लेना देना साथ भी, लागे भ्रष्टाचार-
अड़ियल टट्टू आपका, अड़ा-खड़ा मझधार |
लेना देना साथ भी, लागे भ्रष्टाचार |
लागे भ्रष्टाचार, दीखने लगा *अड़ाड़ा |
भाड़ा पूरा पाय, पढ़ाये आज पहाड़ा |
ताके रविकर देश, हमेशा बेहतर दढ़ियल |
टस से मस ना होय, महत्वाकांक्षी अड़ियल ||
*आडम्बर, ढोंग
आपेक्षा अब आप, करो दिल्ली की पूरी-
नकारात्मक गुण छिपा, ले ईमान की आड़ ।
व्यवहारिकता की कमी, दुविधा रही बिगाड़ ।
दुविधा रही बिगाड़, तर्क-अभिव्यक्ति जरुरी ।
आपेक्षा अब आप, करो दिल्ली की पूरी ।
पानी बिजली सहित, प्रशासन स्वच्छ सकारा ।
वायदे करिये पूर, अन्यथा कहूं नकारा ॥
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कलम कोशाएं (स्टेम सेल्स )और मधुमेह
Virendra Kumar Sharma
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मेरे विचार मेरी अनुभूति |
समरसता, एकता, और बंधुता के लिए 'तेलुगु साहित्य का हिंदी पाठ'
ऋषभ देव शर्मा
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आम आदमी...[कुलदीप ठाकुर]
Kuldeep Thakur
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प्रेमिका के साथ रंगरेलियां मना रहे पति को उसकी पत्नी ने सरेआम पीट डाला
chandan bhati
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सबको माने चोर, समर्थन ले ना दे ना -
रविकर
लोकसभा में आप की, मानो सीट पचास -
रविकर
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विक्रम और वेताल १६Ramakant Singh ज़रूरत |
हमने तुम्हें चुन लिया...!
अनुपमा पाठक
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हमको अपने से मनचाहे,लोग कहाँ मिल पाते हैं - सतीश सक्सेना
सतीश सक्सेना
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"इण्टरनेट" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
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सुरैया का पैतृक मकान खंडहर में तब्दीलVineet Verma मेरा संघर्ष |
नयी करवट (दोहा-ग़ज़लों पर एक काव्य ) (छ) बदलाव (१)आम आदमी | (आप(आमआदमीपार्टी/ अरविंद केजरीवाल की दिल्ली में शानदार विजय के उपलक्ष्य में )
देवदत्त प्रसून
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कार्टून :- 'आप' वालों की सरकार तो बननी ही नहीं चाहिए
काजल कुमार Kajal Kumar
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आगे देखिए.."मयंक का कोना"
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कार्टून :-
गाड़ी पर लाल बत्ती बहुत ज़रूरी है
काजल कुमार के कार्टून
--
लद रहा हिन्दुस्तान....
Vishaal Charchchit
--
एक बाल रचना
तितली रानी बड़ी सयानी
फूल फूल पर मंडराती
मकरंद सारा चट कर जाती ...
Akanksha पर Asha Saxena
--
सबसे सस्ता हर इन्सान
सब कुछ महंगा है यहाँ
रोटी कपड़ा और मकान
सब कुछ सपना है यहाँ...
जो मेरा मन कहे पर
Yashwant Yash
--
बावन पत्ते
कुछ इधर कुछ उधर
हंस रहा है बस एक जोकर
उल्लूक टाईम्स पर
सुशील कुमार जोशी
--
11-12-13
11-12-13 यह तारीख तो बड़ी अनूठी और रोचक है। ऐसे अनूठे दिन विरले ही आते हैं। तमाम लोग इस दिन को अपने जीवन से जोड़ने के लिए प्लान कर रहे हैं। कोई इस दिन विवाह के बंधन में बंधकर इस दिन को ता-जिंदगी याद रखना चाहता है तो कोई इस दिन अपने बच्चे को संसार में आना देखना चाहता है ....ऐसी ही तमाम अनूठी योजनाएं कइयों के मन में चल रही हैं। कोई इस दिन को रोचक बनाना चाहता है, कोई यादों में संजोना चाहता है, कोई ऐतिहासिक बनाना चाहता है। आप भी कुछ सोच रहे हैं क्या ..
शब्द-शिखर पर Akanksha Yadav
--
मधु सिंह : विशालाक्षा (8)
उषा काल की लाली से पहले
लिए हाथ शिव का प्रसाद
तुम करना दिशि पश्चिम प्रयाण
तुम कर प्रणाम भोले शिव को तुम
लिए व्यथा तुम ह्रदय कमल में
हर्षित मन विन्ध्यन गिरि जाना
माँ काली के चरण कमल में
नत मस्तक हो शीश नवाना...
--
कार्टून :-
गाड़ी पर लाल बत्ती बहुत ज़रूरी है
काजल कुमार के कार्टून
--
लद रहा हिन्दुस्तान....
Vishaal Charchchit
--
एक बाल रचना
तितली रानी बड़ी सयानी
फूल फूल पर मंडराती
मकरंद सारा चट कर जाती ...
Akanksha पर Asha Saxena
--
सबसे सस्ता हर इन्सान
सब कुछ महंगा है यहाँ
रोटी कपड़ा और मकान
सब कुछ सपना है यहाँ...
जो मेरा मन कहे पर
Yashwant Yash
--
बावन पत्ते
कुछ इधर कुछ उधर
हंस रहा है बस एक जोकर
उल्लूक टाईम्स पर
सुशील कुमार जोशी
--
11-12-13
11-12-13 यह तारीख तो बड़ी अनूठी और रोचक है। ऐसे अनूठे दिन विरले ही आते हैं। तमाम लोग इस दिन को अपने जीवन से जोड़ने के लिए प्लान कर रहे हैं। कोई इस दिन विवाह के बंधन में बंधकर इस दिन को ता-जिंदगी याद रखना चाहता है तो कोई इस दिन अपने बच्चे को संसार में आना देखना चाहता है ....ऐसी ही तमाम अनूठी योजनाएं कइयों के मन में चल रही हैं। कोई इस दिन को रोचक बनाना चाहता है, कोई यादों में संजोना चाहता है, कोई ऐतिहासिक बनाना चाहता है। आप भी कुछ सोच रहे हैं क्या ..
शब्द-शिखर पर Akanksha Yadav
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मधु सिंह : विशालाक्षा (8)
उषा काल की लाली से पहले
लिए हाथ शिव का प्रसाद
तुम करना दिशि पश्चिम प्रयाण
तुम कर प्रणाम भोले शिव को तुम
लिए व्यथा तुम ह्रदय कमल में
हर्षित मन विन्ध्यन गिरि जाना
माँ काली के चरण कमल में
नत मस्तक हो शीश नवाना...
वाह...बहुत सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंआज 11-12-13 का संयोग भी अच्छा है।
--
रविवार के नये चर्चाकार के रूप में श्री राहुल मिश्रा का स्वागत है।
सुंदर चर्चा...
जवाब देंहटाएंआद्रणीय रविकर जी मुझे इस चर्चा में स्थान मिला आभार...
अपनी किसी भी ईमेल द्वारा ekmanch+subscribe@googlegroups.com
पर मेल भेजकर जुड़ जाईये आप हिंदी प्रेमियों के एकमंच से।हमारी मातृभाषा सरल , सरस ,प्रभावपूर्ण , प्रखर और लोकप्रिय है पर विडंबना तो देखिये अपनों की उपेक्षा का दंश झेल रही है। ये गंभीर प्रश्न और चिंता का विषय है अतः गहन चिंतन की आवश्यकता है। इसके लिए एक मन, एक भाव और एक मंच हो, जहाँ गोष्ठिया , वार्तालाप और सार्थक विचार विमर्श से निश्चित रूप से सकारात्मक समाधान निकलेगे इसी उदेश्य की पूर्ति के लिये मैंने एकमंच नाम से ये mailing list का आरंभ किया है। आज हिंदी को इंटरनेट पर बढावा देने के लिये एक संयुक्त प्रयास की जरूरत है, सभी मिलकर हिंदी को साथ ले जायेंगे इस विचार से हिंदी भाषी तथा हिंदी से प्यार करने वाले सभी लोगों की ज़रूरतों पूरा करने के लिये हिंदी भाषा , साहित्य, चर्चा तथा काव्य आदी को समर्पित ये संयुक्त मंच है। देश का हित हिंदी के उत्थान से जुड़ा है , यह एक शाश्वत सत्य है इस मंच का आरंभ निश्चित रूप से व्यवस्थित और ईमानदारी पूर्वक किया गया है। हिंदी के चहुमुखी विकास में इस मंच का निर्माण हिंदी रूपी पौधा को उर्वरक भूमि , समुचित खाद , पानी और प्रकाश देने जैसा कार्य है . और ये मंच सकारात्मक विचारो को एक सुनहरा अवसर और जागरूकता प्रदान करेगा। एक स्वस्थ सोच को एक उचित पृष्ठभूमि मिलेगी। सही दिशा निर्देश से रूप – रेखा तैयार होगी और इन सब से निकलकर आएगी हिंदी को अपनाने की अद्भ्य चाहत हिंदी को उच्च शिक्षा का माध्यम बनाना, तकनिकी क्षेत्र, विज्ञानं आदि क्षेत्रो में विस्तार देना हम भारतीयों का कर्तव्य बनता है क्योंकि हिंदी स्वंय ही बहुत वैज्ञानिक भाषा है हिंदी को उसका उचित स्थान, मान संमान और उपयोगिता से अवगत हम मिल बैठ कर ही कर सकते है इसके लिए इस प्रकार के मंच का होना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। हमारी एकजुटता हिंदी को फिर से अपने स्वर्ण युग में ले जायेगी। वर्तमान में किया गया प्रयास , संघर्ष , भविष्य में प्रकाश के आगमन का संकेत दे देता है। इस मंच के निर्माण व विकास से ही वो मुहीम निकल कर आयेगी जो हिंदी से जुडी सारे पूर्वग्रहों का अंत करेगी। मानसिक दासता से मुक्त करेगी और यह सिलसिला निरंतर चलता रहे, मार्ग प्रशस्त करता रहे ताकि हिंदी का स्वाभिमान अक्षुण रहे।
अभी तो इस मंच का अंकुर ही फुटा है, हमारा आप सब का प्रयास, प्रचार, हिंदी से स्नेह, हमारी शक्ति तथा आत्मविश्वास ही इसेमजबूति प्रदान करेगा।
आज आवश्यक्ता है कि सब से पहले हम इस मंच का प्रचार व परसार करें। अधिक से अधिक हिंदी प्रेमियों को इस मंच से जोड़ें। सभी सोशल वैबसाइट पर इस मंच का परचार करें। तभी ये संपूर्ण मंच बन सकेगा। ये केवल 1 या 2 के प्रयास से संभव नहीं है, अपितु इस के लिये हम सब को कुछ न कुछ योगदान अवश्य करना होगा।
तभी संभव है कि हम अपनी पावन भाषा को विश्व भाषा बना सकेंगे।
एकमंच हम सब हिंदी प्रेमियों का साझा मंच है। आप को केवल इस समुह कीअपनी किसी भी ईमेल द्वारा सदस्यता लेनी है। उसके बाद सभी सदस्यों के संदेश या रचनाएं आप के ईमेल इनबौक्स में प्राप्त करेंगे। आप इस मंच पर अपनी भाषा में विचारों का आदान-प्रदान कर सकेंगे।
कोई भी सदस्य इस समूह को सबस्कराइब कर सकता है। सबस्कराइब के लिये
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को ईमेल भेजें.
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पर इस समूह पर जाएं.
तथा अन्य सदस्यों को आमंत्रित करें।
सुन्दर चर्चा!
जवाब देंहटाएंआभार!
कार्टून को भी सम्मिलित करने के लिए आपका आभार जी
जवाब देंहटाएंरविकर का अंदाज होता है कुछ खास
जवाब देंहटाएंआज की सुंदर चर्चा में "उल्लूक" के
"बावन पत्ते कुछ इधर कुछ उधर
हंस रहा है बस एक जोकर"
को स्थान देने पर आभार !
बढ़िया सूत्र व प्रस्तुति , रविकर सर व मंच को धन्यवाद
जवाब देंहटाएंनया प्रकाशन -: जानिये कैसे करें फेसबुक व जीमेल रिमोट लॉग आउट
बहुत अच्छे सूत्र , पठनीय , मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार ..
जवाब देंहटाएंपठनीय सूत्र ... सुन्दर चर्चा ... शुक्रिया मुझे भी स्थान देने का ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर सार्थक चर्चा ......
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद सर!
जवाब देंहटाएंसादर
बहुआयामी सार्थक रचना |
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
दुविधा रही बिगाड़, तर्क-अभिव्यक्ति जरुरी ।
जवाब देंहटाएंआपेक्षा अब आप, करो दिल्ली की पूरी ।
अपेक्षा अब "आप "करो दिल्ली की पूरी
बढ़िया प्रस्तुति ,बढ़िया सेतु संयोजन एवं चयन बढ़िया चर्चा मंच।
लेना देना साथ भी, लागे भ्रष्टाचार-
(आप(आमआदमीपार्टी/ अरविंद केजरीवाल की दिल्ली में शानदार विजय के उपलक्ष्य में )
जवाब देंहटाएंभारत के ‘दिल’ में बसे, ‘आम आदमी’ आज |
पोंछ के आँसू फिर हँसे, ‘आम आदमी’ आज ||
राजनीति के क्षेत्र में, पनपी अच्छी सोच |
‘लीक’ छोड़ कर कुछ हटे, ‘आम आदमी’ आज ||
‘दल-दल’ भी अच्छी लगे, माना रही मलीन |
‘नीरज’ बन कर यदि लसे, ‘आम आदमी’ आज ||
कूटनीति में हो अगर, मक्कारी की छाप |
मत अपनाए तब उसे, ‘आम आदमी’ आज ||
ला सकता है फिर नये, अच्छे कुछ बदलाव
कमर, इरादा कर कसे, ‘आम आदमी’ आज ||
‘उम्मीदों के बाग’ में, खिल कर हँसें ‘प्रसून” |
यही चाहता ‘आप’ से, ‘आम आदमी’ आज ||
सशक्त प्रासंगिक रचना। बदलाव की बयार लिए।
मैमना बकरी पार्टी पर करारा व्यंग्य
जवाब देंहटाएंबिल्ली और बिलौटना, सदमें में हैं आज।
उज़ड़ गयी है अंजुमन. उतर गया है ताज।।
"एक समसामयिक दोहा-और ग़ज़ल"
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
उच्चारण
भैया अपेक्षा कर लो पूरी देश की दिल्ली की बढ़िया रचना
जवाब देंहटाएंनकारात्मक गुण छिपा, ले ईमान की आड़ ।
व्यवहारिकता की कमी, दुविधा रही बिगाड़ ।
सबको माने चोर, समर्थन ले ना दे ना -
रविकर
"कुछ कहना है"
लोकसभा में आप की, मानो सीट पचास -
रविकर
"लिंक-लिक्खाड़"
जवाब देंहटाएंमधु सिंह : विशालाक्षा (8)
उषा काल की लाली से पहले
लिए हाथ शिव का प्रसाद
तुम करना दिशि पश्चिम प्रयाण
तुम कर प्रणाम भोले शिव को तुम
लिए व्यथा तुम ह्रदय कमल में
हर्षित मन विन्ध्यन गिरि जाना
माँ काली के चरण कमल में
नत मस्तक हो शीश नवाना...
सुन्दर वंदनीय पोस्ट .आपका ज्योति पुंज पृथा के किस प्रांतर को रोशन कर रहा है इन दिनों .
ये गिद्धों की नगरी है सब हैं शिकारी
जवाब देंहटाएंमिलेगा न पानी न जब तक लड़ोगे
रिवाजों की चादर से बाहर तो निकलो
हज़ारों चलेंगे जहाँ तुम चलोगे
आशावादी उत्प्रेरक स्वर बढ़िया रूपक और व्यंजना।
हज़ारों चलेंगे जहाँ तुम चलोगे ...
Digamber Naswa
स्वप्न मेरे...........
रोचक व पठनीय चर्चा..
जवाब देंहटाएंअच्छे-संयोजन के लिये वधाई तथा उस में मेरी रचना के सम्मिलित किये जाने के लिये धन्यवाद !
जवाब देंहटाएं