर दस्तक देतीं कविताएँ
ब्रजेन्द्र त्रिपाठी सुधा उपाध्याय का दूसरा कविता-संग्रह है-
‘इसलिए कहूँगी मैं’.
यह शीर्षक भी बहुत कुछ व्यंजित करता है...
समालोचन पर arun dev
--
मौत भी झूठ बोलने लगी
अब क्या लिखूँ । सब कुछ बेमानी सा, उजाङ सा लगने लगा है । मेरे साथ समस्या यह है कि विशाल परिवर्तन की श्रंखला में बहुत कुछ मुझे नजर सा आता है । और उन सभी के संकेत भी मैं कई लेखों में दे चुका हूँ । यद्यपि मैंने स्पष्ट कहा था - इन संकेतों को मेरी भविष्यवाणी जैसा नाम देना कतई गलत होगा । क्योंकि इनके न होने पर मुझे कोई ग्लानि नहीं होगी । और पूर्णतः हो जाने पर खुद की बात सत्य होने जैसा कोई गर्व महसूस नहीं होगा....
सत्यकीखोज पर
RAJEEV KULSHRESTHA
अब क्या लिखूँ । सब कुछ बेमानी सा, उजाङ सा लगने लगा है । मेरे साथ समस्या यह है कि विशाल परिवर्तन की श्रंखला में बहुत कुछ मुझे नजर सा आता है । और उन सभी के संकेत भी मैं कई लेखों में दे चुका हूँ । यद्यपि मैंने स्पष्ट कहा था - इन संकेतों को मेरी भविष्यवाणी जैसा नाम देना कतई गलत होगा । क्योंकि इनके न होने पर मुझे कोई ग्लानि नहीं होगी । और पूर्णतः हो जाने पर खुद की बात सत्य होने जैसा कोई गर्व महसूस नहीं होगा....
सत्यकीखोज पर
RAJEEV KULSHRESTHA
--
"बदल जायेगा"
काव्य संग्रह "धरा के रंग" से
एक गीत
"बदल जायेगा"
मोम सा मत हृदय को बनाना कभी,
रूप हर पल में इसका बदल जायेगा!
शैल-शिखरों में पत्थर सा हो जायेगा,
घाटियाँ देखकर यह पिघल जायेगा!!
"धरा के रंग"रूप हर पल में इसका बदल जायेगा!
शैल-शिखरों में पत्थर सा हो जायेगा,
घाटियाँ देखकर यह पिघल जायेगा!!
--
ठंढ में सौरमंडल
आसमान के लाखों तारे देखो थरथर काँप रहे हैं
धरती की रफ्तार भी देखो दिन-व-दिन घट रहे हैं
कभी चाँद दिखलाइ देते कभी चुपके से छुप जाते हैं
सौरमंडल भी अस्त-व्यस्त है...
नव अंशु पर Amit mishra
आसमान के लाखों तारे देखो थरथर काँप रहे हैं
धरती की रफ्तार भी देखो दिन-व-दिन घट रहे हैं
कभी चाँद दिखलाइ देते कभी चुपके से छुप जाते हैं
सौरमंडल भी अस्त-व्यस्त है...
नव अंशु पर Amit mishra
--
नुसखे और आरोग्य समाचार
हफ्ते में एक बार एक ही समय और स्थान पर एक ही स्केल
(वेइंग मशीन )पर अपना वजन कीजिये। तभी
सही कयास लगा पायेंगें आप
वेट लॉस या वेट गेन का...
--
थोड़ी थोड़ी पीया करो -और भाई साहब पार्टी के अंत में एक ग्लास दूध ज़रूर पीजिये किडनी का काम कम हो जाएगा
बड़ा दिन (क्रिसमस )फिर नया साल
पार्टी ही पार्टी ड्रिंक्स ही ड्रिंक्स।
दिसंबर महीने में आपका शराब का इन -टेक बढ़ जाता है।
थोड़ी सी एहतियात आपको बेतहाशा पीने से ,
बिंज ड्रिंकिंग के अगली प्रात : प्रसवित होने वाले
दुष्प्रभावों से बचा सकती है
आपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma
हफ्ते में एक बार एक ही समय और स्थान पर एक ही स्केल
(वेइंग मशीन )पर अपना वजन कीजिये। तभी
सही कयास लगा पायेंगें आप
वेट लॉस या वेट गेन का...
--
थोड़ी थोड़ी पीया करो -और भाई साहब पार्टी के अंत में एक ग्लास दूध ज़रूर पीजिये किडनी का काम कम हो जाएगा
बड़ा दिन (क्रिसमस )फिर नया साल
पार्टी ही पार्टी ड्रिंक्स ही ड्रिंक्स।
दिसंबर महीने में आपका शराब का इन -टेक बढ़ जाता है।
थोड़ी सी एहतियात आपको बेतहाशा पीने से ,
बिंज ड्रिंकिंग के अगली प्रात : प्रसवित होने वाले
दुष्प्रभावों से बचा सकती है
आपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma
--
--
फिर वही ढाक के तीन पात
चार राज्यों में चुनाव के परिणामों ने आज सच में भारत में महोत्सव का माहौल बना दिया है ! वर्षों की मायूसी, मोह भंग एवँ जद्दोजहद की ज़िंदगी जीने के बाद आज भारत की जनता के मुख पर अरसे के बाद एक सच्ची मुस्कान दिखाई दी है ! सत्ता परिवर्तन के साथ देश में राहत का वातावरण भी तैयार हो सकेगा जनता इसके लिये आशान्वित हो उठी है...
Hindi Bloggers Forum International
(HBFI)पर sadhana vaid
Sudhinama पर sadhana vaid
चार राज्यों में चुनाव के परिणामों ने आज सच में भारत में महोत्सव का माहौल बना दिया है ! वर्षों की मायूसी, मोह भंग एवँ जद्दोजहद की ज़िंदगी जीने के बाद आज भारत की जनता के मुख पर अरसे के बाद एक सच्ची मुस्कान दिखाई दी है ! सत्ता परिवर्तन के साथ देश में राहत का वातावरण भी तैयार हो सकेगा जनता इसके लिये आशान्वित हो उठी है...
Hindi Bloggers Forum International
(HBFI)पर sadhana vaid
Sudhinama पर sadhana vaid
--
--
--
--
--
--
कुछ स्मरणीय प़संग
नेलसन आर. मंडेला अंतिम गाँधी चला गया।
मैं नहीं समझ पा रहा हूं
कि मैं शोक मनाऊँ या खुशी।
हम भारतीयों का उनसे नाता है....
एस.पी. सुधेश
Chintanpal. चिन्तनपल
नेलसन आर. मंडेला अंतिम गाँधी चला गया।
मैं नहीं समझ पा रहा हूं
कि मैं शोक मनाऊँ या खुशी।
हम भारतीयों का उनसे नाता है....
एस.पी. सुधेश
Chintanpal. चिन्तनपल
--
घनाक्षरी वाटिका
प्रसून
कोई हो निराश कहीं, कुण्ठा-ग्रस्त और त्रस्त,
गुमसुम हो अकेला उसे पास में बुलाइये |
धीरज बंधा के उसे, आशा औ विशवास जगा,
देकर भरोसा सारे दुखोँ को भुलाइये ||
गिर गिर उठें सब लोग चलते ही रहें,
गिराने की सारी पीड़ा, जा के झुठालाइये ||
मन हों वीराने कहीं, ‘पतझर वाले बाग’
वहाँ पे “प्रसून” जैसी खुशियाँ खिलाइये...
--
होंठों पर यूं -हंसी खिली हो
BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN
आओ देखें कविता अपनी
रंग-बिरंगी -सजी हुयी -है
कितनी प्यारी -
मुझको -तुमको लगता ऐसे ...
--
कल्याणी -
आपदा प्रबन्धन की एक परिचर्चा में गया था।
आपदा प्रबन्धन का विषय
भारत के लिये गंभीर होता जा रहा है।
आपदा के बाद किस तरह से
न दैन्यं न पलायनम्
--
आपदा प्रबन्धन की एक परिचर्चा में गया था।
आपदा प्रबन्धन का विषय
भारत के लिये गंभीर होता जा रहा है।
आपदा के बाद किस तरह से
न दैन्यं न पलायनम्
--
नन्हा मुन्ना
बाल कविता - प्रत्यूष गुलेरी
बाल-मंदिर
--
कोई बताये कि हम क्यूँ पड़े रहें घर में
- नवीन -
मेरी तरह से कभी सोच कर भी देखो ‘नवीन’
तुम्हें भी दिखने लगेगा - ‘शिवम’ - इरेज़र में
ठाले बैठे
--
भीष्म-प्रतिज्ञा
हमरे एगो गाहक हैं, योगेस भाई वनमाली भाई कानाबार. बस इस्टैण्ड पर मैगजीन का दुकान है, साथ में मोबाइल रिचार्ज का काम, दू गो ऐम्बुलेंस है, जो 108 नम्बर पर फोन करने के साथ सेवा में हाजिर. ड्राइबर रखे है, मगर सीरियस पेसेण्ट होने पर बिना दिन-रात देखे अपने ऐम्बुलेंस लेकर निकल जाते हैं. एक रोज बता रहे थे हमको, “सर! दीवाली हमारे लिये बहुत बड़ा त्यौहार है. लेकिन कई वर्षों से मैंने परिवार के साथ दीवाली नहीं मनाई! दरसल दीवाली के दिन इमर्जेंसी केस के साथ भागना पड़ता है! लेकिन क्या करें सर, यह काम मेरे लिये कमाई से ज़्यादा सेवादारी का है!”....
चला बिहारी ब्लॉगर बनने
बाल कविता - प्रत्यूष गुलेरी
बाल-मंदिर
--
कोई बताये कि हम क्यूँ पड़े रहें घर में
- नवीन -
मेरी तरह से कभी सोच कर भी देखो ‘नवीन’
तुम्हें भी दिखने लगेगा - ‘शिवम’ - इरेज़र में
ठाले बैठे
--
भीष्म-प्रतिज्ञा
हमरे एगो गाहक हैं, योगेस भाई वनमाली भाई कानाबार. बस इस्टैण्ड पर मैगजीन का दुकान है, साथ में मोबाइल रिचार्ज का काम, दू गो ऐम्बुलेंस है, जो 108 नम्बर पर फोन करने के साथ सेवा में हाजिर. ड्राइबर रखे है, मगर सीरियस पेसेण्ट होने पर बिना दिन-रात देखे अपने ऐम्बुलेंस लेकर निकल जाते हैं. एक रोज बता रहे थे हमको, “सर! दीवाली हमारे लिये बहुत बड़ा त्यौहार है. लेकिन कई वर्षों से मैंने परिवार के साथ दीवाली नहीं मनाई! दरसल दीवाली के दिन इमर्जेंसी केस के साथ भागना पड़ता है! लेकिन क्या करें सर, यह काम मेरे लिये कमाई से ज़्यादा सेवादारी का है!”....
चला बिहारी ब्लॉगर बनने
बहुत सुंदर सुंदर सूत्रों से सजी हुई है आज की चर्चा !
जवाब देंहटाएंबड़ी ही रोचक और पठनीय चर्चा
जवाब देंहटाएंसुन्दर सूत्र,,
जवाब देंहटाएंआभार सर जी...
:-)
waah
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा.
जवाब देंहटाएंSunder sutron se saji charcha.
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा -
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय -
sundar charcha.....abhar inmay mujhe bhi shamil kiya apne
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंरंग-बिरंगी चिड़िया रानी।
सबको लगती बहुत सुहानी।।
--
एक समय ऐसा भी आता।
जब इसका मन है अकुलाता।।
--
फुर्र-फुर्र बच्चे उड़ जाते।
इसका घर सूना कर जाते।।
उच्चारण
सुन्दर सरल बाल गीत।
आइने की तरह से सजाना इसे,
जवाब देंहटाएंक्रूर-मग़रूर सा मत बनाना इसे,
दिल के दर्पण में इक बार तो झाँक लो,
झूठ और सत्य का भेद खुल जायेगा!
रूप पल भर में इसका बदल जायेगा!!
सुन्दर रचना
बंगलोर में ही २०० से भी अधिक झील थीं, वर्षा वर्ष में ८ माह, जल इतना गिरता है कि वह न केवल बंगलोर को वरन आसपास के कई नगरों को जल दे सके। हम इसे कुप्रबन्धन की पराकाष्ठा ही कहेंगे कि फिर भी बंगलोर में जल १०० किमी दूर बहती कावेरी नदी से पंप करके लाया जाता है, वह भी तीन स्तरों पर पंप करके। जनसंख्या ने यहाँ बसने की लालसा में झीलों को बाहर निकाल दिया, अपना भाग्य बाहर निकाल दिया, उस भविष्य के लिये जो स्वायत्तता से हमें पराश्रय की ओर लिये जा रहा है।
जवाब देंहटाएंपूरे कुओं बावड़ियों ,तालाबों का जाल था। लाल तालाब बुलंदशहर एक वृहद् कल्याणी था। हमारे बचपन का साक्षी हमारे बड़े होते होते हमसे रूठ गया। अब उसका कहीं कोई नामोनिशान नहीं हैं।
राजस्थान वर्षा जल संरक्षण के स्थानीय उपायों की मिसाल हुआ करता था। अब सब इतिहास है। अब तो भवन निर्माण के समय वर्षाजल संरक्षण का प्रावधान रखना ही भविष्य के लिए एक उपाय दीखता है। सार्थक सौद्देश्य सवाल उठाये हैं इस पोस्ट ने।
--
कल्याणी -
आपदा प्रबन्धन की एक परिचर्चा में गया था।
आपदा प्रबन्धन का विषय
भारत के लिये गंभीर होता जा रहा है।
आपदा के बाद किस तरह से
न दैन्यं न पलायनम्
सार्थक और मजू सवाल उठाये हैं आपने
जवाब देंहटाएंअपेक्षित चाल -चलन और विचारो का बदलाव जो कि दिल्ली विधान सभा के चुनाव में इस बार देखने को मिला है इसका वास्तविक रूपांतरण अगर व्यवस्था संचालन में आगे आने वाले समय में होगा तो बेहतर प्रजातंत्र से इंकार नहीं किया जा सकता है। और लकीर पकड़ कर चलने में माहिर राजनेता इन आदर्शो को चुनाव जितने में सहयोग के तौर पर देखते हुए बेशक मज़बूरी में चले तो भी स्वागत योग्य है। किन्तु हर बार कि तरह इसमें योगदान देने वाले जनता अपने लिए व्यक्तिगत उपदान की अपेक्षा अगर रखने लगे तो सिर्फ इसबार "आप" बधाई कि पात्र होंगे तथा इतिहास बनाते-बनाते कही ऐतिहासिक में न तब्दील हो जाए ये देखना बाकी है। फिर भी अंत में बदलाव स्वागत योग्य है और शंकालू प्रवृति से ही सही किन्तु उम्मीद कि रौशनी तो फूटी है।
"आप" की जीत
अंतर्नाद की थाप पर
Kaushal Lal
जवाब देंहटाएंसुन्दर सार्थक विचार पूर्ण विमर्श हेतु पोस्ट।
फिर वही ढाक के तीन पात
चार राज्यों में चुनाव के परिणामों ने आज सच में भारत में महोत्सव का माहौल बना दिया है ! वर्षों की मायूसी, मोह भंग एवँ जद्दोजहद की ज़िंदगी जीने के बाद आज भारत की जनता के मुख पर अरसे के बाद एक सच्ची मुस्कान दिखाई दी है ! सत्ता परिवर्तन के साथ देश में राहत का वातावरण भी तैयार हो सकेगा जनता इसके लिये आशान्वित हो उठी है...
Hindi Bloggers Forum International
(HBFI)पर sadhana vaid
Sudhinama पर sadhana vaid
जवाब देंहटाएंकोमल भावों की सुन्दर रचना प्रेम में क्या हार क्या जीत प्रेम सर्वोपरि रहता है।
--
मैं हारी - पर मेरा प्रेम जीत गया
*हार और जीत के माइने
सबके लिए अलग अलग होते है
कोई हार कर भी
जीत का सुखद अनुभव प्राप्त कर लेता है,,
कोई जीत कर भी कभी -कभी
प्रश्नचिन्ह सा रह जाता है,,,
मेरा मन पंछी सा पर
Reena Maurya
सुन्दर सार्थक सशक्त विचार पूर्ण विमर्श हेतु पोस्ट।
जवाब देंहटाएंकिशोरी सुकन्या नानी के घर गाँव आयी हुई थी . गाँव में स्थानीय नागरिकों द्वारा रामलीला का मंचन किया जा रहा था .सुकन्या भी नानी के साथ रामलीला का मंचन देखने पहुंची .उसे ये देखकर आश्चर्य हुआ कि सीता आदि स्त्री पात्रों का अभिनय भी पुरुष कलाकार स्त्री बनकर निभा रहे थे .उसने नानी से पूछा -'' नानी जी यहाँ गाँव में कोई महिला कलाकार नहीं है क्या जो आदमी ही औरत बनकर स्त्री-पात्रों का रोल निभा रहे हैं ?'' उसकी नानी उसके सिर पर हल्की सी चपत लगाते हुए बोली -'' अरी बावली कहीं की ! रामलीला का मंच बहुत पवित्तर होवै है .औरत जात इस पे चढ़ेगी तो ये मैला न हो जावेगा ...औरते तो होवै ही हैं गन्दी !'' नानी की बात सुनकर सुकन्या तपाक से बोली - '' तो ये औरते यहाँ राम-लीला देखने भी क्यूँ आती हैं .ये परिसर भी तो मैला हो जायेगा नानी जी !!!'' ये कहकर सुकन्या उठी और वहाँ से घर की ओर चल दी .
रामलीला-मंच -लघु कथा
भारतीय नारी पर shikha kaushik
सुन्दर चर्चा मेरी कविता देने केलिए हार्दिक धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ! मयंक जी ! मेरी रचना ''होने को ख़ुश या रोने को... '' को स्थान देने का ।
जवाब देंहटाएं