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गुरुवार, जनवरी 10, 2013

चुप्पी अब सही न जाए ( चर्चा - 1120 )

आज की चर्चा में आप सबका हार्दिक स्वागत है 
पाकिस्तानियों ने जो किया वो पहली बार किया हो ऐसा नहीं है और भारत के साथ ऐसा पहली बार हुआ हो ,ऐसा भी नहीं है । दरअसल भारत की पीठ में छुरा घोंपना हमारे सभी पड़ोसियों की आदत है और हमारी चुप्पी हमारी मूर्खता , पता नहीं हम कब तक देश पर प्राण न्योछावर करने को तैयार बैठे सैनिकों को बेमौत मरवाते रहेंगे , पता नहीं हमारे नेता कब तक देश की अस्मिता को तार-तार होते देखते रहेंगे ?????
कुछ तो अब करना होगा , चुप्पी अब सही न जाए 
चलते हैं चर्चा की ओर 
विजय कुमार  : VIJAY  KUMAR
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AKHILESH-PANKAJ-VASANT
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छीछालेदर और गैंग्स ऑफ वासेपुर

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SADA
Scumbag AB+ Blood Type
आज के लिए बस इतना ही 
धन्यवाद 

27 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छी प्रस्तुती दिलबाग जी आज कुछ नया देखने को मिला ।

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  2. Bahut badhiya ..... Linko ka collection acchha laga..
    Dhanyavad...

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  3. इंसान की फितरत खुदा हर हाल
    बदलो,और सदा जी के पोस्ट कमाल का लगा अच्छे अच्छे पोस्ट आप चुनते रहे हम पढते रहे
    मोबाईल वर्ल्ड : मोबाइल लेपटाँप कंप्युटर पर अब फ्री मे T.V टीवी देख...

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  4. बहुत अच्छी चर्चा दिलबाग़ जी . मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए दिल से शुक्रिया .

    विजय

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  5. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  6. विर्क साहब, सर्वप्रथम आपका आभार ! आपने चर्चा का शीर्षक रखा "चुप्पी अब सही न जाए" . मैं समस्त बुद्धिजीवी वर्ग से यही आग्रह करूंगा की कृपया ऐसे शब्दों का अब ज्यादा इस्तेमाल न करे क्योंकि इन शब्दों की हमारे जैसे देश में ख़ास अहमियत नहीं रही है। आपको याद दिलाना चाहूँगा की संसद पर हमले और 26/11 के बाद तो हमने इससे भी भयंकर शब्द/वाक्य इतने सुने थे कि कान पक चुके है अब। ऐसे शब्द वहा अहमियत रखते है जहां लोगो में आत्मसम्मान की भावना विद्यमान होती है।

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  7. चर्चामंच तो अपने में ख़ास है ही ..पर आज शीर्षक चुप्पी न सही जाए के नीचे ..मेरी कविता - " सपनीली आँखें और दूसरा बसंत " यह भी समाज के ऐसे विषय पर है जिस पर लोग अक्सर चुप्पी साध जाते है... मुझे यह शीर्षक ख़ास पसंद आया ..दिलबाग जी आपका आभार

    जवाब देंहटाएं
  8. आभार आपका मेरी पोस्ट "कच्छ नहीं देखा तो कुच्छ नहीं देखा" को प्रतिष्ठित चर्चा मंच पर शामिल करने का। अभी अभी लौटा हूँ और अपनी यादों को शब्दों के सहारे सँजोने की कोशिश है। अभी अधूरा है आलेख।
    आज की चर्चा के विषय में मैं यही कहना चाहूँगा की देश को आज एक ऐसे विचारशील और दृष्टिवान युवा नेताओं की जरूरत है जो देश को एक मुकाम दे सकें। केवल विदेशी आर्थिक प्रतिष्ठानों और कंपनियों के कह देने से ही हम महाशक्ति नहीं हो जाते बल्कि हमें खुद को धरातल पर रखते हुये देश की मजबूती के लिए काम करना होगा। और इसी लिए आवश्यक है की ऐसी आवाज़ें उठतीं रहें क्यूंकी अगर आवाज़ें ही नहीं उठेंगी तो गूंज भी नहीं सुनाई देगी।
    शहीदों को शत शत नमन के साथ ही आइये 2 मिनट का मौन भी रखें। ..............

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  9. शानदार चर्चा के लिए बहुत मुबारक विर्क जी ..,
    बाकि मैं भी भाई गोदियाल जी के अहसासों का समर्थन करता हूँ .....
    शुभकामनायें!

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  10. अच्छी प्रस्तुति....सुन्दर चर्चा....

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  11. दिलबाग जी आपको एवं चर्चा मंच के सभी पाठकों को मेरा विन्रम प्रणाम, काफी कुछ नया है आज की चर्चा में मेरी रचना को स्थान देने हेतु अनेक-अनेक धन्यवाद.

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  12. दिलबाग जी,
    आज के चर्चा मंच में भी आपने हमेशा की तरह बखूबी विभिन्न आयामों की बहुत ही रुचिकर पठन सामग्री प्रस्तुत की है।
    बहुत उत्कृष्ट चयन है आपका। पूरी चर्चा बेहद रोचक और ज्ञानवर्धक पठन सामग्री से भरपूर है।
    मेरी रचना को भी इस चर्चा में शामिल करने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार!

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  13. बहुत सुन्दर लिंक्स...रोचक चर्चा...

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  14. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ..
    आभार!

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  15. अनुपम लिंक्‍स संयोजन ... आभार आपका

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  16. बहुत कुछ नया देखने को मिला..आभार..

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  17. शानदार लिंक्स से सुसज्जित सुंदर चर्चा मंच..........

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  18. १२५ करोड़ का देश आहत है। सुन्दर सूत्र संजोये हैं।

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  19. शुक्रिया दिलबाग जी चर्चा मंच में शामिल करने के लिए....!
    नए और पुराने दोस्तों का अच्छा संगम है यहाँ....!
    पुन:धन्यवाद....!!

    जवाब देंहटाएं

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