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रविवार, नवंबर 30, 2014

"भोर चहकी..." (चर्चा-1813)

मित्रों।
रविवासरीय चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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आपसे एक निवेदन और भी करना है कि
अपना लिंक यहाँ देखने के बाद
अन्य पोस्टों के लिंकों पर भी
अपनी टिप्पणी देने की भी कृपा करें।
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बहुत खुश है शिक्षा -माफिया ! 

डोनेशनखोर शिक्षा माफिया गिरोह के सदस्य बहुत खुश होंगे .क्यों न हों ? दिल्ली में उनके पक्ष में फैसला जो आया है ! इस फैसले के अनुसार प्रायवेट नर्सरी स्कूलों में मासूम बच्चों के दाखिले के लिए फार्मूला वह खुद बनाएंगे ,सरकार इसमें कोई दखल नहीं दे पाएगी . जनता की निर्वाचित सरकार का कोई हुक्म उन पर नहीं चलेगा... 
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Deewan 23 

Junbishen पर Munkir 
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प्रेम के रंग - सुधीर मौर्य 

इन्द्रधनुष में नहीं खिलते हैं पूरे रंग 
तेरे सुर्ख पहिरन में जो झिलमिलाते हैं 
तेरे बदन के साथ मैने ही 
इन्द्रधनुष से मांग कर भरे हैं प्रिये ! 
वो रंग... 
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झटक गयी 

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चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ 
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गढ़ीमाई अनुष्ठान- ये कैसी आस्था? 

अंधड़ ! पर पी.सी.गोदियाल "परचेत"
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रस्म है... रिवाज़ है ..
पहरा कहूँ ?
नहीं ये तो दीवार है
जो तेरे मेरे बीच खड़ी है
तुम नाघ नहीं सकते
मैं तोड़ नहीं सकती
समाज तुम समझते हो
रिश्तो को मैं ... 
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अधूरे स्वप्न

आज उम्र के साठ सावन देखने के बाद भी कभी कभी मन सोलह का हो जाता है, जाने क्या छोड आयी थी उस मोड पर जिसे जीने को मन बार बार व्याकुल है, जाने क्यो आज भी मन अतृप्त ही है, कितनी बार कितने तरीको से मन को टटोल कर उलट पलट कर देखा, मगर आज तक पा नही सकी उस खाली मन को, बस हमेशा एक हूक सी उठ जाती है, उस उम्र को जीने की।
      पता ही नही चला 
कब वो सब मुझसे छूट गया जिससे बनती थी मेरी परिभाषा। जाने कब मेरी आशाओं ने अपने को चुपचाप एक गठरी में बाँध लिया और ओड ली असीमित खामोशी की चादर...
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आज आपको राजस्थान के 'कल्पवृक्ष' के बारे मेँ जानकारी दे दी जायेँ।
कहते है कि कल्पवृक्ष स्वर्ग का एक पेङ है जिससे जो मागोगे मिलेगा अर्थाथ सभी इच्छ्या पूर्ण करने वाला पेङ, लेकिन हम यहाँ खेजङी की बात कर रहेँ , खेजङी राजस्थान के अर्ध्दमरुस्थलिय भागो का एक वृक्ष हैँ। जल की कमी के कारण यह पेङ कंटिले और तना मोटी छाल वाला होता हैँ।
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मकड़ जाल 

Sunehra Ehsaas पर 

Nivedita Dinkar
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मौत... 

मैंने देखा है साक्षात मौत को 
मेरे साथ वर्षों तक रही भी है वो 
पर पहचाना नहीं मैंने उसको... 
मन का मंथन। पर kuldeep thakur 
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पौरुषीय व्रीड़ा 

देखकर भी मैं 
गर्दन मोड़ लिया करता हूँ 
होकर मौन नयन करते रहते हैं दौड़ 
धरा को पाता हूँ न छोड़... 
॥ दर्शन-प्राशन ॥ पर प्रतुल वशिष्ठ
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सोच समझ पर ताला है 

एक नजर ही देखा उसको क्यों कहते दिलवाला है 
देख चमक दर्पण के आगे पर पीछे से काला है 
काम बुरा, अच्छा ना सोचा भरा खजाना दौलत का 
खुद के बाहर देख सका ना सोच समझ पर ताला है... 
मनोरमा पर श्यामल सुमन 
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अज़ीज़ जौनपुरी : 

तेरी खुशबू तेरा हुश्ने ज़माल रखता हूँ 

ज़िगर में अपने जब्ते- नाल रखता हूँ 
तेरी खुशबू तेरा हुश्ने जमाल रखता हूँ 
तेरी दोशीजगी हमें जीने नहीं देती 
और मैं हूँ के जीने का मज़ाल रखता हूँ ... 
Aziz Jaunpuri
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मन की बात 

ऐसा क्यों?  
 सीमा स्मृति
कल शाम जब टेलीविजन चलाया ही था कि न्यूज़ आई कि फरीदाबाद के होली चाइल्ड स्कूल के एक तेरह साल के बच्चे ने जो आठवीं क्लास में पढ़ता था उसने स्कूल के बाथरूम में पैट्रोल डालकर अपने को आग लगा ली। मन और सोच जैसे सुन्न पड़ गए। ये क्या हैस्कूल में पानी की बोतल में पैट्रोल डाल कर ले गया । कसूर किस का है? माँ, बापटीचरहमारा एजूकेशन सिस्टम और समाज !कौन है इस घटना का जिम्मेदार... 
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"लोकतंत्र के घरों से"
उलूक टाइम्स
एक बड़े से देश के
छोटे छोटे लोकतंत्रों
में आंख बंद और
मुह बंद करना सीख
वरना भुगत
अरे हम अगर
कुछ खा रहे हैं
तो देश का
लोकतंत्र भी तो
बचा रहे हैं... 

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फ्रिज में रखे आटे के सम्बन्ध में 

 आटा गूंथने में लगने वाले सिर्फ दो-चार मिनट बचाने के लिए की जाने वाली यह क्रिया किसी भी दृष्टि से सही नहीं मानी जा सकती।पुराने जमाने से बुजुर्ग यही राय देते रहे हैं कि गूंथा हुआ आटा रात को नहीं रहना चाहिए। उस जमाने में फ्रीज का कोई अस्तित्व नहीं था फिर भी बुजुर्गों को इसके पीछे रहस्यों की पूरी जानकारी थी। यों भी बासी भोजन का सेवन शरीर के लिए हानिकारक है ही...

महत्वपूर्ण जानकारी। 

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VMW Team पर VMWTeam Bharat 
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बाकी है 

नहीं है मेरी मुट्ठी में चाहे सारा आस्माँ 
आस्माँ को छूने की अभी इक उडान बाकी है 
नहीं निकलतीं जिन पर्वतों से पीर की नदियाँ 
उनके सीनों में भी अभी इक तूफ़ान बाकी है... 
vandana gupta
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शह और मात 

Sudhinama पर sadhana vaid
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आँखों के अभिवादन 

लाख चाहकर, बात हृदय की, 
कहने से हम रह जाते है 
तेरी आँखों के अभिवादन, 
बात हजारों कह जाते हैं... 
प्रवीण पाण्डेय -
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"आँखों में होती है भाषा" 

आशा और निराशा की जो,
पढ़ लेते हैं सारी भाषा।
दो नयनों में ही होती हैं, है
दुनिया की पूरी परिभाषा... 

12 टिप्‍पणियां:

  1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  2. सुप्रभात
    उपयोगी जानकारी |
    उम्दा सूत्र

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  3. सुप्रभात
    सभी लंक लाजवाब है।
    आभार।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर चर्चा । आभार दिखाया जो आपने 'उलूक' का भी एक बहुत पुराना पर्चा "लोकतंत्र के घरों से"

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत खूबसूरत लिंक्स से सजी चर्चा ……आभार

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति..आभार!

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  7. सुन्दर व्यवस्थित चर्चा......हिन्दी हाइगा शामिल करने के लिए.आभार !!

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  8. अशेष शुभकामनाये सब मित्रों को । Sunehra Ehsaas "मकड़जाल" के लिंक को मान देने के लिए आभार शास्त्री जी ...

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  9. सुन्दर सूत्रों का सार्थक संयोजन आज के चर्चा मंच पर ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार आपका शास्त्री जी !

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  10. shiksha maafiya main lekhak ne nyaay kiya hai charchaa manch hi khoobsurat ban padaa hai ! hamari rachna ko shamil kiye jane par hardik aabhaar !!

    जवाब देंहटाएं

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