मिट्टी की मूरतों में प्राण ही नहीं...
पत्थरों के शहर में मिट्टी की मूरतें है। अग्नि सी आंधियां तेज़ाबी बरसातें है। ना जाने क्यों न पत्थर पिघलते हैं औ र न ही मिट्टी की मूरतें भुरभुराती है... नयी उड़ान + पर Upasna Siag |
नम : का अर्थ है :
NOTHING BELONGS TO ME . EVERYTHING BELONGS TO HIM ![]() आपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma |
"कड़ुए दोहे"
पड़ी बेड़ियाँ पाँव में, हाथों में जंजीर।
सच्चाई की हो गयी, अब खोटी तकदीर।।
आँगन-वन के वृक्ष अब, हुए सुखकर ठूठ।
सच्चाई दम तोड़ती, जिन्दा रहता झूठ।।..
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')उच्चारण |
सुप्रभात
ReplyDeleteमेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया चर्चा मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद
ReplyDeleteumda charcha....meri rachna ko shamil karne kay liye shukriya
ReplyDeleteबहुत बढ़िया चर्चा मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद
ReplyDeleteआभार!
ReplyDeleteसुंदर चर्चा।बढ़िया सूत्र।
ReplyDeletebahut sunder sutr.... sunder charcha....mere aalekh ko sthaaan dene k liye aabhar
ReplyDeleteचर्चामंच पर एक ही स्थान पर श्रेष्ठ रचनाकारों की रचनाएँ पढने को मिल जाती हैं.
ReplyDeleteआज का लिंक संयोजन बढ़िया है.
उपयोगी लिंकों के साथ सुन्दर चर्चा।
ReplyDelete--
आपका चर्चा लगाने का ढंग निराला है।
आदरणीय रविकर जी!
--
आपका आभार।
बहुत बढ़िया चर्चा,मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार !!
ReplyDeletesundar thanks nd aabhar ...
ReplyDelete