बड़ा धमाका पाक में, गया सैकड़ों मार ।
वैसा ही विस्फोट था, वैसा ही चित्कार ।
वैसा ही चित्कार, ठीक भारत में जैसे ।
वही लोथड़े खून, पड़े शव जैसे तैसे ।
सचमुच अगर शरीफ , पाक कर पाक इलाका ।
रोज अन्यथा झेल, और भी बड़ा धमाका॥
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noreply@blogger.com (पुरुषोत्तम पाण्डेय)
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shashi purwar
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Sushil Bakliwal |
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सुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा संयोजन सूत्रों का |
बहुत सुन्दर और संतुलित चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार रविकर जी।
बहुत सुंदर सूत्र संयोजन रविकर जी ।
जवाब देंहटाएंaapka hriday se aabhaar !
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा...आभार...
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा प्रस्तुति ....आभार!
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंBahut sunder andaaz prastuti ka hamesha ki tarah abke baar bhi links lajawaab hai !!
जवाब देंहटाएंबड़ा धमाका पाक में, गया सैकड़ों मार ।
जवाब देंहटाएंवैसा ही विस्फोट था, वैसा ही चित्कार ।
वैसा ही चित्कार, ठीक भारत में जैसे ।
वही लोथड़े खून, पड़े शव जैसे तैसे ।
सचमुच अगर शरीफ , पाक कर पाक इलाका ।
रोज अन्यथा झेल, और भी बड़ा धमाका॥
सुन्दर सामयिक प्रस्तुति वही काटोगे जो बोवोगे।
ये नौकरीपेशा लोगों की दूर निर्वासन की पीड़ा सिर्फ इस अकेले की नहीं होगी. ऐसे बहुत से परिवार होंगे, जो ऐसी ही त्रासदी से जूझ रहे होंगे. यहाँ ‘टापू’ अपने नाम को पूर्णतया सार्थक कर रहा है.
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह बहुत सशक्त संस्मरण और भी सशक्त सन्देश से संसिक्त।
सशक्त सन्देश देता सुन्दर बिम्ब प्रधान गीत :
जवाब देंहटाएंमनके मनकों से होती है माला बड़ी
तोड़ना मत कभी मोतियों की लड़ी
रोचक और सामयिक प्रस्तुति
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