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गुरुवार, नवंबर 20, 2014

तमाचा है आदमियत के मुँह पर { चर्चा - 1803 }

आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है 
वर्तमान में जो कुछ हरियाणा में हो रहा है उस पर बस इतना ही कह सकता हूँ - 
चलते हैं चर्चा की ओर  
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भदेस...देहाती
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धन्यवाद  
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15 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात |समसामयिक सूत्र |मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |

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  2. सुंदर चर्चा दिलबाग । आभार 'उलूक' के सूत्र 'कहने को कुछ नहीं है ऐसे हालातों में कैसे कोई कुछ कहेगा' को स्थान देने के लिये ।

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  3. बढ़िया लिंक्स-सह-चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही सुन्दर लिंक्स |आपका बहुत बहुत शुक्रिया विर्क साहब |

    जवाब देंहटाएं
  5. आदरणीय दिलबाग सर आप तो चित्रों के माध्यम से ही बोलती हुई सार्थक चर्चा कर देते हैं।
    --
    आपके अन्दाज का कायल हूँ मैं तो।
    --
    बहुत-बहुत आभार।

    जवाब देंहटाएं
  6. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  7. शुक्रिया चर्चा में स्थान देने के लिए

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  8. एक ये ही असंत है, बाकी तो सारे संत-महात्मा हैं.....बंद करो ये तमाशा.....

    जवाब देंहटाएं
  9. नीतू सिंघल जी का खुन्दक खाना वाज़िब है।
    क्योंकि इनका अपना सृजन कुछ नहीं है।
    ये हमेशा किसी पुस्तक से नकलमार कर पोस्ट लगाती हैं।
    जो यदा-कदा ही चर्चा मंच पर ली जाती हैं।
    रोज-रोज नहीं।

    जवाब देंहटाएं

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