मित्रों।
चर्चामंच के 1800वें अंक में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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चिट्ठी : मेरे बच्चे को
मेरे लाडले,
खुश हो न तुम ,
अल्लाह मियाँ की जन्नत में तो सुना है, सब खुश ही रहते हैं। अम्मा को शायद कभी कभी याद करते होगे, (ऐसा मुझे लगता है , क्योंकि कभी कभी बेवजह तुम्हारी नन्न्हीं आँखें भरी हुई दिखती हैं) मगरअम्मा को तो तुम हर वक़्त बहुत बहुत याद आते हो. जब भी किसी खिलौने की दुकान के नज़दीक से गुज़र होती है, तुम अपनी माँ पर पूरी तरह छा जाते हो. कल तुम्हारे लिए " नन्न्हीं सी बत्तख माँ " खरीदी और पास खड़े छोटे से बच्चे को बाँट दी। उसकी माँ उसे खिलौने नहीं दिला सकती न, वह बहुत गरीब है बेटू! मगर तुम्हारी माँ तो उससे भी ज़्यादा गरीब है, क्योंकि तुम तो उससे बहुत दूर हो...
लोरी अली
चिट्ठी : मेरे बच्चे को
मेरे लाडले,
खुश हो न तुम ,
अल्लाह मियाँ की जन्नत में तो सुना है, सब खुश ही रहते हैं। अम्मा को शायद कभी कभी याद करते होगे, (ऐसा मुझे लगता है , क्योंकि कभी कभी बेवजह तुम्हारी नन्न्हीं आँखें भरी हुई दिखती हैं) मगरअम्मा को तो तुम हर वक़्त बहुत बहुत याद आते हो. जब भी किसी खिलौने की दुकान के नज़दीक से गुज़र होती है, तुम अपनी माँ पर पूरी तरह छा जाते हो. कल तुम्हारे लिए " नन्न्हीं सी बत्तख माँ " खरीदी और पास खड़े छोटे से बच्चे को बाँट दी। उसकी माँ उसे खिलौने नहीं दिला सकती न, वह बहुत गरीब है बेटू! मगर तुम्हारी माँ तो उससे भी ज़्यादा गरीब है, क्योंकि तुम तो उससे बहुत दूर हो...
लोरी अली
चाँद सितारे फूल और जुगनू
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कविता से
आजकल मैं उदास हूँ,
बहुत दिन बीत गए,
पर तुम आई ही नहीं.
तुम्हें याद हैं न वे दिन,
जब तुम कभी भी आ जाती थी -
मुंह-अँधेरे, दोपहर, शाम - कभी भी,
मुझे सोते से भी उठा देती थी, ...
कविताएँ पर Onkar
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खारक चूर्ण
सूखे हुए खजूर को ही खारक ( छुआरा ) कहते है। खारक रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है। खारक में कार्बोहिड्रेटस, प्रोटीन, कैल्सियम, पौटेशियम, मैग्नेशियम, फॉस्फरस, लौह आदि प्रचुर मात्र में पाएं जाते है। आज मैं आपको खारक चूर्ण बनाने की विधि बताउंगी...
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देहरी
पढाई ख़त्म होते ही सोचा था कही अच्छी सी नौकरी कर के परिवार से रूठी खुशियों को वापस मना लाएगी लेकिन बिना अनुभव बिना सिफारिश कोई नौकरी आसानी से मिलती है क्या ?महीनो ठोकरे खाने के बाद आखिर उसने वह राह पकड़ी। कॉल सेंटर पर काम करने का कह कर शाम ढले घर से निकलती और पैर में घुँघरू बांधे अपने दुःख दरिद्र को पैरों से रौंदते अपने समय के बदलने की राह तकती...
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बैंक लोन के साथ
तनाव मुफ्त
कभी भी किस्त चुकाने में कोई गफलत नहीं हुई पर अचानक 2013 में बैंक के वकील की तरफ से एक नोटिस मिला कि आपकी तरफ 250000/- की रकम पेंडिग है, जिसे तुरंत न चुकाने पर आप पर कानूनी कार्यवाही की जाएगी। साथ ही चल-अचल संपत्ति की नीलामी की धमकी भी दी गयी थी। यहां तक कि बिना पूरी जांच किए इस मनगढ़ंत कार्यवाही के खर्च के रूप में 2600/- के भुगतान को भी मेरे सर डाल दिया गया था। जबकि अभी भी लोन की बाक़ी रकम को लौटाने में करीब चार साल बचे हुए थे...
कुछ अलग सा पर गगन शर्मा
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अज़ीज़ जौनपुरी :
पहलू में दिल किसी का
1.
समझा था जिसे आग वो धुआँ निकला
न वो कशिश बची न वो मज़ा रहा
2.
रह -रह के धड़कता है कुछ मिरे भीतर
गोया पहलू में
दिल किसी का करवट बदल रहा हो ...
समझा था जिसे आग वो धुआँ निकला
न वो कशिश बची न वो मज़ा रहा
2.
रह -रह के धड़कता है कुछ मिरे भीतर
गोया पहलू में
दिल किसी का करवट बदल रहा हो ...
Aziz Jaunpuri
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वक़्त की नफ़ासत
है अदब भी फासले के दूसरा नाम
होती है यूँ भी इबादत कभी-कभी
जंजीरों की तरह रोक लेतीं हैं जो
दीवारें भी बोलतीं हैं राहों की इबारत कभी-कभी...
होती है यूँ भी इबादत कभी-कभी
जंजीरों की तरह रोक लेतीं हैं जो
दीवारें भी बोलतीं हैं राहों की इबारत कभी-कभी...
गीत-ग़ज़ल पर शारदा अरोरा
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अब देखो तुम ऐसा कहीं मंज़र न मिलेगा
इन कातिलों के शहर में खंज़र न मिलेगा ।
आँखों से बहते अश्क भी अब सोचते होंगे ,
ढूंढेंगे ऐसा घर तो फिर ये घर न मिलेगा...
Harash Mahajan
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पानी केरा बुदबुदा अस मानस की जात ,
देखत ही बुझ जाएगा ,ज्यों तारा परभात
आपका ब्लॉग पर
Virendra Kumar Sharma
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जिन्दगी अपनी बनाते हैं बनाने वाले
(तरही ग़जल)
बदगुमाँ होते हैं क्यूँ हार के जाने वाले
जिंदगी अपनी बनाते हैं बनाने वाले
जिंदगी अपनी बनाते हैं बनाने वाले
मत करें प्यार का इजहार गरज़मंदी में
बेगरज़ होके रहें प्यार जताने वाले...
बेगरज़ होके रहें प्यार जताने वाले...
सत्यार्थमित्र पर सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
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मेरे बचपन के दिनों को
बहुत याद कराती है।
सूरज तुम्हारी लाली, आँगन में जो आती है
मेरे बचपन के दिनों को बहुत याद कराती है
कोयल की कूं –कूं के साथ सुबह तेरा होना,
फूलों के गुच्छों का, सूरज तेरी ओर होना;
उठ कर बैठे देर तक तुम्हारी याद दिलाती है...
Prabhat Kumar
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काल के जाल
काल के नेत्र लाल-लाल
ओष्ठ काले भयभीत कपाल
स्मित भयंकर वेश विकराल
मंथर गति और क्रुर सी चाल काल
का प्रचंड वेग है दुखद आवेग...
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मेरी जिंदगी के डायरी से ...
आखिर चोर कौन था ?
उस वक़्त मैं बहुत छोटी थी यही कुछ तेरह बरस की उम्र रही होगी ! स्वभाव से तेज..तर्रार..और लड़ाकू प्रवृति का होना आरम्भ हो गया था ! गुस्सा नाजायज़ बात पर आता भी था और जमकर उसका विरोध भी करने लगी थी! पता नहीं पर मुझे शुरू से ही अच्छा लगता था अपने विचारो को पन्नो पर अंकित करना ! तुड़ी-मुड़ी शब्दों में उसे ढाल देना ! उस समय का वो शुरूआती दौर था ! जब मैंने डायरी लिखने कि आदत पाल ली थी...
लेखिका परी एम.श्लोक
एहसास की लहरों पर
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मेरी जिंदगी के डायरी से ...
आखिर चोर कौन था ?
उस वक़्त मैं बहुत छोटी थी यही कुछ तेरह बरस की उम्र रही होगी ! स्वभाव से तेज..तर्रार..और लड़ाकू प्रवृति का होना आरम्भ हो गया था ! गुस्सा नाजायज़ बात पर आता भी था और जमकर उसका विरोध भी करने लगी थी! पता नहीं पर मुझे शुरू से ही अच्छा लगता था अपने विचारो को पन्नो पर अंकित करना ! तुड़ी-मुड़ी शब्दों में उसे ढाल देना ! उस समय का वो शुरूआती दौर था ! जब मैंने डायरी लिखने कि आदत पाल ली थी...
लेखिका परी एम.श्लोक
एहसास की लहरों पर
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"गीत-पराक्रम जीवन में अपनाओ"
मक्कारों से हो मक्कारी, गद्दारों से गद्दारी।
तभी सलामत रह पायेगी, खुद्दारों की खुद्दारी।।
ऊँचा पर्वत-गहरा सागर, हमको ये बतलाता है,
अटल रहो-गम्भीर बनो, ये सीख हमें सिखलाता है.
डर कर शीश झुकाना ही तो, खो देता है खुद्दारी।
तभी सलामत रह पायेगी, खुद्दारों की खुद्दारी...
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जवाब देंहटाएंसुप्रभात |पसंद आपकी लाजबाबा |आज कार्टून नहीं ?
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सूत्रों से सुसज्जित है आज का चर्चामंच ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिये आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार !
जवाब देंहटाएं1800 वें अंक की बधाई । सुंदर चर्चा । 'उलूक' का आभार सूत्र 'कोई नई बात नहीं है बात बात में
जवाब देंहटाएंउठती ही है बात' को जगह दी । नेट कुछ दिनों से दगाबाजी पर लगा हुआ है बी एस एन एल की जय हो । सूत्रों को पढ़ नहीं पा रहा हूँ ।
सतत सराहनीय संग्रह.. आभार
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंआभार .....
सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंमुझे शामिल करने के लिए धन्यवाद्
शानदार चर्चा....हमें शामिल करने के लिए शुक्रिया....!!!
जवाब देंहटाएंसादर आभार .......मेरी रचना "मेरे बचपन के दिनों को
जवाब देंहटाएंबहुत याद कराती है।" को शामिल करने के लिए शुक्रिया!
मनमोहक चर्चा।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार
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