मित्रों।
शनिवार की चर्चा में मेरी पसंद के
कुछ अद्यतन लिंक देखिए।
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शीर्षकहीन
कुंची की तरह कलम से रिश्ता निभाने वाले वांन गाग के लिए किताबे जिन्दगी जीने और बात करने का एक जरिया थी | वांन अक्सर विलेमिना से कहता था कि ' मैं एक किताब ये जानने के लिए पढता हूँ कि उन्हें लिखने वाला कलमकार कैसा होगा | ' इसी जानने के जूनून ने वांन को आट्रान , सेटेव्युबे , लामाट्रिन , हेइने, गोथे , हेनरी वर्ड्सवर्थ लागफैलो , डिकिस, शेक्सपियर , जैसे रचनाकारों से मिलाया | और यही जूनून एक दिन वांन को किताबो के ऐसे संसार में ले गया जहा शब्द ही साँस बन गये...
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...मौन खड़े बाबाजी रोये
जी भरकर आंसू बरसाये
भगवान सबके साथ न होते
कमजोर बेचारे रोज ही पिटते
प्रभु की लाठी सख्त बड़ी है
न जाने कब किस वक्त पड़ी है.
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अच्छे दिन –
पापा पापा बतलाओ ना ,
अच्छे दिन कैसे होते हैं
क्या होते हैं चाँद सरीखे,
या फूलों जैसे होते हैं...
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बादलों की ओट से झांकता है चाँद
पानी की लहरों पे चमकता है चाँद ...
आ गये हम तो यहाँ परियों के देश में
यहाँ चाँदनी पथ पे बिखेरता है चाँद …
Rekha Joshi
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काले-धन का मंत्र-जाप !
अगर चाहते हो जानें सब धन है कितना काला ,
सबसे पहले खुलवाओ हर बैंक लॉकर का ताला...
Swarajya karun
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आ कर देख ले मुझपे सितम करने वाले ,
तेरे बिना दिन भी कट गया
रात भी गुजर गई
इस खुशफहमी में कि
तू मिलेगा मुझे
इन्तजार करते-करते...
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उम्र के छाले
(12 हाइकु)
1.
उम्र की भट्टी
अनुभव के भुट्टे
मैंने पकाए ।
2.
जग ने दिया
सुकरात-सा विष
मैंने जो पिया ।...
उम्र की भट्टी
अनुभव के भुट्टे
मैंने पकाए ।
2.
जग ने दिया
सुकरात-सा विष
मैंने जो पिया ।...
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एक सपना, एक जीवन -
राकेश रोहित
आदम हव्वा के बच्चे
सीमाहीन धरती पर
कैसे निर्बाध भागते होंगे
पृथ्वी को पैरों में चिपकाये
कैसे आकाश की छतरी उठाये
ब्रह्मांड की सैर करता होगा उनका मन?..
राकेश रोहित
आदम हव्वा के बच्चे
सीमाहीन धरती पर
कैसे निर्बाध भागते होंगे
पृथ्वी को पैरों में चिपकाये
कैसे आकाश की छतरी उठाये
ब्रह्मांड की सैर करता होगा उनका मन?..
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एक ख़त तुम्हारे नाम
कुछ कहना चाहता हूँ तुमसे,
कुछ सुनाना चाहता हूँ तुम्हे
शायद मेरा बोझ हल्का हो जाए
तुम्हे कुछ सुनाकर...
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ब्लात्कार चीत्कार व्यभिचार पर
स्मारक बनें खूब बने
बनाने बनवाने में किसलिये करना है
और क्यों करना है कुछ भी विचार
उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जोशी
स्मारक बनें खूब बने
बनाने बनवाने में किसलिये करना है
और क्यों करना है कुछ भी विचार
उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जोशी
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सखी री..........
भ्रमर ने गीत जब गाया
पपीहा प्रीत ले आया
शिखी के भी कदम थिरकेसखी री,
फाग अब आया...
मधुर गुंजन पर ऋता शेखर मधु
भ्रमर ने गीत जब गाया
पपीहा प्रीत ले आया
शिखी के भी कदम थिरकेसखी री,
फाग अब आया...
मधुर गुंजन पर ऋता शेखर मधु
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विश्व बंधुत्व और शांति का संदेश देता है सांची
अपना पंचू
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चंद आंसुओं की...बे-सब्री से हो रही है दरकार - ...
चंद आंसुओं की...बे-सब्री से हो रही है दरकार,
शायद अगली कोई बद्दुआ कर रही है इंतज़ार | ..
MaiN Our Meri Tanhayii
अपना पंचू
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चंद आंसुओं की...बे-सब्री से हो रही है दरकार - ...
चंद आंसुओं की...बे-सब्री से हो रही है दरकार,
शायद अगली कोई बद्दुआ कर रही है इंतज़ार | ..
MaiN Our Meri Tanhayii
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जो भी जीवन में होता है
सब अच्छा होता है !!
जीवन की पाठशाला में
इंसान सदा ही बच्चा होता है
हर दस कदम पर
सीख नया कोई रखा होता है
चोट कभी जो लग जाए
घबरा के पीछे मत हटना
समय के ताखे में
हर घाव का मलहम रखा होता है..
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सब अच्छा होता है !!
जीवन की पाठशाला में
इंसान सदा ही बच्चा होता है
हर दस कदम पर
सीख नया कोई रखा होता है
चोट कभी जो लग जाए
घबरा के पीछे मत हटना
समय के ताखे में
हर घाव का मलहम रखा होता है..
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यह बात 1966 की है। उन दिनों मैं कक्षा 11 में पढ़ रहा था। परीक्षा हो गईं थी और पूरे जून महीने की छुट्टी पड़ गई थी। इसलिए सोचा कि कहीं घूम आया जाए। तभी संयोगवश् मेरे मामा जी हमारे घर आ गये। वो उन दिनों जिला पिथौरागढ़ में ठेकेदारी करते थे। उन दिनों मोटरमार्ग तो थे ही नहीं इसलिए पहाड़ों के दुर्गम स्थानों पर सामान पहुँचाने का एक मात्र साधन खच्चर ही थे....
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"दम घुटता है आज वतन में"
सज्जनता बेहोश हो गई,
दुर्जनता पसरी आँगन में।
कोयलिया खामोश हो गई,
मंडराती हैं चील चमन में।...
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंअच्छी हलचल
सादर
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर सदा की तरह ही उत्तम और पठनीय सूत्र |
मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंपठनीय सूत्रों का सुन्दर समीकरण
बहुत ही सुन्दर चर्चा प्रस्तुति, आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएंसुन्दर और पठनीय सूत्र
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर शनिवारीय अंक । आभार 'उलूक' का सूत्र 'ब्लात्कार चीत्कार व्यभिचार पर स्मारक बनें खूब बने बनाने बनवाने में किसलिये करना है और क्यों करना है कुछ भी विचार' को जगह देने के लिये ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार!
इन बेहतरीन चर्चा में मेरी रचना भी शामिल किये है ,बहुत-बहुत धन्यवाद सर
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा, मेरी रचना सम्मिलित करने के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंशुभ रात्रि|
बढ़िया चर्चा, आभार आपका !
जवाब देंहटाएं