मित्रों!
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पति पत्नी और घोड़ा
ठीक यही हाल आज केजरीवाल और उनके दल का है। लोग ताक लगाए बैठे रहते हैं कि ये बंदा कुछ भी करे हमें "कमेंट" करना ही है। अब देखना यह है कि कहीं तानों से घबड़ा कर पति-पत्नी घोड़े को ही तो नहीं सर पर उठा लेते :-)...
कुछ अलग सा पर गगन शर्मा
ठीक यही हाल आज केजरीवाल और उनके दल का है। लोग ताक लगाए बैठे रहते हैं कि ये बंदा कुछ भी करे हमें "कमेंट" करना ही है। अब देखना यह है कि कहीं तानों से घबड़ा कर पति-पत्नी घोड़े को ही तो नहीं सर पर उठा लेते :-)...
कुछ अलग सा पर गगन शर्मा
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मरुस्थल में बारिश का बहाना
बुलाना और बात है , निभाना और बात है
लुभाना और बात है , दिल में बसाना और बात है...
गीत-ग़ज़ल पर शारदा अरोरा
बुलाना और बात है , निभाना और बात है
लुभाना और बात है , दिल में बसाना और बात है...
गीत-ग़ज़ल पर शारदा अरोरा
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आज कुत्ते का ही दिन है
समझ में आ रहा था
सियार को खेत से निकलता हुआ देखते ही
घरेलू कुत्ता होश खो बैठा जैसे
थोड़ा नही पूरा ही पागल हो गया
भौंकना शुरु हुआ
और भौंकता ही चला गया...
उल्लूक टाईम्स पर सुशील कुमार जोशी
समझ में आ रहा था
सियार को खेत से निकलता हुआ देखते ही
घरेलू कुत्ता होश खो बैठा जैसे
थोड़ा नही पूरा ही पागल हो गया
भौंकना शुरु हुआ
और भौंकता ही चला गया...
उल्लूक टाईम्स पर सुशील कुमार जोशी
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"निष्ठुर उपवन देखे हैं"
आपाधापी की दुनिया में,
ऐसे मीत-स्वजन देखे हैं।
बुरे वक्त में करें किनारा,
ऐसे कई सुमन देखे हैं।।
उच्चारण
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प्रेम की चरमोत्कर्ष अवस्था
प्रेम को खोजन जो प्रेम चला …
बस प्रेम प्रेम प्रेममय हो गया…
प्रेम मे होना होता है …
खोजना नहीं …
प्रेम खोजने से परे की विषय वस्तु है…
प्रेम जितना सरल है उतना ही गूढ …
एक प्रयास पर vandana gupta
प्रेम को खोजन जो प्रेम चला …
बस प्रेम प्रेम प्रेममय हो गया…
प्रेम मे होना होता है …
खोजना नहीं …
प्रेम खोजने से परे की विषय वस्तु है…
प्रेम जितना सरल है उतना ही गूढ …
एक प्रयास पर vandana gupta
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उस गरीब ग्रामीण महिला ने तो
न कोई नाभिदर्शना साड़ी बाँधी होगी,
न ही वक्षदर्शना ब्लाउज़ पहना होगा
अलबेला खत्री
न कोई नाभिदर्शना साड़ी बाँधी होगी,
न ही वक्षदर्शना ब्लाउज़ पहना होगा
अलबेला खत्री
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जाने उद्गम है क्या, स्रोत किधर...?
तुम्हारी एक मुस्कान के लिए,
किया कितना कितना इंतज़ार...
और जब झलकी वो तेरे मुख पर,
खिल गया मेरा उर संसार...
अनुशील पर अनुपमा पाठक
तुम्हारी एक मुस्कान के लिए,
किया कितना कितना इंतज़ार...
और जब झलकी वो तेरे मुख पर,
खिल गया मेरा उर संसार...
अनुशील पर अनुपमा पाठक
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हाँ मैं दलित स्त्री हूँ
मैं तो बरसों की भाँति
आज भी यहीं हूँ तुम्हारे साथ
पर तुम्हारी सोच नहीं बदली
पत्थर तोडते मेरे हाथ
पसीने से तर हुई देह और
तुम्हारी काम दृष्टि
नहीं बदली अब तक ...
स्पर्श पर Deepti Sharma
मैं तो बरसों की भाँति
आज भी यहीं हूँ तुम्हारे साथ
पर तुम्हारी सोच नहीं बदली
पत्थर तोडते मेरे हाथ
पसीने से तर हुई देह और
तुम्हारी काम दृष्टि
नहीं बदली अब तक ...
स्पर्श पर Deepti Sharma
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राह तो किस्मत बनाती है,,,
कशमकश हैं कि लोग पैसा दिमाग
से कमाते या किस्मत से पा जाते हैं
दुनिया कहती पैसा दिमाग से कमाया
जाता राह तो किस्मत बनाती है...
आपका ब्लॉग पर Pathic Aanjana
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गंगा की सफाई
वर्षो से भारतीय इतिहास का हिस्सा बनी है गंगा
पापियों के पाप धोकर उनके मन को किया है चंगा
सतयुग,त्रेता,व्दापर बीते इसके घाट पर
कलियुग को भी शरण मिली ढोंगियों के नाम पर
तीनो युग के लोगो ने किया इसमें पूर्वजो का दाह संस्कार
निभाई अपनी परम्परा पर इसकी पवित्रता न होने दी बेकार...
आपका ब्लॉग पर Hema Pal
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क्या अरविन्द केजरीवाल आम आदमी है ?
क्या आम आदमी ऐसे ही होते हैं?
सीआईए की सक्रियता अपने चरम पर है। सीआईए की गतिविधि का एक सिरा केजरीवाल और उनके संगठनों पर विचाराधीन एक जनहित याचिका से जुड़ा है। दिल्ली हाईकोर्ट में इस याचिका के स्वीकार होने के बाद गृह मंत्रालय ने एफसीआरए के उल्लंघन के संदेह पर ‘कबीर’ नाम की गैर सरकारी संगठन के कार्यालय में छापे मारे। यह संस्था टीम अरविंद के प्रमुख सदस्य मनीष सिसोदिया के देख-रेख में चलती है। और यह अरविंद के दिशा निर्देश पर काम करती है। बहरहाल, कबीर के खिलाफ यह कार्रवाई 22 अगस्त, 2012 को हुई थी। सुप्रीम कोर्ट के वकील मनोहर लाल शर्मा की इस याचिका में आठ लोगों को प्रतिवादी बनाया गया था, इनमें अरविंद केजरीवाल...
ZEAL
क्या आम आदमी ऐसे ही होते हैं?
सीआईए की सक्रियता अपने चरम पर है। सीआईए की गतिविधि का एक सिरा केजरीवाल और उनके संगठनों पर विचाराधीन एक जनहित याचिका से जुड़ा है। दिल्ली हाईकोर्ट में इस याचिका के स्वीकार होने के बाद गृह मंत्रालय ने एफसीआरए के उल्लंघन के संदेह पर ‘कबीर’ नाम की गैर सरकारी संगठन के कार्यालय में छापे मारे। यह संस्था टीम अरविंद के प्रमुख सदस्य मनीष सिसोदिया के देख-रेख में चलती है। और यह अरविंद के दिशा निर्देश पर काम करती है। बहरहाल, कबीर के खिलाफ यह कार्रवाई 22 अगस्त, 2012 को हुई थी। सुप्रीम कोर्ट के वकील मनोहर लाल शर्मा की इस याचिका में आठ लोगों को प्रतिवादी बनाया गया था, इनमें अरविंद केजरीवाल...
ZEAL
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रंग और हमारी मानसिकता
इन्द्रधनुष के सात रंग अत्यंत महत्वपूर्ण हैं.इन्द्रधनुष प्रकृत्या परिवर्तनशील है परन्तु जब भी वह दिखता है एक सा ही दिखता है.ये सात रंग हैं-बैंगनी,जामुनी,नीला,हरा,पीला,नारंगी और लाल.सात रंगों का सात ग्रहों,सात शरीर चक्रों,सात स्वरों,सात रत्नों,सात नक्षत्रों,पांच तत्व और पांच इंद्रियों से घनिष्ठ संबंध है.नीले आकाश का...
देहात पर राजीव कुमार झा
इन्द्रधनुष के सात रंग अत्यंत महत्वपूर्ण हैं.इन्द्रधनुष प्रकृत्या परिवर्तनशील है परन्तु जब भी वह दिखता है एक सा ही दिखता है.ये सात रंग हैं-बैंगनी,जामुनी,नीला,हरा,पीला,नारंगी और लाल.सात रंगों का सात ग्रहों,सात शरीर चक्रों,सात स्वरों,सात रत्नों,सात नक्षत्रों,पांच तत्व और पांच इंद्रियों से घनिष्ठ संबंध है.नीले आकाश का...
देहात पर राजीव कुमार झा
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"थकने लगी ज़िन्दग़ी है"
जवानी में थकने लगी जिन्दगी है!!
जुगाड़ों से चलने लगी जिन्दगी है!!!
कहीं है ज्वार और भाटा कहीं है,
कहीं है सुमन और काँटा कहीं है,
नफरत जमाने से होने लगी है!
जवानी में थकने लगी जिन्दगी है!!
जुगाड़ों से चलने लगी जिन्दगी है!!!
सुख का सूरजजुगाड़ों से चलने लगी जिन्दगी है!!!
कहीं है ज्वार और भाटा कहीं है,
कहीं है सुमन और काँटा कहीं है,
नफरत जमाने से होने लगी है!
जवानी में थकने लगी जिन्दगी है!!
जुगाड़ों से चलने लगी जिन्दगी है!!!
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सिर्फ इंतज़ार में मौत की
व्यथित मन देख बुढ़ापा
चेहरे की झुरियों में छिपा
संघर्ष जीवन का सफर
कितना था सुहाना बचपन जवानी का
कर देता असहाय कितना
यह बुढ़ापा ...
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi
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सिर्फ इंतज़ार में मौत की
व्यथित मन देख बुढ़ापा
चेहरे की झुरियों में छिपा
संघर्ष जीवन का सफर
कितना था सुहाना बचपन जवानी का
कर देता असहाय कितना
यह बुढ़ापा ...
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi
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अन्त में देखिए
दुखद समाचार
स्व. यशपाल भाटिया
दुखद समाचार
स्व. यशपाल भाटिया
मैं स्व. यशपाल भाटिया जी को अपनी
भावभीनी श्रद्धाञ्जलि समर्पित करता हूँ।
परमपिता परमात्मा से प्रार्थना करता हूँ कि
वो दिवंगत आत्मा को
सद्गति दें और
शोक संतप्त परिवार को
इस वज्र दुःख को
सहन करने की शक्ति प्रदान करें...
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इस दुख की घड़ी में
हम चर्चामंच के समस्त सहयोगी
श्रीमती सरिता भाटिया जी के दुख में सहभागी हैं।
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आठ दिसम्बर से चर्चा मंच की चर्चाकार
और जानी-मानी ब्लॉगर
श्रीमती सरिता भाटिया
निष्क्रिय थी।
इस बीच उनको कई बार फोन भी किया
परन्तु फोन मिला ही नहीं।
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अब तक मुझे यह लगा कि
शायद व्यस्त होंगी,
मगर उनके साथ तो 9 दिसम्बर को
अनहोनी हो गयी और उनके जीवनसाथी
उनसे हमेशा-हमेशा के लिए दूर चले गये।
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आश्चर्य की बात तो यह है कि
उनके किसी भी मित्र ब्लॉगर ने
यह दुखद समाचार
कहीं भी प्रकाशित नहीं किया।
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अभी एक घंटा पूर्व मैंने
श्रीमती सरिता भाटिया जी को
फोन किया तो फोन मिल गया और
साथ में यह दुखद समाचार भी।
जिसकी सूचना मुझे कल ही मिली।
स्व. यशपाल भाटिया जी को श्रद्धांजलि!
जवाब देंहटाएंस्व. यशपाल भाटिया जी को श्रद्धांजलि !
जवाब देंहटाएंसुन्दर संयोजन !
जवाब देंहटाएंlinks achche lage ...dhanyvad...
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा.मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंस्व. यशपाल भाटिया जी को श्रद्धांजलि !
चर्चा मंच पर मेरी ‘‘जादू की छड़ी’’, को शामिल करने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार।
जवाब देंहटाएंपोस्ट कि लिंक नहीं डल पायी थी वो मै दाल देता हु
हटाएंhttp://svatantravichar.blogspot.in/2013/12/blog-post_26.html?utm_source=BP_recent
बहुत ही उम्दा ..! सुंदर
जवाब देंहटाएंRecent post -: सूनापन कितना खलता है.
मेरी रचना '' कई दिन के कुछ इक ....'' को शामिल करने हेतु धन्यवाद !
जवाब देंहटाएं