मित्रों।
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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"राज्य स्थापना दिवस
और उत्तराखण्ड का इतिहास"
आज से ठीक चौदह वर्ष पूर्व भारत के 27वें राज्य के रूप में 9 नवम्बर, सन् 2000 को उत्तराखण्ड राज्य की स्थापना हुई थी! 9 नवम्बर सन 2000 में उत्तर प्रदेश पर्वतीय जिलों को अलग कर के उत्तराखण्ड राज्य बनाया गया था। इस राज्य में अब तक 7 मुख्यमंत्री रह चुके हैं, जिनमे से चार भारतीय जनता पार्टी से व शेष तीन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से हैं। नित्यानन्द स्वामी राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री थे।अब तक के माननीय मुख्यमन्त्रियों की सूची निम्नवत है-
और उत्तराखण्ड का इतिहास"
आज से ठीक चौदह वर्ष पूर्व भारत के 27वें राज्य के रूप में 9 नवम्बर, सन् 2000 को उत्तराखण्ड राज्य की स्थापना हुई थी! 9 नवम्बर सन 2000 में उत्तर प्रदेश पर्वतीय जिलों को अलग कर के उत्तराखण्ड राज्य बनाया गया था। इस राज्य में अब तक 7 मुख्यमंत्री रह चुके हैं, जिनमे से चार भारतीय जनता पार्टी से व शेष तीन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से हैं। नित्यानन्द स्वामी राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री थे।अब तक के माननीय मुख्यमन्त्रियों की सूची निम्नवत है-
क्रम | नाम (निर्वाचन क्षेत्र) | कार्यकाल | दल | कार्यकाल अवधि | विधानसभा (चुनाव) | ||
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1 | नित्यानन्द स्वामी (कोई नहीं) विधानपरिषद सदस्य | 9 नवम्बर 2000 | 29 अक्टूबर 2001 | भारतीय जनता पार्टी | 354 दिन | ||
2 | भगत सिंह कोश्यारी (कोई नहीं) विधानपरिषद सदस्य | 30 अक्टूबर 2001 | 1 मार्च 2002 | 123 दिन | |||
3 | नारायण दत्त तिवारी रामनगर | 2 मार्च 2002 | 7 मार्च 2007 | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस | 1832 दिन | प्रथम विधानसभा (2002–07) (2002 चुनाव) | |
4 | भुवन चन्द्र खण्डूरी धुमाकोट | 8 मार्च 2007 | 23 जून 2009 | भारतीय जनता पार्टी | 839 दिन | द्वितीय विधानसभा (2007–12) (2007 चुनाव) | |
5 | रमेश पोखरियाल निशंक थलीसैंण | 24 जून 2009 | 10 सितम्बर 2011 | 808 दिन | |||
(4) | भुवन चन्द्र खण्डूरी धुमाकोट | 11 सितम्बर 2011 | 13 मार्च 2012 | 185 दिन [कुल 1024 दिन] | |||
6 | विजय बहुगुणा सितारगंज | 13 मार्च 2012 | 31 जनवरी 2014 | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस | 690 दिन | तीसरी विधानसभा (2012–17) (2012 चुनाव) | |
7 | हरीश रावत धारचूला | 1 फ़रवरी 2014 | पदस्थ |
# | नाम | पद ग्रहण | पद छोड़ा |
१ | सुरजीत सिंह बरनाला | ९ नवम्बर २००० व | ७ जनवरी २००३ |
२ | सुदर्शन अग्रवाल | ८ जनवरी २००३ | २८ अक्टूबर २००७ |
३ | बनवारी लाल जोशी | २९ अक्टूबर २००७ | ५ अगस्त २००९ |
४ | मार्गरेट अल्वा | ६ अगस्त २००९ | १४ मई २०१२ |
५ | अज़ीज़ कुरैशी | १५ मई २०१२ | पदधारक |
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"याद आया किसी को पहाड़ "
चढ़ने के लिये जरूरी हैं
देश विदेश के पर्वतारोहियों
के लिये एक मजबूरी
कभी नहीं हुवे पहाड़।
उतरना कभी जरूरी नहीं
हुवा करता पर अब मजबूरी
बन गया उतरना वो ही पहाड़।...
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जाने क्यों?
लडकी से कह रही है
शहर अब शहर नहीं रहे
बदल चुकी है आबोहवा
जाओ कोई और दरवाज़ा खटखटाओ ...
ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़र पर
vandana gupta
लडकी से कह रही है
शहर अब शहर नहीं रहे
बदल चुकी है आबोहवा
जाओ कोई और दरवाज़ा खटखटाओ ...
ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़र पर
vandana gupta
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वक्त फिर कुछ इस तरह कटने लगा है |
एक - एक दिन साल सा लगने लगा है ||
आँखों में सपने कई पलने लगे हैं |
दिल भी सौ - सौ ख़्वाब अब बुनने लगा है...
हालात आजकल पर प्रवेश कुमार सिंह
एक - एक दिन साल सा लगने लगा है ||
आँखों में सपने कई पलने लगे हैं |
दिल भी सौ - सौ ख़्वाब अब बुनने लगा है...
हालात आजकल पर प्रवेश कुमार सिंह
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अभी तक भटक रहा
ऐसी दुआ न दे के जहाँ हूँ वहीं रहूँ
तुझको पता नहीं मैं अभी तक भटक रहा...
ग़ाफ़िल की अमानत पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
ऐसी दुआ न दे के जहाँ हूँ वहीं रहूँ
तुझको पता नहीं मैं अभी तक भटक रहा...
ग़ाफ़िल की अमानत पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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(13)
आव्हान-गज़ल / प्रयाण-गज़ल’
(ख)
क़सम लीजिये !
ग़ज़लकुञ्ज
आव्हान-गज़ल / प्रयाण-गज़ल’
(ख)
क़सम लीजिये !
अपने ‘वतन’ को सुधारने की क़सम लीजिये !‘फूले चमन’ को सँवारने की क़सम लीजिये !! पी के ‘मद’,‘मदन’ का ‘रुप’ क्यों ‘कुरूप’ कर रहे?इसको ‘स्नेह’ में, उतारने की क़सम लीजिये...
ग़ज़लकुञ्ज
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झरीं नीम की पत्तियाँ
(दोहा-गीतों पर एक काव्य)
(14)
आधा संसार (नारी उत्पीडन के कारण)
(क)
वासाना-कारा
(iv)
यौवन-विक्रय |
(दोहा-गीतों पर एक काव्य)
(14)
आधा संसार (नारी उत्पीडन के कारण)
(क)
वासाना-कारा
(iv)
यौवन-विक्रय |
अति आधुनिक समाज है, इतना हुआ सुधार !
देखो यौवन बेचता, है आधा संसार !!
शराब-खाने, जुवा-घर, में मर्यादा नग्न !
सुरा पिलाती, रूप-रस, से कर सब को मग्न !!
काल-गर्ल का नाम धर, होती वेश्या-वृत्ति !
धन की भूखी सुन्दरी, जहाँ कमाती वित्त !!
और इस तरह हो रहा, है तन का व्यापार...
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बाल पहेलियाँ- -
१.
कुल चौरासी घाट से, अस्सी-घाट निकाल ।
अब बाकी कितने बचे, काशी करे सवाल ।..
उत्तर: चार / तिरासी
"कुछ कहना है"
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होता ही है
एक बच्चे की खींची हुई लकीरें
कागज पर
ढेर सारी एक दूसरे से उलझ ही जाती हैं
उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जोशी
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होता ही है
एक बच्चे की खींची हुई लकीरें
कागज पर
ढेर सारी एक दूसरे से उलझ ही जाती हैं
उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जोशी
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किं आश्चर्यम
महाभारत में वृत्तांत है यक्ष ने युधिष्ठिर से जो ६० सवाल पूछे थे उनमें से एक यह
भी था ,कि युधिष्ठिर यह बतलाओ इस विश्व में सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है। तब
युधिष्ठिर ने जो कहा वह इस प्रकार था :
अहानि अहानि भूतानि ,गच्छन्ति यम मन्दिरम् ।
शेषा : जीवितुं इच्छन्ति किं आश्चर्यम अत : परं .
इसका अर्थ कुछ कुछ यूं होगा
प्रतिदिन जितने भी प्राणि है मृत्यु की तरफ जा रहे हैं।
यह देखते हुए भी शेष जो लोग हैं वह जीवन की जो आशा है उसके मोह से
मुक्त नहीं हो रहे हैं। इससे बड़ा आश्चर्य और क्या हो सकता है।
आपका ब्लॉग पर
Virendra Kumar Sharma
महाभारत में वृत्तांत है यक्ष ने युधिष्ठिर से जो ६० सवाल पूछे थे उनमें से एक यह
भी था ,कि युधिष्ठिर यह बतलाओ इस विश्व में सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है। तब
युधिष्ठिर ने जो कहा वह इस प्रकार था :
अहानि अहानि भूतानि ,गच्छन्ति यम मन्दिरम् ।
शेषा : जीवितुं इच्छन्ति किं आश्चर्यम अत : परं .
इसका अर्थ कुछ कुछ यूं होगा
प्रतिदिन जितने भी प्राणि है मृत्यु की तरफ जा रहे हैं।
यह देखते हुए भी शेष जो लोग हैं वह जीवन की जो आशा है उसके मोह से
मुक्त नहीं हो रहे हैं। इससे बड़ा आश्चर्य और क्या हो सकता है।
आपका ब्लॉग पर
Virendra Kumar Sharma
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संस्मरण
पैसिंजर ट्रेन में बैठने भर की जगह थी। जाड़े के दिनों में मैं तजबीज कर इंजन की तरफ पीठ करके बैठता हूँ ताकि खराब हो चुकी खिड़कियों से होकर हवा का तेज़ झोंका मेरी सेहत न खराब कर दे। युसुफपुर स्टेशन से मिर्जा चढ़ा और मेरे सामने आकर बैठ गया। मेरे बगल में उसने अपनी वृद्ध अम्मी को बिठाया जो कुछ देर बाद बैठे-बैठे, टेढ़ी-मेढ़ी हो कर सोने का उपक्रम करने लगीं। मोबाइल से फेसबुक चलाते-चलाते मैंने महसूस किया कि वह मुझसे कुछ कहना चाहता है..
बेचैन आत्मा पर देवेन्द्र पाण्डेय
पैसिंजर ट्रेन में बैठने भर की जगह थी। जाड़े के दिनों में मैं तजबीज कर इंजन की तरफ पीठ करके बैठता हूँ ताकि खराब हो चुकी खिड़कियों से होकर हवा का तेज़ झोंका मेरी सेहत न खराब कर दे। युसुफपुर स्टेशन से मिर्जा चढ़ा और मेरे सामने आकर बैठ गया। मेरे बगल में उसने अपनी वृद्ध अम्मी को बिठाया जो कुछ देर बाद बैठे-बैठे, टेढ़ी-मेढ़ी हो कर सोने का उपक्रम करने लगीं। मोबाइल से फेसबुक चलाते-चलाते मैंने महसूस किया कि वह मुझसे कुछ कहना चाहता है..
बेचैन आत्मा पर देवेन्द्र पाण्डेय
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जाने कितने ऋण बाकी हैं
मुश्किल है ढोना कृतघ्नता,
चुभते अब समझौते भी हैं ।
अर्पण जो तुझको करने हैं,
जाने कितने ऋण बाकी हैं ।।...
न दैन्यं न पलायनम् पर प्रवीण पाण्डेय
मुश्किल है ढोना कृतघ्नता,
चुभते अब समझौते भी हैं ।
अर्पण जो तुझको करने हैं,
जाने कितने ऋण बाकी हैं ।।...
न दैन्यं न पलायनम् पर प्रवीण पाण्डेय
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चूहे बने हैं आज सबके बाप -
अविनाश वाचस्पति
...किसके कारण से बोलती बंद है? चूहे जाज्वल्यमान उष्मा से ओत प्रोत हैं, भला अब भी किसी को बतलाने की जरूरत रह गई है। चूहों ने कीर्तिमान स्थापित कर दिया है, यह आजका वह मूषक है जिसका जादू कंप्यूटर के सिर चढ़कर बोल रहा है।
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सशक्त सउदेश्यक सेतु लिए आया है चर्चा मंच सुन्दर मनोहर।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंबहुत सशक्त सन्देश देता है यह संस्मरण स्व :में अटके आदम को।
संस्मरण
पैसिंजर ट्रेन में बैठने भर की जगह थी। जाड़े के दिनों में मैं तजबीज कर इंजन की तरफ पीठ करके बैठता हूँ ताकि खराब हो चुकी खिड़कियों से होकर हवा का तेज़ झोंका मेरी सेहत न खराब कर दे। युसुफपुर स्टेशन से मिर्जा चढ़ा और मेरे सामने आकर बैठ गया। मेरे बगल में उसने अपनी वृद्ध अम्मी को बिठाया जो कुछ देर बाद बैठे-बैठे, टेढ़ी-मेढ़ी हो कर सोने का उपक्रम करने लगीं। मोबाइल से फेसबुक चलाते-चलाते मैंने महसूस किया कि वह मुझसे कुछ कहना चाहता है..
बेचैन आत्मा पर देवेन्द्र पाण्डेय
सुंदर चर्चा....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा । आँकड़े उत्तराखंड के मनमोहक हैं । इतने कम समय में इतने मुख्यमंत्री तरक्की का अच्छा एक सबक दिखता है । 'उलूक' के सूत्र "याद आया किसी को पहाड़ " और "होता ही है एक बच्चे की खींची हुई लकीरें कागज पर ढेर सारी एक दूसरे से उलझ ही जाती हैं" को आज की चर्चा में जगह मिली आभार ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुव्यवस्थित एवं सार्थक सूत्र लिये आज का चर्चा मंच ! मेरी रचना को स्थान देने के लिये आपका आभार शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएं.ब्लॉगर मित्रों के ज्ञानवर्धक और सुरुचिपूर्ण आलेखों और कविताओं के लिंक्स की सराहनीय प्रस्तुति आदरणीय शास्त्री जी आपको हार्दिक धन्यवाद . उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं .
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया जानकारी के साथ सुन्दर चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंआभार।
बढियाँ जाकारी ,सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंबढियाँ जानकारी ,सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंक ! मेरी रचना को शामिल करने हेतु धन्यवाद !!
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