waah sabhi links bahut umda hardik badhai ravivar ji abhaar hamen shamil karne hetu
sundar charcha ...Shukriya meri gazal ko ooncha sthan dene ka ... Bahut abhar ...
badhiya .......mauka ..nikalti hoon ......
बहुत सुन्दर और अद्यतन लिंको के साथ की गयी उपयोगी चर्चा।आपका आभार आदरणीय रविकर जी।
सुन्दर प्रस्तुति...आभार।
बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति!आभार!
दिगम्बर नासवा--पड़ी बेड़ियाँ पाँव में, हाथों में जंजीर।सच्चाई की हो गयी, अब खोटी तकदीर।।--उम्दा गज़ल।
गीत ओ गीत----पीड़ा के संगीत में, दबे गीत के बोल।देश-वेश-परिवेश में, कौन रहा विष घोल।।
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waah sabhi links bahut umda hardik badhai ravivar ji
जवाब देंहटाएंabhaar hamen shamil karne hetu
sundar charcha ...
जवाब देंहटाएंShukriya meri gazal ko ooncha sthan dene ka ... Bahut abhar ...
badhiya .......mauka ..nikalti hoon ......
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और अद्यतन लिंको के साथ की गयी उपयोगी चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीय रविकर जी।
सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंआभार।
बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआभार!
दिगम्बर नासवा
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पड़ी बेड़ियाँ पाँव में, हाथों में जंजीर।
सच्चाई की हो गयी, अब खोटी तकदीर।।
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उम्दा गज़ल।
गीत ओ गीत
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पीड़ा के संगीत में, दबे गीत के बोल।
देश-वेश-परिवेश में, कौन रहा विष घोल।।