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शनिवार, अप्रैल 13, 2013

रंग बिरंगी खट्टी मीठी चर्चा

लीजिये हाजिर है 
रंग बिरंगी 
हल्के फ़ुल्के मूड मे बनी 
खट्टी मीठी चर्चा 




बैठ मेरे पास तुझे देखता रहूँ ……   और खाने पीने की सुध भूलता रहूँ 






आया है अपना नव वर्ष।........    तो फिर करो खुलकर स्वागत 


आरोग्यवर्द्धक तुलसी  ........        घर घर की जान 



मिटना ही होगा एक दिन...........     फिर से जन्मने के लिए 


रामजी कब आओगे? .........         और अपना वचन निभाओगे 


गद्य काव्य/ अवसाद ..............          कैसे हो कोई पार 





उस वक्त का कब वक्त ? .........     ये तो वक्त ही जाने 


पूरब की ओर से.........     फिर बहेंगी हवाएं 


सोलह दिन गणगौर के ......    आओ पूज लें 



खोज ...........    किये जाओ कुछ मिले तो बताना 




3 इडियट्स > हेल्लो > कई पो चे.........     आगे क्या हो छे 



सौ मीटर दूर चलना भी गवारा नहीं .........   कैसे इस पार आओगे ?



आजमायें 



तुच्छ? ........  कौन?


उम्मीद है पाठकों की पसन्द पर खरी उतरी होगी अब देती हूँ आज की चर्चा को यहीं विराम ………फ़िर मिलते हैं किसी मोड पर किसी रंग में 

आगे देखिए..."मयंक का कोना"
(1)

एक चीख सी उठती है मंदिर की दीवारों से 
जब घर के आगन में जलती हैं बेटियाँ एक शोर सा होता है मस्ज़िद की मिनारों से 
जब ज़ुल्म की तहरीर बनती हैं बेटियाँ एक आह सी उठती है संतों की मजारों से..

(2)

''नवरात्र'' भाग 2 »नवदुर्गा :- नवरात्रि के नौ रातो में तीन देवियों - महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वतीया सरस्वतीकि तथा दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा होती है जिन्हे नवदुर्गा कहते हैं । नौ देवियाँ है....

(3)

 काव्य में रुचि रखने वालों के लिए और विशेषतया कवियों के लिए तो गणों की जानकारी होना बहुत जरूरी है ।
गण आठ माने जाते हैं!...
 इसके लिए मैं एक सूत्र को लिख रहा हूँ-
"यमाताराजभानसलगा"


(4)


(5)


कुछ बूट रौन्द्ते चले आए ज़मीं को...
इंसान नहीं बस वर्दी में कुछ कठपुतलियाँ थीं...
एक गोरे ने धागा खींचा...
गोलियाँ चिल्ला पड़ी...
बच्चे बूढ़े औरत थोड़ा चीखे फिर...
खामोश हो गये...
उस बैसाखी ने कितने ही घरों को...
बैसाखियाँ थमा दी...

27 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर रंग-बिरंगी चर्चा लगाई है आपने वन्दना जी!
    आभार!
    --
    सभी पाठकों को बैशाखी और नवरात्रों की शुभकामनाएँ..!

    जवाब देंहटाएं
  2. एक सार्थक और सकारात्मक संकलन - प्रशंसनीय प्रयास - बधाई

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर सूत्रों से सजी आज की चर्चा..

    जवाब देंहटाएं
  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  5. वन्दना दीदी की पसंदीदा लिंक्स
    वाकई में शानदार है
    उन्होंने पाठकों की पसंद का भी ख्याल रखा है
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  6. आदरणीय वंदना जी ने बहुत सुन्दर सूत्र पिरोये हैं। इस सुंदर संकलन के लिए आपको बधाई।
    इस संकलन में मुझे स्थान देने के लिए आपका आभार!

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुन्दर सूत्रों से सजी आज की चर्चा,आपका आभार।

    जवाब देंहटाएं
  8. kya baat hai....achche links diye hain...meri rachna ko sammaan aur sneh dene ke liye abhaar

    जवाब देंहटाएं
  9. sunder sutr se saji charcha ke liye badhai
    http://guzarish66.blogspot.in/2013/04/1.html

    जवाब देंहटाएं
  10. सुन्दर पठनीय लिंकों से सजी बेहतरीन चर्चा.

    जवाब देंहटाएं
  11. शुक्रिया वंदना जी ...पोस्ट्स अच्छी लग रही हैं ...

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत बढ़िया सूत्र संकलन,,,लेकिन वंदना जी आपके द्वारा मंच में प्रस्तुति करने का तरीका मुझे नही भाया,,,आशा है इस पर ध्यान दें,,,

    मेरी रचना को मंच में स्थान देने के लिए आभार शास्त्री जी,,,

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. धीरेन्द्र सिंह भदौरिया जी सबका अपना अपना नज़रिया होता है और अपना तरीका ………आपको पसन्द नहीं आया तो उसके लिये तो मैं कुछ कर नही सकती क्योंकि अगर एक एक इंसान इस तरह अपनी अपनी पसन्द बताने लगेगा और मैं हर ब्लोगर की पसन्द को ध्यान मे रखती रहूँगी तो चर्चा क्या लगा पाऊँगी …………कहना बहुत आसान होता है किसी को पसन्द या नापसन्द करके मगर जब वो ही काम किया जाता है तब॥ता चलता है कि एक काम से सब को खुश नही रखा जा सकता ………दूसरी बात मेरे घर मे आजकल मिस्त्री लगे हैं , घर मे सब बीमार हैं उसके बाद भी घर को संभालते हुये ये कार्य भी कर रही हूँ ……तो आप समझ सकते हैं कैसे काम कर पा रही हूँ यहाँ तक कि कल तो दिन मे ना जाने कितनी बार लाइट जाती रही ………ये मै ही जानती हूँ कैसे चर्चा लगायी है ।

      हटाएं
  13. उत्तम चयन, सार्थक चर्चा. आभार सहित...

    जवाब देंहटाएं
  14. आदरणीय भदौरिया जी!
    हर चर्चाकार का चर्चा लगाने का ढंग उसका अपना होता है।
    इसमें आपको अगर आपत्ति है तो हम क्या करें?
    चर्चा हम किसी ब्लॉगर की पसंद के अनुसार नहीं लगाते हैं।
    यह तो निष्काम सेवा है। जिससे ब्लॉगरों को लाभ मिलता है।
    मगर हमें इसका न ही कोई लाभ मिलता है और न ही कोई प्रारिश्रमिक।
    आप इस प्रकार की टिप्पणी करके हमारे चर्चाकारों का मनोबल गिराने का प्रयास न करें।
    यह तो आप जानते ही होंगें कि इससे पहले भी कई लोगों ने चर्चा मंच को हतोत्साहित करने का प्रयास किया था मगर मेरी खुद की और हमारे चर्चाकारों की मेहनत ने इसे ऊँचाइयों की बुलन्दी पर पहुँचाया है और वो लोग आज भी जहाँ थे वहीं के वहीं खड़े हुए हैं।
    आशा है आप मेरी बात को अन्यथा नहीं लेंगे।
    समझदार को इशारा ही काफी है।

    जवाब देंहटाएं
  15. ये कोई चर्चा है बुध्दू बना दिया है बुला कर अरे होली चली गई मैडम कुछ ढँग से चर्चा भी करो :)

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. मज़ाक मक रही हूँ वन्दू :) बहुत अच्छी सुन्दर रंगमय चर्चा है शुक्रिया मोटे लोगों को शामिल करने के लिये :)

      हटाएं
    2. मैं जानती हूँ सुनीता :) तुम्हें अख्तियार है :)

      हटाएं
  16. गलत बात है शास्त्री जी आपने दूसरी टिप्पणी क्यों हटा दी? हमारी सखी नाराज हो जायेगी तो? बोलिये कौन मना कर देगा। हम तो मज़ाक कर रहे थे उससे अब मज़ाक भी न करें क्या???

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सुनीता नाराज नही होते ………हो जाता है कभी कभी ऐसा ………और मै तुम्हारा बुरा मानूँगी ………क्या संभव है :)

      हटाएं
  17. सुनीता जी!
    मैं किसी की टिप्पणी नहीं हटाता हूँ, शायद स्पैम मे चली गयी होगी।
    अभी प्रकाशित करता हूँ!
    मैं जानता हूँ कि आप बहुत मजाकिया हैं।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जी हाँ मुझे मालूम है आपको मालूम है बस इतना ही काफ़ी है पता होना चाहिये...वरना गलत फ़हमी पैदा हो जाती है.. अमूमन मै कोई ऎसा कमैंट कम करती हूँ फिर भी आदत :)

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  18. बहुत बढ़िया चर्चा बधाई वंदना जी

    जवाब देंहटाएं
  19. मयंक की पंचमी भाई-
    वंदना जी ने सुन्दर चर्चा लगाईं-
    शुभकामनायें-

    जवाब देंहटाएं

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